नई दिल्ली। इलेक्टोरल बांड को लेकर स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया है। स्टेट बैंक के सीएमडी दिनेश खारा ने चुनावी बांड को लेकर दाखिल किए हलफनामे में कहा है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश का अनुपालन हो गया है।
हलफनामे में कहा गया है कि 1 अप्रैल 2019 से 11 अप्रैल 2019 तक 3346 इलेक्टोरल बांड खरीदे गए और 12 अप्रैल 2019 से 15 फरवरी 2024 तक 18, 872 इलेक्टोरल खरीदे गए। हलफनामे में कहा गया है कि कुल 22217 इलेक्टोरल बांड खरीदे गए, जिनमें से 22030 इलेक्टोरल बांड कैश कराए गए। स्टेट बैंक ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि राजनीतिक दलों द्वारा जो इलेक्टोरल बॉन्ड इन कैश नहीं किए गए, उन्हें प्रधानंमत्री रिलीफ फंड में जमा कर दिया गया है।
उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट ने 11 मार्च को इलेक्टोरल बांड की जानकारी 30 जून तक बढ़ाने की स्टेट बैंक की याचिका को खारिज कर दी थी और स्टेट बैंक को 12 मार्च तक जानकारी देने का निर्देश दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने निर्वाचन आयोग को निर्देश दिया था कि वो ये सूचना 15 मार्च तक अपनी वेबसाइट पर अपलोड करे।
Political Parties
लखनऊ। बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने शनिवार को फिर दोहराया कि उनकी पार्टी किसी भी हालत में लोकसभा चुनाव में दूसरे दलों से समझौता नहीं करेगी। उन्होंने कहा कि यह फैसला पूर्व में अन्य दलों से किए गए गठबंधन के कड़वे अनुभवों से सबक लेते हुए किया है। उन्होंने कहा कि अन्य दलों के साथ गठबंधन से संगठन का मिशन कमजोर होता है और पार्टी के कर्मठ कार्यकर्ताओं का मनोबल भी टूटता है।
मायावती ने लखनऊ स्थित पार्टी मुख्यालय में उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखंड इकाई के प्रमुख पदाधिकारियों के साथ बैठक कर लोकसभा चुनाव की तैयारियों की समीक्षा की। इस दौरान मायावती ने एक बार फिर दोहराया कि पार्टी अपने बलबूते लोकसभा चुनाव लड़ेगी और बेहतर रिजल्ट लाने की जिम्मेदारी पदाधिकारी एवं कार्यकर्ताओं की होगी। उन्होंने गठबंधन को लेकर पार्टी पदाधिकारियों को निराधार और भ्रामक खबरों से भी दूर रहने की नसीहत दी।
मायावती ने पार्टी पदाधिकारियों को संगठन के जनाधार को बढ़ाने और आगामी लोकसभा चुनाव की तैयारियों में जुटने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि बसपा एकमात्र ऐसी पार्टी है जो संवैधानिक आदर्शों और मूल्यों के आधार पर चलती है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में अगर दंगामुक्त सरकार किसी ने दिया है तो वह सिर्फ बसपा की सरकार है।
टोक्यो । जापान में राजनीतिक चंदा घोटाले की आंच सत्तारूढ़ लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी के सबसे बड़े गुट तक पहुंच गई है। जापानी अभियोजकों ने पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय शिंजो आबे के करीबी नेताओं से पूछताछ की है।
जापान के प्रमुख अखबार जापान टुडे के अनुसार सोमवार को जापानी अभियोजकों ने इस घोटाले के संबंध में पूर्व शीर्ष सरकारी प्रवक्ता हिरोकाज़ु मात्सुनो व पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय शिंजो आबे के करीबी अन्य नेताओं से पूछताछ की है। इन सभी पर चंदे के रूप में जुटाई गई धनराशि में करोड़ों येन का घपला किये जाने का आरोप है।
अखबार के अनुसार अभियोजकों ने गुट के अध्यक्ष रियू शियोनोया, पूर्व महासचिव त्सुयोशी ताकागी और हाउस ऑफ काउंसलर्स में पार्टी के पूर्व महासचिव हिरोशिगे सेको से भी पूछताछ की है। इसके बाद सत्तारूढ़ पार्टी विपक्ष के निशाने पर आ गई है। विपक्षी नेता अकीरा नागात्सुमा ने प्रमुख सत्तारूढ़ दल के नेताओं से पूछताछ को अभूतपूर्व बताया है।
अखबार ने सूत्रों के हवाले कहा है कि सत्तारूढ़ दल के मात्सुनो, ताकागी और सेको पर 2022 तक पांच वर्ष में 10 मिलियन येन से अधिक का घपला किया है। इस अवधि में लगभग 500 मिलियन येन की उगाही की गई। अभियोजक इन नेताओं के बैंक लेन-देन की भी जांच कर रहे हैं। अगर आरोप सिद्ध होता है तो इन नेताओं को पांच साल तक की कैद या दस लाख येन तक का जुर्माना हो सकता है।
इस पूरे घटनाक्रम पर प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा ने टिप्पणी की है- ‘सार्वजनिक अविश्वास पैदा करना बेहद अफसोसजनक है। मैं इसके लिए माफी मांगता हूं।’ उन्होंने कहा है कि राजनीतिक स्थिरता के लिए सरकार विशिष्ट कदम उठाएगी।
चुनाव आयोग ने जारी किये पार्टियों के लिए दिशा निर्देश, किसी को लूला-काना कहा तो हो सकती 5 साल की जेल
नई दिल्ली। चुनाव आयोग ने अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव संबंध में राजनीतिक दलों के लिए गाइडलाइन जारी की है। इसमें चुनाव आयोग ने पार्टियों से कहा है कि वे दिव्यांग लोगों के प्रति अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल करने से बचें।
चुनाव आयोग ने बताया है कि हाल के दिनों में राजनीतिक चर्चा में विकलांग लोगों के बारे में अपमानजनक या आक्रामक भाषा का इस्तेमाल किया गया। किसी भी राजनीतिक दल के सदस्यों या उनके उम्मीदवारों द्वारा इस तरह की बात की जाती है तो इसे दिव्यांगजनों का अपमान समझा जा सकता है।
चुनाव आयोग ने उदाहरण देकर बताया है कि किस तरह के शब्दों का इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए। इसमें गूंगा, पागल, सिरफिरा, अंधा, काना, बहरा, लंगड़ा, लूला और अपाहिज जैसे शब्द हैं। चुनाव आयोग ने कहा है कि इस तरह की अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल करने से बचना चाहिए। राजनीतिक चर्चा या चुनावी अभियान में दिव्यांगों को न्याय और सम्मान दिया जाना चाहिए। चुनाव आयोग ने कहा है कि दिव्यांग के प्रति अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल करने पर विकलांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम 2016 की धारा 92 के तहत कार्रवाई हो सकती है। इसमें 5 साल जेल तक का प्रावधान है।
चुनाव आयोग के दिशा-निर्देश
राजनीतिक दलों और उनके प्रतिनिधियों को किसी भी सार्वजनिक बयान या भाषण के दौरान विकलांगता पर अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
राजनीतिक दलों और उनके प्रतिनिधियों को विकलांगता से संबंधित टिप्पणियों से सख्ती से बचना चाहिए।
अगर विकलांग लोगों के लिए अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल किया जाता है तो विकलांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम 2016 की धारा 92 के प्रावधान लागू हो सकते हैं।
भाषणों, सोशल मीडिया पोस्ट, विज्ञापनों और प्रेस विज्ञप्तियों सहित सभी प्रचार के साधनों की समीक्षा राजनीतिक दलों द्वारा की जानी चाहिए ताकि दिव्यांग लोगों के प्रति भेदभावपूर्ण भाषा के इस्तेमाल को रोका जा सके।
सभी राजनीतिक दल अपनी वेबसाइट पर घोषित करें कि वे विकलांगता और लिंग-संवेदनशील भाषा और शिष्टाचार का उपयोग करेंगे। वे मानवीय समानता, गरिमा और स्वायत्तता का सम्मान करेंगे।
सभी राजनीतिक दल विकलांग व्यक्तियों के अधिकारों पर कन्वेंशन में बताए गए शब्दावली का इस्तेमाल करेंगे। वे किसी अन्य शब्दावली का इस्तेमाल नहीं करेंगे।
सभी राजनीतिक दल अपने सार्वजनिक भाषणों, चुनाव अभियानों और कार्यक्रमों को सभी नागरिकों के लिए सुलभ बनाएंगे। पार्टियां विकलांग लोगों के साथ बातचीत आसान बनाने के लिए वेबसाइट और सोशल मीडिया का इस्तेमाल कर सकते हैं।
सभी राजनीतिक दल पार्टी कार्यकर्ताओं के लिए विकलांगता पर एक ट्रेनिंग मॉड्यूल दे सकते हैं। वे भाषा से संबंधित विकलांग लोगों की शिकायतों को सुनने के लिए नोडल प्राधिकारी नियुक्त करेंगे।
नई दिल्ली । एक देश, एक चुनाव को लेकर गठित उच्च स्तरीय समिति की शनिवार को पहली बैठक हुई। समिति ने फैसला लिया कि एक देश एक चुनाव के मुद्दे पर मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों और विधि आयोग के साथ बैठक कर उनके भी विचार लिए जाएं। समिति ने इन सभी को आमंत्रित करने का निर्णय लिया है।
पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली इस समिति की बैठक दिल्ली के जोधपुर आफिसर्स हॉस्टल में हुई। रामनाथ कोविन्द ने बैठक के एजेंडे की रूपरेखा बतायी। उन्होंने बताया कि राजनीतिक दलों और विधि आयोग को आमंत्रण भेजा गया है।
बैठक में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, विधि एवं न्याय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल, राज्यसभा में पूर्व नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आज़ाद, 15वें वित्त आयोग के अध्यक्ष रहे एनके सिंह, लोकसभा के पूर्व महासचिव डॉ. सुभाष कश्यप, पूर्व मुख्य सतर्कता आयुक्त संजय कोठारी मौजूद रहे। वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे बैठक में आभासी माध्यम से शामिल हुए। लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी बैठक में मौजूद नहीं थे।
उल्लेखनीय है कि देश में एक साथ चुनाव कराने पर विचार करने और उस पर सिफारिशें देने के लिए दो सितंबर को अधिसूचना के जरिए उच्चस्तरीय समिति गठित की गई थी। इस समिति ने यह पहली बैठक थी।
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 2024 के लोकसभा चुनाव के मद्देनजर विपक्ष की बेंगलुरु बैठक पर निशाना साधते हुए कहा कि यह कट्टर भ्रष्टाचारी सम्मेलन हो रहा है। उन्होंने कहा कि 24 के लिए 26 होने वाले राजनीतिक दलों का लेबल कुछ और माल कुछ है। उन्होंने कहा कि ये लोग देश के लोकतंत्र और संविधान को अपना बंधक बनाना चाहते हैं।
लोग हमारी सरकार वापस लाने का मन बना चुके हैं
प्रधानमंत्री मंगलवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से वीर सावरकर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा, पोर्ट ब्लेयर के नए एकीकृत टर्मिनल भवन का उद्घाटन करने के बाद सभा को संबोधित कर रहे थे। इस मौके पर प्रधानमंत्री ने कहा कि आज देश के लोग 2024 के चुनाव में फिर एक बार हमारी सरकार वापस लाने का मन बना चुके हैं, निर्णय ले चुके हैं। ऐसे में भारत की बदहाली के जिम्मेदार कुछ लोग अपनी दुकान खोलकर बैठ गए हैं। मोदी ने कहा, “इन्हें देखकर मुझे एक कविता की कुछ लाइनें याद आ गई है, जो अवधी भाषा में लिखी गई है – गाइत कुछ है, हाल कुछ है, लेबल कुछ है, माल कुछ है। 24 के लिए 26 होने वाले राजनीतिक दलों पर ये बिल्कुल सटीक बैठता है।”
‘नफरत है घोटाले हैं, तुष्टीकरण है मन काले हैं, परिवारवाद की आग के दशकों से देश हवाले है’
प्रधानमंत्री ने आगे जोड़ा, नफरत है घोटाले हैं, तुष्टीकरण है मन काले हैं, परिवारवाद की आग के दशकों से देश हवाले है। उन्होंने कहा कि इनके लिए देश के गरीबों के बच्चों का विकास नहीं बल्कि अपने बच्चों और भाई-भतीजों का विकास मायने रखता है। इनकी एक ही विचारधारा और एजेंडा है अपना परिवार बचाओ, परिवार के लिए भ्रष्टाचार बढ़ाओ। प्रधानमंत्री ने कहा कि ये जो जमात इकट्ठी हुई है, उनके कुनबे में बड़े से बड़े घोटालों पर, अपराधों पर इनकी जुबान बंद हो जाती है। जब किसी एक राज्य में इनके कुशासन की पोल खुलती है, तो दूसरे राज्यों के ये लोग फौरन उसके बचाव में तर्क देने लगते हैं।
पश्चिम बंगाल पंचायत चुनाव हिंसा पर विपक्ष चुप रहा
लोग कह रहे हैं कि यह (बेंगलुरु विपक्ष बैठक) भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने के लिए इकट्ठा हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि जो लोग (विपक्ष) इकट्ठा हुए हैं, वे सभी अपने भ्रष्टाचार के आरोपों के बारे में पूछे जाने पर चुप रहते हैं। पश्चिम बंगाल पंचायत चुनाव के दौरान हिंसा हुई थी और वे सभी शांत थे। कांग्रेस और वामपंथी कार्यकर्ता अपनी सुरक्षा की गुहार लगा रहे थे लेकिन उनके नेता इतने स्वार्थी थे कि उन्होंने कार्यकर्ताओं को उस गंभीर स्थिति में छोड़ दिया। तमिलनाडु में भ्रष्टाचार के कई मामले अब उजागर हो रहे हैं लेकिन वे (विपक्ष) पहले ही क्लीन चिट का दावा कर चुके हैं।
इस मौके पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि वीर सावरकर हवाई अड्डे पर नए टर्मिनल भवन से पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा और क्षेत्र की अर्थव्यवस्था मजबूत होगी। उन्होंने कहा, “अब तक, वर्तमान टर्मिनल की क्षमता प्रतिदिन 4,000 पर्यटकों को संभालने की थी। हालांकि, इस नए टर्मिनल के साथ, क्षमता बढ़कर 11,000 पर्यटकों तक पहुंच गई है।”
पोर्ट ब्लेयर में मेडिकल कॉलेज बनाया
मोदी ने कहा कि हमारी सरकार ने 9 वर्षों में अंडमान विभाग के लिए 48,000 करोड़ रुपये आवंटित किए, जो पिछली सरकार के खर्च से दोगुना है। उन्होंने कहा कि 2014 के बाद से अंडमान में पर्यटकों की आमद दोगुनी हो गई है, आने वाले वर्षों में यह कई गुना बढ़ जाएगी उन्होंने कहा कि हम अंडमान में सबमरीन ऑप्टिकल केबल फाइबर लाए, पोर्ट ब्लेयर में मेडिकल कॉलेज बनाया।
पूर्ववर्ती सरकारों की गलतियों को सुधारा
प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले नौ वर्षों में हमने संवेदनशीलता के साथ पूर्ववर्ती सरकारों की गलतियों को सुधारा है और नई सुविधाएं भी तैयार की हैं। भारत में विकास का एक नया मॉडल सामने आया है, यह मॉडल सबको साथ लेकर चलने का है, यह मॉडल ‘सबका साथ सबका विकास’ का है। उन्होंने कहा कि भारत में लंबे समय तक कुछ पार्टियों की स्वार्थी राजनीति के कारण विकास केवल बड़े शहरों तक ही सीमित था, जिसके कारण आदिवासी और द्वीपीय क्षेत्र विकास से वंचित रह गए।
इस नये एकीकृत टर्मिनल भवन का निर्माण लगभग 710 करोड़ रुपये की लागत से हुआ है। यह नया टर्मिनल, इस केन्द्रि शासित प्रदेश की कनेक्टिविटी को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। लगभग 40,800 वर्गमीटर के कुल निर्मित क्षेत्र वाला यह नया टर्मिनल भवन प्रति वर्ष लगभग 50 लाख यात्रियों के आवागमन को संभालने में सक्षम होगा। पोर्ट ब्लेयर हवाई अड्डे पर 80 करोड़ रुपये की लागत से दो बोइंग-767-400 और दो एयरबस-321 प्रकार के विमानों के लिए उपयुक्त एप्रन का भी निर्माण किया गया है, जिससे यह हवाई अड्डा अब एक समय में दस विमानों की पार्किंग करने में सक्षम हो गया है।
रांची। अब राजनीतिक दलों को चुनाव आयोग को ऑनलाइन वित्तीय लेखा-जोखा उपलब्ध कराना होगा। भारत निर्वाचन आयोग ने ऑनलाइन लेखा-जोखा की शुरुआत चालू वित्तीय वर्ष 2023-24 से शुरू की है। भारत निर्वाचन आयोग के इस निर्णय के बाद झारखंड मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय ने सभी क्षेत्रीय और राष्ट्रीय पार्टी को पत्र भेजकर ससमय रिपोर्ट आयोग को देने को कहा है।
पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के उद्देश्य से भारत निर्वाचन आयोग ने राजनीतिक दलों के वित्तीय लेखा जोखा को वार्षिक ऑडिट अकाउंट रिपोर्ट के माध्यम से जमा करने को कहा है। मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी के रवि कुमार की ओर से जारी पत्र के अनुसार जो राजनीतिक दल ऑनलाइन मोड में वित्तीय रिपोर्ट दाखिल नहीं करना चाहते हैं, उन्हें लिखित रूप में इसकी वजह बतानी होगी। इसके अलावा आयोग के द्वारा निर्धारित प्रारूप में सीडी या पेन ड्राइव के साथ हार्ड कॉपी प्रारूप में रिपोर्ट भी दाखिल कर सकते हैं। भारत निर्वाचन आयोग राजनीतिक दलों के द्वारा वित्तीय डिटेल ऑनलाइन दाखिल नहीं करने की वजह को सार्वजनिक करने का काम करेगी।
सुनवाई टली: धार्मिक प्रतीकों का प्रयोग करने वाले दलों की मान्यता रद्द करने पर सुप्रीम कोर्ट चार हफ्ते बाद सुनवाई करेगा
नई दिल्ली ।अपने नाम में धार्मिक शब्दों और प्रतीकों के इस्तेमाल करने वाले राजनीतिक दलों की मान्यता रद्द करने की मांग करने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई चार हफ्ते के लिए टाल दी है।
आज सुनवाई के दौरान एआईएमआईएम के वकील केके वेणुगोपाल ने कहा कि याचिका में केवल एआईएमआईएम और मुस्लिम लीग को पक्ष बनाया गया है। ऐसा केस दिल्ली हाई कोर्ट में भी लंबित है। तब सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट में लंबित केस की जानकारी मांगी और सुनवाई चार सप्ताह के लिए टाल दी गई।
5 सितंबर, 2022 को सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी किया था। याचिका वसीम रिज़वी ने दायर की है। याचिकाकर्ता की ओर से वकील गौरव भाटिया ने इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग, हिंदू एकता दल जैसी पार्टियों का उदाहरण दिया था। उन्होंने कहा था कि बोम्मई केस में सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि धर्मनिरपेक्षता बुनियादी चीज है।
सुनवाई के दौरान भाटिया ने कहा कि कोई राजनीतिक दल अगर धार्मिक नाम पर वोट मांगता है तो वह जनप्रतिनिधित्व कानून का उल्लंघन कर रहा है। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने याचिकाकर्ता को राजनीतिक दलों को पक्षकार बनाने की अनुमति दी थी।
मुंबई। बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) प्रशासन ने गुरुवार को नगर निगम मुख्यालय में सभी राजनीतिक दलों के कार्यालयों को सील कर दिया है। निगम के आयुक्त इकबाल चहल के आदेश के बाद मुंबई नगर निगम कर्मियों ने सभी पार्टी के कार्यालयों पर नोटिस चस्पा कर दिया है। वहीं इस कार्रवाई का विरोध करते हुए शिवसेना (उबाठा) के पूर्व पार्षद आयुक्त चहल के चेंबर के बाहर प्रदर्शन कर रहे हैं।
जानकारी के अनुसार बुधवार को बालासाहेब की शिवसेना की प्रवक्ता शीतल म्हात्रे मुंबई नगर निगम में स्थित शिवसेना कार्यालय में घुस गयी थीं। उन्होंने इस कार्यालय पर अपना दावा जताना शुरू कर दिया था। शीतल म्हात्रे ने कहा कि यह कार्यालय उनका भी है। इसके बाद शिवसेना के दोनों गुटों में इस कार्यालय को लेकर विवाद पैदा हो गया था। इसलिए प्रशासन ने पुलिस का सहयोग लेकर मामले को शांत किया था। इसके बाद आज गुरुवार को आयुक्त ने मुख्यालय में सभी पार्टी के कार्यालयों को सील करने का आदेश जारी किया है।
इस समय मुंबई नगर निगम के सभी पार्षदों का कार्यकाल समाप्त हो गया है, इसलिए आगामी चुनाव होने तक मुंबई में कोई भी वर्तमान पार्षद नहीं है। इसलिए आयुक्त का निर्णय जायज बताया जा रहा है।
वहीं, शिवसेना उबाठा के नेता विनायक राऊत ने आरोप लगाते हुए कहा कि आयुक्त ने यह कार्रवाई राज्य सरकार के इशारे पर की है। उन्होंने कहा कि पार्टी कार्यालय में बैठकर जनहित के काम किए जाते हैं। इसलिए पार्टी कार्यालयों को सील करना ठीक नहीं है। उन्होंने आयुक्त पर जनहित विरोधी काम करने का आरोप लगाया।
नई दिल्ली। सरकार ने हिमाचल और गुजरात में होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले चुनाव बॉन्ड योजना की 22वीं किश्त जारी करने की अनुमति दे दी है। यह बॉन्ड जारी होने की तारीख से 15 दिनों के लिए वैध होंगे। भारतीय स्टेट बैंक की 29 शाखाओं को इन्हें जारी करने और भुनाने के लिए अधिकृत किया गया है।
वित्त मंत्रायल ने गुरुवार को जारी एक बयान में कहा कि भारत सरकार ने चुनावी बॉन्ड योजना 2018 को राजपत्र अधिसूचना संख्या 20 दिनांक 2 जनवरी 2018 के माध्यम से अधिसूचित किया है। सरकार ने गुजरात और हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनावों से पहले चुनाव बॉन्ड योजना की 22वीं किश्त जारी करने को मंजूरी दी है। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) चुनावी बॉन्ड जारी करने वाला एकमात्र अधिकृत बैंक है। चुनावी बॉन्ड बिक्री के लिए एक अक्टूबर, 2022 से उपलब्ध होगा। पहले चरण में एक से 10 मार्च, 2018 तक चुनावी बॉन्ड की बिक्री हुई थी।
मंत्रालय के मुताबिक स्टेट बैंक एक से 10 अक्टूबर, 2022 तक अपनी 29 अधिकृत शाखाओं के माध्यम से बॉन्ड को भुनाने के साथ जारी भी करेगा। इसके लिए अधिकृत एसबीआई शाखाओं में लखनऊ, शिमला, देहरादून, कोलकाता, गुवाहाटी, चेन्नई, पटना, नयी दिल्ली, चंडीगढ़, श्रीनगर, गांधीनगर, भोपाल, रायपुर और मुंबई शामिल हैं। इससे पहले इस चुनावी बॉन्ड योजना के 21वें चरण की बिक्री एक से 10 जुलाई, 2022 तक हुई थी।
चुनावी बॉन्ड योजना के प्रावधानों के मुताबिक यह बॉन्ड वह व्यक्ति या इकाई खरीद सकता है, जो भारत का नागरिक है या भारत में गठित हुई हो। पिछले लोकसभा या राज्य विधानसभा चुनावों में कम से कम एक फीसदी मत हासिल करने वाले पंजीकृत राजनीतिक दल चुनावी बॉन्ड योजना के जरिए कोष प्राप्त करने के लिए पात्र हैं।