नई दिल्ली । तिहाड़ जेल में गैंगस्टर टिल्लू ताजपुरिया की हत्या पर दिल्ली के जेल प्रशासन को हाई कोर्ट ने फटकार लगाई है। जस्टिस जसमीत सिंह की बेंच ने कहा कि ये समझ से परे है कि जेल प्रशासन ने ऐसी घटना को रोकने के लिए कोई कदम क्यों नहीं उठाया। कोर्ट ने तिहाड़ जेल से स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया। कोर्ट ने सुनवाई की अगली तिथि को जेल सुपरिटेंडेंट को भी पेश होने का निर्देश दिया। मामले की अगली सुनवाई 25 मई को होगी।
हाई कोर्ट ने इस घटना में चूक के जिम्मेदार अधिकारियों की जिम्मेदारी और जवाबदेही तय कर बताने को भी कहा है। कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को निर्देश दिया कि वो टिल्लू के पिता और भाई को सुरक्षा देने पर विचार करे। याचिका टिल्लू ताजपुरिया के पिता और भाई ने दायर की है। याचिका में टिल्लू की 2 मई को तिहाड़ जेल में की गई हत्या की सीबीआई जांच की मांग की गई है।
सीसीटीवी फुटेज में टिल्लू पर छह लोग कई वार करते देखे गए हैं। सीसीटीवी फुटेज में ये भी है कि जब टिल्लू को बाहर ले जाया जा रहा था, तो पुलिसकर्मियों के सामने हमलावरों ने उसे दोबारा पीटा। सुनवाई के दौरान तिहाड़ जेल की ओर से पेश वकील राहुल त्यागी ने कहा कि टिल्लू ताजपुरिया की हत्या एक गैंगवार का नतीजा है। इस मामले की जांच स्पेशल सेल को सौंपी गई है।
HIGH COURT ANNOYED
हाई कोर्ट की बंगाल हिंसा पर सख्त टिप्पणी, कहा – बात पुलिस के बस की नहीं तो पैरामिलिट्री लगाइये
कोलकाता । पश्चिम बंगाल में रामनवमी की शोभायात्राओं को केंद्र कर हावड़ा, हुगली अदि जगहों पर हुई हिंसा को लेकर कलकत्ता हाई कोर्ट ने बुधवार को तीखी टिप्पणी की है। राज्य सरकार को नसीहत देते हुए कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश टीएस शिवज्ञानम की खंडपीठ ने कहा कि राज्य पुलिस अगर हालात को संभालने में विफल हो रही है तो पैरामिलिट्री की मदद ली जानी चाहिए।
कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश टीएस शिवज्ञानम ने आसन्न हनुमान जयंती का जिक्र करते हुए कहा कि अतीत की घटनाओं से सबक लेना चाहिए। बीमारी को लेकर अग्रिम बचाव बेहद जरूरी है। मैंने इसके पहले गणेश चतुर्थी की शोभायात्रा पर इसी तरह से हिंसा को लेकर आठ-नौ साल पहले सुनवाई की थी। तब मैंने ठोस निर्देश दिए थे और तब से गणेश चतुर्थी पर शांति बरकरार है। इसी तरह से हनुमान जयंती आने वाली है। उस दिन भी शोभायात्रा निकलेगी। राज्य पुलिस अगर संभालने में विफल है तो पैरामिलिट्री की मदद ली जाए लेकिन ऐसी घटनाएं नहीं होनी चाहिए।
हिंसा से डरे न्यायाधीश ने भी मांगी है सुरक्षा
न्यायमूर्ति शिवज्ञानम ने एक महत्वपूर्ण मामले का खुलासा करते हुए कहा कि डायमंड हार्बर के एक न्यायाधीश ने हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को पत्र लिखा है। डायमंड हार्बर में जज हैं लेकिन उनका परिवार श्रीरामपुर में रहता है। उन्होंने खुद ही थाने और पुलिस के उच्च पदस्थ अधिकारियों से मदद मांगी लेकिन कोई मदद नहीं मिली। दो बेटे और पत्नी को लेकर परिवार श्रीरामपुर में रहता है। उन्होंने हाई कोर्ट से सुरक्षा मांगी है। जो लोग इस तरह से बाहर रहते हैं और उनका परिवार हिंसा प्रभावित क्षेत्रों में है तो उनका क्या होगा? लोगों के मन में भरोसा बहाल करने की जरूरत है। इसके लिए रूट मार्च किया जाना चाहिए। प्राकृतिक आपदा आती है तब भी केंद्रीय टीम आती है इसीलिए ऐसे मामलों में भी शांति बहाल करने के लिए अगर आवश्यकता हो तो तुरंत पैरामिलिट्री की मदद ली जानी चाहिए। मुंबई की मिसाल देते हुए उन्होंने कहा कि गणेश चतुर्थी के समय पुलिस बैरिकेड करके शोभायात्रा करवाती है। कोई हंगामा हिंसा नहीं होती।
इस दौरान कोर्ट में केंद्र सरकार के अधिवक्ता भी मौजूद थे। उन्होंने कहा कि अगर राज्य को आवश्यकता पड़ेगी तो केंद्रीय बलों की तैनाती तुरंत हो जाएगी। उन्होंने राज्य पुलिस पर सवाल खड़ा करते हुए कहा कि केंद्रीय गृह राज्य मंत्री निशित प्रमाणिक पर भी हमले हुए लेकिन उसमें पुलिस ने कोई जांच नहीं की। उल्टे भाजपा के जो लोग मार खाए थे, उन्हीं पर दोषारोपण कर जिम्मेदारियों से बच रही थी।
हाई कोर्ट की मुख्य सचिव को कड़ी फटकार , कहा- कॉर्बेट में पेड़ काटने वालों पर क्यों कार्रवाई नहीं की गयी
नैनीताल । कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में अतिक्रमण तथा पेड़ों की अवैध कटान को लेकर उत्तराखंड हाई कोर्ट ने मुख्य सचिव को जमकर फटकारा। कोर्ट ने मुख्य सचिव से पूछा कि बड़े पैमाने पर कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में अवैधानिक अतिक्रमण करने के आलावा तथा अनगिनित पेड़ों की कटान की गयी, लेकिन सरकार की ओर से दोषी अफसरों और अन्य लोगो पर कार्रवाई क्यों नहीं की गई है? जिस पर सरकार की ओर से कोर्ट को बताया गया कि डीएफओ व अन्य के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी गई है।
याचिकाकर्ता ने कोर्ट को बताया कि कोर्ट ने अक्टूबर 2021 में इस मामले का स्वतः संज्ञान लेते हुए पीसीसीएफ राजीव भरतरी की अध्यक्षता में कमेटी गठित की थी। कमेटी को निर्देशित किया गया था कि दोषी कौन है और क्या कार्यवाही की गई, यह शपथपत्र देकर बताएं। जिसके बाद राजीव भरतरी को पीसीसीएफ पद से हटा दिया गया था और आइएफएस वीके सिंघल को पीसीसीएफ बनाया गया। कोर्ट ने 22 फरवरी की तिथि नियत करते हुए मुख्य सचिव को जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं।
मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी एवं न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की खंडपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई।
मामले के अनुसार देहरादून निवासी अनु पंत ने हाई कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल कर कई अन्य महत्वपूर्ण दस्तावेज न्यायालय के समक्ष रखे। जिसको गंभीरता से लेते हुए न्यायालय की खंडपीठ ने 6 जनवरी 2022 को मुख्य सचिव को कार्यवाही करने के लिए कहा था। मुख्य सचिव की ओर से फरवरी 2022 में दाखिल शपथपत्र में कहा गया था कि समय-समय पर न्यायालय को कार्यवाही के बारे में अवगत कराते रहेंगे, लेकिन एक वर्ष बीत जाने के बावजूद भी उन्होंने किसी भी तथ्य के बारे में न्यायालय को अवगत नहीं कराया। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने कोर्ट में कहा कि उच्चतम न्यायालय ने यह स्पष्ट किया था कि कॉर्बेट टाइगर रिजर्व का एक भी वृक्ष नहीं काटा जा सकता, लेकिन वर्तमान में तो फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार 6000 से ज्यादा पेड़ काट दिए गए हैं। उन्होंने यह भी बताया कि विभागाध्यक्ष की ओर से बनी समिति ने इसके लिए कई अफसरों को जिम्मेदार ठहराया है लेकिन शीर्ष अफसरों के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की गई है। न्यायालय ने मुख्य सचिव को दोबारा एक शपथपत्र दाखिल कर यह बताने को कहा है कि दोषी अफसरों के खिलाफ क्यों कार्रवाई नहीं की जा रही है। सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से मुख्य स्थाई अधिवक्ता सीएस रावत ने कहा कि यह याचिका एक व्यक्ति विशेष को लाभ देने के लिए दाखिल की गई है। इसीलिए इस पर कोई सुनवाई नहीं होनी चाहिए।
कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता की जो भी मंशा हो लेकिन याचिका जनहित में एक प्रमुख मुद्दा उठा रही है इसीलिए सरकार को दोषियों पर कार्यवाही करनी चाहिए।
गंगा मैली रहने पर हाई कोर्ट कि फटकार ‘अफसर गंगा की सफाई कर नहीं पा रहे या करना ही नहीं चाहते’
प्रयागराज । गंगा प्रदूषण मामले में जिम्मेदार अफसरों पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गम्भीर टिप्पणी करते हुए कहा कि अफसर गंगा की सफाई नहीं कर पा रहे हैं या करना ही नहीं चाहते। कोर्ट ने सरकार का पक्ष रखने के लिए महाधिवक्ता को छह जनवरी को बुलाया है।
पिछले एक नवम्बर को कोर्ट ने विभिन्न विभागों के हलफनामों में विरोधाभास को देखते हुए महाधिवक्ता को सभी की तरफ से एक हलफनामा दाखिल कर स्पष्ट पक्ष रखने का आदेश पारित किया था। अपर महाधिवक्ता अजीत कुमार सिंह सरकार का पक्ष रखने आये तो सुनवाई टालते हुए कोर्ट ने कहा महाधिवक्ता स्वयं आये।
मुख्य न्यायमूर्ति राजेश बिंदल, न्यायमूर्ति मनोज कुमार गुप्ता और न्यायमूर्ति अजित कुमार की पूर्णपीठ जनहित याचिका की सुनवाई कर रही है। याचिका पर अधिवक्ता विजय चंद्र श्रीवास्तव, शैलेश सिंह ने पक्ष रखा। इनका कहना था कि छह जनवरी से माघ मेला शुरू हो रहा है। कोर्ट आदेश के बावजूद गंगा में स्नान के लिए पर्याप्त पानी नहीं है। गंगा का पानी गंदा है और श्रद्धालु मेला क्षेत्र में आ चुके हैं। अधिकारी कोर्ट आदेश का पालन नहीं कर रहे। पालिथिन बैन की खानापूरी की गई है। नालों का गंदा पानी सीधे गंगा में जा रहा है।
न्याय मित्र अधिवक्ता अरुण कुमार गुप्ता ने कहा कि गंगा की स्वच्छता के नाम पर अधिकारी केवल पैसे खर्च कर रहे है। गंगा स्वच्छ नहीं हो रही है। उन्होंने कोर्ट को बताया कि सीवेज ट्रीटमेंट प्लांटस की शोधन क्षमता से दूना पानी आ रहा। 60 फीसदी सीवर सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट से जोड़े गए हैं। शेष 40 फीसदी सीवर से सीधे गंगा में गिर रहा है। नालों के बायोरेमिडियल शोधन की अधूरी प्रणाली से खानापूरी की जा रही है। केवल गंगा में पानी छोड़ने मात्र से गंगा साफ नहीं होगी।
उन्होंने कहा की राजापुर, नैनी सहित कई ट्रीटमेंट प्लांटस से फ्लो 120 एमएलडी आ रहा है। जबकि क्षमता 60 एमएलडी की है। उन्होंने बताया की एसटीपी से भी पानी शोधित नहीं हो पा रहा है। नगर निगम केवल एक ड्रम रखकर खानापूर्ति कर रहा है। माघ के दौरान केवल 4000 क्यूसेक पानी छोड़ने से गंगा का जल शुद्ध नहीं हो पाएगा। इस पर कोर्ट ने सरकार की तरफ से पेश हुए अपर महाधिवक्ता अजीत कुमार सिंह से स्थिति जाननी चाही। कोर्ट ने पूछा कि जल की शुद्धता के मामले में क्या किया गया।
अपर महाधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि कोर्ट आदेश के तहत उन्होंने गंगा में गिर रहे नाले टैप्ड करा दिया है। इसके अलावा मेला क्षेत्र को पॉलिथीन मुक्त करने के लिए कार्रवाई की जा रही है। अधिवक्ता विजय चंद्र श्रीवास्तव ने बताया कि दो दिन पहले मुख्य सचिव और डीजीपी मेले की तैयारियों की समीक्षा करने आए थे लेकिन उन्होंने गंगाजल के शुद्धिकरण पर कोई कार्रवाई नहीं की। ऐसा लगता है शासन इस मामले में चिंतित नहीं है। कल्पवासी गंदे और काले पानी में स्नान करने को मजबूर हैं। मुख्य सचिव से इस बारे में पूछा जाय।
अधिवक्ता शैलेश सिंह ने कहा कि कोर्ट ने अपने 21 जनवरी 2021 को पारित आदेश में गंगा जल की शुद्धता, एसटीपी और ड्रेनेज में सुधार के लिए कहा था। अपर महाधिवक्ता ने कोर्ट के पिछले आदेश की अनुपालन रिपोर्ट हलफनामे के जरिए कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत किया। कोर्ट ने उसे रिकॉर्ड पर लेते हुए पूछा कि गंगा जल शुद्धिकरण के मामले में क्या किया गया। महाधिवक्ता को पक्ष रखने का आदेश दिया गया था और वह कहां है ? बताया गया की वह बाहर हैं। कोर्ट ने सुनवाई स्थगित करते हुए शुक्रवार को महाधिवक्ता को पक्ष रखने को कहा है।
कोलकाता । पश्चिम बंगाल में शिक्षक नियुक्ति भ्रष्टाचार को लेकर स्कूल सेवा आयोग (एसएससी) की लापरवाही पर कलकत्ता हाई कोर्ट ने मंगलवार को सख्त टिप्पणी की है।
न्यायमूर्ति अभिजीत गांगुली की एकल पीठ ने एसएससी के जरिए शिक्षकों की नियुक्ति में हुई धांधली के मामले में सुनवाई करते हुए पूछा है कि जिन लोगों को गैरकानूनी तरीके से नियुक्त किया गया, उन सभी को अभी तक नौकरी से क्यों नहीं हटाया गया है? न्यायमूर्ति ने इस संबंध में सीबीआई को भी फटकार लगाते हुए कहा कि अभी तक उन लोगों की सूची नहीं मिली, जिन्हें गैर कानूनी तरीके से नियुक्त किया गया है। वह सूची कोर्ट में जल्द से जल्द जमा दी जाए। जिन लोगों ने भी केवल सफेद कागज जमा कर नौकरी हासिल की है, वे अगर अपनी मर्जी से इस्तीफा नहीं देते हैं तो कोर्ट इस संबंध में कड़ा कदम उठाएगा।
दरअसल, आरोप है कि गैरकानूनी शिक्षक नियुक्ति के सिलसिले में कई ऐसे लोगों के बारे में पता चला है, जिन्होंने केवल सादा उत्तर पुस्तिका जमा कर दिया था और उन्हें शिक्षक के तौर पर नियुक्त कर दिया गया। 8 नवंबर से पहले उन सभी शिक्षकों को पद त्याग करने का निर्देश कलकत्ता हाई कोर्ट ने दिया था लेकिन किसी ने भी इस्तीफा नहीं दिया है। इसे लेकर मंगलवार को न्यायमूर्ति गांगुली ने कहा कि समय सीमा पार हो जाने के बावजूद ऐसे अयोग्य लोग अभी भी नौकरी कर रहे हैं और पद नहीं छोड़ा है। अब कोर्ट कदम उठाएगी।
उल्लेखनीय है कि ग्रुप डी, ग्रुप सी, कक्षा नौवीं और दसवीं श्रेणी में ऐसे सैकड़ों लोगों की नियुक्ति हुई है जिन्होंने परीक्षा भी नहीं दी थी।
प्रयागराज । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इनकम टैक्स विभाग को लताड़ा है । कोर्ट ने DDIT यूनिट 3 कानपुर के खिलाफ कार्रवाई के आदेश दिए है। हाई कोर्ट ने आयकरदाताओं को परेशान किए जाने पर खासी नाराज़गी जताई है। कोर्ट ने केंद्रीय वित्त सचिव को ऐसा मैकेनिज्म बनाने का आदेश दिया है जिसमे आयकरदाताओं को नाहक परेशान न किया जाये। इनकम टैक्स विभाग के खिलाफ कोर्ट ने आदेश में कड़ी टिप्पणियां भी की हैं।
जुर्माने से बचने के लिए इनकम टैक्स ने ज़इ कोर्ट ने गुहार लगाई है। पहली सितंबर को हाईकोर्ट जुर्माने की रकम पर बहस सुनेग। इस मामले में इनकम टैक्स के 3 बड़े अफसरों पर होगी कार्रवाई।