हर साल यमुना में जो सफेद झाग का नजारा देखने को मिलता है, वैसा भारत में शायद ही किसी नदी में दिखता हो. देश में 8 प्रमुख और 400 से ज्यादा अन्य नदियां है कुछ अरब सागर तो कुछ बंगाल की खाड़ी में मिलती है. अगर यमुना की बात करें तो उत्तराखंड के यमुनोत्री से लेकर प्रयाग के संगम तक ही इसका अस्तित्व दिखता है

लेकिन जैसे ही ये नदी दिल्ली के 22 किलोमीटर लंबे इलाके में आती है, इसका चेहरा ही खराब हो जाता है. दिल्ली में घुसते ही यमुना नदी नहीं, बल्कि नाला बन जाती है. दुर्गंध, झाग, सूखे इलाके, शैवाल जैसी डरावनी चीजें आपके नाक, दिमाग और आंख को डराती हैं. नदी को देख कर जो अच्छा सुख और शांति मिलनी चाहिए, वो खत्म हो जाती है. क्यों दिल्ली में ही यमुना अपना अस्तित्व खो देती हैं? क्या यह सिर्फ सरकार की जिम्मेदारी है या जनता की भी।