मुंबई। बाम्बे हाई कोर्ट ने मनी लॉड्रिंग मामले में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेता और पूर्व मंत्री नवाब मलिक की जमानत याचिका पर सुनवाई 6 जनवरी, 2023 तक के लिए स्थगित कर दी है।
कोर्ट ने मंगलवार को प्रवर्तन निदेशालय को नवाब मलिक की तबीयत के बारे में रिपोर्ट दो सप्ताह के अंदर कोर्ट में पेश करने का आदेश दिया है। हाई कोर्ट ने इस जमानत याचिका पर तत्काल सुनवाई से इनकार कर दिया है।
नवाब मलिक की जमानत याचिका मुंबई की विशेष कोर्ट ने 30 नवंबर को नामंजूर कर दिया था। इसके बाद नवाब मलिक की ओर से वकील तारक सैयद और कुशल मोरे ने हाई कोर्ट में स्वास्थ्य के आधार पर जमानत देने के लिए याचिका दाखिल की। सोमवार को नवाब मलिक की ओर से इस याचिका पर तत्काल सुनवाई करने के लिए आवेदन दिया था। आज इस मामले की सुनवाई जज एमएस कर्णिक के समक्ष हुई। जज ने मामले की तत्काल सुनवाई से इनकार करते हुए इसे 6 जनवरी, 2023 तक के लिए स्थगित कर दिया ।
नवाब मलिक को कुख्यात बदमाश दाऊद इब्राहिम की बहन हसीना पारकर के सहयोग से कुर्ला में गोवावाला कंपाउंड की जमीन खरीद में हुए मनी लॉड्रिंग ऐंगल से जांच करने के लिए प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने 23 फरवरी को गिरफ्तार किया था। तब से नवाब मलिक न्यायिक हिरासत में थे। इसके बाद नवाब मलिक को मई महीने में मेडिकल कारणों से कुर्ला के निजी अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती करवाया गया है। कोर्ट का आगामी आदेश आने तक नवाब मलिक निजी अस्पताल में ही रहेंगे।
hearing
मुरादाबाद । पूर्व सांसद व फिल्म अभिनेत्री जयप्रदा पर गुरुवार को अभद्र टिप्पणी के मामले में वादी मुस्तफा से मामले में आरोपित पूर्व मंत्री आजम खां के अधिवक्ता ने जिरह की। न्यायालय ने मामले में अन्य गवाहों को तलब करते हुए 23 नवंबर की तारीख नियत की है।
रामपुर लोकसभा से पूर्व सांसद व अभिनेत्री जयाप्रदा अभद्र केस का मामला 2019 का है। लगभग ढाई वर्ष पूर्व जून 2019 में कटघर थाना क्षेत्र स्थित मुस्लिम डिग्री कॉलेज में सम्मान समारोह आयोजित हुआ था। सम्मान समारोह के दौरान रामपुर की पूर्व सांसद व अभिनेत्री जयाप्रदा के ऊपर अभद्र टिप्पणी की गई थी। इस मामले में पूर्व मंत्री व रामपुर लोकसभा से पूर्व सांसद आजम खान, उनके बेटे अब्दुल्ला आजम, मुरादाबाद लोकसभा से समाजवादी पार्टी के सांसद डॉ एसटी हसन व अन्य सपाइयों को आरोपित बनाया गया था। केस की सुनवाई मुरादाबाद की एमपी एमएलए स्पेशल कोर्ट में चल रही है।
विशेष लोक अभियोजक मोहनलाल विश्नोई का कहना है कि गुरुवार को वादी मुस्तफा पूर्व मंत्री आजम खां के अधिवक्ता ने जिरह की। न्यायालय ने मामले में अन्य गवाहों को तलब करते हुए इस केस में सुनवाई की अगली तिथि अब 23 नवम्बर मुकर्रर की है।
मुरादाबाद। शुक्रवार को पूर्व सांसद व फिल्म अभिनेत्री जयप्रदा पर अभद्र टिप्पणी के मामले में वादी मुस्तफा ने गवाही दी। जिसमें वादी ने अपने बयानों में दर्ज की गई प्रथम सूचना रिपोर्ट की पुष्टि की। मामले में अलगी सुनवाई 17 नवम्बर को होगी।
रामपुर लोकसभा से पूर्व सांसद व अभिनेत्री जयाप्रदा अभद्र केस का मामला 2019 का है। लगभग ढाई वर्ष पूर्व जून 2019 में कटघर थाना क्षेत्र स्थित मुस्लिम डिग्री कॉलेज में सम्मान समारोह आयोजित हुआ था। सम्मान समारोह के दौरान रामपुर की पूर्व सांसद व अभिनेत्री जयाप्रदा के ऊपर अभद्र टिप्पणी की गई थी। इस मामले में पूर्व मंत्री व रामपुर लोकसभा से सांसद आजम खान, उनके बेटे अब्दुल्ला आजम, मुरादाबाद लोकसभा से समाजवादी पार्टी के सांसद डा. एसटी हसन व अन्य सपाइयों को आरोपी बनाया गया था। केस की सुनवाई मुरादाबाद की एमपी एमएलए स्पेशल कोर्ट में चल रही है।
विशेष लोक अभियोजक मोहनलाल विश्नोई का कहना है कि शुक्रवार को वादी मुस्तफा ने न्यायालय में गवाही दी। जिसमें वादी ने अपने बयानों में दर्ज की गई प्रथम सूचना रिपोर्ट की पुष्टि की। अदालत ने इस केस में सुनवाई की अगली तिथि अब 17 नवम्बर मुकर्रर की है।
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट गुजरात के मोरबी पुल हादसा मामले की न्यायिक जांच की मांग करने वाली याचिका पर 14 नवंबर को सुनवाई करेगा। वकील विशाल तिवारी ने आज याचिका दाखिल करके इस मामले पर जल्द सुनवाई की मांग की जिसके बाद कोर्ट ने 14 नवंबर को सुनवाई करने का आदेश दिया।
याचिका में मांग की गई है कि मोरबी पुल हादसे की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में न्यायिक आयोग का गठन किया जाए। याचिका में मांग की गई है कि सभी राज्य अपने यहां के पुराने स्मारकों और पुलों के जोखिम का आकलन करने के लिए कमेटी का गठन करें, ताकि उनकी सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
याचिका में मांग की गई है कि हर राज्य में एक विशेष विभाग का गठन हो जो इस तरह के हादसों की तेजी से जांच करे। साथ ही सार्वजनिक इस्तेमाल की ऐसी इमारतों के निर्माण में बेहतरीन गुणवत्ता सुनिश्चित की जा सके। याचिका में केंद्र सरकार और सभी राज्यों को पक्षकार बनाया गया है।
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने नागरिकता संशोधन कानून को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई 6 दिसंबर तक के लिए टाल दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने दो वकीलों को सभी याचिकाओं में उठाए मुख्य मसलों का संग्रह तैयार करने का जिम्मा दिया है।
नागरिकता संशोधन कानून पर 232 याचिकाएं दाखिल की गई हैं। इनमें से 53 असम और त्रिपुरा से जुड़ी हुई हैं। त्रिपुरा और असम से जुड़ी याचिकाएं अलग से सुनी जाएंगी। आज केंद्र सरकार ने त्रिपुरा और असम को लेकर अलग हलफनामा दाखिल कर कहा कि नागरिकता संशोधन कानून से असम समझौता और उत्तर-पूर्व के लोगों के सांस्कृतिक अधिकारों का उल्लंघन नहीं होता है।
हलफनामा में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कहा है कि नागरिकता संशोधन कानून में अफगानिस्तान, पाकिस्तान या बांग्लादेश से 31 दिसंबर, 2014 से पहले आए हुए हिंदू, ईसाई, जैन, पारसी और बौद्धों की सुरक्षा का प्रावधान किया गया है। यह कानून भारत में अवैध घुसपैठ को रोकने के लिए लाया गया है।
इससे पहले 17 मार्च, 2020 को केंद्र सरकार ने इस मामले में हलफनामा दाखिल किया था। 133 पेजों के हलफनामे में केंद्र ने कहा था कि नागरिकता संशोधन कानून में कोई गड़बड़ी नहीं है। इस कानून में कुछ खास देशों के खास समुदाय के लोगों के लिए ढील दी गई है। संबंधित देशों में धर्म के आधार पर उत्पीड़न किया जा रहा है। पिछले 70 सालों में उन देशों में धर्म के आधार पर किए जा रहे उत्पीड़न को ध्यान में रखते हुए संसद ने ये संशोधन किया है। इस कानून से किसी भी भारतीय नागरिक का कानूनी, लोकतांत्रिक और धर्मनिरपेक्ष अधिकार प्रभावित नहीं होता है।
केंद्र ने कहा था कि नागरिकता देने का मामला संसदीय विधायी कार्य है। यह विदेश नीति पर निर्भर करता है। इस मामले में न्यायिक हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता। इस कानून से संविधान की धारा 14 का कोई उल्लंघन नहीं होता।
श्रीकृष्ण जन्मन में भूमि मामला: तीसे एक वाद पर हुई सुनवाई, अगली सुनवाई 30 एवं 10 नवम्बर को
मथुरा । श्रीकृष्ण जन्मस्थान से सटी हुई मीना मस्जिद के संबंध में अखिल भारत हिंदू महासभा के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष द्वारा दायर किए गए वाद में शुक्रवार मुस्लिम पक्ष के गैर हाजिर होने के कारण सुनवाई नहीं हो सकी। सिविल जज सीनियर डिवीजन की अदालत ने अगली सुनवाई के लिए 30 नवंबर की तारीख तय की है। अधिवक्ता महेंद्र प्रताप सिंह व वरिष्ठ अधिवक्ता राजेंद माहेश्वरी के रिवीजन प्रार्थना पत्र पर अगली सुनवाई 10 नवंबर को होगी।
श्रीकृष्ण जन्मस्थान से सटी हुई मीना मस्जिद को श्रीकृष्ण जन्मस्थान की 13.37 एकड़ जमीन पर निमित्त बताते हुए हटाने की मांग अदालत से की है। मीना मस्जिद मामले में सिविल जज सीनियर डिवीजन की कोर्ट में सुनवाई हुई। करीब 15 मिनट तक वादी दिनेश शर्मा की तरफ से उनके एडवोकेट द्वारा पक्ष रखते हुए कहा गया कि मीना मस्जिद की भौगोलिक स्थिति जानने के लिए मौके पर अमीन भेजा जाय और उनकी रिपोर्ट कोर्ट में दाखिल की जाए।
प्रार्थना पत्र दाखिल करने वाले दिनेश शर्मा का कहना है कि मीना मस्जिद पर निर्माण कार्य कराया जा रहा है जिसे रोकना आवश्यक है। सुनवाई के दौरान प्रार्थना पत्र में पार्टी बनाये गए सुन्नी वक्फ बोर्ड और इंतजामिया कमेटी के उपस्थित न रहने के कारण कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई की अगली 30 नवंबर दे दी।
श्री कृष्ण जन्मस्थान ईदगाह प्रकरण में अधिवक्ता महेंद्र प्रताप सिंह और अधिवक्ता राजेंद्र माहेश्वरी के केस में जिला जज राजीव भारती की अदालत में रिवीजन पर सुनवाई नहीं हो सकी। अधिवक्तागण ने बताया कि अब अदालत में इस केस में 10 नवंबर को सुनवाई होगी।
नई दिल्ली। मनी लॉन्ड्रिंग मामले के आरोपित एवं दिल्ली सरकार के मंत्री सत्येंद्र जैन की जमानत याचिका पर दिल्ली के राऊज एवेन्यू कोर्ट में दलीलें रखते हुए जैन की ओर से वकील एन हरिहरन ने कहा कि ईडी ने उन्हें केवल इसलिए गिरफ्तार किया है कि वे मंत्री बने हैं और उन्होंने सार्वजनिक जीवन शुरू किया है। जमानत याचिका पर अगली सुनवाई 5 नवंबर को होगी।
सुनवाई के दौरान हरिहरन ने कहा कि जैन के खिलाफ कोई आरोप नहीं है। उनकी केवल एक गलती है कि वे एक मंत्री बने और सार्वजनिक जीवन की शुरुआत की। उन्होंने कहा कि सत्येंद्र जैन को हिरासत में रखना पूरे तरीके से न्याय के खिलाफ होगा। क्या अल्प शेयरधारक किसी कंपनी को नियंत्रित कर सकता है। एक डायरेक्टर किसी कंपनी का केवल एक प्रतिनिधि होता है। जिस समय का मामला है उस समय सत्येंद्र जैन कंपनी में थे भी नहीं। अगर जैन राजनीति में नहीं आए होते तो ये केस दर्ज नहीं हुआ होता।
एक अक्टूबर को दिल्ली हाई कोर्ट ने सत्येंद्र जैन की जमानत याचिका दूसरी कोर्ट में ट्रांसफर करने के आदेश के खिलाफ दायर याचिका खारिज कर दी थी। 24 सितंबर को प्रिंसिपल डिस्ट्रिक्ट एंड सेशंस जज विनय कुमार ने सत्येंद्र जैन की जमानत याचिका दूसरी कोर्ट में ट्रांसफर करने का आदेश दिया था। राऊज एवेन्यू कोर्ट के प्रिंसिपल डिस्ट्रिक्ट एंड सेशंस जज ने सत्येंद्र जैन की जमानत याचिका पर विकास धूल की कोर्ट में सुनवाई के लिए भेज दिया था।
ईडी ने सत्येंद्र जैन के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग मामले की सुनवाई स्पेशल जज गीताजंलि गोयल की कोर्ट से दूसरे कोर्ट में ट्रांसफर करने की मांग की थी। ईडी ने कहा था कि सत्येंद्र जैन अपनी बीमारी का झूठा बहाना बनाकर अस्पताल में भर्ती हो गए। ईडी ने कहा था कि उसने स्पेशल जज गीतांजलि गोयल की कोर्ट से कहा कि सत्येंद्र जैन प्रभावशाली व्यक्ति हैं और वो दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य मंत्री हैं। इस बात की पूरी आशंका है कि वो अपनी बीमारी का फर्जी दस्तावेज हासिल कर लें। लेकिन गीतांजलि गोयल की कोर्ट ने इस आशंका को नजरंदाज कर दिया।
रांची। झारखंड हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति राजेश कुमार की अदालत में मनी लांडरिंग मामले में निलंबित आईएएस पूजा सिंघल की जमानत याचिका पर बुधवार को सुनवाई हुई। मामले में अगली सुनवाई 21 अक्टूबर को होगी।
इससे पूर्व में ईडी की ओर से मामले में प्रतिशपथ पत्र दाखिल किया गया था। पूजा सिंघल को ईडी ने 11 मई को गिरफ्तार किया था। उसके बाद से ही वह जेल में बंद हैं। पूर्व में ईडी कोर्ट ने पूजा सिंघल की जमानत याचिका खारिज कर दी थी। इसके बाद पूजा सिंघल की ओर से हाई कोर्ट में नियमित जमानत के लिए याचिका दाखिल की गई है।
उल्लेखनीय है कि खूंटी में मनरेगा घोटाला फरवरी 2009 से जुलाई 2010 के बीच हुआ था। उस समय पूजा सिंघल वहां की डीसी थी। ईडी ने छह मई को तत्कालीन खान सचिव पूजा सिंघल के सरकारी और निजी आवास के अलावा उनके पति अभिषेक झा और उनके सीए सुमन सिंह सहित 25 ठिकानों पर छापेमारी की थी। सीए सुमन सिंह के आवास से ईडी को 19.31 करोड़ रुपये नकदी बरामद किये थे। 11 मई को ईडी ने पूजा सिंघल को गिरफ्तार किया था और 25 मई से वह सलाखों के पीछे हैं। फिलहाल वह रिम्स के पेइंग वार्ड में इलाजरत हैं।
मुंबई। गोरेगांव पत्राचाल घोटाला मामले में आरोपित शिवसेना नेता संजय राऊत की जमानत याचिका पर अगली सुनवाई मुंबई के विशेष कोर्ट ने 21 अक्टूबर तक के लिए स्थगित कर दी है। कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि यह मामला बहुत ही जटिल लग रहा है, इसलिए उन्हें इस संबंध में अध्ययन करना हैै।
संजय राऊत की जमानत याचिका पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के वकील एएसजी अनिल सिंह ने सोमवार को ईडी की ओर से जिरह की थी। अनिल सिंह ने कहा था कि मामले की जांच जारी है और राऊत को जमानत दी गई, तो इससे जांच प्रभावित होगी। बताया जा रहा है कि मंगलवार को विशेष कोर्ट में हो रही सुनवाई के दौरान अनिल सिंह ने राऊत की जमानत का विरोध किया। इसके बाद संजय राऊत के वकील अशोक मुदरंगी ने कहा कि वे शाम तक इस मामले में कुछ कागजात पेश करेंगे। इसके बाद कोर्ट ने कहा कि यह मामला जटिल लग रहा है, इसलिए वह भी इस मामले का अध्ययन करेंगे। इसलिए मामले की अगली सुनवाई 21 अक्टूबर तक के लिए स्थगित की जाती है। इसके बाद कोर्ट ने संजय राऊत की न्यायिक हिरासत 21 अक्टूबर तक बढ़ा दी।
दरअसल, संजय राउत को ईडी ने जून महीने में गोरेगांव के पत्राचाल में हुए 1034 करोड़ रुपये के कथित घोटाला मामले में मनी लॉड्रिंग एंगल से जांच करने के लिए गिरफ्तार किया था। इस समय संजय राऊत को आर्थर रोड जेल में रखा गया है।
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने बिलकिस बानो के दोषियों की रिहाई के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई 29 नवंबर तक के लिए टाल दी है। रिहाई के समर्थन में गुजरात सरकार की ओर से दाखिल हलफनामे पर याचिकाकर्ताओं ने जवाब दाखिल करने के लिए वक़्त दिए जाने की मांग की, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने मंजूर कर लिया ।
सुनवाई के दौरान सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि हमारी प्राथमिक आपत्ति यही है कि एक आपराधिक केस में अजनबी को याचिका दायर करने की अनुमति नहीं मिल सकती है। तब कोर्ट ने कहा कि आप लोग जवाब दाखिल कीजिए, सुनवाई 29 नवंबर को होगी। 17 अक्टूबर को गुजरात सरकार ने हलफनामा दाखिल कर कहा कि बिलकिस बानो गैंगरेप केस के दोषियों को उनकी सजा के 14 साल पूरे होने और उनके जेल में अच्छे व्यवहार की वजह से रिहा किया गया। हलफनामे में कहा गया है कि दोषियों की रिहाई केंद्र सरकार की अनुमति के बाद की गई। गुजरात सरकार ने कहा है कि दोषियों की रिहाई का फैसला कैदियों को रिहा करने के सुप्रीम कोर्ट के 9 जुलाई, 1992 के दिशानिर्देश के आधार पर किया गया है न कि आजादी के अमृत महोत्सव की वजह से। गुजरात सरकार ने कहा कि बिलकिस बानो के दोषियों की समय से पहले रिहाई का एसपी, सीबीआई, सीबीआई के स्पेशल जज ने विरोध किया था।
24 सितंबर को बिलकिस बानो गैंगरेप केस के दोषियों ने सुप्रीम कोर्ट में अपना जवाब दाखिल किया था। जवाब में कहा गया था कि गुजरात सरकार का उनकी रिहाई का फैसला कानूनी तौर पर ठीक है। उनकी रिहाई के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिकाकर्ता सुभाषिनी अली और महुआ मोइत्रा का केस से कोई संबंध नहीं है। आपराधिक केस में तीसरे पक्ष के दखल का कोई औचित्य नहीं बनता है। दोषियों के जवाब में कहा गया था कि उनकी रिहाई के खिलाफ न तो गुजरात सरकार ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है और न ही पीड़ित ने । यहां तक कि इस मामले के शिकायतकर्ता ने भी कोर्ट का दरवाजा नहीं खटखटाया है। ऐसे में कानून की स्थापित मान्यताओं का उल्लंघन होगा।
कोर्ट ने 25 अगस्त को गुजरात सरकार को नोटिस जारी किया था। कोर्ट ने इस मामले में दोषियों को भी पक्षकार बनाने का निर्देश दिया था। याचिका सीपीएम की नेता सुभाषिनी अली और तृणमूल कांग्रेस की नेता महुआ मोईत्रा ने दायर की है। याचिका में कहा गया है कि बिलकिस बानो गैंगरेप के 11 दोषियों को रिहा करना गैरकानूनी है। इन्हें 14 लोगों की हत्या का भी दोषी करार दिया गया था।
गौरतलब है कि 27 फरवरी, 2002 को गोधरा कांड के बाद पूरे गुजरात में सांप्रदायिक दंगे भड़क गए थे। इसी के बाद 3 मार्च, 2002 को अहमदाबाद से 250 किमी दूर रंधीकपुर गांव में बिलकिस बानो के परिवार पर भीड़ ने हमला कर दिया था। इस हमले में बिलकिस की 3 साल की बेटी सहित उसके परिवार के सात लोगों की हत्या कर दी गई थी। पांच माह की गर्भवती बिलकिस बानो के साथ सामूहिक बलात्कार किया गया था। बिलकिस बानो ने इसके अगले दिन यानी 4 मार्च, 2002 को पंचमहल के लिमखेड़ा पुलिस स्टेशन में अपनी शिकायत दर्ज करायी थी।
इस घटना की शुरुआती जांच अहमदाबाद में हुई थी। सीबीआई ने 19 अप्रैल, 2004 को अपनी चार्जशीट दाखिल की थी। इसके बाद बिलकिस बानो ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर यह आशंका जाहिर की थी कि गवाहों को नुकसान पहुंचाया जा सकता है और सीबीआई के साक्ष्यों से छेड़छाड़ की जा सकती है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने 6 अगस्त, 2004 में मामले को मुंबई ट्रांसफर कर दिया। स्पेशल कोर्ट ने 21 जनवरी, 2008 को दिए अपने फैसले में 11 लोगों को दोषी ठहराया था। इन 11 दोषियों ने अपनी सजा के खिलाफ बांबे हाईकोर्ट में अपील की थी। बांबे हाईकोर्ट ने इनकी सजा बरकरार रखी थी।