मथुरा। विवादित शाही ईदगाह मस्जिद परिसर में मंगलवार को हनुमान चालीसा का पाठ और लड्डू गोपाल का जलाभिषेक करने की अखिल भारत हिंदू महासभा की घोषणा के मद्देनजर पुलिस प्रशासन विशेष सतर्कता बरत रहा है। पुलिस ने मस्जिद के रास्ते पर बैरिकेड्स लगा दिए हैं। सभी संवेदनशील स्थानों की ड्रोन के जरिए निगरानी की जा रही है। इसी बीच, शाही ईदगाह पर लड्डू गोपाल का जलाभिषेक करने आ रहे अखिल भारत हिंदू महासभा के आगरा जिले के प्रभारी सौरभ शर्मा को मंगलवार सुबह पुलिस ने हिरासत में ले लिया।
पुलिस अधीक्षक (सिटी) मार्तंड प्रकाश सिंह ने बताया कि आगरा जिला प्रभारी सौरभ शर्मा को भूतेश्वर चौराहे से हिरासत में लिया गया। छह दिसंबर को लेकर श्रीकृष्ण जन्मस्थान और ईदगाह की तरफ जाने वाले मार्ग पर चौकसी बरती जा रही है। शहर का शांत माहौल नहीं बिगड़ने दिया जाएगा। जो भी माहौल बिगाड़ने का प्रयास करेगा, उससे सख्ती से निपटा जाएगा। ईदगाह और श्रीकृष्ण जन्मस्थान आने-जाने वाले सभी मार्गों पर मंगलवार सुबह 08 बजे से बुधवार भोर तक वाहनों का आवागमन प्रतिबंधित कर दिया गया है। केवल एंबुलेंस, स्कूल वाहन और अन्य आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति करने वाले वाहनों को ही इधर से गुजरने की अनुमति होगी।
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक शैलेश कुमार पांडेय ने संवेदनशील स्थानों पर पुलिस बल के साथ पैदल गश्त की। उन्होंने गोकुल रेस्टोरेंट से मसानी होते हुए डीग गेट तक गश्त की। इस दौरान संदिग्ध वाहनों की तलाशी भी ली गई। पुलिस के मुताबिक सौरभ शर्मा जन्मस्थान की ओर आ रहे थे। उन्हें कोतवाली में बैठा लिया गया है। प्रदेश सरकार की भी पूरे मामले पर नजर है। सूत्रों का कहना है कि शासन के वरिष्ठ अधिकारियों ने भी इस बाबत अधिकारियों से वार्ता की। उनसे सुरक्षा व्यवस्था को लेकर जानकारी ली गई।
अखिल भारत हिंदू महासभा की जिलाध्यक्ष छाया गौतम ने बताया कि प्रदेश अध्यक्ष मुकेश पटेल और अलीगढ़ की जिलाध्यक्ष गौरी पाठक को उनके आवासों पर ही वहां की पुलिस ने नजरबंद किया है। वृंदावन और हाई-वे थाना क्षेत्र में तीन पदाधिकारियों को पुलिस ने बैठा लिया है। कई पदाधिकारियों के घरों पर सोमवार को दिन में कई बार पुलिस ने दबिश दी, लेकिन वह हाथ नहीं लगे।
छह दिसंबर के मद्देनजर शांतिभंग में पाबंद किए गए महासभा पदाधिकारियों की पांच दिसंबर को सिटी मजिस्ट्रेट कार्यालय में पेशी थी, लेकिन हिरासत में लिए जाने के कारण पदाधिकारी पेशी पर नहीं पहुंचे। प्रदेश प्रवक्ता ने बताया कि सभी ने अपनी हाजिरी माफी लगाई है। जब कई लोगों को नजरबंद कर लिया गया है, ऐसे में वह पेशी पर कैसे पहुंच सकते हैं। अब छह दिसंबर को फिर न्यायालय ने उपस्थित होने के लिए तिथि नियत की है। मंगलवार को आनंदपुरी निवासी नीरज गौतम, कृष्णा नगर निवासी मनीषा ठाकुर, कृष्णा विहार निवासी कन्हैया, रामप्रकाश और चंदनवन निवासी रूपा लवानिया को शांति भंग में पाबंद कर नोटिस जारी किया गया है।
December 6
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने नागरिकता संशोधन कानून को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई 6 दिसंबर तक के लिए टाल दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने दो वकीलों को सभी याचिकाओं में उठाए मुख्य मसलों का संग्रह तैयार करने का जिम्मा दिया है।
नागरिकता संशोधन कानून पर 232 याचिकाएं दाखिल की गई हैं। इनमें से 53 असम और त्रिपुरा से जुड़ी हुई हैं। त्रिपुरा और असम से जुड़ी याचिकाएं अलग से सुनी जाएंगी। आज केंद्र सरकार ने त्रिपुरा और असम को लेकर अलग हलफनामा दाखिल कर कहा कि नागरिकता संशोधन कानून से असम समझौता और उत्तर-पूर्व के लोगों के सांस्कृतिक अधिकारों का उल्लंघन नहीं होता है।
हलफनामा में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कहा है कि नागरिकता संशोधन कानून में अफगानिस्तान, पाकिस्तान या बांग्लादेश से 31 दिसंबर, 2014 से पहले आए हुए हिंदू, ईसाई, जैन, पारसी और बौद्धों की सुरक्षा का प्रावधान किया गया है। यह कानून भारत में अवैध घुसपैठ को रोकने के लिए लाया गया है।
इससे पहले 17 मार्च, 2020 को केंद्र सरकार ने इस मामले में हलफनामा दाखिल किया था। 133 पेजों के हलफनामे में केंद्र ने कहा था कि नागरिकता संशोधन कानून में कोई गड़बड़ी नहीं है। इस कानून में कुछ खास देशों के खास समुदाय के लोगों के लिए ढील दी गई है। संबंधित देशों में धर्म के आधार पर उत्पीड़न किया जा रहा है। पिछले 70 सालों में उन देशों में धर्म के आधार पर किए जा रहे उत्पीड़न को ध्यान में रखते हुए संसद ने ये संशोधन किया है। इस कानून से किसी भी भारतीय नागरिक का कानूनी, लोकतांत्रिक और धर्मनिरपेक्ष अधिकार प्रभावित नहीं होता है।
केंद्र ने कहा था कि नागरिकता देने का मामला संसदीय विधायी कार्य है। यह विदेश नीति पर निर्भर करता है। इस मामले में न्यायिक हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता। इस कानून से संविधान की धारा 14 का कोई उल्लंघन नहीं होता।