नई दिल्ली । चीफ जस्टिस (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ ने बताया कि अब सुप्रीम कोर्ट भी नेशनल जुडिशल डेटा ग्रिड के अंतर्गत आएगा। नेशनल जुडिशल डेटा ग्रिड के वेब पेज के जरिये सुप्रीम कोर्ट में लम्बित कुल आपराधिक और सिविल मामलों की जानकारी हासिल की जा सकेगी।
चीफ जस्टिस ने कहा कि ये सुप्रीम कोर्ट के काम में पारदर्शिता सुनिश्चित करेगा। अभी सुप्रीम कोर्ट में 80 हजार से ज्यादा केस लंबित हैं। इस पोर्टल में देश की सभी अदालतों में लंबित और निपटाए जा रहे अलग-अलग तरह के केस की संख्या लगातार अपडेट होती है। अब तक इसमें तालुका, जिला और हाई कोर्ट के आंकड़े उपलब्ध थे।
चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा, “यह एक ऐतिहासिक दिन है। यह एक अनूठा प्लेटफॉर्म है जिसे एनआईसी और सुप्रीम कोर्ट की इनहाउस टीम की ओर से विकसित किया गया है। अब, एक बटन के क्लिक पर, आप मामलों की लंबित संख्या, वर्ष-वार, पंजीकृत और अपंजीकृत मामलों की कुल लंबित अवधि, कोराम-वार तय किए गए मामलों की संख्या रियलटाइम जानकारी देख सकते हैं।”
भारत के चीफ जस्टिस ने घोषणा की है कि सर्वोच्च न्यायालय राष्ट्रीय न्यायिक डाटा ग्रिड प्लेटफॉर्म के तहत आ गया है। इससे लंबित मामलों की ट्रैकिंग की सुविधा मिलेगी। सीजेआई का कहना है कि इससे पारदर्शिता और जवाबदेही आएगी।
CJI SUPREME COURT
नई दिल्ली । मणिपुर वायरल वीडियो मामले में सुप्रीम कोर्ट ने पीड़ित महिलाओं को बयान दर्ज करने जा रही सीबीआई को फिलहाल बयान दर्ज करने से रोक दिया है। कोर्ट ने सीबीआई को आज दोपहर 2 बजे होने जा रही सुनवाई का इंतजार करने को कहा है।
आज वकील निजाम पाशा ने कोर्ट को बताया था कि सीबीआई आज दोपहर पीड़ितों के बयान दर्ज करने आ रही है। पाशा ने कहा कि सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता भी कोर्ट में मौजूद हैं। इस पर चीफ जस्टिस ने कहा कि सीबीआई दो बजे की सुनवाई का इंतजार करे।
31 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने संकेत दिया था कि वो मणिपुर में महिलाओं के साथ यौन हिंसा की जांच के लिए पूर्व महिला जजों की एक कमेटी बनाएगी। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने केंद्र और राज्य सरकार से एफआईआर, जांच के लिए उठाए गए कदम, पुनर्वास के लिए उठाए गए कदम आदि का विवरण देने को कहा था।
लिव इन रिलेशनशिप के रजिस्ट्रेशन की मांग पर सुप्रीम कोर्ट भड़का , खारिज की याचिका, अव्यवहारिक बताया
नई दिल्ली । लिव-इन रिलेशनशिप के रजिस्ट्रेशन की मांग वाली याचिका सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी है। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने ऐसी याचिका पर कड़ी नाराजगी जताते हुए बिलकुल ही अव्यवहारिक बताया।
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि यह कैसी याचिका है? किसी भी तरह की याचिका दायर की जा रही है। हम ऐसी याचिकाओं पर जुर्माना लगाना शुरू कर देंगे। लिव इन रिलेशनशिप का रजिस्ट्रेशन कहां करेंगे। क्या केंद्र सरकार रजिस्ट्रेशन करेगी। केंद्र सरकार का लिव इन रिलेशनशिप में रहने वालों से क्या लेना-देना?
वकील ममता रानी ने दायर की गई याचिका में श्रद्धा वालकर और निक्की यादव हत्याकांड का हवाला दिया था। याचिका में कहा गया था कि गोपनीय तरीके से चल रहे ऐसे संबंध लगातार जघन्य अपराध की वजह बन रहे हैं।
नई दिल्ली । यूपी के बाहुबली अतीक अहमद की जेल बदलने से सम्बंधित याचिका पर सुप्रीम कोर्ट 17 मार्च को सुनवाई करेगा। अतीक अहमद की ओर से पेश वकील ने आज चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच के समक्ष मेंशन करते हुए जल्द सुनवाई का अनुरोध किया, लेकिन चीफ जस्टिस ने कहा कि 17 मार्च को मामला सुनवाई के लिए लिस्ट किया जाएगा।
अतीक अहमद की याचिका में अहमदाबाद जेल से यूपी की जेल में प्रस्तावित ट्रांसफर का विरोध किया गया है। याचिका में कहा गया है कि यूपी सरकार के कुछ मंत्रियों के बयान से ऐसा लगता है कि उनका फर्जी एनकाउंटर किया जा सकता है। अगर यूपी भी लाया जाए तो सेंट्रल फोर्स की सुरक्षा में लाया जाए। अतीक अहमद ने कहा कि उसे उमेश पाल हत्याकांड मामले में यूपी पुलिस के हवाले न किया जाए। जो भी पूछताछ करनी है वह गुजरात की अहमदाबाद जेल में ही हो।
उमेश पाल हत्या मामले में अतीक अहमद के करीबियों पर उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से कार्रवाई हो रही है। अतीक अहमद के करीबियों के घरों पर बुल्डोजर कार्रवाई की जा रही है।
नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय संविधान बेंच ने दिल्ली बनाम केंद्र मामले में प्रशासनिक अधिकारियों पर नियंत्रण के मसले पर लम्बी सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रखा।
आज सुनवाई पूरी होने से पहले केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने मामले को बड़ी बेंच में भेजने की मांग की थी । इस पर चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि जब सुनवाई पूरी होने वाली है, ऐसी मांग कैसे की जा सकती है।
नई दिल्ली । जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ को चीफ जस्टिस नियुक्त करने को चुनौती देने वाली पुनर्विचार याचिका को दिल्ली हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच ने खारिज कर दिया है। जस्टिस संजीव सचदेवा की अध्यक्षता वाली बेंच ने यह याचिका खारिज की।
कोर्ट ने कहा कि ये याचिका पुनर्विचार याचिका की तरह दायर नहीं की गई है, बल्कि अपील की तरह दायर की गई है। याचिका में ये कहीं नहीं बताया है कि पहले के फैसले में क्या गलती है। इसके पहले 13 जनवरी को चीफ जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा और जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद ने इस पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई से खुद को अलग कर लिया था।
यह याचिका ग्राम उदय फाउंडेशन के अध्यक्ष संजीव कुमार तिवारी ने दायर की थी। हाई कोर्ट के जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा और जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद की बेंच ने 11 नवंबर, 2022 को यह याचिका खारिज कर दी थी। याचिका खारिज करते हुए कोर्ट ने याचिकाकर्ता पर एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया था। कोर्ट ने कहा था कि ये याचिका पब्लिसिटी के लिए दायर की गई है।
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन चीफ जस्टिस यूयू ललित की अध्यक्षता वाली बेंच ने 3 नवंबर, 2022 को जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ को चीफ जस्टिस के रूप में शपथ लेने से रोकने की मांग करने वाली याचिका खारिज कर दी थी। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने 9 नवंबर को देश के 50वें चीफ जस्टिस के रूप में शपथ ली थी।
नई दिल्ली । जोशीमठ भू-धंसाव मामले में दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट से तत्काल सुनवाई की मांग की गई। आज याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील ने चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच से इस मामले पर जल्द सुनवाई की मांग की। तब चीफ जस्टिस ने कहा कि कल मामले को कोर्ट के सामने में पेश कीजिए। कोर्ट उसके बाद सुनवाई की तारीख तय करेगा।
शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने याचिका दायर की है। याचिकाकर्ता की ओर से वकील परमेश्वर नाथ मिश्र ने याचिका में कहा है कि भू-धंसाव की जद में ढाई हजार साल से भी ज्यादा प्राचीन मठ भी आ गया है। पूरे इलाके में दहशत है। याचिका में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट तुरंत सरकार को इस मसले पर त्वरित कार्रवाई का आदेश जारी करे।
याचिका में कहा गया है कि जोशीमठ के घरों की दीवारों और छतों पर दरारें आ गई हैं। इससे ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और प्राचीन धरोहरों के अस्तित्व पर संकट आ गया है। याचिका में इस क्षेत्र की जनता के जान-माल की सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग की गई है।
नई दिल्ली । असम और मेघालय के बीच सीमा विवाद के निपटारे को लेकर हुए एमओयू पर मेघालय हाई कोर्ट ने रोक लगा दी है। सॉलीसीटर जनरल तुषार मेहता ने आज सुप्रीम कोर्ट को यह जानकारी दी। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने हाई कोर्ट के आदेश पर हैरानी जताते हुए कहा थोड़ी देर में हम इस मामले को सुनेंगे।
एमओयू में 12 विवादित स्थानों में से कम से कम छह में सीमा का सीमांकन किया था। इसकी वजह से अक्सर दोनों के बीच विवाद होता था।
दरअसल दोनों पूर्वोत्तर राज्यों के बीच सीमा विवाद को लेकर दाखिल याचिका में दावा किया गया है की यह संविधान की छठी अनुसूची के प्रावधानों का उल्लंघन करता है जो आदिवासी क्षेत्रों के प्रशासन के लिए विशेष प्रावधानों से संबंधित है।
नई दिल्ली । सर्दियों की छुट्टी के लिए सुप्रीम कोर्ट शुक्रवार का काम निपटा कर बंद हो गया। अब कोर्ट 2 जनवरी को खुलेगा।इस शीतकालीन अवकाश के दौरान सुप्रीम कोर्ट में कोई वेकेशन बेंच भी नहीं बैठेगी। यह जानकारी शुक्रवार को चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने दी । इसप्रकार सुप्रीम कोर्ट का आज इस वर्ष का अंतिम कार्यदिवस था।
आम तौर पर वेकेशन बेंच ग्रीष्मावकाश के दौरान मई-जून में बैठती है, शीतकालीन अवकाश के दौरान नहीं। चीफ जस्टिस की ये सूचना इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि हाल ही में केंद्रीय विधि मंत्री किरेन रिजिजू ने न्यायपालिका पर निशाना साधते हुए लंबी छुट्टियों की चर्चा की थी। लंबे अवकाश हमेशा से ही चर्चा और आलोचना का विषय रहा है। बांबे हाईकोर्ट में तो एक याचिका भी लंबित है जिसमें कोर्ट की लंबी छुट्टियों के प्रावधान को चुनौती दी गई है।
नई दिल्ली । चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट किसी भी केस को छोटा नहीं मानता है। अगर हम लोगों की व्यक्तिगत स्वतंत्रता की रक्षा नहीं कर सकते हैं तो फिर हम क्या करने के लिए बैठे हैं।
बिजली चोरी के मामले में सात साल से अधिक समय जेल में बिता चुके एक व्यक्ति की रिहाई का आदेश देते हुए उन्होंने यह टिप्पणी की।
गौरतलब है कि कल ही केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट को जमानत के मामले नहीं, बड़े संवैधानिक मामले सुनने चाहिए। आज चीफ जस्टिस ने कह दिया कि सुप्रीम कोर्ट लोगों के मौलिक अधिकारों का संरक्षक है और व्यक्तिगत स्वतंत्रता एक अहम मौलिक अधिकार है।