नयी दिल्ली। राइटर्स क्रैंप यानी ऐंठन के चलते हाथ कांपने की बीमारी से जूझ रहे एक युवा को सुप्रीम कोर्ट द्वारा राहत देने के आदेश की केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने सराहना की है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ (Dhananjaya Chandrachud) की तारीफ की है।
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने न्यायिक सेवा के एक परीक्षार्थी को परीक्षा लिखने के लिए एक शख्स की मदद लेने की इजाजत दी है। अदालत ने इस मामले में अंतरिम आदेश जारी किया है। इस आदेश की किरेन रिजिजू ने प्रशंसा करते हुए कहा, “मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ की ओर से दिया ये आदेश दिल को छू देने वाला है। दिव्यांग उम्मीदवार को बड़ी राहत मिली है। एम्स ने उम्मीदवार के विकलांग होने को प्रमाणित किया था।
क्या है पूरा मामला?
मामला एक युवा धनंजय कुमार का है । परीक्षार्थी धनजंय ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर कहा था कि उत्तराखंड लोक सेवा आयोग ने परीक्षा देने के लिए किसी की मदद लेने के अनुरोध को 20 अप्रैल को अस्वीकार कर दिया था। धनजंय ने 25 सितंबर 2017 को एम्स द्वारा जारी एक प्रमाणपत्र भी जमा कराया। धनजंय के इस दाखिल याचिका पर अदालत ने उत्तराखंड लोक सेवा आयोग और राज्य सरकार को नोटिज जारी कर जवाब मांगते हुए पूछा कि धनजंय का अनुरोध क्यों खारिज किया गया?
प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा की पीठ ने लोक सेवा आयोग और राज्य सरकार को 12 मई तक मामले में जवाब देने को निर्देश दिया। साथ ही लोक सेवा आयोग को धनजंय को परीक्षा लिखने के लिए किसी शख्स की मदद देने का अंतरिम आदेश पारित किया।
AIMS
शिमला। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने विजयदशमी पर बुधवार को देवभूमि हिमाचल प्रदेश के लोगों को स्वास्थ्य के क्षेत्र में बड़ी सौगात दी है। उन्होंने बिलासपुर जिला के कोठीपुरा में 1,470 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से निर्मित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) का उद्घाटन किया। इसके बाद प्रधानमंत्री ने एम्स परिसर का निरीक्षण भी किया। इस मौके पर हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल राजेन्द्र विश्वनाथ आर्लेकर, सांसद व भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर, केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर व एम्स के निदेशक समेत अन्य लोग मौजूद रहे।
प्रधानमंत्री ने तीन अक्टूबर 2017 को यहां एम्स का शिलान्यास किया था। उसके बाद 21 जनवरी 2019 को भूमि पूजन के बाद जून 2019 में इसके निर्माण का कार्य शुरू कर दिया गया था। एम्स के तैयार होने से हिमाचल प्रदेश में स्वास्थ्य के क्षेत्र में एक नए युग की शुरुआत हुई है। प्रदेश व जिले के लोगों को गंभीर बीमारियों का उपचार करवाने के लिए पीजीआई चंडीगढ़ का रुख नहीं करना पड़ेगा।
247 एकड़ में फैले इस अत्याधुनिक अस्पताल में 18 स्पेशियलिटी और 17 सुपर स्पेशियलिटी विभाग, 18 मॉड्यूलर ऑपरेशन थिएटर, 64 आईसीयू बेड के साथ 750 बेड शामिल हैं। यह अस्पताल 24 घंटे आपातकालीन और डायलिसिस सुविधाओं, अल्ट्रासोनोग्राफी, सीटी स्कैन, एमआरआई आदि जैसी आधुनिक डायग्नोस्टिक मशीनों, अमृत फार्मेसी व जन औषधि केंद्र और 30 बिस्तरों वाले आयुष ब्लॉक से सुसज्जित है। हिमाचल प्रदेश के जनजातीय और दुर्गम जनजातीय क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने के लिए डिजिटल स्वास्थ्य केंद्र भी स्थापित किया है।
साथ ही, काजा, सलूनी और केलांग जैसे दुर्गम जनजातीय और अधिक ऊंचाई वाले हिमालयी क्षेत्रों में स्वास्थ्य शिविरों के माध्यम से अस्पताल द्वारा विशेषज्ञों द्वारा स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान की जाएंगी। इस अस्पताल में हर साल एमबीबीएस कोर्स के लिए 100 छात्रों और नर्सिंग कोर्स के लिए 60 छात्रों को प्रवेश दिया जाएगा।
बिलासपुर एम्स की चिकित्सा सुविधाओं का लाभ हिमाचल प्रदेश के विभिन्न जिलों के लोगों को मिलेगा। अहम बात यह है कि हिमाचल प्रदेश अब स्वास्थ्य की दृष्टि से आत्म निर्भर होगा और किसी भी मरीज को हिमाचल से बाहर उपचार के लिए जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। बिलासपुर में एम्स संस्थान होने से आईजीएमसी शिमला, कांगड़ा जिले के टांडा मेडिकल काॅलेज, हमीरपुर सहित अन्य जिलों के बड़े स्वास्थ्य संस्थानों को भी राहत मिलेगी।
नई दिल्ली। हैदराबाद स्थित ईएसआईसी अस्पताल और मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. एम. श्रीनिवास को दिल्ली स्थित आखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) का नया निदेशक नियुक्त किया गया है। कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग ने इस संबंध में आदेश जारी किया है।
डॉ. श्रीनिवास, रणदीप गुलेरिया का स्थान लेंगे जो मार्च 2017 से इस पद पर हैं। श्रीनिवास 2016 में हैदराबाद में ईएसआईसी अस्पताल और मेडिकल कॉलेज में शामिल होने से पहले दिल्ली एम्स में बाल पीडियाट्रिक सर्जरी विभाग में प्रोफेसर थे। आदेश में कहा गया है कि कैबिनेट की नियुक्ति समिति (एसीसी) ने अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), नई दिल्ली के निदेशक के पद पर डॉ. श्रीनिवास की नियुक्ति को मंजूरी दे दी है।
पहले 9 सितंबर को जारी किया गया था आदेश
आदेश के अनुसार, यह नियुक्ति पदभार संभालने के दिन से पांच वर्ष या 65 साल की आयु या अगले आदेश तक, जो भी पहले हो, तक के लिए प्रभावी है। यह आदेश शुरू में 9 सितंबर को दिया गया था, लेकिन बाद में सरकार ने एक नया आदेश जारी कर तारीख को बदलकर 23 सितंबर कर दिया।
इसमें आगे कहा गया है कि एसीसी ने डॉ. रणदीप गुलेरिया को निदेशक एम्स, नई दिल्ली के रूप में 25 मार्च, 2022 से छह महीने के लिए या नए निदेशक के शामिल होने तक, जो भी पहले हो, जारी रखने के लिए पूर्व-पश्चात स्वीकृति दी थी।
डॉ. गुलेरिया का कार्यकाल 23 सितंबर को हो रहा समाप्त
गुलेरिया को 28 मार्च, 2017 को पांच साल की अवधि के लिए निदेशक के रूप में नियुक्त किया गया था। उनका कार्यकाल दो बार तीन महीने के लिए बढ़ाया गया था। दिल्ली एम्स के निदेशक के रूप में डॉ. गुलेरिया का दूसरा विस्तारित कार्यकाल 23 सितंबर को समाप्त होने वाला था।
इससे पहले मार्च में, तीन डॉक्टरों के नाम – एंडोक्रिनोलॉजी विभाग के प्रमुख निखिल टंडन; राजेश मल्होत्रा, एम्स ट्रॉमा सेंटर के प्रमुख और हड्डी रोग विभाग के प्रमुख, और प्रमोद गर्ग, संस्थान में गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग में प्रोफेसर – एक खोज-सह-चयन समिति द्वारा शॉर्टलिस्ट किया गया और बाद में एम्स के शीर्ष निर्णय लेने वाले संस्थान संस्थान निकाय द्वारा अनुमोदित किया गया, अनुमोदन के लिए एसीसी को भेजा गया था।
एसीसी ने मांगे थे और नाम
प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में एसीसी ने 20 जून को यहां अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के निदेशक पद के लिए नामों का एक व्यापक पैनल मांगा था। इसके बाद, न्यूरोसाइंसेज सेंटर के प्रमुख एमवी पद्मा श्रीवास्तव का नाम; डॉ बलराम भार्गव, पूर्व आईसीएमआर महानिदेशक और जवाहरलाल इंस्टीट्यूट ऑफ पोस्टग्रेजुएट मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च, पुडुचेरी के निदेशक डॉ. राकेश अग्रवाल के नामों पर चर्चा की गई।
इसके बाद हैदराबाद में ईएसआईसी अस्पताल और मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. एम. श्रीनिवास और श्री चित्रा तिरुनल इंस्टीट्यूट फॉर मेडिकल साइंसेज एंड टेक्नोलॉजी, त्रिवेंद्रम के निदेशक डॉ. संजय बिहारी को केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव की अध्यक्षता वाली चयन समिति द्वारा शॉर्टलिस्ट किया गया था।
एक सूत्र ने कहा कि डॉ. श्रीनिवास और डॉ. बिहारी के नामों को अंतिम मंजूरी के लिए एसीसी को भेजे जाने से पहले बुधवार को संस्थान निकाय के समक्ष रखा गया था। दिलचस्प बात यह है कि न तो डॉ. श्रीनिवास और न ही डॉ. बिहारी ने इस पद के लिए आवेदन किया था। अप्रैल में श्री चित्रा तिरुनल इंस्टीट्यूट फॉर मेडिकल साइंसेज एंड टेक्नोलॉजी, त्रिवेंद्रम के निदेशक के रूप में कार्यभार संभालने से पहले डॉ. बिहारी लखनऊ में संजय गांधी पोस्टग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज में प्रोफेसर और न्यूरोसर्जरी विभाग के प्रमुख थे।
लखनऊ/नई दिल्ली। मशहूर कॉमेडियन और मिमिक्री आर्टिस्ट राजू श्रीवास्तव का बुधवार को निधन हो गया। 59 वर्षीय राजू श्रीवास्तव जिम में हार्ट अटैक पड़ने के बाद से इलाज के लिए दिल्ली के एम्स में बीती 10 अगस्त से भर्ती थे। 42 दिनों से डॉक्टरों की गहन निगरानी में उनका इलाज हो रहा था।
दिसंबर 1963 में कानपुर में उनका जन्म हुआ था। साधारण परिवार के राजू श्रीवास्तव ने अपनी प्रतिभा के दम पर मुंबई फिल्म इंडस्ट्री में खुद की अलग पहचान बनाई। उन्होंने 16 फिल्मों और 14 टीवी सीरियल में काम किया। मशहूर हस्तियों की मिमिक्री करने में माहिर राजू ‘गजोधर’ पात्र के जरिये लोगों को ताजिंदगी हंसाते-गुदगुदाते रहे।
इलाज के दौरान डॉक्टरों ने उनके सिर का सीटी स्कैन कराया तो दिमाग के एक हिस्से में सूजन मिली थी। इस दौरान उनके शरीर में हरकत भी हुई, उन्होंन अपनी पत्नी आदि को आंखों को खोलकर निहारा भी, जिससे उनके जल्द ही सबके बीच वापस आने की उम्मीद बंधी थी।
नियति को कुछ और मंजूर था। सबको हंसाने और चेहरों पर मुस्कान लाने वाला यह किरदार आखिरकार 21 सितंबर को अपनों को बिलखते हुए छोड़कर चला गया।