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‘राम सेतु’ को राष्ट्रीय विरासत स्मारक घोषित करने की प्रक्रिया जारी : केंद्र सरकार

by Suyash

नई दिल्ली । केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि संस्कृति मंत्रालय रामसेतु को राष्ट्रीय स्मारक घोषित कर स्थायी संरक्षण देने की मांग पर विचार कर रहा है। केंद्र से इस आशय का जवाब मिलने पर सुप्रीम कोर्ट ने याचिका का निस्तारण करते हुए याचिकाकर्ता सुब्रमण्यम स्वामी को कहा कि वह चाहें तो सरकार को ज्ञापन दे सकते हैं। वह इससे जुड़े अतिरिक्त सबूत मंत्रालय को दे सकते हैं। अगर सरकार के फैसले से वह संतुष्ट नहीं होते तो फिर सुप्रीम कोर्ट आ सकते हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने 10 नवंबर 2022 को केंद्र सरकार को जवाब दाखिल करने के लिए चार हफ्ते का समय दिया था। 13 अक्टूबर 2022 को कोर्ट ने केंद्र से जवाब मांगा था। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता डॉ. स्वामी का कहना था कि पिछले आठ साल से सुप्रीम कोर्ट में ये मामला लंबित है, लेकिन केंद्र सरकार ने जवाब दाखिल नहीं किया है। कोर्ट ने डॉ. स्वामी को भी लिखित दलीलें जमा कराने की इजाजत दी थी। डॉ. स्वामी ने सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि सरकार ने यह तय कर लिया है कि रामसेतु को नहीं तोड़ा जाएगा। फिर स्थायी संरक्षण देने में क्या दिक्कत है।
राम सेतु, तमिलनाडु के दक्षिण-पूर्वी तट से पांबन द्वीप और श्रीलंका के उत्तर-पश्चिमी तट से दूर मन्नार द्वीप के बीच चूने के पत्थरों की एक श्रृंखला है। इसे आदम का पुल भी कहा जाता है।
भाजपा नेता ने स्वामी ने कहा है कि वह मुकदमे का पहला दौर जीत चुके हैं, जिसके तहत केंद्र सरकार ने राम सेतु के अस्तित्व को स्वीकार किया था। उन्होंने कहा कि संबंधित केंद्रीय मंत्री ने उनकी मांग पर विचार करने के लिए 2017 में बैठक बुलाई थी लेकिन बाद में कुछ नहीं हुआ। भाजपा नेता ने इससे पहले की यूपीए सरकार के पहले कार्यकाल में विवादास्पद सेतुसमुद्रम पोत मार्ग परियोजना के खिलाफ अपनी जनहित याचिका में रामसेतु को राष्ट्रीय स्मारक घोषित करने का मुद्दा उठाया था।
मामला शीर्ष अदालत में पहुंचा, जिसने 2007 में रामसेतु पर परियोजना के लिए काम रोक दिया। तब केंद्र ने कहा था कि उसने परियोजना के ‘‘सामाजिक-आर्थिक नुकसान’’ पर विचार किया और वह राम सेतु को क्षति पहुंचाए बिना पोत मार्ग परियोजना का दूसरा मार्ग खोजना चाहती है। अदालत ने तब सरकार को नया हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया था।