City Headlines

Home » डीआईआई ने शुरू की चौतरफा बिकवाली, 8 दिन में बेचे 5,541 करोड़ के शेयर

डीआईआई ने शुरू की चौतरफा बिकवाली, 8 दिन में बेचे 5,541 करोड़ के शेयर

by Rashmi Singh

नई दिल्ली । पिछले बुधवार से लगातार जारी कमजोरी के बावजूद भारतीय शेयर बाजार अपने शिखर के काफी करीब पहुंचा नजर आ रहा है। शेयर बाजार की इस मजबूती के लिए विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) की ओर से की जा रही खरीदारी को मुख्य वजह माना जा रहा है। लेकिन जैसे-जैसे विदेशी निवेशक घरेलू शेयर बाजार में खरीदारी तेज कर रहे हैं, वैसे-वैसे घरेलू संस्थागत निवेशक मुनाफावसूली में जुट गए हैं। स्टॉक एक्सचेंज के आंकड़ों के मुताबिक 20 अक्टूबर से 3 नवंबर के बीच के कारोबार के दौरान घरेलू संस्थागत निवेशक (डीआईआई) 5,541.83 करोड़ रुपये की बिकवाली कर चुके हैं।
आपको बता दें कि 2022 के पहले 6 महीनों के दौरान विदेशी निवेशक शुद्ध बिकवाल (नेट सेलर) की भूमिका निभाते रहे थे। जबकि शेयर बाजार को सपोर्ट देने के लिए घरेलू संस्थागत निवेशक शुद्ध लिवाल (नेट बायर) की भूमिका निभाते रहे। लेकिन अब परिस्थितियां बदलती नजर आ रही हैं, जिसकी वजह से शेयर बाजार में विदेशी संस्थागत निवेशकों ने एक बार फिर चौतरफा लिवाली शुरू कर दी है। जिसके कारण शेयर बाजार एक बार फिर अपने शिखर के करीब पहुंचता नजर आने लगा है। लेकिन जैसे-जैसे शेयर बाजार की मजबूती बढ़ रही है, वैसे-वैसे घरेलू संस्थागत निवेशक प्रतिकूल परिस्थितियों में की गई खरीदारी को बेचकर अब मुनाफावसूली करने में लगे हैं।
धामी सिक्योरिटीज के वाइस प्रेसिडेंट प्रशांत धामी के मुताबिक सेंसेक्स और निफ्टी दोनों सूचकांक अपने रिकॉर्ड हाई लेवल के काफी करीब पहुंचकर कारोबार कर रहे हैं। पिछले 15 दिनों के कारोबार में ही इन सूचकांकों में करीब 6 प्रतिशत की तेजी दर्ज की जा चुकी है। सेंसेक्स इस महीने की शुरुआत में ही 61 हजार अंक के स्तर को पार कर चुका है, वहीं निफ्टी भी 18,100 अंक के स्तर को पार करने में सफल रहा है। हालांकि पिछले 2 दिन से लगातार जारी दबाव की वजह से ये दोनों सूचकांक मामूली कमजोरी के साथ कारोबार कर रहे हैं। लेकिन विदेशी निवेशकों के रुझान को देखकर इस बात के संकेत मिलने लगे हैं कि जल्द ही निफ्टी और सेंसेक्स दोनों सूचकांक एक बार फिर ऑल टाइम हाई का नया रिकॉर्ड बनाने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं।
प्रशांत धामी के मुताबिक घरेलू संस्थागत निवेशकों की ओर से की जा रही मुनाफावसूली से एक और जहां उनके लिए मुनाफा कमाने का अवसर बन रहा है, वहीं आपात स्थिति के लिए उनके पास पूंजी भी इकट्ठा हो रही है। ताकि अगर आने वाले दिनों में वैश्विक दबाव की वजह से शेयर बाजार में दोबारा गिरावट आने की स्थिति बने, तो वे अपने पास की संचित पूंजी से बाजार को सपोर्ट देने की कोशिश कर सकें।
स्टॉक एक्सचेंज से मिले आंकड़ों के मुताबिक जनवरी से लेकर जून 2022 तक घरेलू संस्थागत निवेशकों ने विदेशी निवेशकों की ओर से की जा रही बिकवाली के कारण घरेलू शेयर बाजार पर बने दबाव को कम करने के लिए हर महीने औसतन 35,000 करोड़ रुपये की खरीदारी की थी। इस 6 महीने की अवधि में घरेलू संस्थागत निवेशकों ने करीब 2.31 लाख करोड़ रुपये के शेयरों की खरीदारी की थी। लेकिन जून के बाद से ही इस ट्रेंड में बदलाव आना शुरू हो गया।
जुलाई के पहले तक विदेशी निवेशक शुद्ध बिकवाली कर रहे थे, वहीं जुलाई के महीने से विदेशी निवेशकों ने रुक रुक कर लिवाली शुरू कर दी। विदेशी निवेशकों के इस रुख को देखते हुए घरेलू संस्थागत निवेशकों ने अपनी लिवाली को कम कर दिया। जुलाई के महीने में घरेलू निवेशकों ने सिर्फ 10,500 करोड़ रुपये की खरीदारी की। वहीं अगस्त में जब विदेशी संस्थागत निवेशकों ने अपनी खरीदारी बढ़ाई, तो घरेलू संस्थागत निवेशकों ने बिकवाली शुरू कर दी। अगस्त महीने में घरेलू निवेशकों ने करीब 6,900 करोड़ रुपये की बिकवाली करके मुनाफावसूली की।
सिक्योरिटी मार्केट कॉर्प के चीफ एनालिस्ट सुजीत पांडेय का मानना है कि पिछले पांच कारोबारी दिनों के दौरान विदेशी निवेशकों ने घरेलू शेयर बाजार में करीब 252 करोड़ डॉलर की खरीदारी की है, जिसके कारण सेंसेक्स और निफ्टी दोनों ही सूचकांक अपने सर्वोच्च स्तर के काफी करीब पहुंच गए हैं। ऐसे में घरेलू संस्थागत निवेशकों के लिए प्रतिकूल परिस्थितियों में की गई खरीदारी को बेचकर मुनाफावसूली करना आसान हो गया है। 2022 के दौरान घरेलू निवेशकों ने हर गिरावट पर खरीदारी करने का जो तरीका अपनाया था, उसका उन्हें अब पूरा फायदा मिल रहा है और गिरावट पर खरीदारी करने की उनकी रणनीति सफल रही है।
सुजीत पांडेय का मानना है कि आमतौर पर घरेलू संस्थागत निवेशकों और विदेशी निवेशकों के बीच का व्यापार संबंध 36 के आंकड़े की तरह नजर आता है। ये दोनों निवेशक आमतौर पर एक दूसरे के विपरीत आचरण करते हैं। पहले जब विदेशी निवेशक चौतरफा बिकवाली कर रहे थे, तब घरेलू संस्थागत निवेशक हर गिरावट पर खरीदारी करने की रणनीति बनाए हुए थे, ताकि कम मूल्य में शेयरों की खरीदारी भी की जा सके और घरेलू शेयर बाजार को सपोर्ट भी दिया जा सके। लेकिन अब विदेशी निवेशकों ने चौतरफा खरीदारी शुरू कर दी है, तो घरेलू संस्थागत निवेशकों ने बिकवाली करके एक बार फिर मुनाफा कमाने के साथ ही प्रतिकूल परिस्थितियों के लिए पूंजी इकट्ठा करना शुरू कर दिया है। घरेलू संस्थागत निवेशकों की ये रणनीति जहां भारतीय पूंजी बाजार को सपोर्ट देने में सफल रही है, वहीं भारतीय वित्तीय कंपनियों के मुनाफे की वजह भी बनी हैं।

Subscribe News Letter

Copyright © 2022 City Headlines.  All rights reserved.