नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल में पंचायत चुनाव के दौरान केंद्रीय सुरक्षा बलों की तैनाती के कलकत्ता हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली राज्य सरकार और राज्य चुनाव आयोग की याचिका खारिज कर दी है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाई कोर्ट के आदेश में दखल देने की कोई वजह नहीं है।
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि चुनाव कराना हिंसा का लाइसेंस नहीं हो सकता। राज्य में हिंसा का इतिहास और मौजूदा हालात के मद्देनजर ही हाईकोर्ट ने केंद्रीय बलों की नियुक्ति का आदेश दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार से कहा कि चाहे 2013 हो या 2018 पश्चिम बंगाल में चुनाव के दौरान हिंसा का इतिहास रहा है। चुनाव कराने की आड़ में हिंसा की इजाजत नहीं दी जा सकती। लोग नामांकन पत्र ही दाखिल न कर पा रहे हैं, उनकी हत्या हो रही है। कलकत्ता हाई कोर्ट ने हिंसा की ऐसी घटनाओं के मद्देनजर ही ऐसा आदेश पास किया होगा।
सुप्रीम कोर्ट ने राज्य निर्वाचन आयोग की ओर से पेश वकील मीनाक्षी अरोड़ा से पूछा कि आपका काम है स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित कराना। दूसरे राज्यों से भी पुलिस फोर्स मंगवाई गई है। ऐसे में आपको इस आदेश से क्या दिक्कत है। अतिरिक्त बल दूसरे राज्यों की हो या केंद्र सरकार की, इसकी आपको चिंता क्यों है। तब राज्य निर्वाचन आयोग की ओर से पेश वकील ने कहा कि हाई कोर्ट का आदेश कहता है कि केंद्रीय बलों की मांग आयोग भेजे, ये काम आयोग का नहीं है। तब सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि चुनाव कराना हिंसा का लाइसेंस नहीं हो सकता है। राज्य में हिंसा का जो इतिहास रहा है, जो मौजूदा हालात हैं, उसके मद्देनजर ही हाईकोर्ट ने केंद्रीय बलों की नियुक्ति का आदेश दिया है।
पश्चिम बंगाल राज्य निर्वाचन आयोग की ओर से वकील मीनाक्षी अरोड़ा ने सुप्रीम कोर्ट से कलकत्ता हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगाने की मांग की। उन्होंने कहा कि हाई कोर्ट ने 15 जून को आदेश दिया था कि केंद्रीय बलों की तैनाती 48 घंटे के अंदर की जाए।
बता दें कि पश्चिम बंगाल सरकार ने भी कलकत्ता हाई कोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।
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कोलकाता । पश्चिम बंगाल के वरिष्ठ भाजपा विधायक और नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी ने बुधवार को दावा किया कि केंद्र सरकार ने पश्चिम बंगाल पर आर्थिक निषेधाज्ञा लगायी है क्योंकि केंद्र से मिलने वाली राशि को पश्चिम बंगाल सरकार लोगों के हित में इस्तेमाल करने के बजाय उसका गबन करने में जुटी है। उन्होंने कहा है कि इसी वजह से 100 दिनों की रोजगार गारंटी योजना, आवास योजना समेत अन्य केंद्रीय योजनाओं के लिए वित्त वर्ष 2023-24 के लिए केंद्र से मिलने वाला वित्तीय आवंटन रोक दिया गया है। इसके साथ ही उन्होंने यह भी दावा किया कि ममता बनर्जी की सरकार के दिन गिने-चुने रह गये हैं।
शुभेंदु ने कहा कि केंद्र सरकार ने पश्चिम बंगाल के खिलाफ अनुच्छेद 27 का इस्तेमाल किया है। इसमें वित्त वर्ष 2023-24 के लिए 100 दिनों की रोजगार गारंटी योजना के साथ ही आवास योजना, शौचालय निर्माण, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के रुपये रोके गए हैं। अनुच्छेद-27 के इस्तेमाल का मतलब है बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार की वजह से आर्थिक निषेधाज्ञा। केंद्रीय पंचायत और ग्रामीण विकास तथा वित्त मंत्रालय ने राज्य की भ्रष्टाचार युक्त सरकार पर एक सील लगा दिया है। पूरे देश में केवल पश्चिम बंगाल सरकार के खिलाफ यह धारा लगाई गई है। वित्त वर्ष 2023-24 में ममता सरकार को कोई वित्तीय मदद केंद्र नहीं करेगा। राज्य सरकार के गिरने का काउंट डाउन शुरू हो चुका है।
उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी लगातार केंद्र पर पश्चिम बंगाल के बकाया को रोककर रखने का आरोप लगाती रही हैं।