नई दिल्ली । दिल्ली हिंसा के आरोपित उमर खालिद की जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट के एक जज ने सुनवाई से खुद को अलग कर लिया है। जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा ने उमर खालिद की जमानत याचिका पर सुनवाई से खुद को अलग कर लिया। अब जमानत याचिका उस बेंच के समक्ष लिस्ट होगी, जिसके सदस्य जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा नहीं होंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने 18 मई को दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया था। इससे पहले 18 अक्टूबर 2022 को दिल्ली हाई कोर्ट ने उमर खालिद की जमानत याचिका खारिज कर दी थी। हाई कोर्ट ने कहा था कि नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ विरोध प्रदर्शन और उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुई हिंसा दिसंबर 2019 और फरवरी 2020 के बीच हुई बैठकों का नतीजा थी, जिनमें उमर खालिद भी शामिल हुआ था। हाई कोर्ट ने कहा था कि उमर खालिद का नाम साजिश की शुरुआत से लेकर दंगा होने तक आता रहा। उमर खालिद व्हाट्स ऐप ग्रुप डीपीएसजी और मुस्लिम स्टूडेंट्स ऑफ जेएनयू का सदस्य था। उमर खालिद ने कई बैठकों में हिस्सा लिया। हाई कोर्ट ने कहा कि अगर चार्जशीट पर भरोसा किया जाए, तो ये साजिश की ओर साफ-साफ इशारा कर रहे हैं।
हाई कोर्ट ने कहा कि विरोध प्रदर्शन लोकतंत्र में होने वाले आम राजनीतिक प्रदर्शन की तरह नहीं था, बल्कि ये एक खतरनाक था, जिसके गंभीर परिणाम हुए। पुलिसकर्मियों पर महिला प्रदर्शनकारियों पर हमला किया गया, जिससे इलाके में दंगा फैला, जो निश्चित रूप से एक आतंकी कार्रवाई थी।
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नई दिल्ली । दिल्ली हिंसा के आरोपित उमर खालिद की जमानत याचिका पर सुनवाई सुप्रीम कोर्ट ने टाल दी है। जस्टिस एएस बोपन्ना की अध्यक्षता वाली बेंच जमानत याचिका पर अगली सुनवाई 24 जुलाई को करेगी।
18 मई को सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया था। इससे पहले 18 अक्टूबर, 2022 को दिल्ली हाई कोर्ट ने उमर खालिद की जमानत याचिका खारिज कर दी थी। हाई कोर्ट ने कहा था कि नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ विरोध प्रदर्शन और उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुई हिंसा दिसंबर 2019 और फरवरी 2020 के बीच हुई बैठकों का नतीजा थी, जिनमें उमर खालिद भी शामिल हुआ था। हाई कोर्ट ने कहा था कि उमर खालिद का नाम साजिश की शुरुआत से लेकर दंगा होने तक आता रहा। उमर खालिद व्हाट्सऐप ग्रुप डीपीएसजी और मुस्लिम स्टूडेंट्स ऑफ जेएनयू का सदस्य था। उमर खालिद ने कई बैठकों में हिस्सा लिया। हाई कोर्ट ने कहा कि अगर चार्जशीट पर भरोसा किया जाए तो ये साजिश की ओर साफ-साफ इशारा कर रहे हैं।
हाई कोर्ट ने कहा कि विरोध प्रदर्शन लोकतंत्र में होने वाले आम राजनीतिक प्रदर्शन की तरह नहीं था बल्कि ये एक खतरनाक था, जिसके गंभीर परिणाम हुए। पुलिसकर्मियों पर महिला प्रदर्शनकारियों पर हमला किया गया, जिससे इलाके में दंगा फैला, जो कि निश्चित रूप से एक आतंकी कार्रवाई थी।
दिल्ली हिंसा: उमर खालिद की बेल एप्लीकेशन पर दिल्ली पुलिस को नोटिस, छह हफ्ते में माँगा जवाब
नई दिल्ली। दिल्ली हिंसा के आरोपित उमर खालिद की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को नोटिस करते हुए दिल्ली पुलिस को छह हफ्ते में जवाब देने का निर्देश दिया है।
इससे पहले 18 अक्टूबर, 2022 को दिल्ली हाई कोर्ट ने उमर खालिद की जमानत याचिका खारिज कर दी थी। हाई,कोर्ट ने कहा था कि नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ विरोध प्रदर्शन और उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुई हिंसा, दिसंबर 2019 और फरवरी 2020 के बीच हुई बैठकों का नतीजा थी, जिनमें उमर खालिद भी शामिल था। हाई कोर्ट ने कहा था कि उमर खालिद का नाम साजिश की शुरुआत से लेकर दंगा होने तक आता रहा। उमर खालिद व्हाट्सएप ग्रुप डीपीएसजी और मुस्लिम स्टूडेंट्स ऑफ जेएनयू का सदस्य था। उमर खालिद ने कई बैठकों में हिस्सा लिया। हाई कोर्ट ने कहा कि अगर चार्जशीट पर भरोसा किया जाए तो ये साजिश की ओर साफ-साफ इशारा कर रहे हैं।
हाई कोर्ट ने कहा कि विरोध-प्रदर्शन लोकतंत्र में होने वाले आम राजनीतिक प्रदर्शन की तरह नहीं था बल्कि ये खतरनाक था, जिसके गंभीर परिणाम हुए। पुलिसकर्मियों पर महिला प्रदर्शनकारियों ने हमला किया, जिससे इलाके में दंगा फैला, जो निश्चित रूप से एक आतंकी कार्रवाई थी।
नई दिल्ली । बहन की शादी में हिस्सा लेने के लिए उमर खालिद को कड़कड़डूमा कोर्ट ने एक हफ्ते की अंतरिम जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया है। अंतरिम जमानत पर रिहा करने का आदेश एडिशनल सेशंस जज अमिताभ रावत ने दिया।
कोर्ट ने दिल्ली हिंसा की साजिश रचने के आरोपित उमर खालिद को 23 दिसंबर से 30 दिसंबर तक की अंतरिम जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने 7 दिसंबर को फैसला सुरक्षित रख लिया था। उमर खालिद ने दो हफ्ते के लिए अंतरिम जमानत की मांग की थी। उमर खालिद की अंतरिम जमानत याचिका का विरोध करते हुए दिल्ली पुलिस की ओर से स्पेशल पब्लिक प्रोसिक्युटर अमित प्रसाद ने इस बात की आशंका जताई थी कि अगर अंतरिम जमानत पर रिहा किया जाता है तो वो सोशल मीडिया पर दुष्प्रचार फैला सकता है और इससे समाज में अशांति पैदा होने का खतरा है। अमित प्रसाद ने कहा था कि उमर खालिद के माता-पिता शादी के लिए सभी जरुरी इंतजाम करने में सक्षम हैं। इसके अलावा वह गवाहों को प्रभावित कर सकता है।
दिल्ली हाई कोर्ट ने 18 अक्टूबर को उमर खालिद की जमानत याचिका खारिज कर दी थी। हाई कोर्ट ने कहा था कि नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ विरोध प्रदर्शन और उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुई हिंसा को दिसंबर 2019 और फरवरी 2020 के बीच हुई बैठकों का नतीजा थी, जिनमें उमर खालिद भी शामिल हुआ था। हाई कोर्ट ने कहा था कि उमर खालिद का नाम साजिश की शुरुआत से लेकर दंगा होने तक आता रहा। उमर खालिद व्हाट्स ऐप ग्रुप डीपीएसजी और मुस्लिम स्टूडेंट्स ऑफ जेएनयू का सदस्य था। उमर खालिद ने कई बैठकों में हिस्सा लिया। हाई कोर्ट ने कहा था कि अगर चार्जशीट पर भरोसा किया जाए तो ये साजिश की ओर साफ-साफ इशारा कर रहे हैं। उमर खालिद सितंबर 2020 से हिरासत में है।
नई दिल्ली। दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली हिंसा के आरोपित उमर खालिद की जमानत याचिका खारिज कर दी है। जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल की अध्यक्षता वाली बेंच ने ये फैसला सुनाया। 9 सितंबर को कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था।
सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस की ओर से स्पेशल पब्लिक प्रोसिक्यूटर अमित प्रसाद ने जामिया कोआर्डिनेशन कमेटी के व्हाट्स ऐप ग्रुप की चैट के बारे में बताया था, जिसमें कहा गया है कि कह दो हम जामिया से हैं, दिल्ली का चक्का जाम करेंगे। दिल्ली पुलिस ने दलील दी थी कि शाहीन बाग का धरना महिलाओं की ओर से किया गया स्वतंत्र आंदोलन नहीं था। धरना और प्रदर्शन स्थल योजनाबद्ध तरीके से मस्जिदों के नजदीक बनाए गए थे। दिल्ली पुलिस की ओर से स्पेशल पब्लिक प्रोसिक्यूटर अमित प्रसाद ने कहा था कि आरोपितों के व्हाट्स ऐप चैट में कहा गया कि धरना स्थलों पर ज्यादा हिन्दुओं को लाया जाए ताकि वो धर्मनिरपेक्ष दिखे। उन्होंने कहा कि शाहीन बाग का आंदोलन महिलाओं की ओर से किया गया स्वतंत्र आंदोलन नहीं था।।
सुनवाई के दौरान उमर खालिद की ओर से कहा गया था कि किसी भी घटना के समय उमर खालिद मौजूद नहीं था और न ही उसके पास से कुछ बरामद किया गया है। उमर खालिद की ओर से कहा गया था कि उसके खिलाफ दाखिल चार्जशीट में साजिश को दिखाने के लिए जिन घटनाओं का जिक्र किया गया है, उनका आपस में कोई संबंध नहीं है। उमर खालिद की ओर से पेश वकील त्रिदिप पेस ने कहा था कि चार्जशीट में पांच व्हाट्स ऐप ग्रुप की चर्चा की गई है, जिसमें उमर खालिद केवल दो ग्रुप का सदस्य था और वो भी एक ही ग्रुप में मैसेज भेजता था। उन्होंने कहा था कि किसी भी चश्मदीद गवाह ने ये नहीं कहा कि उमर खालिद नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ आयोजित विरोध प्रदर्शनों के दौरान हिंसा में भागीदार था। पुलिस ने उमर खालिद की गिरफ्तारी से पहले मामला बनाया।
उल्लेखनीय है कि हाई कोर्ट उमर खालिद की ओर से दाखिल जमानत याचिका पर 22 अप्रैल से सुनवाई कर रहा था। 24 मार्च को कड़कड़डूमा कोर्ट ने उमर खालिद की जमानत याचिका खारिज कर दी थी।