एक नई रिसर्च में बताया गया है कि पृथ्वी के असंतुलन की वजह जलवायु परिवर्तन है।पृथ्वी की अपनी धुरी पर घूमने की गति में बदलाव आया है। जलवायु परिवर्तन के कारण पिछले कुछ सालो में धरती के ध्रुवीय क्षेत्र में बर्फ बहुत तेज़ी से पिघल रही है। ग्रीनलैंड और अंटार्कटिका क्षेत्र में बर्फ पिघलने की दर और भी तेज़ हो गयी है। पहले तो क्लाइमेट चेंज को रोका भी जा सकता था लेकिन ग्लोबल वॉर्मिंग बढ़ने के कारण जिससे पृथ्वी का तापमान दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है और इससे समंदर का जलस्तर काफी बढ़ गया है।
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इंसानों की लापरवाही के कारण क्लाइमेट चेंज लगातार बढ़ता जा रहा है और पृथ्वी की गति बदलती जा रही है जिससे दिन का समय बढ़ गया है और आने वाले कुछ वर्षो में इसका असर साफ़ साफ़ दिखायी देने लगेगा।
12 जुलाई को नेचर जियोसाइंस में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक- बढ़ती गर्मी की वजह से पिघलते ग्लेशियर से धरती पर भूमध्यरेखा के पास ज्यादा पानी जमा हो रहा है। इसकी वजह से धरती अपनी धुरी पर घूम नहीं पा रही है। उसकी गति धीमी होती जा रही है, धरती के दोनों मैग्नेटिक पोल भी डगमगा गए हैं और इसकी वजह से पिछले तीन दशकों से धरती के घूमने की गति धीमी होती जा रही है।