नई दिल्ली । तृणमूल कांग्रेस नेता अभिषेक बनर्जी को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी राहत दी है। सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल के शिक्षक भर्ती घोटाले में अभिषेक बनर्जी के खिलाफ जांच के कलकत्ता हाईकोर्ट के आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी है। सुप्रीम कोर्ट 24 अप्रैल को अभिषेक बनर्जी की याचिका पर सुनवाई करेगा।
अभिषेक का कहना है कि उनका इस कथित घोटाले से उसका कोई संबंध नहीं है। याचिका में कहा गया है कि हाईकोर्ट ने उनके एक भाषण के आधार पर सीबीआई और ईडी को जांच का आदेश दे दिया। कलकत्ता हाईकोर्ट ने 13 अप्रैल को सीबीआई और ईडी को अभिषेक बनर्जी से पूछताछ की इजाजत दी थी। हाईकोर्ट ने कहा था कि अगर ईडी और सीबीआई को जरुरत पड़ी तो इस मामले में गिरफ्तारी आरोपी कुंतल घोष से भी पूछताछ कर सकती है।
कुंतल ने पश्चिम बंगाल पुलिस को पत्र भेजकर आरोप लगाया था कि केंद्रीय जांच एजेंसियां उस पर अभिषेक बनर्जी और तृणमूल कांग्रेस के दूसरे बड़े नेताओं के नाम घोटाले से जोड़ने का दबाव बना रही हैं। कुंतल ने कोलकाता के एक स्पेशल कोर्ट के जज को भी इसी तरह का पत्र भेजा था।
TEACHERS APPONTMENT FRAUD
कोलकाता । शिक्षक नियुक्ति भ्रष्टाचार मामले में गिरफ्तार प्राथमिक शिक्षा परिषद के पूर्व अध्यक्ष और तृणमूल कांग्रेस के विधायक माणिक भट्टाचार्य की संपत्ति सैकड़ों करोड़ की है। ईडी के एक अधिकारी ने गुरुवार को बताया कि भट्टाचार्य ने पिछले 11 सालों तक प्राथमिक शिक्षा परिषद का अध्यक्ष रहते हुए बड़े पैमाने पर धन उगाही की है। शिक्षक नियुक्ति भ्रष्टाचार से लेकर कॉलेजों को मान्यता दिलवाने और शिक्षा संबंधी अन्य काम के लिए वह बड़े पैमाने पर दलाली लिया करता था। तत्कालीन शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी के बेहद खास होने की वजह से माणिक भट्टाचार्य को न केवल परीक्षार्थियों से रुपये वसूलने की जिम्मेवारी दी गई थी बल्कि उन लोगों से भी रुपये वसूले जाते थे जो शिक्षण संस्थान आदि चलाते थे।
जांच अधिकारियों को पता चला है कि माणिक ने अपने बेटे, पत्नी और अन्य रिश्तेदारों के नाम पर कई बेनामी संपत्तियां खरीदी हैं। इसके अलावा फर्जी कंपनियों के नाम पर जमीन और अन्य संपत्तियां खरीदी गई हैं। इन सभी की विस्तृत जानकारी एकत्रित की जा रही है। नदिया जिले के पलाशिपाड़ा जहां से माणिक विधायक हैं, वहां भी ईडी की एक टीम उनके खास लोगों से पूछताछ कर रही है। सूत्रों ने बताया है कि राज्य सरकार के जमीन पंजीकरण विभाग से भट्टाचार्य और उनके रिश्तेदारों के नाम पर मौजूद संपत्तियों के दस्तावेज मांगे गए हैं।