नई दिल्ली । पैसे लेकर सवाल पूछने के मामले में लोकसभा की सदस्यता रद्द किए जाने के खिलाफ तृणमूल कांग्रेस की नेता महुआ मोइत्रा की याचिका बुधवार को सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस संजय किशन कौल की बेंच के समक्ष मेंशन की गई। महुआ की ओर से वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने जल्द सुनवाई की मांग की। जस्टिस कौल ने कोई भी आदेश देने से मना करते हुए कहा कि जल्द सुनवाई पर चीफ जस्टिस विचार करेंगे।
महुआ मोइत्रा ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर अपने खिलाफ एथिक्स कमेटी की सिफारिश और उसके बाद लोकसभा से प्रस्ताव पारित होने को गलत बताया है।
उल्लेखनीय है कि 8 दिसंबर को लोकसभा ने महुआ मोइत्रा की सदन की सदस्यता खत्म कर दी। संसद की एथिक्स कमेटी ने महुआ मोइत्रा को पैसे लेकर सवाल पूछने के आरोप को सही मानते हुए लोकसभा की सदस्यता खत्म करने की अनुशंसा की थी। महुआ मोइत्रा पर भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने पैसे लेकर सवाल पूछने का आरोप लगाया था। मोइत्रा पर आरोप था कि उन्होंने एक कारोबारी दर्शन हीरानंदानी से पैसे लेकर अडाणी के बारे में सवाल पूछे थे और अपना लॉग-इन पासवर्ड भी हीरानंदानी से साझा किया था।
supreme court hearing
नई दिल्ली: मणिपुर हिंसा मामले में सुप्रीम कोर्ट में जारी सुनवाई कल मंगलवार को भी जारी रहेगी। कोर्ट ने आज सुनवाई करते हुए केंद्र और राज्य सरकार से जवाब दाखिल करने को कहा है। कोर्ट ने इस मामले की जांच के लिए एक्सपर्ट कमिटी बनाने की भी बात कही। इस पर कोर्ट में वकीलों ने पैनल के सदस्यों के नाम भी सुझाए। हालांकि मुख्या न्यायाधीश ने इन सभी नामों को नकार दिया। कोर्ट ने कहा कि सदस्यों का नाम पीठ तय करेगी और इसमें अलग-अलग क्षेत्रों के जानकारी लोग शामिल किए जाएंगे।
सीबीआई, एसआईटी को इसकी जांच सौंपना पर्याप्त नहीं
इस मामले की सुनवाई के दौरान सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि केवल सीबीआई, एसआईटी को इसकी जांच सौंपना पर्याप्त नहीं होगा। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि न्याय की प्रक्रिया उसके दरवाजे तक पहुंचे। हमारे पास समय ख़त्म हो रहा है, मामले को तीन महीने बीत गए हैं। कोर्ट ने कहा है कि जांच कमिटी में एक महिला भी शामिल की जाएगी। इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि हमें सिर्फ यह पता नहीं लगाना है कि क्या हुआ और क्या नहीं? बल्कि हमें वहां के आम जनजीवन को पटरी पर लाना है।
‘अगर सरकार के उठाए गए क़दमों से हम संतुष्ट तो दखल नहीं दे सकते’
इसके साथ ही सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप की सीमा इस बात पर भी निर्भर करेगी कि सरकार ने अब तक क्या किया है। यदि सरकार ने जो किया है उससे हम संतुष्ट हैं, तो हम हस्तक्षेप भी नहीं कर सकते। वहीं अब इस मामले में अगली सुनवाई मंगलवार 1 अगस्त को दोपहर 2 बजे शुरू होगी।
बिलकिस बानो केस के दोषियों की रिहाई के मामले में सुप्रीम कोर्ट की विशेष बेंच जल्द सुनवाई करेगी
नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट ने आश्वासन दिया कि बिलकिस बानो केस के दोषियों की रिहाई के खिलाफ याचिका पर जल्द सुनवाई कि जाएगी । एक वकील के अनुरोध पर चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि इस मामले कि सुनवाई के लिए वह विशेष बेंच के गठन पर भी विचार करेंगे।
चार जनवरी को जस्टिस बेला त्रिवेदी ने इस मामले पर सुनवाई से खुद को अलग कर लिया था। 21 अक्टूबर 2022 को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन वुमन की ओर से दाखिल याचिका को मुख्य याचिका के साथ टैग करने का आदेश दिया था। याचिका में गुजरात सरकार के दोषियों की रिहाई के आदेश तत्काल रद्द करने की मांग की गई है। 17 अक्टूबर 2022 को गुजरात सरकार ने हलफनामा दाखिल कर कहा था कि बिलकिस बानो गैंगरेप केस के दोषियों को उनकी सजा के 14 साल पूरे होने और उनके जेल में अच्छे व्यवहार की वजह से रिहा किया गया।
हलफनामा में कहा गया है कि दोषियों की रिहाई केंद्र सरकार की अनुमति के बाद की गई। गुजरात सरकार ने कहा था कि दोषियों की रिहाई का फैसला कैदियों को रिहा करने के सुप्रीम कोर्ट के 9 जुलाई 1992 के दिशा-निर्देश के आधार पर किया गया है न कि आजादी के अमृत महोत्सव की वजह से।
24 सितंबर 2022 को बिलकिस बानो गैंगरेप केस के दोषियों ने सुप्रीम कोर्ट में अपना जवाब दाखिल किया था। जवाब में कहा गया था कि गुजरात सरकार का उनकी रिहाई का फैसला कानूनी तौर पर ठीक है। उनकी रिहाई के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिकाकर्ता सुभाषिनी अली और महुआ मोइत्रा का केस से कोई संबंध नहीं है। आपराधिक केस में तीसरे पक्ष के दखल का कोई औचित्य नहीं बनता है। दोषियों के जवाब में कहा गया था कि उनकी रिहाई के खिलाफ न तो गुजरात सरकार ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है और न ही पीड़ित ने। यहां तक कि इस मामले के शिकायतकर्ता ने भी कोर्ट का दरवाजा नहीं खटखटाया है।
दिसंबर 2022 में सुप्रीम कोर्ट ने बिलकिस बानो के दोषियों की रिहाई से जुड़े मामले में दायर बिलकिस की पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी थी। पुनर्विचार याचिका में मांग की गई थी कि 13 मई 2022 के आदेश पर दोबारा विचार किया जाए। 13 मई के आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि गैंगरेप के दोषियों की रिहाई में 1992 में बने नियम लागू होंगे। इसी आधार पर 11 दोषियों की रिहाई हुई है।