नयी दिली। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को चंडीगढ़ नगर निगम (सीएमसी) के मेयर चुनाव के लिए नियुक्त रिटर्निंग ऑफिसर से कहा, हम इस तरह लोकतंत्र की हत्या नहीं होने देंगे।
‘इंडिया’ गठबंधन के मेयर पद के उम्मीदवार कुलदीप कुमार द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कड़े शब्दों में कहा: “कृपया अपने रिटर्निंग अधिकारी को बताएं कि सुप्रीम कोर्ट उन पर नज़र रख रहा है।” पीठ में न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा भी शामिल थे। कुमार ने पीठासीन अधिकारी पर मतगणना प्रक्रिया में धोखाधड़ी और जालसाजी का सहारा लेने का आरोप लगाया था।
आम आदमी पार्टी (आप) पार्षद का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी द्वारा पेनड्राइव में दिए गए सीसीटीवी फुटेज को देखने के बाद पीठ ने कहा: “यह लोकतंत्र का मजाक है। लोकतंत्र की हत्या हो रही है। क्या यह एक रिटर्निंग अधिकारी का व्यवहार है, जो कैमरे की ओर देखता है और मतपत्र को विकृत करता है?”पीठ ने कहा, “यह स्पष्ट है कि उसने मतपत्रों को विकृत कर दिया। इस व्यक्ति पर मुकदमा चलाया जाना चाहिए।”
पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय द्वारा मेयर पद के लिए 30 जनवरी को हुए चुनाव परिणामों पर रोक लगाने से इनकार करने के बाद आप और कांग्रेस के संयुक्त उम्मीदवार कुलदीप कुमार ने शीर्ष अदालत में याचिका दायर की है। उच्च न्यायालय के समक्ष अपनी याचिका में, उन्होंने अभ्यास और नियमों को पूरी तरह से छोड़ने का आरोप लगाते हुए कहा कि पीठासीन अधिकारी ने पार्टियों के उम्मीदवारों को वोटों की गिनती की निगरानी करने की अनुमति देने से इनकार कर दिया।
उच्च न्यायालय के समक्ष अपनी याचिका में, उन्होंने अभ्यास और नियमों को पूरी तरह से छोड़ने का आरोप लगाते हुए कहा कि पीठासीन अधिकारी ने पार्टियों के उम्मीदवारों को वोटों की गिनती की निगरानी करने की अनुमति देने से इनकार कर दिया। उन्होंने उच्च न्यायालय के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश की देखरेख में स्वतंत्र और निष्पक्ष तरीके से नये सिरे से चुनाव कराने का अनुरोध किया।
SUPREME COURT ANNOYED
विधायकों की अयोग्यता का मामला : सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र विधानसभा स्पीकर को दिया आखिरी मौका
नई दिल्ली । विधायकों की अयोग्यता के मामले में फैसला लेने की समयावधि बताने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र विधानसभा के स्पीकर को आखिरी मौका दिया। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि स्पीकर 30 अक्टूबर तक बताएं कि विधायकों की अयोग्यता के मामले में कब तक फैसला लेंगे।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता के अनुरोध पर कोर्ट ने स्पीकर को एक बार और मौका दिया है। आज स्पीकर की तरफ से कोई टाइम लाइन नहीं दी गयी। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जताई थी। इसके पहले 13 अक्टूबर को कोर्ट ने विधायकों की अयोग्यता पर फैसले लेने में महाराष्ट्र विधानसभा स्पीकर की तरफ से हो रही देर पर नाराजगी जाहिर की थी। कोर्ट ने कहा था कि स्पीकर यूं ही अनिश्चित काल तक अपने फैसले को नहीं टाल सकते। कम से कम अगले चुनाव तक फैसला लें।
चीफ जस्टिस ने कहा था कि कोर्ट के आदेश के बावजूद स्पीकर कोई कार्रवाई नहीं कर रहे है। कोर्ट के आदेश का सम्मान किया जाना चाहिए। चीफ जस्टिस ने कहा कि स्पीकर 17 अक्टूबर को समय सीमा बताएं कि कब तक वो फैसला ले लेंगे। अगर स्पीकर समय सीमा नहीं बताते है तो कोर्ट आदेश पास करेगा। फिर कोर्ट उनके फैसला लेने की समय सीमा तय करेगा। 9 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र विधान सभा में विधायकों की अयोग्यता मामले में एनसीपी नेता जयंत पाटिल की याचिका पर सुनवाई करते हुए महाराष्ट्र विधानसभा के स्पीकर को नोटिस जारी किया था। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को शिवसेना के उद्धव ठाकरे की याचिका के साथ टैग करने का आदेश दिया था।
एनसीपी विधायक जयंत पाटिल ने विधानसभा के स्पीकर की ओर से अयोग्यता के मामले को जान बूझ कर लटकाए रखने का आरोप लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट मे याचिका दाखिल की है। जयंत पाटिल ने अपनी अर्जी में कहा है कि दो महीने से ज्यादा हो गए हैं लेकिन अब तक स्पीकर ने विधायकों को नोटिस देकर पूछताछ के लिए तलब भी नहीं किया है। पाटिल की अर्जी के मुताबिक विधायकों के अयोग्यता की अर्जी 2 जुलाई को दाखिल की गई थी। रिमाइंडर 5 सितंबर और प्रतिवेदन 7 सितंबर को दिया गया था। याचिका में कहा गया है कि याचिकाकर्ता ने स्पीकर से व्यक्तिगत तौर पर मुलाकात कर मामले पर शीघ्र निर्णय करने का आग्रह किया था। इसके बावजूद अभी तक कुछ नहीं हुआ।
पाटिल ने अपनी याचिका में निर्वाचन आयोग में चल रहे मामले का भी जिक्र करते हुए कहा कि बागी विधायकों ने आयोग में अर्जी लगाई है जिस पर नोटिस जारी हो चुका है। उधर, विधान सभा में स्पीकर ने शरद पवार गुट की ओर से नौ जुलाई को दी गई अर्जी पर भी कोई कार्यवाही नहीं की, जिसमें अनुशासनहीनता के आरोपी विधायकों की अयोग्यता पर शीघ्र निर्णय लेने की बात कही गई है। शिवसेना के विधायकों की अयोग्यता के मामले में हो रही देरी के खिलाफ उद्धव गुट ने भी सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।
वन रैंक वन पेंशन: सुप्रीम कोर्ट की केंद्र को कड़ी फटकार कहा-किश्तों में भुगतान वाली अधिसूचना वापस लें
नई दिल्ली । वन रैंक वन पेंशन का बकाया भुगतान नहीं करने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कड़ी फटकार लगायी है । सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया कि केंद्र को पेंशन का बकाया भुगतान किश्तों में देने का नोटिफिकेशन वापस लेना होगा। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने केंद्र सरकार से मामले में 20 मार्च तक संक्षिप्त नोट मांगा।
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से ये बताने को निर्देश दिया कि अब तक वन रैंक वन पेंशन को लेकर क्या भुगतान किया गया है और भविष्य में कैसे भुगतान करेंगे। कोर्ट ने कहा कि यह बहुत दुख भरा है कि चार लाख सैन्यकर्मियों की मृत्यु हो गई है। कोर्ट ने कहा कि रक्षा मंत्रालय कानून को अपने हाथ में लेने का प्रयास ना करे।
सुप्रीम कोर्ट ने 27 फरवरी को रक्षा मंत्रालय को कड़ी फटकार लगाई थी। कोर्ट ने कहा था कि वन रैंक वन पेंशन को लेकर सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का पालन करना होगा। कोर्ट ने रक्षा मंत्रालय में पेंशन मामलों के सचिव से व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया था।
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पूछा था कि कोर्ट के आदेश के बावजूद पेंशन किश्तों में देने का फैसला क्यों लिया गया। अगर आदेश का पालन नहीं किया गया, तो हम अवमानना नोटिस जारी कर देंगे। चीफ जस्टिस ने साफ कहा था कि अदालती प्रक्रिया की शुचिता बनी रहनी चाहिए। यह युद्ध नहीं, बल्कि कानून के शासन की बात है। आप अपना घर व्यवस्थित करें।
दरअसल, 20 जनवरी को रक्षा सचिव ने एक नोटिफिकेशन जारी कर कहा था कि वो वन रैंक वन पेंशन के तहत पेंशन को चार किश्तों में देंगे, जबकि 9 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को कहा था कि 15 मार्च तक सभी को भुगतान किया जाए। इतना ही नहीं, चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा था कि वन रैंक वन पेंशन के उसके पहले आदेश के मुताबिक सभी पेंशनर्स को एरियर का भुगतान किया जाए।सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से अटार्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने कहा था कि केंद्र सरकार जल्द ही पेंशन का एरियर जारी करेगी। अटार्नी जनरल ने कहा था कि वे इस मामले को व्यक्तिगत रूप से देख रहे हैं। उन्होंने कहा था कि केंद्र सरकार करीब 25 लाख पेंशनर्स के एरियर की गणना कर रही है।
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील हुफेजा अहमदी ने कोर्ट को बताया था कि करीब चार लाख पेंशनर्स की इस इंतजार में मौत हो गई कि उनके पेंशन का एरियर मिलेगा।
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने 16 मार्च, 2022 को सेना में वन रैंक वन पेंशन पर मुहर लगा दी थी। याचिका इंडियन एक्स सर्विसमैन मूवमेंट ने दायर की थी। याचिका में कहा गया था कि संसद में वादा करने के बावजूद वन रैंक वन पेंशन का वादा पूरा नहीं किया गया।
नई दिल्ली । वन रैंक वन पेंशन नीति के तहत पेंशन भुगतान के मामले पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने रक्षा मंत्रालय को कड़ी फटकार लगाई है। कोर्ट ने कहा कि वन रैंक वन पेंशन को लेकर सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का पालन करना होगा। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने रक्षा मंत्रालय में पेंशन मामलों के सचिव से व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है।
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पूछा कि कोर्ट के आदेश के बावजूद पेंशन किश्तों में देने का फैसला क्यों लिया गया। सुप्रीम कोर्ट ने चेतावनी देते हुए कहा था कि अगर आदेश का पालन नहीं किया गया तो हम अवमानना नोटिस जारी कर देंगे। चीफ जस्टिस ने साफ कहा कि अदालती प्रक्रिया की शुचिता बनी रहनी चाहिए। यह युद्ध नहीं बल्कि कानून के शासन की बात है। आप अपना घर व्यवस्थित करें।
दरअसल, 20 जनवरी को रक्षा सचिव ने एक नोटिफिकेशन जारी कर कहा था कि वो वन रैंक वन पेंशन के तहत पेंशन को चार किश्तों में देंगे। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने 9 जनवरी को केंद्र को कहा था कि 15 मार्च तक सभी को भुगतान किया जाए। साथ ही सभी पेंशनर्स को एरियर का भुगतान करने के भी निर्देश दिए थे।
सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से अटार्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने कहा था कि केंद्र सरकार जल्द ही पेंशन का एरियर जारी करेगी। अटार्नी जनरल ने कहा था कि वे इस मामले को व्यक्तिगत रूप से देख रहे हैं। उन्होंने कहा था कि केंद्र सरकार करीब 25 लाख पेंशनर्स के एरियर की गणना कर रही है। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील हुफेजा अहमदी ने कोर्ट को बताया था कि करीब चार लाख पेंशनर्स की इस इंतजार में मौत हो गई कि उनके पेंशन का एरियर मिलेगा।
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने 16 मार्च, 2022 को सेना में वन रैंक वन पेंशन पर मुहर लगा दी थी। याचिका इंडियन एक्स सर्विसमैन मूवमेंट ने दायर की थी। याचिका में कहा गया था कि संसद में वादा करने के बावजूद वन रैंक वन पेंशन का वादा पूरा नहीं किया गया।
नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट ने सुकेश चंद्रशेखर की ओर से लगातार याचिकाएं दाखिल करने पर आपत्ति जाहिर की है। कोर्ट ने कहा कि पैरवी के लिए अच्छे वकील कर पाने में समर्थ रहने का मतलब ये नहीं कि बार-बार कोर्ट का रुख किया जाए। इससे पहले अक्टूबर-नवंबर में सुकेश ने जेल ट्रांसफर करने की मांग को लेकर दो याचिकाएं दायर की थीं। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र और दिल्ली सरकार को नोटिस जारी किया है।
सुकेश चंद्रशेखर को दिल्ली की मंडोली जेल से किसी दूसरे जेल में ट्रांसफर करने की मांग की है। सुकेश का कहना है कि जेल में सीआरपीएफ परेशान कर रही है। जबसे उसने सत्येंद्र जैन को लेकर चिट्ठी लिखी है तब से लगातार उसे धमकियां मिल रही हैं। कोर्ट ने 23 अगस्त को सुकेश को तिहाड़ जेल से मंडोली जेल ट्रांसफर करने का आदेश दिया था। सुकेश रैनबैक्सी के पूर्व प्रमोटर शिवेंद्र सिंह की पत्नी अदिति सिंह से कथित तौर पर 200 करोड़ रुपये की ठगी के मामले में तिहाड़ जेल में बंद है। सुकेश के खिलाफ एआईएडीएमके सिंबल मामले में निर्वाचन आयोग को रिश्वत देने की कोशिश का मामला भी चल रहा है।
नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट ने जज के तौर पर नियुक्ति के लिए कॉलेजियम की तरफ से भेजे नामों पर सरकार की तरफ से निर्णय नहीं लिए जाने पर नाराजगी जताई है। जस्टिस संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली बेंच ने शुक्रवार को केंद्रीय विधि सचिव को नोटिस जारी कर जवाब देने को कहा है।
कोर्ट ने कहा कि सरकार इस तरह नामों को रोके नहीं रह सकती है। इसी के चलते कई अच्छे लोग अपना नाम खुद ही वापस ले लेते हैं। कोर्ट ने कहा कि कॉलेजियम की ओर से की गई अनुशंसाओं को लागू करने में सरकार देरी कर रही है। कोर्ट ने कहा कि कॉलेजियम ने 11 नामों की अनुशंसा की, लेकिन न तो केंद्र सरकार ने उन्हें लौटाया और न ही उनकी नियुक्ति की। सरकार का ये रवैया अस्वीकार्य है। कॉलेजियम जिन नामों की अनुशंसा करें, उन पर केंद्र तीन से चार हफ्ते में फैसला करें।
नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट ने फिल्म प्रोड्यूसर एकता कपूर को फटकार लगाते हुए कहा है कि आप देश की युवा पीढ़ी के दिमाग को दूषित कर रही हैं। वेब सीरीज ‘एक्सएक्सएक्स’ में सैनिकों और उनके परिजनों की भावनाओं को आहत करने को लेकर बिहार के बेगूसराय में एक पूर्व सैनिक की शिकायत पर कोर्ट ने वारंट जारी किया है।
कोर्ट ने कहा कि ओटीटी सभी के लिए उपलब्ध है। एकता कपूर की ओर से वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि पटना हाई कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है, लेकिन इस बात की उम्मीद नहीं है कि मामला जल्द ही सुनवाई के लिए लिस्ट किया जाएगा। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट इस तरह के मामले में एकता कपूर को पहले भी संरक्षण दे चुका है। रोहतगी ने कहा कि ओटीटी पर कंटेंट सदस्यता पर आधारित है और पसंद की स्वतंत्रता का सभी को हक है।
बेगूसराय कोर्ट द्वारा जारी वारंट के खिलाफ एकता कपूर ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। एकता कपूर ने पटना हाई कोर्ट में याचिका दायर की है लेकिन हाई कोर्ट में सुनवाई में विलंब हो रही है। उसके बाद एकता कपूर ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। दरअसल, बेगूसराय कोर्ट में पूर्व सैनिक शंभू कुमार ने याचिका दायर की थी। शंभू कुमार की याचिका में कहा गया है कि सीरीज ‘एक्सएक्सएक्स’ (सीजन दो) में एक सैनिक की पत्नी से जुड़े कई आपत्तिजनक दृश्य दिखाए गए हैं। बेगूसराय कोर्ट ने एकता कपूर के खिलाफ वारंट जारी किया था।