जयपुर । कांग्रेस के 91 विधायकों की ओर से दिए इस्तीफों के मामले में राजस्थान हाईकोर्ट ने महाधिवक्ता को कहा है कि वे विधानसभा स्पीकर से पूछ कर बताएं कि वह इन इस्तीफों पर कब तक निर्णय कर देंगे। अदालत ने इसकी जानकारी और मामले में जवाब पेश करने के लिए महाधिवक्ता को 16 जनवरी तक का समय दिया है। सीजे पंकज मित्थल और जस्टिस शुभा मेहता अखंड की खंडपीठ ने यह आदेश उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ की जनहित याचिका पर दिए। वहीं अदालत ने कहा कि मामले में पक्षकार बनने के लिए अधिवक्ता पीसी भंडारी की ओर से पेश प्रार्थना पत्र को जरूरत महसूस होने पर सुन लिया जाएगा।
सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता एमएस सिंघवी ने पेश होकर मामले में जवाब पेश करने के लिए समय मांगा। जिसका याचिकाकर्ता राजेंद्र राठौड़ ने यह कहते हुए विरोध किया कि मामले में देरी करने के लिए समय ले रहे हैं। अदालत के पूछने पर राठौड़ ने बताया कि 23 जनवरी से विधानसभा सत्र शुरू हो रहा है। इस पर अदालत ने कहा कि सत्र से पहले इन विधायकों के इस्तीफा को लेकर निर्णय किया जाना चाहिए। विधानसभा के बिजनेस रूल्स भी होंगे, तो क्या स्पीकर 1 साल तक भी इन इस्तीफों पर निर्णय नहीं करेंगे? राठौड़ की ओर से यह भी कहा गया कि महाधिवक्ता राज्य सरकार का प्रतिनिधित्व करते हैं। ऐसे में वे विधानसभा की ओर से पैरवी नहीं कर सकते। जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने स्पीकर से जानकारी कर अदालत को बताने के लिए महाधिवक्ता को 16 जनवरी तक का समय दिया है।
आप कौन, क्या सभी वकीलों को बना ले पक्षकार
सुनवाई के दौरान अधिवक्ता पूनम चंद भंडारी की ओर से प्रार्थना पत्र पेश कर मामले में पक्षकार बनने की गुहार की गई। इस पर अदालत ने कहा कि वह कौन है और इस याचिका से उनके अधिकार किस तरह प्रभावित हो रहे हैं। याचिका में उन्हें लेकर कोई रिलीफ भी नहीं मांगा गया है। वे चाहे तो अलग से याचिका दायर करें, उन्हें किसने रोका है। अदालत ने यह भी कहा कि यहां इतने वकील खड़े हैं तो क्या सभी को मामले में पक्षकार बना लें। इसके साथ ही अदालत ने कहा कि यदि उन्हें जरूरत महसूस होगी तो वह बाद में उनका पक्ष सुन लेंगे।
याचिका में कहा गया कि कांग्रेस के 91 विधायकों ने गत 25 सितंबर को विधानसभा स्पीकर को अपने इस्तीफे पर थे। इसके बाद 18 अक्टूबर, 19 अक्टूबर, 12 नवंबर और 21 नवंबर को याचिकाकर्ता ने स्पीकर को प्रतिवेदन देकर दिए गए इस्तीफे को लेकर निर्णय करने का आग्रह किया था। इसके बावजूद भी स्पीकर ने अब तक इन इस्तीफों को लेकर कोई निर्णय नहीं किया है। याचिका में कहा गया कि यदि कोई विधायक इस्तीफा स्वयं पेश करता है तो विधानसभा प्रक्रिया नियम 173 के तहत स्पीकर के पास इस्तीफा स्वीकार करने के अतिरिक्त और कोई विकल्प नहीं होता। सिर्फ इस्तीफा स्वैच्छिक और फर्जी है या नहीं, को लेकर ही जांच की जा सकती है। याचिका में यह भी कहा गया कि यह असंभव है कि इतनी बडी संख्या में विधायकों से जबरन इस्तीफों पर हस्ताक्षर करवाए गए हो या उनके फर्जी हस्ताक्षर किए गए हो। विधायकों के इस्तीफे देने के चलते सरकार सदन में अपना विश्वास खो चुकी है। इसके बावजूद भी इस्तीफा देने वाले मंत्रिमंडल और मंत्रिपरिषद सहित अन्य सरकारी बैठकों में शामिल हो रहे हैं। याचिका में भी गुहार की गई है कि इस्तीफा देने वाले विधायकों के नाम सार्वजनिक किए जाएं और बतौर विधायक इनका विधानसभा में प्रवेश से रोका जाए। स्पीकर के समक्ष बसपा से दल बदल कर कांग्रेस में आए विधायकों का मामला लंबित है। ऐसे में उन्हें अंदेशा है कि इन विधायकों के इस्तीफों पर भी स्पीकर निर्णय नहीं करेंगे।
Speaker of the Assembly
जयपुर। सोशल मीडिया पर सक्रिय ओसियां विधायक दिव्या मदेरणा पिछले कई दिनों से अपने ट्वीटस में सरकार के मंत्रियों पर फोकस कर रही हैं। इस बार उनके निशाने पर विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी हैं। राजस्थान विधानसभा में प्रदेश के 70 साल की ऐतिहासिक राजनीतिक यात्रा और संस्कृति से रूबरू कराने वाले डिजिटल म्यूजियम का हाल ही में लोकार्पण करने के बाद उन्हें एक बात चुभ गई है। इसी के लिए उन्होंने ट्वीट कर जोशी को एक पैगाम भेजा है।
राजस्थान विधानसभा के डिजिटल म्यूजियम में अब तक रहे प्रदेश के सभी मुख्यमंत्रियों और विधानसभा अध्यक्षों के सिलिकॉन से बने स्टैच्यू लगाए गए हैं। म्यूजियम की मूर्तियां शुरुआत से ही विवाद का विषय रही हैं। पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के बाद अब पूर्व विधानसभा अध्यक्ष परसराम मदेरणा की पौत्री और ओसियां से विधायक दिव्या मदेरणा ने भी इस पर सवाल खड़े किए हैं। दिव्या ने ट्वीट के जरिए विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सीपी जोशी तक अपना पैगाम पहुंचाया है।
दिव्या मदेरणा ने शुक्रवार देर रात विधानसभा के डिजिटल म्यूजियम में लगी कांग्रेस के दिग्गज नेता और पूर्व विधानसभा अध्यक्ष परसराम मदेरणा की मूर्ति की तस्वीर को साझा किया। इस पर विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सीपी जोशी को टैग करते हुए दिव्या ने लिखा कि स्वर्गीय परसराम मदेरणा से प्रतिमा सूक्ष्म रुप से भी मिलती-जुलती नहीं है। मैं इस बारे में सीपी जोशी को लिखूंगी और उनसे अनुरोध करूंगी की प्रतिमा को तुरंत बदल दिया जाए। उन्होंने यह भी लिखा कि मुझे इस बात का ध्यान है कि मूर्तिकला में हम किसी तस्वीर के प्रारूप तक पूर्ण रूप से नहीं पहुंच सकते हैं, परंतु परसराम जी की इस मूर्ति में बिल्कुल भी समानता नहीं है।
म्यूजियम में मूर्तियों के प्रारूप पर सवाल खड़े करने वालों में अकेली दिव्या मदेरणा नहीं है। उनसे पहले पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने भी मूर्तियों के स्वरूप पर सवाल खड़े किए थे। राष्ट्रपति चुनाव के दौरान जब म्यूजियम का काम चल रहा था, तब पूर्व मुख्यमंत्री राजे ने विधानसभा के अधिकारियों के साथ इस संग्रहालय का दौरा किया था। जहां पूर्व मुख्यमंत्रियों के आदमकद स्टेच्यू लगाए गए थे। सिलिकॉन से बने स्टेच्यू को लेकर वसुंधरा राजे ने तब मौजूदा अधिकारियों से पूछा था कि क्या यह मूर्ति मेरी जैसी नहीं लगती है? इस पर अधिकारी असहमति जताते हुए एक दूसरे की तरफ झांकने लगे थे।
बेसमेंट में बने डिजिटल म्यूजियम में राजे की नजर पड़ी थी, जिस पर वसुंधरा राजे का नाम अंकित था। इसके बाद राजे ने अधिकारियों से पूछा, यह मेरी प्रतिमा है क्या? तो अधिकारियों ने हां… में जवाब दिया। जब पूर्व मुख्यमंत्री ने पूछा क्या यह प्रतिमा मेरी जैसी दिखाई दे रही है, तो अधिकारी भी बिना जवाब हो गए। राजे की आपत्ति के बाद विधानसभा में उनकी मूर्ति को बदलने का फैसला किया गया था, जिसे कुछ ही दिनों में बदल दिया जाएगा।
राजस्थान विधानसभा परिसर में बने राजनैतिक आख्यान संग्रहालय के जरिए लोकतांत्रिक व्यवस्था के बारे में युवा पीढ़ी को ज्यादा से ज्यादा जानकारी दी जाएगी। यहां 14 नवंबर से 1 महीने के लिए बच्चों को निशुल्क प्रवेश दिया जाएगा। स्मार्ट सिटी लिमिटेड (जेएससीएल) के बनाए इस संग्रहालय का 16 जुलाई 2022 को भारत के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एन. वी. रमणा ने उद्घाटन किया था। छब्बीस हजार स्क्वॉयर फीट में बने इस विशाल संग्रहालय में अत्याधुनिक तकनीकी से राजस्थान की गौरवमयी गाथा और राजनीतिक आख्यानों को प्रस्तुत किया गया है। संग्रहालय में मुख्यमंत्री और विधानसभा अध्यक्ष, निर्वाचन क्षेत्र और विधायकों के बारे में जानकारी भी प्रदर्शित की गई हैं। मंत्रिमंडल, विपक्ष के नेता और अन्य जनप्रतिनिधियों की भूमिका को प्रदर्शित करता यह संग्रहालय पूरे देश में अनूठा उदाहरण है। डिजिटल म्यूजियम में आगंतुक अत्याधुनिक तकनीकी से लोकतंत्र, विधानसभा के कार्य और प्रशासन प्रणाली और सामान्य नागरिक से जनता के सर्वाेच्च प्रतिनिधि तक की यात्रा का सफर हैं। चालीस से अधिक इंस्टॉलेशन और विभिन्न टेक्नोलॉजी से सुसज्जित यह डिजिटल म्यूजियम नई पीढ़ी को अहम जानकारियां देगा। टॉक विद द स्पीकर स्टूडियो में सवाल किए जा सकेंगे। म्यूजियम की विषय वस्तु हिन्दी और अंग्रेजी भाषाओं में है। टच स्क्रीन के माध्यम से भाषा का चयन किया जा सकेगा।