नई दिल्ली । दिल्ली के राऊज एवेन्यू कोर्ट 1984 के सिख विरोधी दंगों के मामले में कांग्रेस के पूर्व नेता जगदीश टाइटलर के खिलाफ दाखिल चार्जशीट पर ग्रीष्मावकाश के बाद विचार करेगा। एडिशनल चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट विधि गुप्ता आनंद ने मामले की अगली सुनवाई 30 जून को करने का आदेश दिया।
दो जून को कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई एमपी-एमएलए कोर्ट में ट्रांसफर कर दिया था। इसके पहले कोर्ट ने आर्म्स डीलर अभिषेक वर्मा के बयान दर्ज करने में देरी पर सीबीआई को फटकार लगाई थी। कोर्ट ने कहा था कि इस मामले के 35 साल बीत गए और कई बार जांच में तेजी लाने के आदेश दिए गए। गवाह भी आगे आए लेकिन सीबीआई केवल धारा 161 के तहत बयान दर्ज कर संतुष्ट हो गई। कोर्ट ने सीबीआई से पूछा था कि उन बयानों पर गवाहों के दस्तखत तक नहीं हुए हैं। कोर्ट ने कहा था कि अगर सीबीआई चाहती है तो वो अभिषेक वर्मा का बयान धारा 164 के तहत दर्ज कर सकती है। धारा 164 के तहत मजिस्ट्रेट बयान दर्ज करता है। अभिषेक वर्मा ने 2017 में दिल्ली पुलिस को शिकायत दी थी और अपनी सुरक्षा बढ़ाने की मांग की थी। अभिषेक वर्मा को ई-मेल के जरिये जान से मारने की धमकी दी गई थी।
अभिषेक वर्मा 01 नवंबर, 1984 में दिल्ली के पुलबंगश में तीन सिखों की हत्या के मामले में गवाह हैं। एक नवंबर, 1984 को जिन सिखों की हत्या हुई थी, उनमें बादल सिंह, ठाकुर सिंह और गुरचरण सिंह हैं। तीनों की हत्या पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद की गई थी। इस केस को नानावटी कमीशन ने दोबारा खोलने का आदेश दिया था। सीबीआई ने मामले में टाइटलर के खिलाफ आईपीसी की धारा 147, 109 और 302 के तहत आरोप लगाया है। सीबीआई के मुताबिक टाइटलर ने भीड़ को उकसाया था, जिसके बाद भीड़ ने पुलबंगश के गुरुद्वारे में आग लगा दी थी।
sikh riot 1984
सैकरामेंटो (कैलिफोर्निया) । अमेरिकी राज्य कैलिफोर्निया की विधानसभा ने एक प्रस्ताव पारित कर भारत में 1984 में हुए सिख दंगों को नरसंहार की मान्यता देने की मांग की है। अमेरिकी कांग्रेस को औपचारिक रूप से भेजे गए इस प्रस्ताव में 1984 दंगों की निंदा करने का आग्रह भी किया गया है।
कैलिफोर्निया राज्य विधानसभा की पहली पहली निर्वाचित सिख सदस्य जसमीत कौर बैंस द्वारा पेश यह प्रस्ताव विधानसभा सदस्य कार्लोस विलापुदुआ द्वारा सह-प्रायोजित था। विधानसभा में सर्वसम्मति से पारित इस प्रस्ताव के पक्ष में विधानसभा के एक अन्य हिन्दू सदस्य ऐश कालरा ने भी मतदान किया। प्रस्ताव में कहा गया है कि अमेरिका में सिख समुदाय दंगों के शारीरिक और मनोवैज्ञानिक आघात से उबर नहीं पाया है। प्रस्ताव में अमेरिकी कांग्रेस से औपचारिक रूप से नवंबर 1984 की सिख विरोधी हिंसा को एक नरसंहार के रूप में मान्यता देने और निंदा करने का आग्रह करता है।
अमेरिकी सिख कॉकस कमेटी और अन्य अमेरिकी सिख निकायों के समन्वयक प्रितपाल सिंह ने एक बयान में प्रस्ताव पेश करने और इसे पारित करने के लिए कैलिफोर्निया राज्य विधानसभा के सदस्यों के प्रति आभार व्यक्त किया है।