नई दिल्ली । मथुरा के जन्मस्थान पर भगवान श्रीकृष्ण के पसंदीदा पेड़ लगाने को सुप्रीम कोर्ट ने मंजूरी दे दी है। जस्टिस संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली बेंच कदंब, तमाल, बरगद ,पाकड़, मोलश्री, खिरानी,अर्जुन पलास जैसे पेड़ लगाने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार की मांग को मंजूरी दी है।
दरअसल, यूपी सरकार ने वन पुनर्जन्म योजना के तहत ब्रज भूमि परिक्रमा क्षेत्र में धार्मिक ग्रंथों में वर्णित पुरातन प्रजाति के पेड़-पौधे लगा कर धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर को सजाने की योजना बनाई है। इसी योजना पर अमल किए जाने के लिए भगवान श्रीकृष्ण के पसंदीदा पौधों को बड़े पैमाने पर लगाने का निर्देश देने की मांग करते हुए यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी।
Shri Krishna
बेगूसराय। विभिन्न लोक संस्कृति और लोक पर्व को अपनी धारा में बसाए मिथिलांचल में यूं तो अनेकों लोक उत्सव एवं लोक पर्व मनाए जाते हैं लेकिन उन सबों में एक प्रमुख लोक पर्व है सामा-चकेवा। भाई बहन के कोमल और प्रगाढ़ रिश्ते को बेहद मासूम अभिव्यक्ति देने वाला यह लोक पर्व मिथिला संस्कृति के समृद्धता और कला का एक अंग है, जो सभी समुदायों के बीच व्याप्त बाधाओं को भी तोड़ता है।
बीते रात से शुरू इस लोक पर्व की समाप्ति कार्तिक पूर्णिमा की रात होगी। भाई-बहन के अनमोल प्यार के प्रतीक में महिलाएं पूर्णिमा की रात तक रोज सामा खेलेगी और अंतिम दिन चुगला का मुंह जलाने के साथ ही इसका समापन होगा। इस लोक उत्सव के दौरान बहनें सामा, चकेवा, चुगला, सतभईयां, टिहुली, कचबचिया, चिरौंता, हंस, सतभैंया, चुगला, बृंदावन सहित अन्य मूर्ति को बांस से बने चंगेरा में सजाकर पारंपरिक लोकगीतों के जरिये भाईयों के लिए मंगलकामना करती है।
हालांकि बदलते समय के साथ इसमें भी बदलाव देखा जाने लगा है। पहले महिलाएं अपने हाथ से ही मिट्टी से सामा-चकेवा बनाती थी लेकिन अब ऐसा नहीं हो पाता है। बाजार में सामा-चकेवा की मूर्तियां सहज उपलब्ध है और महिलाएं इसे खरीदकर घर ले आती हैं। संध्या बेला में ‘गाम के अधिकारी तोहे बड़का भैया हो, सामा खेले चलली भैया संग सहेली, साम चके अबिह हे जोतला खेत में बैसिह हे, भैया जीयो हो युग युग जीयो हो तथा चुगला करे चुगली बिलैया करे मियांऊं’ सरीखे गीत एवं जुमले के साथ जब चुगला दहन करती है।
वह दृश्य मिथिलांचल की मनमोहक पावन संस्कृति की याद ताजा कर देती है। अन्य जगहों की तरह मिथिलांचल में भी तेजी से बढ़ रहे बाजारी और शहरीकरण के बावजूद यहां के लोग अपनी संस्कृति को अक्षुण्ण बनाये हुए हैं। मिथिला तथा कोसी के क्षेत्र में भातृ द्वितीया, रक्षाबंधन की तरह ही भाई बहन के प्रेम के प्रतीक लोक पर्व सामा चकेवा में लोक गीत रोज होता है।
देवोत्थान एकादशी की रात से प्रत्येक आंगन में नियमित रूप से महिलाएं समदाउन, ब्राह्मण गोसाउनि गीत, भजन आदि गाकर बनायी गयी मूर्तियों को ओस चटाती है। फिर कार्तिक पूर्णिमा की रात मिट्टी के बने पेटार में संदेश स्वरूप दही-चूडा भर सभी बहनें सामा चकेवा को अपने-अपने भाई के ठेहुना से फोड़वा कर श्रद्धा पूर्वक अपने खोईंछा में लेती है। बेटी के द्विरागमन की तरह समदाउन गाते हुए विसर्जन के लिए समूह में घर से निकलती है और नदी, तालाब के किनारे या जुताई किए गए खेत में चुगला के मुंह में आग लगाया जाता है।
मिट्टी तथा खर से बनाए वृंदावन में आग लगाकर बुझाती है और सामा-चकेवा सहित अन्य मूर्ति को पुन: अगले साल आने की कामना करते हुए विसर्जन किया जाता है। हालांकि अब सामा-चकेवा मिथिला से निकलकर दूर तक फैल चुका है। हिमालय की तलहट्टी से लेकर गंगासागर तट तक और चम्पारण से लेकर मालदा और दीनजापुर तक मनाया जाता है। दीनजापुर में बंगला भाषी होने के बाद भी वहां की महिलाएं एवं युवतियां सामा-चकेवा पर मैथिली गीत ही गाती हैं। जबकि चम्पारण में भोजपुरी और मैथिली मिश्रित सामा-चकेवा के गीत गाए जाते हैं। लेकिन खेल का रस्म सब जगह एक समान है।
यह है कथा
कहानी है कि भगवान श्रीकृष्ण की पुत्री श्यामा और पुत्र शाम्ब के बीच अपार स्नेह था। कृष्ण की पुत्री श्यामा का विवाह ऋषि कुमार चारूदत्त से हुआ था। श्यामा ऋषि मुनियों की सेवा करने बराबर उनके आश्रमों में सखी डिहुली के साथ जाया करती थी। भगवान कृष्ण के दुष्ट स्वभाव के मंत्री चुरक को यह रास नहीं आया और उसने श्यामा के विरूद्ध राजा के कान भरना शुरू किया। क्रुद्ध होकर भगवान श्रीकृष्ण ने बगैर जांच पड़ताल के ही श्यामा को पक्षी बन जाने का श्राप दे दिया। जिसके बाद श्यामा का पति चारूदत्त भी भगवान महादेव की अर्चना कर उन्हें प्रसन्न करते हुए स्वयं भी पक्षी का रूप प्राप्त कर लिया।
श्यामा के भाई एवं भगवान श्रीकृष्ण के पुत्र शाम्भ ने अपने बहन-बहनोई की इस दशा से मर्माहत होकर अपने पिता की ही आराधना शुरू कर दी। इससे प्रसन्न होकर श्रीकृष्ण ने वरदान मांगने को कहा तो उसने बहन-बहनोई को मानव रूप में वापस लाने का वरदान मांगा। तब श्रीकृष्ण ने पूरी सच्चाई का पता लगा और श्राप मुक्ति का उपाय बताते हुए कहा कि श्यामा रूपी सामा एवं चारूदत्त रूपी चकेवा की मूर्ति बनाकर उनके गीत गाये और चुरक की कारगुजारियों को उजागर करें तो वे दोनों फिर से अपने पुराने स्वरूप को प्राप्त कर सकेंगे।
तभी से बहनों द्वारा अपने-अपने भाई के दीर्घायु होने की कामना के लिए सामा-चकेवा पर्व मनाया जाता है। मिथिला में लोगों का मानना है कि चुगला ने ही कृष्ण से सामा के बारे में चुगलखोरी की थी। सामा खेलते समय महिलायें मैथिली लोक गीत गा कर आपस में हंसी मजाक भी करती हैं। भाभी ननद से और ननद भाभी से लोकगीत की ही भाषा मेंटल मजाक करती हैं। अंत में चुगलखोर चुगला का मुंह जलाया जाता है और सभी महिलायें लोकगीत गाती हुई अपने-अपने घर वापस आ जाती हैं।
इला भटनागर
नोएडा। नोएडा एक्सटेंशन की हिमालय प्राइड अपार्टमेंट्स सोसायटी में गुरुवार को श्री कृष्ण जन्माष्टमी उत्सव मनाया गया। इसमें बच्चे, युवा और बुजुर्गों नें हिस्सा लिया। सोसायटी में भजन और कीर्तन किए गए। इसमें हर समुदाय के हर सदस्य ने हिस्सा लिया और सहयोग दिया। सोसायटी निवासियों ने कहा कि हर त्यौहार को मिलकर मनाने से उसकी खुशियां कई गुना बढ़ जाती हैं।
गुरुवार सुबह से ही कृष्ण जन्मोत्सव के लिए लोगों में गजब का उत्साह दिखाई दिया। दिन भर सोसाइटी में लोग कृष्ण जन्माष्टमी की तैयारी में जुटे रहे। शाम को लोगों ने झांकी निकाली। सोसाइटी में शाम से भजन कीर्तन झांकी का सिलसिला शुरू हो गया। बच्चों को कान्हा के रूप में श्रृंगार किया गया।
जन्माष्टमी पर गुरुवार को रात 12 बजते ही नंद घर आनंद भयो जय कन्हैया लाल की, जय यशोदा लाल की के भजनों से वातावरण कृष्ण भक्ति से सराबोर हो उठा। कृष्ण जन्म होते ही लोगों ने श्रीकृष्ण के बालरूप का अभिषेक करने के बाद उन्हे झूले में विराजमान कराया और आरती की। देर रात भगवान के जन्म होने पर पूजा-अर्चना की गई। इसके बाद निवासियों ने व्रत पूरा किया।
सोसाइटी में नगर यात्रा और संध्या भजन कीर्तन का आयोजन किया गया। सोसाइटी में शिव मंदिर परिवार की तरफ से धार्मिक आयोजन हुआ।
वहीं, सोसाइटी के किड्स पार्क में कृष्ण लीला में बच्चों ने मनमोहक प्रस्तुति दी।
श्रीकृष्ण जन्मस्थान पर कान्हा के प्राकट्य होने पर बज उठे घंटे घड़ियाल, ढोल-नगाड़े, झांझ मजीरे और मृदंग
सहरसा। कोसी प्रमंडल के चर्चित ज्योतिषाचार्य पंडित तरुण झा के अनुसार श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद की अष्टमी तिथि को आठवें मुहूर्त में रात्रि के शून्यकाल में रोहणी नक्षत्र में वृषभ लग्न के संयोग में हुआ था। इसलिए अष्टमी तिथि के आठवें मुहूर्त में रोहणी नक्षत्र में ही जन्माष्टमी मनाई जानी चाहिए। जो भगवान श्रीकृष्ण के जन्म पर व्रत रखना चाहते हैं वो छह सितंबर बुधवार को प्रातः काल से व्रत रखकर मध्य-रात्रि तक जन्मोत्सव मनाएंगे।
सात सितंबर को कृष्णाष्टमी का व्रत, कृष्णपूजन षोडशोपचार से पूजा होंगी। छह सितंबर को रात्रि के आठ बजकर छह मिनट से अष्टमी का प्रवेश होगा। साथ ही दिन के दो बजकर 50 मिनट के बाद रोहिणी नक्षत्र रहने से भगवान श्रीकृष्ण का जन्म रोहिणी नक्षत्र में अष्टमीयुक्त होगा। भगवान के जन्माष्टमी का जयंती व्रत और शक्ति पूजन भी छह सितंबर बुधवार को ही होगा। सात सितंबर, गुरुवार को श्रीकृष्णाष्टमी का व्रत एवं उत्सव होगा। जन्माष्टमी के पहले दिन गृहस्थ लोग और दूसरे दिन साधु-संत भगवान कृष्ण का जन्मोत्सव मनाते हैं। ऐसे में इस बार गृहस्थ लोग छह सितंबर को और वैष्णव लोग सात सितंबर को जन्माष्टमी मनाना उचित होगा।
कानपुर। कानपुर में नया कीर्तिमान बनने जा रहा है । एक लाख से अधिक लोग एक साथ सामूहिक गीता का पाठ शुरू कर चुके हैं। इस आयोजन में निरंजनी पीठाधीश्वर स्वामी कैलाशानंद महाराज बतौर मुख्य अतिथि और विशिष्ट अतिथि निरंजनी अखाड़ा की महामंडलेश्वर साध्वी निरंजन ज्योति हैं।
कानपुर के ग्रीन पार्क में आयोजित सामूहिक गीता पाठ आज गीता जयंती के अवसर पर महाभारत सीरियल में श्री कृष्ण की भूमिका निभाने वाले नितीश भारद्वाज भी शामिल हुए। इससे पूर्व ग्रीन पार्क में आयोजन समिति ने हवन-पूजन किया था।
सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। गीता जयंती के अवसर पर शुरू हुए सामूहिक गीता पाठ में शामिल लोगों की सुरक्षा के लिए हर पल ड्रोन कैमरे से निगरानी की जा रही है। तीन सौ स्कूलों से पहुंचे 1100 छात्र गीता पाठ कर रहे हैं। सामूहिक गीता पाठ का शुभारंभ सुबह 11:30 बजे हुआ। इसके अलावा 1 लाख लोग अलग पाठ कर रहे हैं, जो गीता के 18 अध्याय के 18 श्लोक पढ़ रहे हैं।
गीता के 18 अध्याय के 18 श्लोक पढ़ रहे 1 लाख लोग
सामूहिक गीता पाठ में लगभग 300 स्कूल, कॉलेजों और संस्थानों के ग्यारह सौ छात्र-छात्राएं भी शामिल हुए हैं। इस्कॉन मंदिर के 300 से अधिक भक्त भी इसमें पहुंचे हैं। शहर और देशभर से कुल 1 लाख लोग 18 अध्याय के एक-एक श्लोक का पाठ कर रहे हैं।
महाभारत काल में भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश देकर मार्ग दर्शन किया था। श्रीमद्भागवत गीता के ज्ञान का मर्म समझने के लिए गीता पाठ चल रहा है।
मथुरा। श्रीकृष्ण जन्मभूमि मामले की शुक्रवार दोपहर बाद एडीजे सप्तम के न्यायालय में सुनवाई हुई जिसमें अधिवक्ता शैलेंद्र सिंह के अनुपस्थित होने पर वाद को अदालत ने खारिज कर दिया है।
गौरतलब हो कि शैलेंद्र ने एडीजे सप्तम के न्यायालय में वाद दायर कर समस्त सनातन समाज की ओर से श्रीकृष्ण जन्मस्थान मामले में वाद दायर करने की अनुमति मांगी थी। लखनऊ निवासी अधिवक्ता शैलेंद्र सिंह ने जिला जज के न्यायालय में वाद दायर किया था। पूर्व में बहस के लिए समय मांगने पर न्यायालय ने इनके खिलाफ दो बार जुर्माना किया था। शुक्रवार को उन्हें सुनवाई के लिए अंतिम मौका दिया गया था लेकिन वह न्यायालय में उपस्थित नहीं हुए। इस पर शाही मस्जिद ईदगाह कमेटी ने आपत्ति जताई।
कमेटी के अधिवक्ता नीरज शर्मा ने कहा कि शैलेंद्र सिंह इस वाद को चलाना ही नहीं चाहते हैं। वह हाईकोर्ट में प्रार्थना पत्र देकर इस मामले की जल्द सुनवाई की मांग करते हैं और खुद यहां सुनवाई के लिए हाजिर नहीं होते हैं। इसलिए वाद को खारिज कर दिया जाए। न्यायालय ने इस पर वाद खारिज कर दिया है। शैलेंद्र सिंह ने एक वाद सिविल जज सीनियर डिवीजन के न्यायालय में दायर कर रखा है। इसमें श्रीकृष्ण जन्मस्थान परिसर से शाही मस्जिद हटाने की मांग की है।