नई दिल्ली । दिल्ली के राऊज एवेन्यू कोर्ट स्पेशल जज एमके नागपाल ने वर्ष 1984 के सिख विरोधी दंगा मामले में सज्जन कुमार के खिलाफ आरोप तय करने का आदेश दिया। मामले की अगली सुनवाई 21 सितंबर को होगी।
कोर्ट ने सज्जन कुमार के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 147, 148, 153A, 295R/W149, 307, 308, 323, 325, 395, 436 के तहत आरोप तय करने का आदेश दिया है। हालांकि, कोर्ट ने एसआईटी को सज्जन कुमार के खिलाफ लगाई गई हत्या की धारा 302 को हटाने का आदेश दिया। आज सुनवाई के दौरान कोर्ट को बताया गया कि सज्जन कुमार इस केस में हिरासत में नहीं हैं, सज्जन कुमार इस मामले में जमानत पर हैं।
दरअसल, 1984 के सिख विरोधी दंगों के दौरान जनकपुरी में दो सिखों सोहन सिंह और उनके दामाद अवतार सिंह को एक नवंबर 1984 की हत्या हुई थी। इसी तरह विकासपुरी पुलिस स्टेशन के इलाके में गुरुचरण सिंह को जला दिया गया, जिसकी वजह से उनकी मौत हुई थी। इन दोनों मामलों मे 2015 में एसआईटी ने मामला दर्ज कर जांच शुरू की। इसके लिए मई 2018 में सज्जन कुमार का पॉलीग्राफ भी किया जा चुका है।
Rouse Avenue Court
नई दिल्ली। दिल्ली के राऊज एवेन्यू कोर्ट ने महिला पहलवानों के यौन शोषण के आरोपों के संबंध में भारतीय कुश्ती संघ के पूर्व अध्यक्ष और भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह और सह आरोपित विनोद तोमर को जमानत दे दी है। एडिशनल चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट हरजीत सिंह जसपाल ने ये आदेश दिया।
जमानत देते हुए कोर्ट ने कहा कि बिना कोर्ट की अनुमति के वे विदेश नहीं जा सकते हैं। कोर्ट ने कहा कि दोनों आरोपित किसी शिकायतकर्ता या गवाह को धमकाने या प्रभावित करने की कोशिश नहीं करेंगे। सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस ने न तो जमानत याचिका का विरोध किया और न ही समर्थन।
इसके पहले 18 जुलाई को कोर्ट ने बृजभूषण सिंह और विनोद तोमर को आज तक की अंतरिम जमानत दी थी। गौरतलब है कि 7 जुलाई को कोर्ट ने दिल्ली पुलिस की ओर से दाखिल चार्जशीट पर संज्ञान लेते हुए बृजभूषण सिंह और भारतीय कुश्ती संघ के पूर्व असिस्टेंट सेक्रेटरी विनोद तोमर को कोर्ट में पेश होने का आदेश दिया था।
15 जून को दिल्ली पुलिस ने राऊज एवेन्यू कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की थी। चार्जशीट में भारतीय दंड संहिता की धारा 354, 354डी, 354ए और 506 (1) के तहत आरोप लगाए गए हैं। दिल्ली पुलिस ने राऊज एवेन्यू कोर्ट में बृजभूषण सिंह के खिलाफ छह बालिग महिला पहलवानों द्वारा लगाए गए यौन उत्पीड़न के मामले में चार्जशीट दाखिल की है। राऊज एवेन्यू कोर्ट में दाखिल चार्जशीट में दो लोगों को आरोपित बनाया गया है। बृजभूषण सिंह के अलावा दूसरे आरोपित भारतीय कुश्ती संघ के पूर्व असिस्टेंट सेक्रेटरी विनोद तोमर हैं।
महिला पहलवानों ने बृजभूषण सिंह के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। उसके बाद दिल्ली पुलिस ने एफआईआर दर्ज की थी। महिला पहलवानों ने बृजभूषण पर कार्रवाई की मांग करते हुए जंतर-मंतर पर धरना दिया था। इस धरने ने राजनीतिक रंग ले लिया था।
नई दिल्ली। दिल्ली के राऊज एवेन्यू कोर्ट ने महिला पहलवानों के यौन शोषण के आरोपों के संबंध में भारतीय कुश्ती संघ के पूर्व अध्यक्ष और बीजेपी सांसद बृजभूषण शरण सिंह और सह आरोपित विनोद तोमर की नियमित जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए फैसला सुरक्षित रख लिया है। एडिशनल चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट हरजीत सिंह जसपाल ने आज शाम चार बजे फैसला सुनाने का आदेश दिया।
बृजभूषण शरण सिंह ने कोर्ट में नियमित जमानत याचिका दायर की है। इसके पहले 18 जुलाई को कोर्ट ने बृजभूषण शरण सिंह और विनोद तोमर को आज तक की अंतरिम जमानत दी थी। 7 जुलाई को कोर्ट ने दिल्ली पुलिस की ओर से दाखिल चार्जशीट पर संज्ञान लेते हुए बृजभूषण शरण सिंह और भारतीय कुश्ती संघ के पूर्व असिस्टेंट सेक्रेटरी विनोद तोमर को कोर्ट में पेश होने का आदेश दिया था। कोर्ट के समन के बाद आज दोनों आरोपित पेश हुए थे।
15 जून को दिल्ली पुलिस ने राऊज एवेन्यू कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की थी। चार्जशीट में भारतीय दंड संहिता की धारा 354, 354डी, 354ए और 506 (1) के तहत आरोप लगाए गए हैं। दिल्ली पुलिस ने राऊज एवेन्यू कोर्ट में बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ छह बालिग महिला पहलवानों द्वारा लगाए गए यौन उत्पीड़न के मामले में चार्जशीट दाखिल की है। राऊज एवेन्यू कोर्ट में दाखिल चार्जशीट में दो लोगों को आरोपित बनाया गया है। बृजभूषण शरण सिंह के अलावा दूसरे आरोपित हैं भारतीय कुश्ती संघ के पूर्व असिस्टेंट सेक्रेटरी विनोद तोमर।
महिला पहलवानों ने बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। उसके बाद दिल्ली पुलिस ने एफआईआर दर्ज की थी। महिला पहलवानों ने बृजभूषण शरण सिंह पर कार्रवाई की मांग करते हुए जंतर-मंतर पर धरना दिया था। इस धरने ने राजनीतिक रंग ले लिया था।
दिल्ली के 1984 के सिख विरोधी दंगों में जगदीश टाइटलर के खिलाफ चार्जशीट पर कोर्ट ने फैसला सुरक्षित किया
नई दिल्ली । राजधानी के 1984 के सिख विरोधी दंगों के मामले में दिल्ली के राऊज एवेन्यू कोर्ट ने कांग्रेस के पूर्व नेता जगदीश टाइटलर के खिलाफ दाखिल चार्जशीट पर संज्ञान लेने के मामले पर फैसला सुरक्षित रख लिया है। एडिशनल चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट विधि गुप्ता आनंद ने 19 जुलाई को फैसला सुनाने का आदेश दिया।
कोर्ट ने 2 जून को इस मामले की सुनवाई एमपी एमएलए कोर्ट में ट्रांसफर कर दी थी। इसके पहले कोर्ट ने आर्म्स डीलर अभिषेक वर्मा के बयान दर्ज करने में देरी पर सीबीआई को फटकार लगाई थी। कोर्ट ने कहा था कि इस मामले के 35 साल बीत गए और कई बार जांच में तेजी लाने के आदेश दिए गए। गवाह भी आगे आए लेकिन सीबीआई केवल धारा 161 के तहत बयान दर्ज कर संतुष्ट हो गई।
कोर्ट ने सीबीआई से पूछा था कि उन बयानों पर गवाहों के दस्तखत तक नहीं हुए हैं। कोर्ट ने कहा था कि अगर सीबीआई चाहती है तो वो अभिषेक वर्मा का बयान धारा 164 के तहत दर्ज कर सकती है। धारा 164 के तहत मजिस्ट्रेट बयान दर्ज करता है। अभिषेक वर्मा ने 2017 में दिल्ली पुलिस को शिकायत दी थी और अपनी सुरक्षा बढ़ाने की मांग की थी। अभिषेक वर्मा को ई-मेल के जरिये जान से मारने की धमकी दी गई थी।
अभिषेक वर्मा 1 नवंबर, 1984 में दिल्ली के पुलबंगश में तीन सिखों की हत्या के मामले में गवाह हैं। 1 नवंबर, 1984 को जिन सिखों की हत्या हुई थी उनमें बादल सिंह, ठाकुर सिंह और गुरचरण सिंह हैं। तीनों की हत्या पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद की गई थी। इस केस को नानावटी कमीशन ने दोबारा खोलने का आदेश दिया था।
सीबीआई ने इस मामले में टाइटलर के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 147, 109 और 302 के तहत लगाया है। सीबीआई के मुताबिक टाइटलर ने भीड़ को उकसाया था, जिसके बाद भीड़ ने पुलबंगश के गुरुद्वारे में आग लगा दी थी।
दिल्ली सिख विरोधी दंगा: टाइटलर के खिलाफ चार्जशीट पर कोर्ट गर्मी की छुट्टी के बाद विचार करेगा
नई दिल्ली । दिल्ली के राऊज एवेन्यू कोर्ट 1984 के सिख विरोधी दंगों के मामले में कांग्रेस के पूर्व नेता जगदीश टाइटलर के खिलाफ दाखिल चार्जशीट पर ग्रीष्मावकाश के बाद विचार करेगा। एडिशनल चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट विधि गुप्ता आनंद ने मामले की अगली सुनवाई 30 जून को करने का आदेश दिया।
दो जून को कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई एमपी-एमएलए कोर्ट में ट्रांसफर कर दिया था। इसके पहले कोर्ट ने आर्म्स डीलर अभिषेक वर्मा के बयान दर्ज करने में देरी पर सीबीआई को फटकार लगाई थी। कोर्ट ने कहा था कि इस मामले के 35 साल बीत गए और कई बार जांच में तेजी लाने के आदेश दिए गए। गवाह भी आगे आए लेकिन सीबीआई केवल धारा 161 के तहत बयान दर्ज कर संतुष्ट हो गई। कोर्ट ने सीबीआई से पूछा था कि उन बयानों पर गवाहों के दस्तखत तक नहीं हुए हैं। कोर्ट ने कहा था कि अगर सीबीआई चाहती है तो वो अभिषेक वर्मा का बयान धारा 164 के तहत दर्ज कर सकती है। धारा 164 के तहत मजिस्ट्रेट बयान दर्ज करता है। अभिषेक वर्मा ने 2017 में दिल्ली पुलिस को शिकायत दी थी और अपनी सुरक्षा बढ़ाने की मांग की थी। अभिषेक वर्मा को ई-मेल के जरिये जान से मारने की धमकी दी गई थी।
अभिषेक वर्मा 01 नवंबर, 1984 में दिल्ली के पुलबंगश में तीन सिखों की हत्या के मामले में गवाह हैं। एक नवंबर, 1984 को जिन सिखों की हत्या हुई थी, उनमें बादल सिंह, ठाकुर सिंह और गुरचरण सिंह हैं। तीनों की हत्या पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद की गई थी। इस केस को नानावटी कमीशन ने दोबारा खोलने का आदेश दिया था। सीबीआई ने मामले में टाइटलर के खिलाफ आईपीसी की धारा 147, 109 और 302 के तहत आरोप लगाया है। सीबीआई के मुताबिक टाइटलर ने भीड़ को उकसाया था, जिसके बाद भीड़ ने पुलबंगश के गुरुद्वारे में आग लगा दी थी।
नई दिल्ली। दिल्ली के राऊज एवेन्यू कोर्ट ने 84 के सिख विरोधी दंगों के मामले में कांग्रेस के पूर्व नेता जगदीश टाइटलर के खिलाफ दाखिल सप्लीमेंट्री चार्जशीट को मंजूरी दे दी है। इसके साथ ही कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई एमपी-एमएलए कोर्ट में ट्रांसफर कर दिया है। मामले की अगली सुनवाई 08 जून को होगी।
इसके पहले कोर्ट ने आर्म्स डीलर अभिषेक वर्मा के बयान दर्ज करने में देरी पर सीबीआई को फटकार लगाई थी। कोर्ट ने कहा कि इस मामले के 35 साल बीत गए और कई बार जांच में तेजी लाने के आदेश दिए गए। गवाह भी आगे आए, लेकिन सीबीआई केवल धारा 161 के तहत बयान दर्ज कर संतुष्ट हो गई। कोर्ट ने सीबीआई से पूछा था कि उन बयानों पर गवाहों के दस्तखत तक नहीं हुए हैं। कोर्ट ने कहा था कि अगर सीबीआई चाहती है, तो वो अभिषेक वर्मा का बयान धारा 164 के तहत दर्ज कर सकती है। धारा 164 के तहत मजिस्ट्रेट बयान दर्ज करता है। अभिषेक वर्मा ने 2017 में दिल्ली पुलिस को शिकायत दी थी और अपनी सुरक्षा बढ़ाने की मांग की थी। अभिषेक वर्मा को ई-मेल के जरिये जान से मारने की धमकी दी गई थी।
अभिषेक वर्मा 01 नवंबर 1984 में दिल्ली के पुलबंगश में तीन सिखों की हत्या के मामले में गवाह हैं। एक नवंबर 1984 को जिन सिखों की हत्या हुई थी, उनमें बादल सिंह, ठाकुर सिंह और गुरचरण सिंह शामिल हैं। इस केस को नानावटी कमीशन ने दोबारा खोलने का आदेश दिया था। सीबीआई ने इस मामले में टाइटलर के खिलाफ आईपीसी की धारा 147, 109 और 302 के तहत आरोप लगाया है। सीबीआई के मुताबिक टाइटलर ने भीड़ को उकसाया था, जिसके बाद भीड़ ने पुलबंगश के गुरुद्वारे में आग लगा दी थी।
नई दिल्ली । राहुल गांधी को नया पासपोर्ट जारी करने की अनुमति दिल्ली के राऊज एवेन्यू कोर्ट ने दे दी है। एडिशनल चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट वैभव मेहता ने राहुल गांधी को तीन साल के लिए पासपोर्ट जारी करने का आदेश दिया है।
सुनवाई के दौरान सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा कि 10 साल के लिए पासपोर्ट जारी करने का कोई वैध या प्रभावी कारण नहीं है। स्वामी ने कहा कि राहुल को पासपोर्ट जारी किए जाने का कोई ठोस आधार नहीं है। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि पहले से चल रहे मुकदमों के आधार पर उन्हें पासपोर्ट के लिए अनापत्ति एक साल से ज्यादा समय के लिए नहीं दिया जाना चाहिए।
स्वामी ने विदेश मंत्रालय की नियमावली का हवाला दिया, जिसमें कहा गया है कि अगर किसी व्यक्ति के खिलाफ कोई मुकदमा चल रहा है तो एक नियत समय के लिए ही पासपोर्ट दिया जा सकता है। सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा कि राहुल गांधी ने गृह मंत्रालय द्वारा उनकी नागरिकता को लेकर दिए गए नोटिस पर भी अभी तक उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया है।
स्वामी ने बताया है कि नागरिकता के मामले पर उन्होंने गृह मंत्रालय में राहुल गांधी को लेकर कुछ तथ्य पेश किए थे। उसके मुताबिक राहुल गांधी ब्रिटेन में बैक ओप्स नाम की कंपनी 2003 में बना रखी है, जिसमें राहुल ने खुद को ब्रिटिश नागरिक बताया है। ऐसे मे उनको अगर पासपोर्ट के लिए अनापत्ति दी जाती है तो सीमित अवधि के लिए दी जाए।
राहुल गांधी के वकील ने कोर्ट को बताया कि राहुल गांधी ने जमानत पर होने के बावजूद 10 साल के लिए वैध पासपोर्ट मांगा है, जो कि अधिकतम है। राहुल गांधी के वकील ने कहा 2जी, कोयला घोटाले और दूसरे मामलों में भी आरोपितों को 10 साल के लिए पासपोर्ट दिया गया था। 10 साल के लिए पासपोर्ट देना रूटीन प्रक्रिया में आता है। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी की जमानत पर विदेश यात्रा को लेकर कोई शर्त नहीं लगाई गई थी। राहुल गांधी हमेशा कोर्ट के सामने पेश हुए , जांच में शामिल हुए और आगे भी जांच में सहयोग करेंगे।
कोर्ट ने स्वामी से पूछा कि 2जी और कोयला घोटाले में 10 साल के लिए पासपोर्ट दिया गया, आपका उस पर क्या कहना है। सुब्रमण्यम स्वामी ने जवाब देते हुए कहा कि अगर पहले कुछ गलत हुआ है तो उसको दोहराया नहीं जाना चाहिए।
24 मई को कोर्ट ने सुब्रमण्यम स्वामी को नोटिस जारी किया था। सुनवाई के दौरान सुब्रमण्यम स्वामी ने राहुल गांधी की याचिका का विरोध किया था। कोर्ट ने कहा था कि मामला 2018 से लंबित है और राहुल गांधी के वकील हमेशा कोर्ट में उपस्थित होते हैं। ये पासपोर्ट से जुड़ा मामला है। राइट टू ट्रैवल मौलिक अधिकार है।
राहुल गांधी ने ये अर्जी नेशनल हेराल्ड मामले में दाखिल की है। राहुल गांधी ने संसद की सदस्यता से अयोग्य घोषित होने के बाद अपना डिप्लोमेटिक पासपोर्ट सरेंडर कर दिया था। अब वे नया पासपोर्ट जारी करने की मांग कर रहे हैं।
राहुल गांधी की नये पासपोर्ट की अनुमति की मांग वाली याचिका पर कोर्ट ने सुब्रमण्यम स्वामी को नोटिस भेजा
नई दिल्ली । कांग्रेस नेता राहुल गांधी की नये पासपोर्ट जारी करने की अनुमति देने की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली के राऊज एवेन्यू कोर्ट ने सुब्रमण्यम स्वामी को नोटिस जारी किया है। कोर्ट मामले की अगली सुनवाई 26 मई को करेगा।
सुनवाई के दौरान सुब्रमण्यम स्वामी ने राहुल गांधी की याचिका का विरोध किया। कोर्ट ने कहा कि मामला 2018 से लंबित है और राहुल गांधी के वकील हमेशा कोर्ट में उपस्थित होते हैं। ये पासपोर्ट से जुड़ा मामला है। राइट टू ट्रैवल मौलिक अधिकार है। राहुल गांधी ने ये अर्जी नेशनल हेराल्ड मामले में दाखिल की है। राहुल गांधी ने संसद की सदस्यता से अयोग्य घोषित होने के बाद अपना डिप्लोमेटिक पासपोर्ट सरेंडर कर दिया था। अब वे नया पासपोर्ट जारी करने की मांग कर रहे हैं।
नेशनल हेराल्ड मामले में सुब्रमण्यम स्वामी ने राहुल गांधी के खिलाफ याचिका दायर की है। इस मामले में कोर्ट ने दिसंबर, 2015 में राहुल गांधी, सोनिया गांधी समेत दूसरे आरोपितों को जमानत दी थी। सोनिया गांधी और राहुल गांधी के खिलाफ अपनी याचिका में स्वामी ने लिखा है कि साजिश के तहत यंग इंडियन लिमिटेड को एजेएल की संपत्ति का अधिकार दिया गया है।
स्वामी का कहना है कि हेराल्ड हाउस को केंद्र सरकार ने समाचार पत्र चलाने के लिए जमीन दी थी, इस लिहाज से उसे व्यावसायिक उद्देश्य के लिए इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। गांधी परिवार ने दलील दी थी कि उन्हें बेवजह प्रताड़ित करने के मकसद से अदालत के समक्ष याचिका लगाई गई है। जिन दस्तावेजों की स्वामी मांग कर रहे हैं, वह कांग्रेस पार्टी और एजेएल के गोपनीय दस्तावेज हैं। यह दस्तावेज स्वामी को नहीं दिए जाने चाहिए।
नई दिल्ली। राउस एवेन्यू कोर्ट में मंगलवार को पेशी पर आए दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के साथ एक पुलिस अधिकारी ने कथित तौर पर दुर्व्यवहार किया। कोर्ट परिसर में पहले से मौजूद मीडिया ने केंद्र सरकार के अध्यादेश पर मनीष सिसोदिया से सवाल पूछा तो पुलिस ने उन्हें बोलने से रोकने की कोशिश की। जब मनीष सिसोदिया मीडिया के सवालों का जवाब देने लगे, तब दिल्ली पुलिस के एक अधिकारी ने उनकी गर्दन पकड़ कर जबरन कोर्ट रूम में डाल दिया।
पुलिस अधिकारी के इस दुर्व्यवहार पर आम आदमी पार्टी ने कड़ी आपत्ति जताई है और इसके लिए भाजपा की केंद्र सरकार को जिम्मेदार बताया है। आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक एवं दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट कर “पुलिस के इस दुर्व्यवहार पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने प्रश्न किया कि क्या पुलिस को इस तरह मनीष के साथ दुर्व्यवहार करने का अधिकार है? क्या पुलिस को ऐसा करने के लिए ऊपर से कहा गया है? वहीं, दिल्ली की शिक्षा मंत्री आतिशी ने मनीष सिसोदिया के साथ दुर्व्यवहार करने वाले पुलिस अधिकारी को तत्काल सस्पेंड करने की मांग की है।”
राज्यसभा सदस्य संजय सिंह ने ट्वीट कर कहा, ‘‘पुलिसिया गुंडागर्दी चरम पर है। मनीष सिसोदिया की गर्दन पकड़ कर खींचता हुआ ये पुलिस अधिकारी अपने आका को खुश करने के चक्कर में भूल गया की न्यायालय इसकी नौकरी भी ले सकता है। न्यायालय इस घटना का संज्ञान ले। मोदी जी आपकी तानाशाही पूरा देश देख रहा है।’’
‘आप’ के वरिष्ठ नेता एवं राज्यसभा सदस्य राघव चड्ढा ने ट्वीट कर कहा, भाजपा की केंद्र सरकार द्वारा नियंत्रित दिल्ली पुलिस भारत के सर्वश्रेष्ठ शिक्षा मंत्री के साथ ऐसा व्यवहार करती है? हम इस मारपीट की घोर निंदा करते हैं। देश इसे देख रहा है।’’
‘आप’ की वरिष्ठ नेता एवं कैबिनेट मंत्री आतिशी ने ट्वीट कर कहा, “राउज एवेन्यू कोर्ट में इस पुलिसकर्मी द्वारा मनीष जी के साथ किया गया दुर्व्यवहार चौंकाने वाला है। दिल्ली पुलिस को उन्हें तुरंत सस्पेंड करना चाहिए।’’
इसी कड़ी में ‘आप’ के वरिष्ठ नेता एवं कैबिनेट मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कहा कि क्या पुलिस को इस तरह मनीष सिसोदिया के साथ दुर्व्यवहार करने का अधिकार है? क्या पुलिस को ऐसा करने के लिए किसी ने कहा है? दिल्ली पुलिस को इस अफसर को तुरंत सस्पेंड करना चाहिए। देश के सबसे बेहतर शिक्षा मंत्री मनीष के साथ ऐसा दुर्व्यवहार देश कभी नहीं भूलेगा। भगवान कृष्ण ने दुर्योधन और मामा शकुनी के अहंकार को चूर-चूर किया था। आज के दुर्योधन और मामा शकुनी के अहंकार को भी भगवान कृष्ण अवश्य चूर-चूर करेंगे, यह हमारा विश्वास हैं। 2024 के चुनाव में महाभारत के लिए जमीन तैयार हो रहीं हैं और भगवान कृष्ण के आशीर्वाद से यह चुनाव भाजपा के अहंकार का अंत करेगा।
पंजाब के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. बलबीर सिंह ने ट्वीट कर कहा, ‘‘यह शर्मनाक है और अस्वीकार्य व्यवहार है। देश के सबसे अच्छे शिक्षा मंत्री के साथ किया प्रकार का व्यवहार किया जा रहा है?’’
नई दिल्ली । दिल्ली आबकारी घोटाला मामले के मनी लांड्रिंग से जुड़े मामले में दिल्ली के पूर्व उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका पर राऊज एवेन्यू कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है। स्पेशल जज एमके नागपाल मामले में 26 अप्रैल को फैसला सुनाएंगे।
सुनवाई के दौरान ईडी ने कहा कि सिसोदिया मंत्री समूह के मुखिया थे और कैबिनेट के बारे में उनको सारी जानकारी थी। वे आबकारी नीति के बदलाव में मुख्य भूमिका में थे। ईडी ने कहा कि नीति में फायदा पहुंचाने के बदले रिश्वत ली गई। कोई भी नीति हवा में नहीं बनाई जाती है। मंत्री समूह की बैठक में लाइसेंस फीस और प्रॉफिट मार्जिन को लेकर कोई चर्चा नहीं हुई। सिसोदिया के पास 18 विभाग थे। उस समय वह लोगों से मुलाकात करते थे। कुछ लोग उनकी पत्नी की देखभाल करते थे, ऐसे में जमानत के लिए सिसोदिया पत्नी की सेहत का हवाला नहीं दे सकते हैं।
जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान 05 अप्रैल को सिसोदिया की ओर से कहा गया था कि सिसोदिया के खिलाफ मनी लांड्रिंग का कोई मामला ही नहीं बनता है। सिसोदिया के वकील ने कहा था कि ईडी का पूरा केस सीबीआई के केस पर ही आधारित है। उन्होंने कहा था कि मनी लांड्रिंग एक्ट की धारा 3 के तहत किसी भी तरह का अपराध सिसोदिया ने नहीं किया। कोर्ट को यह देखना होगा कि क्या धारा 3 के तहत कोई उल्लंघन किया गया है।
सिसोदिया की ओर से कहा गया था कि दूसरी एजेंसियां पहले ही इस मामले की जांच कर रही हैं। सिसोदिया के वकील ने कहा कि ऐसा कोई सबूत नहीं है जिससे यह पता चल सके कि सिसोदिया ने मनी लांड्रिंग का अपराध किया हो या उसमें शामिल हों। कथित अपराध की आय का एक भी पैसा सिसोदिया या उनके परिवार के किसी सदस्य के बैंक खाते में नहीं आया। उसका मनी लांड्रिंग के अपराध से कोई लेना देना नहीं है।
सिसोदिया के वकील ने कहा था कि कैबिनेट ने मंत्री समूह बनाया। मंत्री समूह सभी राज्यों और केंद्र सरकार में भी होता है। मंत्री समूह आंकड़ों के आधार पर पॉलिसी में बदलाव का सुझाव देता है। इसके आधार पर आबकारी विभाग पॉलिसी को ड्राफ्ट करता है। मंत्री समूह पॉलिसी को ड्राफ्ट नहीं करता है।
कोर्ट ने 21 मार्च को जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए ईडी को नोटिस जारी किया था। ईडी ने इस मामले में सिसोदिया को 09 मार्च को पूछताछ के बाद तिहाड़ जेल से गिरफ्तार किया था। सिसोदिया को पहले सीबीआई ने 26 फरवरी को गिरफ्तार किया था।