नयी दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने 2021 के लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय कुमार मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा को अंतरिम जमानत देने के अपने पहले के आदेश को सोमवार को बढ़ा दिया।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली पीठ को 26 सितंबर, 2023 के बाद मुकदमे की स्थिति से संबंधित कोई रिपोर्ट रिकॉर्ड पर नहीं मिली। मामले को स्थगित करते हुए, पीठ, जिसमें न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन भी शामिल थे, ने शीर्ष अदालत की रजिस्ट्री को ट्रायल कोर्ट से स्थिति रिपोर्ट प्राप्त करने के लिए कहा और इस बीच, अंतरिम जमानत की अवधि बढ़ाने का आदेश दिया।
पिछले साल सितंबर में, शीर्ष अदालत ने इस तथ्य पर विचार करते हुए राष्ट्रीय राजधानी में रहने के लिए आशीष मिश्रा की जमानत शर्त में ढील दी थी कि उनकी मां दिल्ली के एक अस्पताल में भर्ती हैं और उनकी बेटी को भी चिकित्सा उपचार की आवश्यकता है।
हालांकि, इसने मिश्रा से दिल्ली में किसी भी सार्वजनिक समारोह में भाग नहीं लेने या किसी भी विचाराधीन मुद्दे के संबंध में मीडिया से बातचीत नहीं करने को कहा। जनवरी 2023 में सुप्रीम कोर्ट ने मिश्रा को अंतरिम जमानत देते हुए कई शर्तें लगाई थीं।
अदालत ने कहा था कि मिश्रा को अपना पासपोर्ट सरेंडर करना होगा, मुकदमे की कार्यवाही में शामिल होने के अलावा वह यूपी में प्रवेश नहीं करेंगे; और अभियोजन पक्ष, एसआईटी, मुखबिर या अपराध के पीड़ितों के परिवार का कोई भी सदस्य अंतरिम जमानत की रियायत के दुरुपयोग की किसी भी घटना के बारे में शीर्ष अदालत को तुरंत सूचित करने के लिए स्वतंत्र होगा।
अक्टूबर, 2021 में, लखीमपुर खीरी जिले के तिकुनिया में उस समय भड़की हिंसा में आठ लोगों की मौत हो गई, जब किसान यूपी के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के दौरे का विरोध कर रहे थे। यूपी पुलिस की एफआईआर के मुताबिक, चार किसानों को एक एसयूवी ने कुचल दिया, जिसमें आशीष मिश्रा बैठे थे।
RELIEF TO ASHISH MISHRA
नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट ने लखीमपुर-खीरी हिंसा मामले में केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा टेनी के बेटे आशीष मिश्रा को राहत दी है। जस्टिस सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली बेंच ने अंतरिम जमानत की शर्तों में बदलाव करते हुए आशीष मिश्रा को दिल्ली में रहने की इजाजत दे दी है।
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में आशीष मिश्रा की मां के चल रहे इलाज की वजह से जमानत की शर्तों में बदलाव किया है। हालांकि कोर्ट ने इस रियायत के लिए शर्त भी लगाई है, जिसमें कहा गया है कि वह दिल्ली में किसी भी सार्वजनिक समारोह में भाग नहीं लेंगे और न ही मीडिया को संबोधित करेंगे। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि ट्रायल में हिस्सा लेने के अलावा उत्तर प्रदेश में उनके प्रवेश पर रोक जारी रहेगी।
24 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई की गति पर संतोष जताया था । 25 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने आशीष मिश्रा को 8 हफ्ते की अंतरिम जमानत दी थी। कोर्ट ने कहा था कि जमानत मिलने के एक हफ्ते के भीतर यूपी छोड़ना होगा। कोर्ट ने कहा था कि आशीष मिश्रा यूपी या दिल्ली में नहीं रह सकेंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में स्वत: संज्ञान लेते हुए घटना से जुड़े दूसरे केस में बंद चार किसानों को भी अंतरिम जमानत दी थी, जिन पर घटना के बाद पीट-पीट कर हत्या करने का आरोप है। सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया कि आशीष मिश्रा या उनके परिवार ने किसी भी तरह से ट्रायल को प्रभावित करने की कोशिश की तो जमानत रद्द कर दी जाएगी।
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने 12 दिसंबर, 2022 को ट्रायल कोर्ट से पूछा था कि ट्रायल पूरा होने में कितना समय लगेगा। कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार से पूछा था कि कार में सवार लोगों की पीट-पीट कर मारने के मामले में जांच का क्या स्टेटस है। आज सुनवाई के दौरान लखीमपुर खीरी के ट्रायल कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि इस मामले में 200 गवाह हैं। 27 सीएफएसएल रिपोर्ट है, ऐसे में ट्रायल पूरा करने में कम से कम पांच साल लगेगा। यूपी सरकार ने कहा कि आरोपितों के खिलाफ आरोप तय हो चुका है।
सुनवाई के दौरान आशीष मिश्रा की ओर से वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि इस मामले में चार्जशीट दाखिल हो चुकी है। घटना के दौरान आशीष कार में नहीं था। हाई कोर्ट ने एक साल पहले जमानत दी थी। बाद में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर हाई कोर्ट ने सुनवाई के बाद जमानत को रद्द कर दिया था। जस्टिस सूर्यकांत को रोहतगी ने बताया कि आशीष मिश्रा लगभग एक साल से ज्यादा समय से जेल में है।
लखीमपुर खीरी में 3 अक्टूबर, 2021 को हुई हिंसा में आठ लोगों की जान चली गई थी। इस मामले में एसआईटी आशीष मिश्रा को मुख्य आरोपित बनाकर 3 जनवरी को लखीमपुर की कोर्ट में चार्जशीट दाखिल कर चुकी है।