नई दिल्ली । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आज पूर्वाह्न 10:30 बजे वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सरकारी नौकरी में नवनियुक्त युवाओं को 51,000 से अधिक नियुक्ति पत्र वितरित करेंगे। इस अवसर पर प्रधानमंत्री इन कर्मचारियों को संबोधित भी करेंगे। यह जानकारी केंद्र सरकार के पत्र सूचना कार्यालय (पीआईबी) की विज्ञप्ति में आयोजन की पूर्व संध्या पर दी गई।
विज्ञप्ति के अनुसार यह रोजगार मेला देशभर में 45 स्थानों पर आयोजित किया जाएगा। राष्ट्रीय अभियान के रूप में आयोजित किए जा रहे इस रोजगार मेले के मुख्य आयोजन हैदराबाद में होगा। इस रोजगार मेला कार्यक्रम के माध्यम से गृह मंत्रालय विभिन्न केन्द्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (सीएपीएफ) जैसे केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ), सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ), सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी), असम राइफल्स, केन्द्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ), भारत तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) और नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) के साथ-साथ दिल्ली पुलिस में कर्मियों की भर्तियां कर रहा है।
र से चुने गए नए कर्मी गृह मंत्रालय के तहत विभिन्न संगठनों में कांस्टेबल (जनरल ड्यूटी), सब-इंस्पेक्टर (जनरल ड्यूटी) और गैर-जनरल ड्यूटी कैडर पदों जैसे विभिन्न श्रेणी के पदों पर योगदान करेंगे। रोजगार मेला रोजगार सृजन को सर्वोच्च प्राथमिकता देने की प्रधानमंत्री की प्रतिबद्धता को पूरा करने की दिशा में बड़ा कदम है। नवनियुक्त कर्मियों को आईजीओटी कर्मयोगी पोर्टल पर ऑनलाइन मॉड्यूल ‘कर्मयोगी प्रारंभ’ के माध्यम से खुद को प्रशिक्षित करने का अवसर भी मिल रहा है।
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जोहानिसबर्ग । दक्षिण अफ्रीका के जोहानिसबर्ग में शुरू पंद्रहवें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के बिजनेस फोरम में भारत के डिजिटल भुगतान की धमक रही। इसमें भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी हिस्सा ले रहे हैं। उन्होंने भारतीय समयानुसार आज सुबह करीब चार बजे अपने आधिकारिक एक्स (पूर्व ट्विटर) हैंडल में सम्मेलन की गतिविधियां सचित्र साझा की हैं।
उन्होंने बताया है-ब्रिक्स बिजनेस फोरम ने मुझे भारत के विकास पथ और ‘व्यवसाय करने में आसानी’ और सार्वजनिक सेवा वितरण को बढ़ावा देने के लिए उठाए गए कदमों पर चर्चा करने का अवसर दिया। साथ ही फोरम में डिजिटल भुगतान, बुनियादी ढांचे के निर्माण, स्टार्टअप की दुनिया और अन्य क्षेत्रों में भारत की प्रगति को सराहा गया।
इससे पहले ब्रिक्स बिजनेस फोरम लीडर्स डायलॉग में भी प्रधानमंत्री मोदी ने हिस्सा लिया। उन्होंने कहा भारत जल्द ही पांच ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था होगा। आने वाले वर्षों में दुनिया के लिए भारत विकास का इंजन होगा। भारत में दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप इको सिस्टम है और देश में 100 से अधिक यूनिकार्न हैं।
पंद्रहवें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में मंगलवार को हिस्सा लेने पहुंचे भारतीय प्रधानमंत्री मोदी की दक्षिण अफ्रीका के उप राष्ट्रपति पाल शिपोकोसा माशातिले ने की। इसके बाद दक्षिण अफ्रीका के कलाकारों ने प्रधानमंत्री के सम्मान में पारंपरिक नृत्य किया। प्रिटोरिया हिंदू सेवा समाज और बीएपीएस स्वामीनारायण संगठन के कार्यकर्ता और भारतीय समुदाय के लोग भी प्रधानमंत्री के स्वागत के लिए हवाई अड्डे पर मौजूद थे। सभी ने वंदे मातरम के नारे लगाकर प्रधानमंत्री का स्वागत किया।
नई दिल्ली । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शनिवार को कहा कि भारत का डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर वैश्विक चुनौतियों का सामना करने के लिए स्केलेबल, सुरक्षित और समावेशी समाधान प्रदान करता है। उन्होंने बेंगलुरु में आयोजित जी 20 डिजिटल अर्थव्यवस्था मंत्रियों की बैठक को भेजे गए वीडियो संदेश में यह बात कही।
उन्होंने विज्ञान, प्रौद्योगिकी और उद्यमिता की भावना के घर बेंगलुरु शहर में अतिथियों का स्वागत किया और कहा कि डिजिटल अर्थव्यवस्था पर चर्चा करने के लिए इससे बेहतर कोई जगह नहीं हो सकती है। प्रधानमंत्री ने पिछले 9 वर्षों में भारत में हुए अभूतपूर्व डिजिटल परिवर्तन के लिए 2015 में डिजिटल इंडिया पहल की शुरुआत को श्रेय दिया। इस परिवर्तन के स्केल, गति और दायरे पर की चर्चा की। प्रधानमंत्री ने भारत के 850 मिलियन इंटरनेट उपयोगकर्ताओं का उल्लेख किया। उन्होंने यह लोग दुनिया में सबसे सस्ती डेटा लागत का आनंद लेते हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने शासन में बदलाव लाने और इसे अधिक कुशल, समावेशी, तेज और पारदर्शी बनाने के लिए प्रौद्योगिकी का लाभ उठाने पर जोर दिया और 1.3 अरब से अधिक लोगों को कवर करने वाला भारत का अद्वितीय डिजिटल पहचान मंच आधार का उदाहरण दिया। उन्होंने जेम त्रिमूर्ति- जन धन बैंक खाते, आधार और मोबाइल का उल्लेख किया, जिसने वित्तीय समावेशन और यूपीआई भुगतान प्रणाली में क्रांति ला दी है, जहां हर महीने लगभग 10 बिलियन लेनदेन होते हैं और वैश्विक वास्तविक समय भुगतान का 45 प्रतिशत भारत में होता है। प्रधानमंत्री ने सिस्टम में लीकेज को रोकने और 33 बिलियन डॉलर से अधिक की बचत करने वाले प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण पर भी प्रकाश डाला।
प्रधानमंत्री ने एआई-संचालित भाषा अनुवाद मंच, भाषिनी के विकास का भी उल्लेख किया जो भारत की सभी विविध भाषाओं में डिजिटल समावेशन का समर्थन करेगा। उन्होंने कहा कि भारत का डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचा वैश्विक चुनौतियों के लिए स्केलेबल, सुरक्षित और समावेशी समाधान प्रदान करता है। प्रधानमंत्री ने कहा, “प्राचीन परंपराओं से लेकर नवीनतम तकनीकों तक, भारत के पास हर किसी के लिए कुछ न कुछ है।”
उन्होंने कहा कि ऐसी विविधता के साथ, भारत समाधान के लिए एक आदर्श परीक्षण प्रयोगशाला है। उन्होंने रेखांकित किया कि जो समाधान भारत में सफल होता है उसे दुनिया में कहीं भी आसानी से लागू किया जा सकता है। प्रधानमंत्री ने स्पष्ट किया कि भारत अपने अनुभवों को दुनिया के साथ साझा करने के लिए तैयार है और उन्होंने कोविड महामारी के दौरान वैश्विक भलाई के लिए पेश किए जा रहे कोविन प्लेटफॉर्म का उदाहरण दिया। उन्होंने रेखांकित किया कि भारत ने एक ऑनलाइन ग्लोबल पब्लिक डिजिटल गुड्स रिपॉजिटरी – इंडिया स्टैक बनाया है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कोई भी खासकर ग्लोबल साउथ के लोग पीछे न छूटें।
प्रधानमंत्री ने इस बात पर संतोष व्यक्त किया कि कार्य समूह एक जी20 वर्चुअल ग्लोबल डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर रिपॉजिटरी बना रहा है और रेखांकित किया कि डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए कॉमन फ्रेमवर्क पर प्रगति से सभी के लिए एक पारदर्शी, जवाबदेह और निष्पक्ष डिजिटल पारिस्थितिकी तंत्र बनाने में मदद मिलेगी। उन्होंने डिजिटल कौशल की क्रॉस कंट्री तुलना की सुविधा के लिए एक रोडमैप विकसित करने और डिजिटल कौशल पर एक वर्चुअल उत्कृष्टता केंद्र स्थापित करने के प्रयासों का भी स्वागत किया। यह देखते हुए कि वैश्विक स्तर पर फैलने के कारण डिजिटल अर्थव्यवस्था को सुरक्षा खतरों और चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा, प्रधानमंत्री ने बताया कि सुरक्षित, विश्वसनीय और लचीली डिजिटल अर्थव्यवस्था के लिए जी20 उच्चस्तरीय सिद्धांतों पर आम सहमति बनाना महत्वपूर्ण है।
प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि जी न20 देशों के पास समावेशी, समृद्ध और सुरक्षित वैश्विक डिजिटल भविष्य की नींव रखने का एक अनूठा अवसर है। उन्होंने कहा कि डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे के माध्यम से वित्तीय समावेशन और उत्पादकता को आगे बढ़ाया जा सकता है। उन्होंने किसानों और छोटे व्यवसायों द्वारा डिजिटल प्रौद्योगिकी के उपयोग को बढ़ावा देने, वैश्विक डिजिटल स्वास्थ्य पारिस्थितिकी तंत्र के निर्माण के लिए रूपरेखा स्थापित करने और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के सुरक्षित और जिम्मेदार उपयोग के लिए एक रूपरेखा विकसित करने का सुझाव दिया। मोदी ने इस बात पर जोर दिया कि मानवता के सामने आने वाली चुनौतियों से निपटने के लिए प्रौद्योगिकी-आधारित समाधानों का एक संपूर्ण पारिस्थितिकी तंत्र बनाया जा सकता है। प्रधानमंत्री ने कहा कि हमें केवल चार सी की आवश्यकता है – दृढ़ विश्वास, प्रतिबद्धता, समन्वय और सहयोग।
वर्ष 2047 तक विकसित राष्ट्र बनाने के लिए भ्रष्टाचार, परिवारवाद और तुष्टिकरण को मिटाना होगा: प्रधानमंत्री
नई दिल्ली । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को 77वें स्वतंत्रता दिवस समारोह में राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में देश के बढ़ते कद और अपनी सरकार की उपलब्धियां की जानकारी देते हुए 2047 तक देश को विकसित राष्ट्र बनाने के संकल्प को दोहराया। उन्होंने कहा कि इस संकल्प को पूरा करने के लिए देश को भ्रष्टाचार, परिवारवाद और तुष्टिकरण की तीन बुराइयों को छोड़ना होगा।
लालकिले की प्राचीन से देश के नाम अपने 10वें संबोधन में प्रधानमंत्री ने रिफॉर्म, परफॉर्म और ट्रांसफॉर्म की बात करते हुए देशवासियों से विकसित राष्ट्र बनाने के लिए और अधिक परिश्रम करने का आह्वान किया। उन्होंने इसके लिए भारत की एकता को मजबूत करने, श्रेष्ठ भारत की कल्पना को साकार करने, महिला नेतृत्व में विकास को आगे बढ़ाने और क्षेत्रीय आकांक्षाओं को पूरा करने की बात कही।
भ्रष्टाचार, परिवारवाद और तुष्टिकरण से लड़ना होगा
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि 2047 तक देश का तिरंगा विकसित भारत का प्रतिनिधित्व करेगा। इसके लिए शुचिता, पारदर्शिता और निष्पक्षता की जरूरत है। हमें उन बुराइयों से आंख मिचौली बंद करना होगा जिनसे देश सालों से जूझता आ रहा है। यह बुराइयां हैं- भ्रष्टाचार, परिवारवाद और तुष्टिकरण। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहिम में 10 करोड़ लोगों पर कार्रवाई की गई है। यह 10 करोड़ लोग कभी जन्मे ही नहीं। उन्होंने विभिन्न योजनाओं का लाभ उठाया। पिछले सालों में इस कार्रवाई के तहत 20 गुना ज्यादा जब्ती की गई है। उन्होंने कहा कि परिवारवाद के तहत राजनीतिक दलों में विकृतियां आई हैं। परिवार वादी पार्टियां केवल अपने लिए काम कर रही हैं। यह परिवारवाद प्रतिभा का दुश्मन है और योग्यता को नकारता है। वहीं, तुष्टिकरण से सामाजिक न्याय सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है। इससे देश का राष्ट्रीय चरित्र प्रभावित हुआ है।
ग्रामीण महिलाओं को ड्रोन की ट्रेनिंग देंगे
प्रधानमंत्री ने नारी शक्ति का उल्लेख करते हुए आने वाले समय में गावों में दो करोड़ लखपति ‘दीदी’ के संकल्प को दोहराया। इस क्रम में उन्होंने घोषणा की कि कृषि क्षेत्र में ड्रोन के उपयोग को बढ़ावा दिया जाएगा। इसके लिए महिला स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से ग्रामीण महिलाओं को ड्रोन चलाने उसे रिपेयर करने की ट्रेनिंग दी जाएगी। इसके लिए सरकार 15 हजार स्वयं सहायता समूहों से शुरुआत करने जा रही है।
कामगारों के लिए विश्वकर्मा योजना की घोषणा
प्रधानमंत्री मोदी ने विश्वकर्मा योजना की घोषणा की। उन्होंने बताया कि विश्वकर्मा दिवस पर देश के कामगारों के लिए सरकार योजना लाने जा रही है। उन्होंने बताया कि परंपरागत कलाओं के लिए अगले महीनों में 13 से 15 हजार करोड़ रुपये इस योजना के लिए खर्च किए जायेंगे।
स्थिर सरकार के कारण रिफॉर्म संभव हुए
प्रधानमंत्री ने कहा कि देशवासियों ने देश में एक स्थिर सरकार चुनी है। देशवासियों की ओर से चुनी गई स्थिर सरकार के कारण ही वे रिफॉर्म (बदलाव) की ताकत विकसित कर पाए। इसी के चलते नौकरशाही ने ट्रांसफॉर्म के लिए परफॉर्म किया। इस दौरान प्रधानमंत्री ने अपनी सरकार की 9 साल की उपलब्धियों को गिनाया। उन्होंने कहा कि जब हम 2014 में सत्ता में आये तो हम वैश्विक आर्थिक व्यवस्था में 10वें स्थान पर थे। आज 140 करोड़ भारतीयों के प्रयास से हम पांचवें स्थान पर पहुंच गये हैं, ये ऐसे ही नहीं हुआ। भ्रष्टाचार के जिस राक्षस ने देश को अपनी गिरफ्त में ले रखा था – हमने लीकेज रोकी और एक मजबूत अर्थव्यवस्था बनाई।
देश मणिपुर के साथ खड़ा है
प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में मणिपुर के दर्द को आगे रखते हुए कहा कि देश उनके साथ खड़ा है। उन्होंने शांति की अपील करते हुए कहा कि केंद्र और राज्य सरकार मिलकर हरसंभव प्रयास कर रहे हैं। साथ ही प्रधानमंत्री ने प्रकृति आपदाओं के कारण अपने जनों को खोने वाले लोगों के साथ संवेदना व्यक्त की।
महंगाई कम करने की दिशा में काम
वैश्विक परिदृश्य पर प्रधानमंत्री ने विशेष ध्यान दिलाते हुए कहा कि नई व्यवस्था को भारत के 140 करोड़ लोगों में आकार देने की क्षमता है। उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी और युद्ध के चलते दुनिया भर में महंगाई बढ़ रही है। बड़ी-बड़ी अर्थव्यवस्थायें महंगाई की मार झेल रही हैं। ऐसे में देश ने महंगाई को नियंत्रण में रखा है। सरकार इसे कम करने की दिशा में हर प्रयास कर रही है। शहरी क्षेत्र में रहने वाले किराए पर रहने वाले लोगों को सरकार घर खरीदने के लिए दिए जाने वाले ऋण में सहयोग करेगी।
आने वाले 5 साल में तीसरे स्थान पर होगा भारत
अपनी सरकार की उपलब्धियां गिनाते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि 2014 में जगह देश की सत्ता में आए थे। उस समय देश वैश्विक अर्थव्यवस्था में दसवें स्थान पर था। अब यह देश के 140 करोड़ लोगों के प्रयास से पांचवें स्थान पर पहुंच गया है और आने वाले समय में 5 सालों में यह तीसरे स्थान पर पहुंच जाएगा। अपनी सरकार की दृढ़ निश्चय क्षमता का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि 25 सालों तक नई संसद बनाने का केवल उल्लेख किया जाता था लेकिन हमने समय से पहले संसद को बनाकर तैयार कर दिया।
हमारे पास जनसांख्यिकी, लोकतंत्र और विविधता
प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में देशवासियों को परिवारजन कहकर संबोधित किया। उन्होंने कहा कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है और अब यह जनसंख्या के मामले में भी दुनिया का नेतृत्व कर रहा है। देश की क्षमताओं का बखान करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारे पास जनसांख्यिकी, लोकतंत्र और विविधता है। इन तीनों में मिलकर देश के सपने साकार करने की क्षमता है। उन्होंने कहा कि देश में अवसरों और संभावनाओं की कोई कमी नहीं है।
प्रधानमंत्री ने कविता की पंक्तियों के साथ भाषण का समापन किया- “चलता चलाता कालचक्र, अमृत काल का भाल चक्र, सबके सपने, अपने सपने, बनते सपने सारे, धीरे चले, वीर चले, चले युवा हमारे, नीति सही, प्रीति नई, गलती सही, राह नई, चुने चुनौती, सीना ताने, जग में बदलो देश का नाम।”
प्रधानमंत्री ने इस बात पर हर्ष व्यक्त किया कि स्वतंत्रता दिवस समारोह में शामिल होने के लिए सीमावर्ती गांवों से वहां के सरपंच आए हैं। उन्होंने कहा कि अभी तक इन्हें देश की अंतिम गांव समझा जाता था लेकिन उनकी सरकार ने इन्हें देश के पहले गांव के रूप में पहचान दी है।
प्रधानमंत्री ने ध्वजारोहण कर स्वतंत्रता दिवस समारोह की शुरुआत की। इससे पहले उन्होंने राजघाट जाकर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को श्रद्धा सुमन अर्पित किए।
नई दिल्ली। लोकसभा में विपक्ष की ओर से लाए गए अविश्वास प्रस्ताव पर लगातार तीन दिन चर्चा के बाद गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जवाब दिया। 2 घंटे 12 मिनट के भाषण में पीएम मोदी ने विपक्ष पर कई कड़े प्रहार किए। पीएम के भाषण के बीच विपक्ष ने सदन से वॉकआउट कर दिया था। और अविश्वास प्रस्ताव ध्वनिमत से गिर गया।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुरुवार को सदन में अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा का उत्तर देते हुए विपक्ष पर कई मुद्दों पर हमला बोला। उन्होंने विपक्ष के बिना तैयारी अविश्वास प्रस्ताव लाने का माखौल उड़ाया और कहा कि 2028 में उन्हें फिर एक बार फिर अविश्वास प्रस्ताव लाने का अवसर मिलेगा जब भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होगा। उन्होंने कहा कि फील्डिंग भले ही विपक्ष ने लगाई हो लेकिन चौके छक्के सत्ता पक्ष लगा रहा है।
“इनमें सुनने का धैर्य नहीं” : लोकसभा से विपक्ष के वॉकआउट पर पीएम मोदी
उन्होंने विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ पर भी चुटकी ली। पीएम ने कहा- ‘यूपीए को लगता है कि देश के नाम का इस्तेमाल कर विश्वसनीयता बढ़ाई जा सकती है। ये इंडिया गठबंधन नहीं है। ये घमंडिया गठबंधन है। इसकी बारात में हर कोई दूल्हा बनना चाहता है। सबको प्रधानमंत्री बनना है।
पीएम मोदी के संबोधन के बाद लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग हुई. अविश्वास प्रस्ताव ध्वनिमत से गिर गया। इसके बाद संसद को 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया। राज्यसभा की कार्यवाही भी शुक्रवार सुबह 11 बजे तक स्थगित हो गई है। शुक्रवार को लोकसभा में मणिपुर पर चर्चा होगी। इसके बाद संसद के दोनों सदन को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया जाएगा. क्योंकि संसद के मॉनसून सत्र का शुक्रवार 11 अगस्त को आखिरी दिन है।
मोदी सरकार की जीत
अविश्वास प्रस्ताव पर लोकसभा में बहुमत साबित करने के लिए ऑटोमैटिक मशीन या पेपर वोटिंग की जरूरत नहीं पड़ी। ध्वनिमत से ही अविश्वास प्रस्ताव गिर गया। सदन में मोदी सरकार की जीत हुई। साबित हो गया कि मोदी सरकार को संसद में बहुमत हासिल है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आरोप लगाया कि विपक्ष में अविश्वास और घमंड रचा बसा हुआ है और वह उस सच्चाई को नकार रहे हैं, जिसे आज दुनिया देख रही है। उन्होंने विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव को ईश्वरी इच्छा बताते हुए शुभ संकेत माना और कहा कि इससे एनडीए एक बार फिर बड़ी जीत हासिल कर 2024 में दोबारा सरकार बनाएगा। पिछली बार विपक्ष 2018 में अविश्वास प्रस्ताव लाया था। उसे विपक्ष को तैयारी के लिए 5 साल दिए गए थे। लेकिन अफसोस है कि विपक्ष 9 वर्षों में योग्य विपक्ष की भी भूमिका नहीं निभा पाया है।
प्रधानमंत्री के भाषण के दौरान विपक्ष ने मणिपुर के विषय पर बात रखने की मांग करते हुए शोर-शराबा किया और भाषण समाप्ति के पहले ही सदन छोड़कर बाहर गया।
रेवड़ी राजनीति पर करारा प्रहार करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि अनाप-शनाप वादों से जनता पर बोझ डाल विकास की परियोजनाएं बंद की जा रही हैं। उन्होंने कहा कि उनकी आर्थिक नीतियां भारत को दिवालिया बनाने की गारंटी है। प्रधानमंत्री ने कहा कि इस तरह विपक्ष अर्थव्यवस्था को डुबोने, 2 डिजिट की महंगाई, पॉलिसी पैरालाइसिस, भ्रष्टाचार, तुष्टीकरण परिवारवाद, बेरोजगारी, आतंकवाद, हिंसा और देश को दो शताब्दी पीछे ले जाने की गारंटी दे रहा है।
उन्होंने कहा कि आज का भारत ना दबाव में आता है और ना दबाव डालता है। 2047 तक भारत एक विकसित राष्ट्र होगा। हमें इस कालखंड का उपयोग राजनीति के लिए नहीं करना चाहिए। हमें दर्द को समझ कर दर्द की दवा बनने का काम करना चाहिए। प्रधानमंत्री ने कहा कि पूर्वोत्तर हमारे दिल का टुकड़ा है। उससे राजनीति जितनी दूर रहेगी वहां उतनी शांति आएगी। आसियान और अन्य पूर्वी देशों के विकास से आने वाले समय में एक दिन पूर्वोत्तर क्षेत्र का एक केंद्रीय बिंदु बनेगा।
प्रधानमंत्री ने कहा कि विपक्ष को गरीब नहीं बल्कि सत्ता की भूख है और उन्हें युवाओं के नहीं बल्कि अपने भविष्य की चिंता है। सदन में कई महत्वपूर्ण विधेयक लाए गए विपक्ष ने उन पर चर्चा नहीं की लेकिन एक कट्टर भ्रष्ट साथी (केजरीवाल) की शर्त के आगे मजबूर होकर एकजुट होकर सदन को चलाया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार ने देश की साख सुधारने का काम किया है। विश्व का आज भारत पर विश्वास बढ़ता जा रहा है। अति गरीबी देश से खत्म हो रही है। विश्व संस्थाएं कह रही है कि जल जीवन मिशन से 4 लाख और स्वच्छ भारत मिशन से 3 लाख लोगों की जान बची है लेकिन विपक्ष को यह दिखाई नहीं देता।
उन्होंने कहा कि विपक्ष को एक वरदान मिला हुआ है कि जिसका वह बुरा चाहते हैं उसका भला हो जाता है। बैंकिंग पर उन्होंने नकारात्मक बातें कहीं आज सार्वजनिक बैंकों का प्रॉफिट दोगुना हो गया है। सार्वजनिक क्षेत्र की रक्षा उत्पादन कंपनी एचएएल के कर्मचारियों को भड़काने की कोशिश की लेकिन आज उसका रेवेन्यू कई गुना ज्यादा हो गया है। यही हाल एलआईसी का भी है।
कांग्रेस पार्टी पर निशाना साधते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि उसका चुनाव चिन्ह और नाम दोनों अन्य से लिये हुए है। इसके साथ उसके नेतृत्व में बना रहे विपक्षी गठबंधन पर हमला करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि लेबल बदल सकते हैं लेकिन पुराने पापों को जनता से नहीं छुपा सकते।
राहुल गांधी के लंका हनुमान ने नहीं जलाई वाले बयान को सही ठहराते हुए उन्होंने कहा कि जनता राम है और उन्होंने कांग्रेस को 400 से 40 पर ला दिया है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस परिवार आधुनिक राजाओं की तरह है और उन्हें देश के गरीब का बेटा सत्ता में बैठे देख परेशानी होती है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस वाले नामदार और हम कामदार लोग हैं। उन्होंने कहा कि एक व्यक्ति (राहुल गांधी) की बार-बार लांचिंग फेल हो जाती है इसलिए वह जनता से नफरत करते हैं। वह जिन्होंने कभी गमले में मूली नहीं उगाई वे खेतों को देखकर हैरान होते हैं। जो गरीबी को गाड़ी के शीशा नीचे करके देखते हैं उन्हें पता होना चाहिए कि भारत पर 50 साल उन्होंने राज किया है।
प्रधानमंत्री ने राहुल गांधी के मां भारती वाले बयान पर दुख व्यक्त करते हुए कहा कि इससे हर भारतीय की भावना को ठेस पहुंची है। भारत मां की मृत्यु की कामना कोई कैसे कर सकता। उनके शासन काल में देश को तीन हिस्सों में बांट दिया गया। वंदे भारत गीत जिसने देश को जोड़ा उसके टुकड़े कर दिए गए। 5 मार्च 1966 में मिजोरम में आम नागरिकों पर बम गिराए गए। अकाल तख्त पर हमला किया गया। उन्होंने पूछा कि किसकी सरकार में कच्चतीवु द्वीप को श्रीलंका को सौंप दिया गया। उनके सहयोगी द्रमुक आज भी उसे वापस लेने की मांग करते हैं।
मणिपुर के मुद्दे पर चर्चा करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि अगर विपक्ष चाहता तो इस पर विस्तार से चर्चा हो सकती थी। लेकिन विपक्ष का इस पर चर्चा करने का साहस और इरादा दोनों नहीं थे। हाईकोर्ट का फैसला आया। इस पर पक्ष-विपक्ष के कारण परिस्थितियां वहां पैदा हुई हैं। हिंसा का एक दौर चला। बहुत से परिवारों को मुश्किलें झेलना पड़ रही हैं लेकिन उन्हें आशा है कि निकट भविष्य में शांति का सूरज उगेगा वह देश के साथ मणिपुर में शांति की अपील करते हैं। हम सब मिलकर समाधान निकालेंगे और मणिपुर विकास की राह में फिर आगे बढ़ेगा और सरकार की ओर से इसमें कोई कोर कसर नहीं छोड़ी जाएगी।
पेरिस । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की फ्रांस यात्रा के कुछ दिनों बाद राष्ट्रपति मैक्रॉन ने बड़ा तोहफा देते हुए पूर्व भारतीय छात्रों को पांच साल का शेंगेन वीजा देने की घोषणा की है। फ्रांस ने मंगलवार को कहा कि नई शिक्षा नीति के तहत पूर्व भारतीय छात्रों को पांच साल का शेंगेन वीजा देने की घोषणा की है।
इसके तहत फ्रांस में वर्ष 2030 तक भारत से 30 हजार विद्यार्थियों का स्वागत होगा। इसका उद्देश्य दोनों देशों के बीच अकादमिक उत्कृष्टता एवं सांस्कृतिक संबंध को प्रोत्साहित करना तथा स्थायी दोस्ती बढ़ाना है।
पिछले माह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की पेरिस यात्रा के दौरान फ्रांस ने भारतीय विद्यार्थियों एवं पूर्व विद्यार्थियों का स्वागत करने के लिए नई पहलों की घोषणा की थी। फ्रांसीसी दूतावास ने इस संबंध में बताया कि फ्रांस मानता है कि जब एक भारतीय छात्र फ्रांस में केवल एक सेमेस्टर भी पूरा करता है तो उससे एक ऐसा सेतु बनता है जिसे कायम रखने और उस पर खुशी मनाने की जरूरत है।
दूतावास ने कहा कि जिन छात्रों के पास भारतीय छात्रों को पोस्ट ग्रेजुएट या उससे अधिक की डिग्री है तथा जिन्होंने फ्रांस में कम से कम एक सेमेस्टर गुजारा है, वे पांच साल के शेंगेन वीजा के पात्र हैं। उसने कहा कि यह पूर्व भारतीय विद्यार्थियों के लिए फ्रांस और अपने फ्रांसीसी समकक्षों के साथ प्रगाढ़ संबंध बनाये रख पाने के लिए विशेष व्यवस्था है।
भारत को अनुसंधान और नवाचार का केंद्र बनाना राष्ट्रीय शिक्षा नीति का लक्ष्य : प्रधानमंत्री मोदी
नई दिल्ली । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के तीन साल पूरे होने के उपलक्ष्य में शनिवार को ‘भारत मंडपम’ में अखिल भारतीय शिक्षा समागम का उद्घाटन किया। इस मौके पर प्रधानमंत्री ने कहा कि एनईपी का लक्ष्य भारत को अनुसंधान और नवाचार का केंद्र बनाना है।
प्रधानमंत्री ने कार्यक्रम के दौरान रिमोट का बटन दबाकर ‘पीएम श्री’ योजना के तहत राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों, केन्द्रीय विद्यालय संगठन और नवोदय समिति के चयनित 6207 स्कूलों को प्रथम चरण की प्रथम किश्त के रूप में 630 करोड़ रुपये से अधिक की केन्द्रीय राशि हस्तांतरित की। इसके अलावा प्रधानमंत्री ने 12 भारतीय भाषाओं में अनुवादित शिक्षा और कौशल पाठ्यक्रम की पुस्तकों का भी विमोचन किया।
समागम को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि एनईपी का लक्ष्य भारत को अनुसंधान और नवाचार का केंद्र बनाना है। उन्होंने कहा कि यह शिक्षा ही है जो देश की किस्मत बदलने की ताकत रखती है। आज 21वीं सदी का भारत जिन लक्ष्यों को लेकर आगे बढ़ रहा है, उनमें हमारी शिक्षा व्यवस्था का भी बहुत ज्यादा महत्व है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति ने पारंपरिक ज्ञान प्रणालियों और भविष्य की प्रौद्योगिकी को समान महत्व दिया है। उन्होंने कहा कि हमारी शिक्षा प्रणाली आधुनिक विज्ञान और प्रौद्योगिकी में देश की प्रगति का नेतृत्व करते हुए भारत की परंपराओं को संरक्षित कर रही है।
शिक्षा के लिए विमर्श और संवाद को जरूरी बताते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि मुझे खुशी है कि अखिल भारतीय शिक्षा समागम के इस सत्र के जरिए हम विमर्श और विचार की अपनी परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं। उन्होंने कहा कि इससे पहले ऐसा आयोजन काशी के नवनिर्मित रुद्राक्ष सभागृह में हुआ था। इस बार ये समागम दिल्ली के इस नवनिर्मित भारत मंडपम में हो रहा है और खुशी की बात यह है कि विधिवत रूप से भारत मंडपम के लोकार्पण के बाद ये पहला कार्यक्रम है। खुशी इसलिए और भी बढ़ जाती है कि पहला ही कार्यक्रम शिक्षा से जुड़ा है।
इस मौके पर केंद्रीय शिक्षा और कौशल विकास मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने अपने उद्घाटन भाषण में कहा कि प्रधानमंत्री मोदी का विजन 2014 से देश में शिक्षा नीति को लेकर मार्गदर्शन और प्रेरणा दे रहा है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के नेतृत्व में एनईपी 21वीं सदी के भारत का महत्वपूर्ण तत्व है।
उल्लेखनीय है कि 30 जुलाई तक चलने वाले इस दो दिवसीय कार्यक्रम में 16 सत्र आयोजित होंगे। इसमें शिक्षाविद, क्षेत्र विशेषज्ञ, नीति निर्माता, उद्योग प्रतिनिधि गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और शासन तक पहुंच, न्यायसंगत और समावेशी शिक्षा, सामाजिक-आर्थिक रूप से वंचित समूह के मुद्दे, राष्ट्रीय संस्थान रैंकिंग फ्रेमवर्क, भारतीय ज्ञान प्रणाली, शिक्षा का अंतरराष्ट्रीयकरण सहित अन्य विषयों पर चर्चा करेंगे।
वाशिंगटन । भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 21 से 23 जून तक अमेरिका प्रवास पर रहेंगे। इस दौरान वे ट्विटर के मालिक एलन मस्क सहित विभिन्न क्षेत्रों के 24 दिग्गजों से भी मुलाकात करेंगे। इनमें नोबेल पुरस्कार विजेता, अर्थशास्त्री, कलाकार, वैज्ञानिक, विद्वान, उद्यमी, शिक्षाविद, स्वास्थ्य क्षेत्र के विशेषज्ञ शामिल हैं।
भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अपनी तीन दिवसीय अमेरिका यात्रा के लिए दिल्ली से न्यूयॉर्क के लिए रवाना हो चुके हैं। अपनी अमेरिका यात्रा के दौरान मोदी जिन खास 24 लोगों से मुलाकात करेंगे उनमें टेस्ला के सह-संस्थापक और ट्विटर के नए मालिक एलन मस्क, एस्ट्रोफिजिसिस्ट नील डेग्रसे टायसन, ग्रैमी पुरस्कार विजेता भारतीय-अमेरिकी गायक फालू (फाल्गुनी शाह) भी शामिल हैं। इनके अलावा वे पॉल रोमर, निकोलस नसीम तालेब, रे डालियो, जेफ स्मिथ, माइकल फ्रोमैन डैनियल रसेल, एलब्रिज कोल्बी और डॉ, पीटर आग्रे, डॉ. स्टीफन क्लास्को और चंद्रिका टंडन से भी मुलाकात करेंगे। वे अप्रवासी भारतीयों से भी मुलाकात करेंगे।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अमेरिका यात्रा की शुरुआत 21 जून को न्यूयॉर्क स्थित संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस समारोह की अगुवाई से होगी। इसके बाद वे वाशिंगटन डीसी जाएंगे, जहां अमेरिकी राष्ट्रपति के आवास व्हाइट हाउस में उनका पारंपरिक स्वागत किया जाएगा। इसके बाद मोदी अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन से मुलाकात करेंगे। अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडन और उनकी पत्नी जिल बाइडन 22 जून की शाम प्रधानमंत्री मोदी के सम्मान में राजकीय रात्रिभोज की मेजबानी करेंगे। 22 जून को ही मोदी अमेरिकी कांग्रेस के संयुक्त सत्र को संबोधित करेंगे। 23 जून को अमेरिका की उपराष्ट्रपति कमला हैरिस और विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन भारतीय प्रधानमंत्री के दोपहर के भोजन की मेजबानी करेंगे।
नई संसद का उद्घाटन राष्ट्रपति से करवाने की मांग वाली याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने सुनने से इंकार किया
नयी दिल्ली। देश के नए संसद भवन का लोकार्पण राष्ट्रपति से करने की मांग वाली याचिका सुप्रीम कोर्ट ने बहुत तीखा कमेंट करते हुए खरी कर दी। याचिका दायर करने वाले तमिलनाडु के वकील पर नाराज होते हुए कोर्ट ने कहा की ऐसी गैरजरूरी याचिका दाखिल करने के लिए आप पर क्यों न जुरमाना लगाया जाये।
नए संसद भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति से करवाने की मांग करने वाली याचिका पर आज (26 मई) सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट ने नई संसद के उद्घाटन के खिलाफ दायर की गई याचिका पर सुनवाई से इनकार करते हुए याचिकाकर्ता से कहा, ‘हम आप पर ऐसी याचिका दाखिल करने के लिए जुर्माना क्यों न लगाएं। ‘ ये याचिका सीआर जयासुकिन नाम के वकील ने दाखिल की थी।
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से दलील देते हुए कहा गया, ‘राष्ट्रपति का संवैधानिक प्रमुख का पद है. हम दखल नहीं देना चाहते हैं। राष्ट्रपति का संवैधानिक प्रमुख का पद है.’ इस पर सुप्रीम कोर्ट की तरफ से कहा गया कि यह ऐसा मामला नहीं है, जिसमें कोर्ट दखल दे। कार्यकारी प्रमुख (प्रधानमंत्री) संसद का सदस्य होता है. संवैधानिक प्रमुख (राष्ट्रपति) संसद का हिस्सा होते हैं। हम याचिका को डिसमिस करने जा रहे हैं।
इसके बाद वकील ने याचिका वापस लेने की इजाजत मांगी। इस पर सॉलिसिटर जनरल ने कहा, याचिका वापस लेने की इजाजत दी गई तो यह हाईकोर्ट चले जाएंगे। इस पर कोर्ट ने याचिकाकर्ता से पूछा कि क्या आप हाईकोर्ट जाएंगे। वकील की तरफ से कहा गया, नहीं। इस पर जज ने याचिका वापस लेने की इजाजत दे दी।
याचिकाकर्ता का नाम सी आर जयासुकिन है। पेशे से वकील जयासुकिन तमिलनाडु से हैं। वह लगातार जनहित याचिकाएं दाखिल करते रहते हैं। उनकी इस याचिका में कहा गया था कि देश के संवैधानिक प्रमुख होने के नाते राष्ट्रपति ही प्रधानमंत्री की नियुक्ति करते हैं. सभी बड़े फैसले भी राष्ट्रपति के नाम पर लिए जाते हैं. राष्ट्रपति देश की प्रथम नागरिक हैं. संविधान के अनुच्छेद 79 के मुताबिक राष्ट्रपति संसद का भी अनिवार्य हिस्सा हैं। लोकसभा सचिवालय ने उनसे उद्घाटन न करवाने का जो फैसला लिया है, वह गलत है।
याचिका में कहा गया था कि अनुच्छेद 85 के तहत राष्ट्रपति ही संसद का सत्र बुलाते हैं। अनुच्छेद 87 के तहत उनका संसद में अभिभाषण होता है, जिसमें वह दोनों सदनों को संबोधित करते हैं। संसद से पारित सभी विधेयक राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद ही कानून बनते हैं। इसलिए, राष्ट्रपति से ही संसद के नए भवन का उद्घाटन करवाया जाना चाहिए.
नयी दिल्ली। नए संसद भवन के उद्घाटन की तारीख जैसे जैसे करीब आ रही सत्तरूढ़ एनडीए के प्रमुख घातक भारतीय जनता पार्टी और विपक्षी दलों में बयानबाजी तीखी होती जा रही है। विपक्षी दल इस बात से खफा हैं कि नए संसद भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति से कराया जाना चाहिए था , लेकिन ऐसा न करके राष्ट्रपति पद का अपमान किया जा रहा है। इसी को मुद्दा बनाते हुए उन्नीस वपक्षी दलों ने उद्घाटन समारोह का बहिष्कार करने का एलान किया है। दूसरी तरफ सरकार का पक्ष रखते हुए केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने नए संसद भवन को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की दूरदर्शिता का प्रमाण बताते हुए कहा कि प्रधानमंत्री 28 मई को संसद का नवनिर्मित भवन राष्ट्र को समर्पित करेंगे।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने आजादी का अमृत महोत्सव (एकेएएम) के महत्वपूर्ण ऐतिहासिक कार्यक्रम पर बुधवार को नेशनल मीडिया सेंटर में प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह जानकारी दी। नये संसद पर विपक्ष के विरोध को लेकर बोले गृह मंत्री अमित शाह- ‘अपनी-अपनी सोच, हमने सबको बुलाया।’ अमित शाह बोले, कि इस नई संचरना को रिकॉर्ड समय में बनाने के लिए करीब 60,000 श्रमयोगियों ने अपना योगदान दिया है / इस अवसर पर पीएम सभी श्रमयोगियों का सम्मान भी करेंगे.
ऐतिहासिक परंपरा पुनर्जीवित होगी
अमित शाह ने कहा, उद्घाटन समारोह में एक ऐतिहासिक परंपरा पुनर्जीवित होगी जिसके पीछे युगों से जुड़ी परंपरा है। इसे तमिल में सेंगोल कहा जाता है जिसका सीधा मतलब संपदा से संपन्न होता है। अमित शाह बोले, 14 अगस्त 1947 को एक अनोखी घटना हुई थी। इसके करीब 75 साल बाद आज देश के अधिकांश नागरिकों को इसकी जानकारी नहीं है। सेंगोल ने हमारे इतिहास में एक अहम भूमिका निभाई थी। ये सेंगोल सत्ता के हस्तांतरण का प्रतीक बना था. इसकी जानकारी पीएम मोदी को मिली तो गहन जांच करवाई गई। फिर निर्णय लिया गया कि इसे देश के सामने रखना चाहिए। इसके लिए नए संसद भवन के लोकार्पण के दिन को चुना गया.
राजनीति चलती रहती है हमने सबको बुलाया है- अमित शाह
एक सवाल के जवाब में गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, राजनीति को इसके साथ मत जोड़िए। एक बड़ी वनात्मक प्रक्रिया है पुरानी परंपराओं से नए भारत को जोड़ने की. इसको इतने ही सीमित अर्थ में देखना चाहिए। राजनीति अपनी जगह चलती है। सब अपनी सोचने की क्षमताओं के अनुसार रिएक्शन भी देते हैं और काम भी करते हैं। उन्होंने कहा, हमने सबको बुलाया है.
दूसरी तरफ कांग्रेस समेत 19 विपक्षी पार्टियों ने नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह का बहिष्कार करने का ऐलान किया है। इन सभी ने एक साझा बयान जारी किया है। बयान में कहा गया है कि लोकतंत्र की आत्मा को संसद से निष्कासित कर दिया गया है। हमें इस इमारत में कोई मूल्य नहीं दिखता है। इसलिए हमने नए संसद भवन के उद्घाटन का बहिष्कार करने का फैसला किया है। हम निरंकुश प्रधानंमत्री और उनकी सरकार के खिलाफ लड़ाई जारी रखेंगे।
बयान में संसद भवन के उद्घाटन को महत्वपूर्ण अवसर बताते हुए कहा गया है कि सरकार लोकतंत्र को खतरे में डाल रही है। निरंकुश तरीके से नई संसद का निर्माण किया गया। बावजूद इसके, हम इस महत्वपूर्ण अवसर पर अपने मतभेदों को दूर करने को तैयार थे। लेकिन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पूरी तरह से दरकिनार करते हुए जिस तरह से नई संसद बिल्डिंग का उद्घाटन प्रधानमंत्री से कराने का निर्णय लिया गया, वह राष्ट्रपति पद का न केवल अपमान है, बल्कि लोकतंत्र पर सीधा हमला है।
संविधान के अनुच्छेद 19 का हवाला देते हुए बयान में कहा गया है कि राष्ट्रपति न केवल भारत में राज्य का प्रमुख होता है, बल्कि संसद का एक अभिन्न अंग भी होता है। वह संसद को बुलाते हैं, सत्रावसान करते हैं और संबोधित करते हैं। संक्षेप में, राष्ट्रपति के बिना संसद कार्य नहीं कर सकती है। फिर भी प्रधानमंत्री ने उनके बिना नए संसद भवन उद्घाटन करने का फैसला लिया है। यह अशोभनीय कृत्य राष्ट्रपति के उच्च पद का अपमान है और संविधान के पाठ और भावना का उल्लंघन है।
बयान में कहा गया है संसद को लगातार खोखला करने वाले प्रधानमंत्री के लिए अलोकतांत्रिक कृत्य कोई नई बात नहीं है। नया संसद भवन सदी में एक बार आने वाली महामारी के दौरान बड़े खर्च पर बनाया गया है, जिसमें भारत के लोगों या सांसदों से कोई परामर्श नहीं किया गया है, जिनके लिए बनाया जा रहा है।
बहिष्कार करने वाले 19 राजनीतितिक दल हैं – कांग्रेस , द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके), आम आदमी पार्टी, शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे), समाजवादी पार्टी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई), झारखंड मुक्ति मोर्चा , केरल कांग्रेस (मणि) ,विदुथलाई चिरुथिगल कच्ची , राष्ट्रीय लोकदल (आरएलडी) ,तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी), जनता दल (यूनाइटेड) (जेडीयू), राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) , भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) (सीपीआईएम) , राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) , इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग , नेशनल कांफ्रेंस ,
रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी , मारुमलार्थी द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (एमडीएमके)।