नई दिल्ली। राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू ने मंगलवार को राष्ट्रपति भवन में आयोजित एक समारोह में राष्ट्रीय खेल और साहसिक पुरस्कार 2023 प्रदान किए। क्रिकेटर मोहम्मद शमी सहित अन्य खिलाड़ियों को सम्मानित किया गया। राष्ट्रपति ने शमी के अलावा ओजस प्रवीण, शीतल देवी और अन्य को अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया।
भारत में दूसरा सबसे बड़ा खेल सम्मान अर्जुन पुरस्कार अच्छे प्रदर्शन के साथ-साथ नेतृत्व, खेल कौशल और अनुशासन का प्रदर्शन करने के लिए दिया जाता है।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने लॉन बाउल्स में उनकी उपलब्धियों के लिए पिंकी, शूटिंग में ऐश्वर्य प्रताप सिंह तोमर, स्क्वैश में हरिंदर पाल सिंह संधू, टेबल टेनिस में अयहिका मुखर्जी, कुश्ती में सुनील कुमार और अंतिम पंघाल, नाओरेम रोशिबिना देवी को वुशू, शीतल देवी को पैरा तीरंदाजी, इलुरी अजय कुमार रेड्डी को ब्लाइंड क्रिकेट, प्राची यादव को पैरा कैनोइंग में उनकी उपलब्धियों के लिए अर्जुन पुरस्कार, 2023 प्रदान किए।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने विनीत कुमार शर्मा और कविता सेल्वराज को ध्यानचंद पुरस्कार (लाइफटाइम), 2023 प्रदान किए।
राष्ट्रपति ने लैंड एडवेंचर में उनकी उपलब्धियों के लिए सविता कंसवाल (मरणोपरांत) को तेनजिंग नोर्गे राष्ट्रीय साहसिक पुरस्कार, 2022 प्रदान किया। इसके अलावा राष्ट्रपति ने तुलसी चैतन्य मोथुकुरी, मास्टर वारंट ऑफिसर अंशू कुमार तिवारी और परवीन सिंह को तेनजिंग नोर्गे राष्ट्रीय साहसिक पुरस्कार, 2022 प्रदान किए।
मौलाना अबुल कलाम आज़ाद (एमएकेए) ट्रॉफी, 2023 गुरु नानक देव विश्वविद्यालय, अमृतसर को दी गई। ओडिशा माइनिंग कॉर्पोरेशन लिमिटेड (ओएमसी) और जैन (डीम्ड-टू-बी यूनिवर्सिटी) को राष्ट्रीय खेल प्रोत्साहन पुरस्कार, 2023 दिए गए।
PRESIDENT MURMU
इला भटनागर
नयी दिल्ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने बुधवार को नुआखाई त्योहार पर नागरिकों को बधाई दी और देश और इसके लोगों की समृद्धि की कामना की।
नुआखाई एक कृषि त्योहार है जो पश्चिमी ओडिशा में काफी धूमधामसे मनाया जाता है।ओडिशा त्योहारों की भूमि है जहां 12 महीनों में 13 त्योहार मनाए जाते हैं, जिनमें से नुआखाई एक संबलपुरी त्योहार है जो पश्चिमी ओडिशा में लोकप्रिय है। यह क्षेत्र आदिवासी लोगों की घनी आबादी वाला है, जिनका मुख्य व्यवसाय कृषि है और यही कारण है कि वे नुआखाई मनाते हैं। इस दिनपश्चिमी ओडिशा की देवी मां समलेश्वरी को सुबह नई फसल या ‘नबन्ना’ चढ़ाया जाता है।देवी को भोग लगाने के बाद भक्तों में प्रसाद वितरित किया जाता है। आइए जानते हैं नुआखाई पर्व से जुड़ी कुछ खास बातें।
नुआखाई से जुड़ी खास बातें
-नुआ का मतलब नया और खाई का मतलब खाना। इसलिए नुआखाई का मतलब हुआ नया खाना।-नुआखाई में नई फसल की पूजा की जाती है।
-यह त्योहार गणेश चतुर्थी के एक दिन बाद किसानों द्वारा मनाया जाता है।
-फसल का पहला चावल अपने परिवार के साथ खाकरलोग इस त्योहार को मनाते हैं।
-लोग इस दिन नए कपड़े पहनकर पूजा करते हैं और विशेष भोजन बनाते हैं और परिवार के बढ़े बूढ़ों से आर्शीवाद लेते हैं।
-इस अनुष्ठान को नुआखाई जुहार के नाम से जाना जाता है।
-इस दिन मतभेदों को पीछे छोड़कर लोग नए सिरे से नए रिश्ते की शुरुआत करते हैं।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि:
-इस त्योहार की उत्पत्ति वैदिक काल से हुई है।
-कहा जाता है कि 12वीं शताब्दी ईस्वी से लोग इस त्योहार को हर्ष और उल्लास के साथ मनाते हैं।
-यह त्योहार चौवन राजा रामाई देव द्वारा पाटनागढ़ में मनाया जाता है, जो अब ओडिशा में बोलांगीर जिला है।
महत्व:
नुआखाई उत्सव वर्तमान पीढ़ी को कृषि की प्रासंगिकता और देश के विकास में किसानों की भूमिका के बारे में सीख देता है।यह त्योहार लोक गीतों, नृत्य, स्थानीय संस्कृति और परंपरा को व्यक्त करता है।
इस तरह से मनाया जाता है नुआखाई उत्सव:
इस दिन की तैयारी 15 दिन पहले से शुरू हो जाती है। गांवों में, बुजुर्ग व्यक्ति पवित्र स्थानों पर मिलते हैं और त्योहार शुरू करने के लिए तुरही बजाते हैं। नुआखाई के दिन, परिवार का मुखिया फसल और धरती माता को दूध और फूल चढ़ाने के बाद खेत से धान इकट्ठा करता है। फिर इसे परिवार या गांव के पूज्य देवता को अर्पित किया जाता है।
इस त्योहार में अनुष्ठानों के 9 सेट हैं जो बेहराना से नुआखाई तक शुरू होते हैं और सभी जुहार भेट में समाप्त होते हैं।
ये हैं नुआखाई के नौ रंगों की रस्में
बेहेरेन -तारीख तय करने के लिए यह बैठक की घोषणा है।
लग्न देखा – नए चावल खाने की सही तारीख तय करना है।
डाका हाका – डाका का अर्थ है बुलाना या आमंत्रित करना और यही निमंत्रण है। यह एक निमंत्रण है।
सफा सुतुरा और लिपा-पुछा -यह स्वच्छता के बारे में है।
घिना बिका -यह चावल की फसल की खरीद और बिक्री है।
नुआ धन खुजा -यह एक नई फसल ढूंढना है।
बाली पका – यह देवता को प्रसाद चढ़ाने के लिए है।
नुआखाई – यह अनुष्ठान लोकप्रिय है और इसमें नई फसल को देवता को चढ़ाने के बाद खाया जाता है, इसके बाद नृत्य और गायन किया जाता है।
जुहार भेट – इसमें बुजुर्ग लोगों से आशीर्वाद लेना और उनके साथ उपहार बांटना शामिल है।
नई दिल्ली । राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने गुरुवार को सभी देशवासियों, विशेष रूप से मुस्लिम भाइयों-बहनों को ईद-उज-जुहा की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं दी हैं।
अपने बधाई संदेश में राष्ट्रपति ने कहा कि ईद-उज-जुहा प्रेम, त्याग और बलिदान का पवित्र त्योहार है। यह त्योहार हमें त्याग के मार्ग पर चलने और नि:स्वार्थ भाव से मानवता की सेवा करने के लिए प्रेरित करता है। आइए, इस अवसर पर हम सब समाज में आपसी भाईचारे और परस्पर सौहार्द बढ़ाने का संकल्प लें।
आइजोल । राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू गुरुवार को दो दिवसीय दौरे पर मिजोरम की राजधानी आइजोल पहुंचीं। आज दोपहर 2.20 बजे नगालैंड का अपना दौरा पूरा करने के बाद कोहिमा से भारतीय वायु सेना के विमान से राष्ट्रपति आइजोल हवाई अड्डे पर पहुंची, जहां पर राज्यपाल हरि बाबू कंभमपति एवं मुख्यमंत्री जोरामथांगा ने उनका गर्मजोशी से स्वागत किया। इसके अलावा राज्य सरकार के कई मंत्री, विधायक और पुलिस प्रशासन के शीर्ष अधिकारी राष्ट्रपति के स्वागत के लिए हवाईअड्डे पर मौजूद थे। एयरपोर्ट पर उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू मिजोरम विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल होंगी। वहीं 4 नवंबर को मिजोरम विधानसभा के विशेष सत्र को संबोधित करेंगी। इसके अलावा आधिकारिक सूत्रों के अनुसार कुछ विकास परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास करने की भी योजना है।
राष्ट्रपति के रूप में द्रौपदी मुर्मू की पूर्वोत्तर क्षेत्र के पहाड़ी राज्यों में से एक मिजोरम की यह पहली यात्रा है। वे शुक्रवार को दो दिवसीय दौरे पर सिक्किम की राजधानी गंगटोक के लिए रवाना होंगी। राष्ट्रपति दो नवंबर को पूर्वोत्तर के पांच दिवसीय दौरे पर नगालैंड की राजधानी कोहिमा पहुंची थीं। इससे पहले 13 अक्टूबर को अगरतला-खोंगसांग जनशताब्दी एक्सप्रेस और अगरतला-कोलकाता एक्सप्रेस को त्रिपुरा के अगरतला रेलवे स्टेशन से हरी झंडी दिखाकर उन्होंने रवाना किया था।