इला भटनागर
नयी दिल्ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने बुधवार को नुआखाई त्योहार पर नागरिकों को बधाई दी और देश और इसके लोगों की समृद्धि की कामना की।
नुआखाई एक कृषि त्योहार है जो पश्चिमी ओडिशा में काफी धूमधामसे मनाया जाता है।ओडिशा त्योहारों की भूमि है जहां 12 महीनों में 13 त्योहार मनाए जाते हैं, जिनमें से नुआखाई एक संबलपुरी त्योहार है जो पश्चिमी ओडिशा में लोकप्रिय है। यह क्षेत्र आदिवासी लोगों की घनी आबादी वाला है, जिनका मुख्य व्यवसाय कृषि है और यही कारण है कि वे नुआखाई मनाते हैं। इस दिनपश्चिमी ओडिशा की देवी मां समलेश्वरी को सुबह नई फसल या ‘नबन्ना’ चढ़ाया जाता है।देवी को भोग लगाने के बाद भक्तों में प्रसाद वितरित किया जाता है। आइए जानते हैं नुआखाई पर्व से जुड़ी कुछ खास बातें।
नुआखाई से जुड़ी खास बातें
-नुआ का मतलब नया और खाई का मतलब खाना। इसलिए नुआखाई का मतलब हुआ नया खाना।-नुआखाई में नई फसल की पूजा की जाती है।
-यह त्योहार गणेश चतुर्थी के एक दिन बाद किसानों द्वारा मनाया जाता है।
-फसल का पहला चावल अपने परिवार के साथ खाकरलोग इस त्योहार को मनाते हैं।
-लोग इस दिन नए कपड़े पहनकर पूजा करते हैं और विशेष भोजन बनाते हैं और परिवार के बढ़े बूढ़ों से आर्शीवाद लेते हैं।
-इस अनुष्ठान को नुआखाई जुहार के नाम से जाना जाता है।
-इस दिन मतभेदों को पीछे छोड़कर लोग नए सिरे से नए रिश्ते की शुरुआत करते हैं।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि:
-इस त्योहार की उत्पत्ति वैदिक काल से हुई है।
-कहा जाता है कि 12वीं शताब्दी ईस्वी से लोग इस त्योहार को हर्ष और उल्लास के साथ मनाते हैं।
-यह त्योहार चौवन राजा रामाई देव द्वारा पाटनागढ़ में मनाया जाता है, जो अब ओडिशा में बोलांगीर जिला है।
महत्व:
नुआखाई उत्सव वर्तमान पीढ़ी को कृषि की प्रासंगिकता और देश के विकास में किसानों की भूमिका के बारे में सीख देता है।यह त्योहार लोक गीतों, नृत्य, स्थानीय संस्कृति और परंपरा को व्यक्त करता है।
इस तरह से मनाया जाता है नुआखाई उत्सव:
इस दिन की तैयारी 15 दिन पहले से शुरू हो जाती है। गांवों में, बुजुर्ग व्यक्ति पवित्र स्थानों पर मिलते हैं और त्योहार शुरू करने के लिए तुरही बजाते हैं। नुआखाई के दिन, परिवार का मुखिया फसल और धरती माता को दूध और फूल चढ़ाने के बाद खेत से धान इकट्ठा करता है। फिर इसे परिवार या गांव के पूज्य देवता को अर्पित किया जाता है।
इस त्योहार में अनुष्ठानों के 9 सेट हैं जो बेहराना से नुआखाई तक शुरू होते हैं और सभी जुहार भेट में समाप्त होते हैं।
ये हैं नुआखाई के नौ रंगों की रस्में
बेहेरेन -तारीख तय करने के लिए यह बैठक की घोषणा है।
लग्न देखा – नए चावल खाने की सही तारीख तय करना है।
डाका हाका – डाका का अर्थ है बुलाना या आमंत्रित करना और यही निमंत्रण है। यह एक निमंत्रण है।
सफा सुतुरा और लिपा-पुछा -यह स्वच्छता के बारे में है।
घिना बिका -यह चावल की फसल की खरीद और बिक्री है।
नुआ धन खुजा -यह एक नई फसल ढूंढना है।
बाली पका – यह देवता को प्रसाद चढ़ाने के लिए है।
नुआखाई – यह अनुष्ठान लोकप्रिय है और इसमें नई फसल को देवता को चढ़ाने के बाद खाया जाता है, इसके बाद नृत्य और गायन किया जाता है।
जुहार भेट – इसमें बुजुर्ग लोगों से आशीर्वाद लेना और उनके साथ उपहार बांटना शामिल है।