नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि पिछले नौ साल में देश महिलाओं के नेतृत्व वाले विकास की दृष्टि से आगे बढ़ रहा है और इसे वैश्विक मंच पर ले जा रहा है। जी-20 शिखर सम्मेलन में महिलाओं के नेतृत्व में विकास महत्वपूर्ण विषयों में से एक है। उन्होंने कहा कि इस वर्ष का बजट महिला नेतृत्व वाले विकास के इन प्रयासों को नई गति देगा।
प्रधानमंत्री शुक्रवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से ‘महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण’ विषय पर बजट के बाद के वेबिनार में अपनी बात रख रहे थे। सरकार द्वारा आयोजित 12 पोस्ट-बजट वेबिनार की शृंखला का आज यह 11वां वेबिनार है।
प्रधानमंत्री ने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि देश ने इस वर्ष के बजट को 2047 तक विकासित भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए एक शुभ शुरुआत के रूप में देखा है। प्रधानमंत्री ने ‘मातृ शक्ति’ के प्रतिबिंब के रूप में नारी शक्ति की दृढ़ संकल्प, इच्छा शक्ति, कल्पना, लक्ष्यों के लिए काम करने की क्षमता और अत्यधिक कड़ी मेहनत को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि ये गुण इस सदी में भारत की गति और पैमाने को बढ़ाने में प्रमुख भूमिका निभा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि आज महिला सशक्तिकरण के प्रयासों के परिणाम दिखाई दे रहे हैं और हम देश के सामाजिक जीवन में क्रांतिकारी परिवर्तन महसूस कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि पुरुषों की तुलना में महिलाओं की संख्या बढ़ रही है, और पिछले 9-10 वर्षों में हाई स्कूल और उसके बाद तक पढ़ने वाली लड़कियों की संख्या तीन गुना हो गई है। विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित में लड़कियों का नामांकन आज 43 प्रतिशत है, जो अमेरिका, ब्रिटेन और जर्मनी जैसे देशों से अधिक है। चिकित्सा, खेल, व्यापार या राजनीति जैसे क्षेत्रों में न केवल महिलाओं की भागीदारी बढ़ी है बल्कि वे आगे बढ़कर नेतृत्व कर रही हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि मुद्रा ऋण की 70 प्रतिशत लाभार्थी महिलाएं हैं। इसी प्रकार, स्वनिधि के तहत संपार्श्विक मुक्त ऋण को बढ़ावा देने की योजनाओं और पशुपालन, मत्स्य पालन, ग्रामोद्योग, एफपीओ और खेल में प्रोत्साहन योजनाओं से महिलाओं को लाभ मिलता है।
उन्होंने कहा कि हम देश की आधी आबादी के सहयोग से कैसे देश को आगे बढ़ा सकते हैं और नारी शक्ति की क्षमता को कैसे बढ़ा सकते हैं, इसका प्रतिबिंब इस बजट में दिखाई दे रहा है। उन्होंने महिला सम्मान बचत प्रमाणपत्र योजना का जिक्र किया जिसमें महिलाओं को 7.5 प्रतिशत ब्याज मिलना है। मोदी ने कहा- “प्रधानमंत्री आवास योजना के लिए 80 हजार करोड़ रुपये भी महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक कदम है क्योंकि 3 करोड़ घरों में से अधिकांश महिलाओं के नाम पर हैं।” प्रधानमंत्री ने पीएम आवास के सशक्त पहलू पर जोर दिया, जहां पारंपरिक रूप से महिलाओं के नाम पर कोई संपत्ति नहीं थी। उन्होंने कहा, “पीएम आवास ने महिलाओं को घर के आर्थिक फैसलों में एक नई आवाज दी है।”
प्रधानमंत्री मोदी ने एसएचजी के बीच नए यूनिकॉर्न बनाने के लिए स्वयं सहायता समूहों को समर्थन देने की घोषणा की जानकारी दी। प्रधानमंत्री ने बदलते परिदृश्य के साथ महिला सशक्तिकरण के लिए देश के विजन की ताकत का उदाहरण दिया। आज 5 में से 1 गैर-कृषि व्यवसाय एक महिला द्वारा चलाया जाता है। पिछले 9 वर्षों में 7 करोड़ से अधिक महिलाएं स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी हैं। उनके मूल्य निर्माण को उनकी पूंजी की आवश्यकता से समझा जा सकता है क्योंकि इन स्वयं सहायता समूहों ने 6.25 लाख करोड़ रुपये का ऋण लिया है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि ये महिलाएं न केवल छोटे उद्यमियों बल्कि सक्षम संसाधन व्यक्तियों के रूप में भी योगदान दे रही हैं। उन्होंने बैंक सखी, कृषि सखी और पशु सखी कार्यक्रमों का उल्लेख किया जो गांवों में विकास के नए आयाम बढ़ा रहे हैं। प्रधानमंत्री ने सहकारी क्षेत्र में परिवर्तन और इस क्षेत्र में महिलाओं की भूमिका पर ध्यान दिया। उन्होंने कहा कि आने वाले वर्षों में दो लाख से अधिक बहुउद्देश्यीय सहकारी समितियों, डेयरी सहकारी समितियों और मत्स्य सहकारी समितियों का गठन किया जाना है। एक करोड़ किसानों को प्राकृतिक खेती से जोड़ने का लक्ष्य रखा गया है। महिला किसान और उत्पादक समूह इसमें बड़ी भूमिका निभा सकते हैं।
मोदी ने श्री अन्ना के प्रचार में महिला स्वयं सहायता समूहों की भूमिका के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि श्री अन्ना में पारंपरिक अनुभव वाली 1 करोड़ से अधिक आदिवासी महिलाएं इन स्वयं सहायता समूहों का हिस्सा हैं। उन्होंने कहा कि हमें श्री अन्ना से बने प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों के विपणन से संबंधित अवसरों का दोहन करना है। कई जगहों पर सरकारी संस्थाएं लघु वनोपज को संसाधित कर बाजार में लाने में मदद कर रही हैं। आज दूरदराज के इलाकों में इतने स्वयं सहायता समूह बन गए हैं, हमें इसे व्यापक स्तर पर ले जाना चाहिए।
कौशल विकास की आवश्यकता पर बल देते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि इस बजट में लाई गई विश्वकर्मा योजना एक प्रमुख भूमिका निभाएगी और एक सेतु के रूप में कार्य करेगी और महिला सशक्तिकरण के लिए इसके अवसरों का लाभ उठाने की आवश्यकता है। इसी तरह जेम और ई-कॉमर्स महिलाओं के व्यवसाय के अवसरों के विस्तार का जरिया बनते जा रहे हैं, स्वयं सहायता समूहों को जो प्रशिक्षण दिया जा रहा है, उसमें नई तकनीकों को प्राथमिकता देने की जरूरत है।
प्रधानमंत्री ने दोहराया कि देश सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास की भावना के साथ आगे बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि जिस तरह देश की बेटियों को राष्ट्रीय सुरक्षा की भूमिकाओं में और राफेल विमान उड़ाते हुए देखा जा सकता है, और जब वे उद्यमी बन जाती हैं और निर्णय और जोखिम लेती हैं, तो उनके बारे में सोच बदल जाती है। उन्होंने नगालैंड में पहली बार दो महिला विधायकों के हाल के चुनाव का उल्लेख किया, उनमें से एक ने मंत्री के रूप में भी शपथ ली। उन्होंने कहा- “महिलाओं के सम्मान और समानता की भावना के स्तर को बढ़ाकर ही भारत आगे बढ़ सकता है। मैं आप सभी का आह्वान करता हूं कि सभी महिलाओं-बहनों-बेटियों के रास्ते में आने वाली हर बाधा को दूर करने के संकल्प के साथ आगे बढ़ें।”
प्रधानमंत्री मोदी ने अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा लिखे गए लेख को उद्धृत करते हुए अपनी बात समाप्त की। राष्ट्रपति ने लिखा है- “हम सबकी, बल्कि प्रत्येक व्यक्ति की ये जिम्मेदारी है कि इस प्रगति को तेज गति प्रदान की जाए। इसलिए आज, मैं आप सबसे, प्रत्येक व्यक्ति से अपने परिवार, आप सबसे आस-पड़ोस या कार्यस्थल में एक बदलाव लाने के लिए स्वयं को समर्पित करने का आग्रह करना चाहती हूं।”
post budget webinar
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को कहा कि देश में सभी के लिए इलाज को अफोर्डेबल बनाना सरकार की प्राथमिकता है। भारत लगातार स्वास्थ्य देखभाल में विदेशी देशों पर न्यूनतम निर्भरता सुनिश्चित करने की कोशिश कर रहा है। आत्मनिर्भर बनने के लिए हमारे उद्यमियों को यह सुनिश्चित करना होगा कि भारत को किसी भी तकनीक का आयात करने की जरूरत नहीं रहे।
प्रधानमंत्री वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से ‘स्वास्थ्य और चिकित्सा अनुसंधान’ पर पोस्ट-बजट वेबिनार को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि इस वर्ष की बजट प्राथमिकताएं भारत में स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र है। उन्होंने कहा- “हम निरंतर यह प्रयास कर रहे हैं कि भारत की विदेशों पर निर्भरता कम से कम हो। भारत में इलाज को अफोर्डेबल बनाना हमारी सरकार की प्राथमिकता रही है।”
उन्होंने कहा कि आयुष्मान भारत के तहत 5 लाख रुपये तक के मुफ्त इलाज की सुविधा देने के पीछे यही सोच है। आयुष्मान भारत के तहत पांच लाख रुपये तक के मुफ्त इलाज से देश के करोड़ों मरीजों के लगभग 80 हज़ार करोड़ रुपये बीमारी में उपचार के लिए खर्च होने वाले थे वो बचे हैं। हमारे यहां करीब 9 हजार जन औषधि केंद्र हैं और यहां बाजार भाव से बहुत सस्ती दवाएं उपलब्ध हैं। इससे भी गरीब और मिडिल क्लास परिवारों को लगभग 20 हजार करोड़ रुपये की बचत हुई है।
उन्होंने कहा कि देश में अच्छे और आधुनिक हेल्थ इंफ़्रा का होना बहुत जरूरी है। आज देश में डेढ़ लाख हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर तैयार हो रहे हैं। इन सेंटरों में डायबिटीज, कैंसर और हार्ट से जुड़ी गंभीर बीमारियों की स्क्रीनिंग की सुविधा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि कोविड ने पूरी दुनिया को एक सबक सिखाया है कि जब भी ऐसी स्थिति उत्पन्न होती है, तो यह विकसित और समृद्ध अर्थव्यवस्थाओं की नींव को हिलाता है और नष्ट कर देता है। दुनिया का ध्यान पहले से कहीं ज्यादा अब स्वास्थ्य देखभाल पर आया है, लेकिन भारत की अप्रोच सिर्फ स्वास्थ्य देखभाल तक ही सीमित नहीं बल्कि हम एक कदम आगे बढ़कर कल्याण के लिए काम कर रहे हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि अन्य बातों के अलावा, कोरोना काल ने हमें आपूर्ति शृंखला का महत्व सिखाया है। इसके अलावा, हाल के बजट ने ऐसे सभी पहलुओं को समग्र तरीके से संबोधित किया है। हम अन्य देशों पर भारत की सबसे कम निर्भरता सुनिश्चित कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमने एक पृथ्वी- एक स्वास्थ्य,यानि जीव मात्र के लिए, चाहे वो इंसान हों, जानवर हों, पौधे हों, सबके लिए एक समग्र स्वास्थ्य सेवा की बात कही है। हमने स्वास्थ्य देखभाल को सिर्फ स्वास्थ्य मंत्रालय तक सीमित नहीं रखा है, बल्कि ‘पूरी सरकार’ अप्रोच पर बल दिया है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि पीएम आयुष्मान भारत हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर मिशन के तहत क्रिटिकल हेल्थ इंफ्रा को छोटे शहरों और कस्बों तक ले जाया जा रहा है। इससे छोटे शहरों में नए अस्पताल तो बन ही रहे हैं, हेल्थ सेक्टर से जुड़ा एक पूरा इको सिस्टम विकसित हो रहा है। उन्होंने कहा कि बीते वर्षों में 260 से अधिक मेडिकल कॉलेज खोले गए हैं। मेडिकल सीटों की संख्या 2014 के बाद आज दोगुनी हो चुकी है। मेडिकल कॉलेज के पास ही 157 नए नर्सिंग कॉलेज खोलना, मेडिकल ह्यूमन रिसोर्स के लिए एक बड़ा कदम है।
उन्होंने कहा कि डिजिटल हेल्थ आईडी के माध्यम से हम देशवासियों को समय पर स्वास्थ्य सेवा की सुविधा देना चाहते हैं। ई-संजीवनी जैसे टेली कंसल्टेशन के प्रयासों से घर बैठे ही 10 करोड़ लोग डॉक्टरों से ऑनलाइन कंसल्टेशन का लाभ चुके हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि ड्रोन टेक्नोलॉजी की वजह से दवाओं की डिलीवरी और टेस्टिंग से जुड़े लॉजिस्टिक में एक क्रांतिकारी परिवर्तन आता दिख रहा है।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि हमारे उद्यमी यह सुनिश्चित करें कि हमें कोई भी तकनीक को आयात करने से बचना चाहिए, आत्मनिर्भर अब बनना ही है। उन्होंने कहा कि सर्वोत्तम परिणाम लाने के लिए उद्योग, शिक्षाविदों और सरकार के बीच उचित समन्वय और तालमेल होना चाहिए। देश में उत्कृष्टता केंद्रों के माध्यम से फार्मा क्षेत्र में अनुसंधान और नवाचार को मजबूत करने के लिए एक नया कार्यक्रम शुरू किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि भारत के आयुर्वेदिक उत्पादों के लिए दुनिया भर में मांग बढ़ी है। यह केवल इस क्षेत्र में भारत के महान प्रयासों के कारण है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के पारंपरिक चिकित्सा के लिए वैश्विक केंद्र हमारे देश में स्थापित किया जा रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि मैं स्वास्थ्य क्षेत्र के सभी हितधारकों से, विशेष रूप से आयुर्वेद के, ‘साक्ष्य-आधारित अनुसंधान’ को मजबूत करने के लिए आग्रह करता हूं। न केवल परिणामों के बारे में चर्चा, बल्कि परिणाम स्वयं भी महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने कहा कि चिकित्सा पर्यटन देश में एक बड़े क्षेत्र के रूप में उभरा है। इसने अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के साथ -साथ रोजगार भी बढ़ाया है। हमें इसे और अधिक मजबूत करने के लिए काम करना चाहिए।
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को पोस्ट बजट वेबिनार में कहा कि सरकार आज तकनीकी मदद से लोगों का भरोसा जीत रही है, जिसके चलते जनता सरकार को रुकावट नहीं बल्कि उत्प्रेरक मान रही है। प्रधानमंत्री आज ”एज ऑफ लिविंग यूजिंग टेक्नोलॉजी” विषय पर पोस्ट बजट वेबिनार को संबोधित कर रहे थे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि 21वीं सदी का भारत अपने नागरिकों को तकनीक के जरिए सशक्त बना रहा है। सरकार के हर बजट में नागरिकों के जीवन को आसान बनाने की दिशा में तकनीक के उपयोग पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। उन्होंने ने कहा कि इस बार के बजट में भी टेक्नोलॉजी के साथ-साथ मानवीय स्पर्श को प्राथमिकता दी गई है।
उन्होंने कहा कि सरकार का उद्देश्य पिछड़ों और वंचितों तक सरकारी योजनाओं का लाभ पहुंचाना है। इसके परिणाम स्वरूप ही लोगों में अब सरकार के प्रति विश्वास बढ़ा है और वह मानते हैं कि सरकार उनके रास्ते की रुकावट नहीं बल्कि उत्प्रेरक है।
उन्होंने कहा कि एक जमाने में सरकार की प्राथमिकताओं में बहुत ज्यादा विरोधाभास था। समाज का एक वर्ग चाहता था कि उनके जीवन में हर कदम पर सरकार का प्रभाव हो यानी सरकार उनके लिए कुछ न कुछ करे। तब की सरकार के समय इस वर्ग ने अभाव ही महसूस किया।
इस दौरान प्रधानमंत्री ने हाल के वर्षों की उन तकनीकी पहलुओं का उल्लेख किया जिनके माध्यम से लोगों के जीवन सुविधाजनक हुआ है। इसमें कोविन ऐप, एक देश एक राशन कार्ड जैसी योजनाएं शामिल हैं। उन्होंने कहा कि तकनीकी मदद से टैक्स की पूरी प्रक्रिया फेसलेस कर दी गई है।
उन्होंने कहा कि आज सरकार तकनीकी मदद से लोगों का भरोसा जीत रही है। छोटी-छोटी गलतियों पर सजा देने के प्रावधानों को हटा रही है और छोटे, लघु एवं मध्यम उद्यमों के लिए गारंटर की भूमिका निभा रही है। प्रधानमंत्री कहा कि सरकार के बीते कुछ वर्षों के प्रयास से अब स्थिति बदलने लगी है। गरीबों के जीवन की ईज ऑफ लिविंग में बड़ा बदलाव आया है।