कोलकाता । बहुचर्चित शिक्षक नियुक्ति भ्रष्टाचार मामले में गिरफ्तार पश्चिम बंगाल के पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी को शनिवार को भी कोर्ट ने जमानत देने से इंकार कर दिया। शनिवार को महिला मित्र अर्पिता मुखर्जी के साथ बैंकशाल कोर्ट में पार्थ चटर्जी की पेशी हुई थी । न्यायाधीश ने दोनों से पूछा कि उन्हें कुछ कहना है या नहीं। इसे लेकर पार्थ चटर्जी ने कहा कि सेहत बहुत खराब है। जेल में पर्याप्त चिकित्सा नहीं हो रही।
इसके बाद न्यायाधीश ने पूछा कि जेल प्रबंधन का कोई है या नहीं। इसके साथ ही न्यायाधीश ने अर्पिता से पूछा कि आप ठीक है कि नहीं? इसके जवाब में अर्पिता ने कहा कि उनकी भी सेहत ठीक नहीं है। इसके बाद न्यायाधीश ने दोनों से पूछा कि आप लोगों ने अपनी सेहत के बारे में जेल प्रबंधन को बताया है या नहीं। इस पर अर्पिता ने कहा कि जेल प्रबंधन उचित व्यवस्थाएं तो करता है लेकिन वहां की व्यवस्थाएं पर्याप्त ही नहीं हैं। जिस वार्ड में हमें रखा गया है वहां रहना संभव ही नहीं है। इधर ईडी ने दोनों की जमानत याचिका का जब विरोध किया तो कोर्ट ने दोनों को जमानत देने से इनकार करते हुए कहा कि आगामी सात फरवरी तक दोनों को जेल में ही रहना होगा।
PARTH CHATERJEE
कोलकाता । शिक्षक नियुक्ति भ्रष्टाचार मामले में गिरफ्तार राज्य के पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी को एक बार फिर जमानत नहीं मिली। सोमवार को उन्हें और इस मामले में गिरफ्तार अन्य छह लोगों को अलीपुर कोर्ट ने और 14 दिनों तक जेल में रखने का आदेश दिया है। चटर्जी ने अपने लिए जमानत की अर्जी लगाई थी लेकिन केंद्रीय एजेंसी के अधिवक्ताओं के तर्क के सामने उनकी एक न चली। कोर्ट ने उन्हें आगामी 28 नवंबर तक प्रेसिडेंसी सेंट्रल जेल में ही रखने का आदेश दिया है।
पार्थ की ओर से न्यायालय में उनके अधिवक्ता सलीम रहमान ने कहा कि पिछले 14 दिनों तक वह जेल में थे लेकिन सीबीआई ने उनसे एक बार भी पूछताछ नहीं की। कोई नई जानकारी सामने नहीं आ रही है। कुछ भी नया नहीं हो रहा। उन्हें बिना वजह जेल में रखा गया है। पार्थ चटर्जी ने पूछा है कि क्या अनंत काल तक वह जेल में ही रहेंगे? हालांकि कोर्ट ने उन्हें जमानत देने से इनकार करते हुए फिलहाल जेल में रखने का आदेश दिया है।
उनके साथ शांति प्रसाद सिन्हा, सुबिरेश भट्टाचार्य, अशोक साहा, प्रसन्न रॉय और प्रदीप सिंह सभी को हिरासत में रखने का आदेश दिया गया है।
सीबीआई की भूमिका से कोर्ट संतुष्ट नहीं
दूसरी ओर कोर्ट ने सीबीआई की भूमिका को लेकर भी नाराजगी जाहिर की। न्यायालय ने कहा कि सीबीआई को बताना होगा कि और कितने दिनों में जांच को किसी मोड़ पर ले जा सकेंगे? लगातार हिरासत मांग रहे हैं लेकिन जांच की स्थिति जहां की तहां खड़ी है। यह ठीक नहीं है।
उल्लेखनीय है कि 31 अक्टूबर को पार्थ चटर्जी को कोर्ट में पेश किया गया था जहां से उन्हें जेल हिरासत में रखने का आदेश दिया गया था।