लखनऊ। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने शनिवार को केन्द्र और प्रदेश की भाजपा सरकार पर हमला बोला है। उन्होंने पुरानी पेंशन बहाली मामले का जल्द समाधान करने की मांग उठाई है।
मायावती ने अपने अधिकारिक ट्विटर से ट्वीट किया है। इसमें उन्होंने कहा है कि देश भर में आम लोगों के साथ-साथ सरकारी कर्मचारियों का जीवन भी महंगाई से त्रस्त है। इस महंगाई के के कारण केन्द्र व यूपी सहित विभिन्न राज्यों में पुरानी पेंशन योजना को लागू करने की मांग लगातार जोर पकड़ती जा रही है। जिसका समाधन होना बहुत जरूरी, यह बसपा की मांग है।
उन्होंने कहा कि महंगाई के साथ-साथ गरीबी, बेरोजगारी व पिछड़ेपन आदि की जटिल समस्याओं के प्रति केन्द्र व यूपी सरकार को सही नीयत व नीति के साथ काम करना जरूरी। ऐसी जनसमस्याऐं भाषणबाजी से नहीं हल होती हैं, खासकर तब जब यूपी में डबल इंजन की सरकार में जनता डबल परेशान है, समाधान जरूरी।
OLD PENSION SCHEME
दिल्ली हाई कोर्ट का आदेश सभी अर्धसैनिक बल ओल्ड पेंशन स्कीम के हकदार, केंद्र सरकारआठ हफ्ते में आदेश जारी करे
नई दिल्ली । दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा है कि सेंट्रल आर्म्ड पुलिस फोर्सेज (सीएपीएफ) के कर्मी ओल्ड पेंशन स्कीम (ओपीएस) के हकदार हैं। जस्टिस सुरेश कुमार कैत की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि सीएपीएफ कर्मी 22 दिसंबर, 2003 को जारी नोटिफिकेशन के तहत ओपीएस के हकदार हैं।
कोर्ट ने कहा कि अर्धसैनिक बल भी केंद्र के सैन्यबल हैं, इसलिए उन्हें भी ओपीएस के तहत पेंशन पाने का हक है। कोर्ट ने कहा कि ओपीएस का लाभ न केवल उन 82 याचिकाकर्ताओं को ही मिलेगा, बल्कि सभी अर्धसैनिक बलों को मिलेगा। कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि ओपीएस का लाभ सभी अर्धसैनिक बलों को देने के लिए आठ हफ्ते में आदेश जारी करें।
हाई कोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट और विभिन्न हाई कोर्ट ने देश की सुरक्षा में लगे सैन्य बलों की प्रशंसा की है। उनके प्रति सम्मान दिखाते हुए न केवल विभिन्न कोर्ट ने, बल्कि केंद्र सरकार ने भी अपनी नीति बनाते समय ये सुनिश्चित करने की कोशिश की है कि सैन्य बलों के साथ कोई भेदभाव न हो। कोर्ट ने कहा कि 22 दिसंबर 2003 के नोटिफिकेशन में साफ कहा गया है कि न्यू पेंशन स्कीम पर फैसला लेते समय सैन्य बलों को उससे बाहर रखा जाएगा। ऐसे में अर्धसैनिक बलों को भी ओपीएस का लाभ मिलना चाहिए।
यह याचिका सीआरपीएफ, एसएसबी, बीएसएफ, सीआईएसएफ और आईटीबीपी जैसे अर्धसैनिक बलों में कार्यरत 82 लोगों ने दायर की थी। याचिका में केंद्र सरकार के एक जनवरी, 2004 के नोटिफिकेशन के तहत ओपीएस से अर्धसैन्य बलों को वंचित करने वाले नोटिफिकेशन को निरस्त करने की मांग की गई थी।
प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट के दो जजों की स्पेशल अपील बेंच ने लोक निर्माण विभाग में जूनियर इंजीनियर के पद पर कार्यरत इंजीनियर के पक्ष में पारित एकल न्यायाधीश के आदेश पर रोक लगा दी है। जिसके द्वारा याची प्रमोद कुमार शर्मा को पुरानी पेंशन स्कीम के तहत उसका पेंशन बनाए जाने का निर्देश दिया गया था। सिंगल बेंच ने इंजीनियर के पक्ष में आदेश पारित करते समय कहा था कि भले ही उसकी नियुक्ति वर्ष 2009 में हुई हो परंतु उसके चयन की प्रक्रिया वर्ष 2000 की वैकेंसी के तहत नई पेंशन योजना लागू होने के पूर्व पूरी हो चुकी थी।
यह आदेश चीफ जस्टिस राजेश बिंदल एवं जस्टिस विक्रम चौहान की खंडपीठ ने उत्तर प्रदेश सरकार के लोक निर्माण विभाग की तरफ से दाखिल विशेष अपील पर पारित किया। याची जूनियर इंजीनियर की तैनाती गौतमबुद्ध नगर में है। उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से अपर मुख्य स्थाई अधिवक्ता रामानंद पांडेय का तर्क था कि 1 अप्रैल 2005 से नई पेंशन स्कीम लागू कर दी गई है। सरकार की तरफ से बहस किया गया की यूपी रिटायरमेंट बेनिफिट रूल्स 1961 के नियम 2 (3) में संशोधित व्यवस्था के अनुसार सेवा में एंट्री ही पेंशन के लिए मुख्य निर्णायक तिथि है। कहा गया कि याची का भले ही चयन पुरानी पेंशन स्कीम लागू होने के समय हो गया हो, परंतु उसकी सेवा में एंट्री नई पेंशन योजना लागू होने के पश्चात वर्ष 2009 में हुई है। इस कारण उसे पुरानी पेंशन योजना का लाभ नहीं मिल सकता है।
याची की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता अशोक खरे का तर्क था कि यह मामला सुप्रीम कोर्ट द्वारा तय किया जा चुका है ऐसे में याची पुरानी पेंशन का लाभ पाने का हकदार है। चूंकि एकल जज ने प्रदेश सरकार से याचिका पर जवाब मांगे बगैर याचिका को मंजूर कर याची के पक्ष में आदेश पारित कर दिया था, इस कारण विशेष अपील बेंच ने सरकार को याचिका में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने इस बीच एकल जज के आदेश के अमल पर रोक भी लगा दी है।