लोकसभा चुनाव से पहले, कोलकाता में समाजवादी पार्टी ने ‘सिटी ऑफ जाय’ में चुनावी रणनीति पर गहरा मंथन किया था। उनकी रणनीति सफल रही और उत्तर प्रदेश में सपा ने नए इतिहास को रचा। अब, चुनाव के बाद, सपा अपने नेतृत्व में विस्तार के सपनों को पूरा करने के लिए मायानगरी यानी मुंबई का चयन किया है। उत्तर प्रदेश में जीतने के बाद सपा के 37 सांसदों का पहला सार्वजनिक स्वागत समारोह शुक्रवार को मुंबई में होने जा रहा है। इस साल महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव भी होने हैं।
महाराष्ट्र में पार्टी के ‘मोमेंटम’ को बढ़ाने के लिए, स्वागत समारोह के माध्यम से शक्ति प्रदर्शन की रूपरेखा तैयार की गई है। सपा यहां 30 से अधिक सीटों पर चुनाव की तैयारी कर रही है, लेकिन उनकी मंशा है कि विधानसभा चुनाव में भी वह I.N.D.I.A. का हिस्सा रहे और कम से कम 10 सीटों पर चुनाव लड़े।
राष्ट्रीय महासचिव इंद्रजीत सरोज को महाराष्ट्र के चुनावी प्रबंधन में विशेष भूमिका दी गई है। अबू आजमी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष हैं और इसलिए मुस्लिम-दलित समीकरण पर भी नजर है। 2009 में सपा ने यहां चार सीटों पर जीत दर्ज की थी, लेकिन 2014 में यह संख्या 1 तक गिर गई। 2019 में पार्टी के 2 विधायक चुने गए और वोट में भी मामूली बढ़ोतरी हुई थी। इस बार, सपा बेहतर परिणाम की उम्मीदों में है।
यूपी से बाहर बढ़ेगी सक्रियता
समाजवादी पार्टी ने अपनी स्थापना के बाद से तीन बार यूपी में सत्ता हासिल की है। इस बार के लोकसभा चुनाव में सपा ने तीसरी सबसे बड़ी पार्टी बनकर ध्यान खींचा है। अयोध्या को समाहित करने वाली फैजाबाद की जीत ने सपा के परसेप्शन में चांद लगा दिया है।
अखिलेश यादव के लिए यह मौका बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि सपा अब देशव्यापी विस्तार और राष्ट्रीय स्तर पर अपनी भूमिका बढ़ाने का प्रयास कर रही है। कांग्रेस के बाद विपक्षी I.N.D.I.A ब्लॉक में सपा दूसरा सबसे बड़ा दल हो गया है, जिससे उसका प्रभाव बढ़ा है। वह महाराष्ट्र, हरियाणा और झारखंड में भी चुनाव लड़कर सीटें जीतने की कोशिश कर रही है, और इन राज्यों में गठबंधन में भागीदारी बढ़ाने के लिए कड़ी मेहनत कर रही है।