नई दिल्ली। दिल्ली के मोहल्ला क्लीनिकों में टेस्टिंग सर्विस को और आउटसोर्सिंग करने के लिए दिल्ली सरकार के प्रस्ताव को उपराज्यपाल (एलजी) ने मंजूरी दे दी है। हालांकि इसे दिल्ली सरकार के अस्पतालों में डायग्नोस्टिक सेवाओं को मजबूत करने के बजाए प्राइवेट आउटसोर्सिंग का प्रयास मानते हुए उन्होंने गंभीर आपत्ति भी जताई है। प्रस्ताव के तहत तीन प्राइवेट वेंडर मोहल्ला क्लिनिकों को डायग्नोस्टिक सेवाएं देंगे। एलजी ने कहा है कि पुराना अनुबंध 31 दिसंबर को खत्म हो रहा है ऐसे में प्रस्ताव मंजूर करने के अतिरिक्त और कोई विकल्प नहीं है।
एलजी ने समय कम होने के चलते टेस्टिंग सर्विस की आउटसोर्सिंग के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है, लेकिन फाइल पर अपनी टिप्पणी में कहा है कि 2022 में मोहल्ला क्लीनिकों की संख्या 450 से बढ़कर 519 हो जाने के बावजूद मरीजों की संख्या 3,416 (वर्ष 2021) प्रति महीना से कम होकर इस साल 1,824 मरीज प्रति महीना हो गई है।
मरीजों की संख्या तो कम हुई, मगर 2021 में 6,30,978 टेस्ट हर महीने से बढ़कर 2022 में 9,30,000 टेस्ट प्रति महीने हो गए। एलजी ने पिछले तीन साल में लैब टेस्ट की गुणवत्ता को लेकर एसेसमेंट स्टडी कराने की सलाह भी दी है।
इससे पहले उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने एलजी को चिट्ठी लिखी थी कि दिल्ली सरकार के अस्पतालों और मोहल्ला क्लीनिकों में लैब सेवाओं के लिए अनुबंध 31 दिसंबर को खत्म हो रहा है। नए अनुबंध पर तुरंत स्वीकृति की जरूरत है, ताकि नए साल में एक जनवरी से फिर से काम शुरू हो वरना सभी अस्पतालों में टेस्ट बंद हो जाएंगे।
एलजी कार्यालय की ओर से बताया गया कि दिल्ली कैबिनेट के 28 जुलाई के फैसले में यह तय किया गया था कि सरकारी अस्पतालों, डिस्पेंसरी, पॉलीक्लिनिक और हेल्थ कैंप में पुराने पैटर्न पर ही जोकि मोहल्ला क्लीनिकों में दिसंबर 2019 से चल रहा है, डायग्नोस्टिक सेवाएं आउट सोर्स की जाएंगी। कैबिनेट ने इसके लिए तीन प्राइवेट बिल्डर भी चुने, इसी को एलजी के सामने 12 दिसंबर को रखा गया था।
अब एलजी कार्यालय के बयान में कहा गया है कि, मोहल्ला क्लीनिकों में चलने वाली डायग्नोस्टिक सेवाओं के लिए प्राइवेट वेंडर का अनुबंध दो साल का होता है और इसे दो बार बढ़ाया गया है। अब इसे और एक्सटेंशन देना मुमकिन नहीं था। समय पर निर्णय नहीं लेने की स्पष्ट चूक के कारण और अगस्त में बहुत पहले निर्णय लेने के बावजूद सहमति के लिए उपराज्यपाल को फाइल नहीं भेजी गई। जब कोई निर्णय नहीं लिया गया तब भी वह मीडिया में कुछ ऐलान करते रहें, जिसके बाद शर्मिंदगी से बचने के लिए 12 दिसंबर को फाइल उपराज्यपाल को भेजी।
सिसोदिया ने 24 दिसंबर को केवल आठ कार्य दिवसों में एलजी को पत्र लिखकर मंजूरी का अनुरोध किया था। 12 दिसंबर को दिल्ली वालों को नए साल का तोहफा देते हुए दिल्ली सरकार ने अपने सभी अस्पतालों में 450 तरह के टेस्ट मुफ्त करने का फैसला लिया था। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सरकारी अस्पतालों और मोहल्ला क्लिनिक में 238 से अधिक जांच के लिए निःशुल्क व्यवस्था करने के स्वास्थ्य विभाग के एक प्रस्ताव को मंजूरी दे दी थी।
वर्तमान में सरकार द्वारा मुफ्त में उपलब्ध कराए जाने वाले चिकित्सा परीक्षणों की संख्या 212 है। मुख्यमंत्री ने अस्पतालों और मोहल्ला क्लीनिकों में 238 और जांच निःशुल्क करने के स्वास्थ्य विभाग के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी थी, उसके बाद फाइल एलजी को भेजी गई थी।
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नई दिल्ली। राजधानी दिल्ली के मंडोली जेल में बंद सुकेश चंद्रशेखर ने दिल्ली के उपराज्यपाल (एलजी) के नाम एक और चिठ्ठी लिखी है। यह सुकेश की ओर से लिखी गई पांचवीं चिट्ठी है। चिठ्ठी में उसने दिल्ली के एलजी से गुहार लगाई है कि उसे और उसकी पत्नी को दिल्ली से बाहर किसी अन्य जेल में स्थानांतरित किया जाए।
उसने आम आदमी पार्टी के नेताओं के खिलाफ अपनी शिकायत वापस लेने के लिए लगातार धमकी और दबाव का आरोप लगाया है और कहा है कि इसके लिए जेल के अंदर सीआरपीएफ के कर्मियों की ओर से उस पर हमला किया जा रहा है।
सुकेश ने इससे पहले भी एलजी को भेजी गई चिट्ठी में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और सत्येंद्र जैन का नाम लिया था। उसने आरोप लगाया है कि आम आदमी पार्टी के नेता शिकायत वापस लेने की मांग कर रहे हैं। नौ नवंबर को लिखे पत्र में सुकेश ने पत्नी को भी दूसरी जेल में शिफ्ट करने की मांग की है। दो दिन पहले भी जेल से लिखे अपने चौथे पत्र में सुकेश चंद्रशेखर का आरोप था कि उसने जेल प्रशासन व दिल्ली सरकार के मंत्री सत्येंद्र जैन की धमकियों व दबाव के चलते कानून का सहारा लेना ठीक समझा है। सुकेश का कहना है कि एलजी को पत्र लिखने के लिए कहीं से किसी ने दबाव नहीं डाला है।
सुकेश ने कहा कि अगर एलजी को लिखा उसका पत्र गलत है तो वह कोई भी कानूनी लड़ाई लड़ने को तैयार हैं। भले ही उसके लिए उसे फांसी पर लटकना पड़े। लेकिन अगर मुख्यमंत्री उसे झूठा साबित नहीं कर पाते तो उनको इस्तीफा देना चाहिए। पूरे मामले की सीबीआई जांच करवानी चाहिए।
सुकेश ने कहा था कि जेल प्रशासन और सत्येंद्र जैन ने धमकियां देकर व दबाव डालकर पंजाब व गोवा चुनाव के लिए फंड मांगा था। यह वही समय था, जब मामले की जांच चल रही थी। लगातार मिल रही धमकियों से परेशान होकर उसने कानून का सहारा लिया और एलजी से शिकायत की।
सुकेश ने इस पत्र में लिखा है कि आप नेता लगातार उसे धमकी दे रहे हैं। ऐसे में इस मामले की जांच होनी चाहिए। जिससे सत्य का पता लगाया जा सके।
नई दिल्ली। दिल्ली हाई कोर्ट ने केन्द्र सरकार, दिल्ली सरकार और दिल्ली के उप-राज्यपाल को निर्देश दिया है कि वे कोरोना के दौरान अपने माता-पिता को खोने वाले बच्चों की फीस माफ करने के मामले पर अपना रुख स्पष्ट करें।
बुधवार को सुनवाई के बाद जस्टिस यशवंत वर्मा ने यह आदेश दिया है। इस मामले की अगली सुनवाई 21 मार्च, 2023 को होगी। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि 13 मई और 7 जून को दिल्ली सरकार के शिक्षा निदेशालय ने ऐसे छात्रों की निर्बाध पढ़ाई को लेकर सर्कुलर जारी किया था। इस सर्कुलर में कोरोना की वजह से अपने माता-पिता को खोये हुए बच्चों की फीस के मामले को लेकर कुछ नहीं कहा गया है। उसके बाद कोर्ट ने केंद्र सरकार, दिल्ली सरकार और दिल्ली के उप-राज्यपाल को अपना पक्ष स्पष्ट करने का निर्देश दिया।
याचिका एक नाबालिग बच्ची यास्मीन कटारिया की मां के जरिये दायर की गई है। याचिकाकर्ता के वकील भरत मल्होत्रा ने कहा कि कोरोना के दौरान यास्मीन के पिता की दिल्ली के जयपुर गोल्डेन अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी से मौत हो गई थी। उसके पिता उसके घर के एकमात्र कमाऊ सदस्य थे। याचिका में मांग की गई थी कि सरकार की उस योजना को जल्द लागू किया जाए, जिसके तहत कोरोना से मृत लोगों के बच्चों की पढ़ाई की व्यवस्था की जाएगी।
याचिका में कहा गया है कि यास्मीन की पढ़ाई की फीस नहीं भरने की वजह से उसे पढ़ाई से वंचित नहीं किया जाए। याचिका में यास्मीन के स्कूल की फीस भरने का दिशा-निर्देश जारी करने की मांग की गई है। शिक्षा पाना उसका अधिकार है और इससे उसे वंचित नहीं किया जा सकता है। याचिका में कहा गया है कि दिल्ली सरकार हर महीने पीड़ित छात्र को ढाई हजार रुपये देने की योजना के लिए आवेदन करना काफी दूभर कार्य है। उसका आवेदन दो बार अस्वीकार कर दिया गया। योजना में जितनी रकम देने की बात की जा रही है, वो बच्चे के खर्च के लिए नाकाफी है।
याचिका में कहा गया है कि दिल्ली सरकार ने 19 अगस्त, 2021 को सभी शिक्षा उप निदेशकों को निर्देश दिया था कि कोरोना की वजह से अनाथ हुए बच्चों की शिक्षा जारी रखने का इंतजाम करें। इसके लिए उन बच्चों को डीडीए या सरकारी भूखंड पर संचालित स्कूलों में शिफ्ट किया जाए या उन्हें आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग का लाभ दिया जाए। इस निर्देश के आधार पर याचिका में यास्मीन को आर्थिक रुप से कमजोर वर्ग का मानने की मांग की गई है। कोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा कि उन्होंने संबंधित स्कूल को पक्षकार नहीं बनाया है। कोर्ट ने याचिकाकर्ता को स्कूल प्रबंधन से अपनी बात रखने का निर्देश दिया और दिल्ली सरकार को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया।
वाराणसी। जम्मू-कश्मीर के उप राज्यपाल मनोज सिन्हा ने शनिवार को श्री काशी विश्वनाथ के स्वर्णिम दरबार में हाजिरी लगाई। दरबार में विधि विधान से बाबा के पावन ज्योर्तिलिंग का अभिषेक कर उप राज्यपाल ने दर्शन पूजन किया। दर्शन पूजन के बाद उप राज्यपाल ने काशी विश्वनाथ धाम परिसर में समर्थकों और करीबी लोगों के साथ तस्वीरें भी खिंचवाई। बीते शुक्रवार को उप राज्यपाल अपने पैतृक गांव मोहनपुरा गाजीपुर गये थे। गृह जनपद में जगह जगह उनका भाजपा कार्यकर्ताओं के साथ समर्थकों ने स्वागत किया। गृह जनपद गाजीपुर के लोक निर्माण विभाग के डाक बंगले में उप राज्यपाल ने भाजपा कार्यकर्ताओं से मुलाकात की। इसके बाद वाराणसी लौट आये।
नई दिल्ली। दिल्ली के उपराज्यपाल (एलजी) वीके सक्सेना ने एक बार फिर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को पत्र लिखकर नाराजगी जाहिर की है। एलजी ने 6 पन्नों के इस लेटर में कहा है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री और उनके सहयोगी उनके (एलजी) खिलाफ झूठे और व्यक्तिगत आरोप लगाकर मर्यादा लांघ रहे हैं।
एलजी ने कहा कि वह अपने संवैधानिक कर्तव्यों का पालन कर रहे हैं और बदले में उनपर बेबुनियाद आरोप लगाए जा रहे हैं। एलजी ने इस लेटर में केजरीवाल को यह भी याद दिलाया है कि कैसे उन्होंने नितिन गडकरी और अरुण जेटली जैसे लोगों से माफी मांगी।
एलजी ने लिखा है कि केजरीवाल और उनके सहयोगी मर्यादा लांघने के साथ अपने संवैधानिक कर्तव्यों और शासन की जिम्मेदारियों से पीछे भाग रहे हैं। एलजी ने यह भी कहा कि केजरीवाल की सरकार विज्ञापनों और भाषणों के बल पर चल रही और जनहित के मौलिक काम से विमुख होती दिख रही है।
आगे एलजी ने कहा, ”अफसोस की बात यह है कि जब मैंने अपनी संवैधानिक जिम्मेदारियों का निर्वहन करते हुए आपको इन कमियों से अवगत कराते हुए इनके निवारण का अनुरोध किया तो आपने और आपके सहयोगियों ने उन विषयों पर जवाब न देकर, न सिर्फ लोगों को गुमराह किया बल्कि आदतन तथ्यहीन और व्यक्तिगत आक्षेप भी लगाए।” एलजी ने कहा है कि उन्होंने जो भी मुद्दे उठाए वे आम नागरिकों की भलाई के लिए थे और ऐसा करना उनकी संवैधानिक जिम्मेदारी है।
एलजी ने उन सभी मुद्दों का जिक्र किया जिनकी वजह से आप नेताओं ने उन्हें निशाना बनाया। एलजी ने कहा कि सोची समझी नीति के तहत ऐसा किया जा रहा है। उन्होंने लिखा, ”आप और आपके सहयोगी पहले बेबुनियाद और झूठे आरोप लगाते हैं, मीडिया और सोशल मीडिया के माध्यम से इन आरोपों को हवा देते हैं और फिर भाग खड़े होते हैं। जब तथ्य सामने आते हैं तो आप निर्लज्जता से माफी मांग लेते हैं। हालांकि तब तक पब्लिक डोमेन में उस आरोपित व्यक्ति की अपूर्णीय क्षति और आपका राजनीतिक फायदा हो चुका होता है।
एलजी ने आगे लिखा, ”आपने पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल और पंजाब के पूर्व मंत्री विक्रम सिंह मजीठिया के मामले में भी ऐसे ही अनर्गल आरोप लगाए और बाद में माफी मांगी। मेरे खिलाफ भी आपके सहयोगी ने मुद्दों से भटकाने के लिए बेहद आपत्तिनजक, मनगढ़त और झूठे आरोप लगा कर, मीडिया और सोश मीडिया के माध्यम से अविश्वास का माहौल बनाने का कुत्सित प्रयास किया।”
एलजी ने कहा कि इस कोर्ट ने भी माना कि उनके खिलाफ लगाए गए आरोप बेबुनियाद और अपमानजनक हैं। कोर्ट ने इन्हें सोशल मीडिया से हटाने का आदेश दिया। एलजी ने कहा, ”मेरा आपसे आग्रह है कि राजनीतिक सुचिता, संवैधानिक मूल्यों, सामान्य सामाजिक शिष्टाचार और राष्ट्रहित में भविष्य में ऐसा करने से बचें।”
वहीं मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट कर कहा कि“ बीजेपी एलजी के जरिए दिल्ली के लोगों की जिंदगी तबाह करने पर तुली है। रोज़ ये लोग किसी ना किसी बात को लेकर बखेड़ा कर देते हैं। मैं दिल्लीवासियों को भरोसा दिलाता हूं- जब तक आपका ये बेटा जिंदा है, चिंता मत करना। आपका बाल भी बांका नहीं करने दूंगा।”
हैदराबाद। ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के अध्यक्ष एवं लोकसभा सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने मंगलवार को सवाल किया कि जब जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने दक्षिण कश्मीर के शोपियां और पुलवामा जिले में बहुउद्देशीय सिनेमा हॉल का उद्घाटन किया, तो श्रीनगर में जामिया मस्जिद हर शुक्रवार को बंद क्यों थी। ओवैसी ने ट्वीट किया, आपने शोपियां और पुलवामा में सिनेमा हॉल खोले हैं, लेकिन श्रीनगर जामिया मस्जिद हर शुक्रवार को बंद क्यों रहती है? कम से कम दोपहर के मैटिनी शो के दौरान इसे खोलने का आदेश दें।
श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने पुलवामा और शोपियां जिलों में बहुउद्देशीय सिनेमा हॉल का उद्घाटन किया। उन्होंने कहा, “आज जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश के लिए एक ऐतिहासिक दिन है। पुलवामा और शोपियां में बहुउद्देश्यीय सिनेमा हॉल फिल्म स्क्रीनिंग, सूचना और युवाओं के कौशल से लेकर सुविधाएं प्रदान करेंगे।”
इस कार्यक्रम को देखने के लिए छात्र, युवा और जीवन के सभी क्षेत्रों के लोग द्रुसु पुलवामा और एमसी शोपियां में नए बहुउद्देशीय सिनेमा हॉल में एकत्र हुए। रविवार को सरकार के मिशन युवा विभाग द्वारा जिला प्रशासन के सहयोग से जिला मुख्यालयों पर सिनेमाघरों की स्थापना का कार्य शुरू किया गया है। अनंतनाग, श्रीनगर, बांदीपोरा, गांदरबल, डोडा, राजौरी, पुंछ, किश्तवाड़ और रियासी में जल्द ही सिनेमा हॉल का उद्घाटन किया जाएगा।
उपराज्यपाल ने पुलवामा और शोपियां के बहुउद्देशीय सिनेमा हॉल लोगों, खासकर कश्मीर की युवा पीढ़ी को समर्पित किए, जिन्होंने इस पल का लंबे समय से इंतजार किया है। उन्होंने मिशन यूथ के तहत केंद्र शासित प्रदेश के हर जिले में इसी तरह के बहुउद्देशीय सिनेमा हॉल स्थापित करने के सरकार के दृष्टिकोण को साझा किया।
उन्होंने कहा, “सिनेमा एक शक्तिशाली रचनात्मक माध्यम है जो लोगों की संस्कृति, मूल्यों और आकांक्षाओं को दर्शाता है। यह ज्ञान की दुनिया, नई खोजों के द्वार खोलता है, लोगों को एक-दूसरे की संस्कृति की बेहतर समझ प्राप्त करने में सक्षम बनाता है।” जम्मू-कश्मीर का सिनेमा की दुनिया से पुराना नाता है। सिन्हा ने कहा कि नई फिल्म नीति और बनाई गई सुविधाओं ने एक बार फिर जम्मू-कश्मीर को पसंदीदा शूटिंग गंतव्य बना दिया है और केंद्रशासित प्रदेश में फिल्म निर्माण के सुनहरे युग को वापस ला दिया है।