कोलकाता, 5 जुलाई -कलकत्ता हाई कोर्ट की एकल न्यायाधीश पीठ ने शुक्रवार को केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को राज्य संचालित स्कूलों में प्राथमिक शिक्षकों की भर्ती के लिए लिखित परीक्षा में इस्तेमाल किए गए ऑप्टिकल मार्क रिकग्निशन (ओएमआर) शीट्स के डेटा को पुनः प्राप्त करने के लिए किसी भी विशेषज्ञ एजेंसी की मदद लेने का निर्देश दिया। प्राथमिक शिक्षकों की भर्ती में 2014 में हुई भारी अनियमितताओं और भ्रष्टाचार से संबंधित मामले की सुनवाई के दौरान, न्यायमूर्ति राजशेखर मंथा की एकल पीठ ने कहा कि सीबीआई दुनिया में कहीं भी सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र में विशेषज्ञता रखने वाले निजी संस्थाओं सहित किसी भी विशेषज्ञ की मदद ले सकती है।
न्यायमूर्ति मंथा ने यह भी निर्देश दिया कि विशेषज्ञ एजेंसियों की सहायता के लिए होने वाला पूरा खर्च पश्चिम बंगाल प्राथमिक शिक्षा बोर्ड (डब्ल्यूबीबीपीई) द्वारा वहन किया जाएगा। न्यायमूर्ति मंथा ने यह भी कहा कि ओएमआर शीट्स का डेटा पुनः प्राप्त करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। क्योंकि प्राथमिक शिक्षकों की भर्ती से संबंधित भ्रष्टाचार की जड़ें वहीं छिपी हुई हैं।
दो जुलाई को, न्यायमूर्ति मंथा ने सीबीआई को निर्देश दिया था कि वे उस मूल हार्ड डिस्क को अदालत में प्रस्तुत करें, जिसमें प्राथमिक शिक्षकों की भर्ती के लिए लिखित परीक्षाओं में उपयोग की गई ओएमआर शीट्स की डिजिटाइज्ड प्रतियां संग्रहित की गई थीं।
हालांकि, शुक्रवार को, सीबीआई के वकील ने अदालत को सूचित किया कि उनके केंद्रीय एजेंसी के अधिकारी इसे अदालत में प्रस्तुत करने की स्थिति में नहीं थे। इसके बाद, न्यायमूर्ति मंथा ने एजेंसी को विशेषज्ञ एजेंसियों की मदद लेने का निर्देश दिया।
इससे पहले मंगलवार को, न्यायमूर्ति मंथा ने यह भी कहा था कि यदि हार्ड डिस्क नष्ट कर दी गई है, तो इस मामले को भी जांच के दायरे में लाया जाना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि भले ही हार्ड डिस्क नष्ट हो गई हो, तो भी मूल डेटा बोर्ड के सर्वर पर संग्रहीत हो सकता है।
KOLKATA HIGH COURT
कोलकाता । कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति अभिजीत गंगोपाध्याय ने मंगलवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया।
सूत्रों ने बताया कि न्यायमूर्ति गंगोपाध्याय ने अपना त्यागपत्र राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को भेजा है और उसकी प्रतियां प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ एवं कलकत्ता उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश टी एस शिवगणनम को भेजी हैं। न्यायमूर्ति गंगोपाध्याय सुबह उच्च न्यायालय में अपने चैंबर में पहुंचे, जिसके बाद उनकी ओर से त्यागपत्र भेजा गया। आज ही उनके द्वारा अपनी भावी योजना का खुलासा किये जाने की संभावना है। ऐसी अटकले हैं कि वह राजनीति में जायेंगे।
न्यायमूर्ति गंगोपाध्याय ने रविवार को घोषणा की थी कि वह पांच मार्च को (कलकत्ता उच्च न्यायालय के) न्यायाधीश पद से इस्तीफा दे देंगे। उसी के मुताबिक सोमवार को उन्होंने उच्च न्यायालय में आखिरी सुनवाई की और अपने आखिरी फैसले में मेदिनीपुर के जिलाधिकारी के खिलाफ लगे आरोपों पर उन्हें पद से बर्खास्त करने की अनुशंसा की है। हालांकि इस पर फैसला उन्होंने हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश टी एस शिवगणनम पर छोड़ा है। दावा किया जा रहा है कि उन्हें भारतीय जनता पार्टी की ओर से तमलुक लोकसभा सीट पर उम्मीदवार बनाया जाएगा।
कोलकाता । शिक्षक नियुक्ति भ्रष्टाचार समेत राज्य सरकार के कई बड़े मामलों में कठोर फैसले सुनाने वाले कलकत्ता हाई कोर्ट के चर्चित जस्टिस अभिजीत गांगुली अब राजनीति में एंट्री करने वाले हैं। रविवार को उन्होंने जस्टिस के पद से इस्तीफा देने की घोषणा की थी। सोमवार को वह कलकत्ता हाई कोर्ट आए हैं लेकिन केवल अपने कोर्ट में लंबित मामलों की सुनवाई कर रहे हैं। कोई आदेश नहीं देंगे। वह मंगलवार को अपना इस्तीफा सौंपने वाले हैं। इस बीच खबर है कि वह भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर तमलुक लोकसभा केंद्र से उम्मीदवार बनेंगे। माकपा ने भी उन्हें अपनी पार्टी में शामिल होने का न्यौता दिया है।
बंगाल भाजपा के वरिष्ठ विधायक और नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी ने पहले ही कहा है कि सात मार्च को वह राज्यवासियों को सरप्राइज देंगे और उसके पहले पांच मार्च को जस्टिस गांगुली का इस्तीफा एक-दूसरे से जोड़कर देखा जा रहा है। खबर है कि उसी दिन जस्टिस गांगुली भाजपा में शामिल हो सकते हैं। हालांकि इस बारे में आधिकारिक तौर पर पुष्टि किसी भी पक्ष ने नहीं की है।
जस्टिस अभिजीत गांगुली ने कहा कि वह अपना इस्तीफा राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, कलकत्ता हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश और भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ को भेजेंगे।
उल्लेखनीय है कि कोरोना काल में भी लगातार काम करने की वजह से जस्टिस गांगुली ने ढाई साल में 95 आदेश दिए थे। यह आदेश राज्य में चर्चित शिक्षक नियुक्ति भ्रष्टाचार समेत केंद्रीय योजनाओं के फंड में भ्रष्टाचार समेत अन्य ऐसे मामलों से संबंधित थे जो राज्य सरकार से जुड़े थे। इसलिए वह सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल कांग्रेस को हमेशा नागवार गुजरते रहे हैं।
(अपडेट ) पुलिस ने शुभेंदु अधिकारी को संदेशखाली जाने से फिर रोका, अधिकारी ने दी हाई कोर्ट जाने की चेतावनी
कोलकाता । बंगाल भाजपा के वरिष्ठ विधायक और नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी को एक बार फिर पुलिस ने संदेशखाली जाने से रोक दिया है। वह पार्टी के अन्य विधायकों को साथ लेकर एक बार फिर संदेशखाली जाने के प्रयास में थे, लेकिन धामाखाली में उन्हें रोक दिया गया है। यहां नदी घाट के जरिए भी वह जाने की फिराक में थे लेकिन पुलिस ने पांच नदी घाटों पर धारा 144 लगाई है। यहां जब पुलिस अधिकारियों ने शुभेंदु अधिकारी के काफिले को रोका तो भाजपा नेताओं के साथ पुलिसकर्मियों की जमकर बहस हुई।
प्रशासन की ओर से बताया गया कि डीएम के आदेश पर एंट्री प्वाइंट्स पर धारा 144 लगी हुई है, इसलिए किसी को नहीं जाने दिया जा सकता। इस पर शुभेंदु ने आरोप लगाया कि ममता बनर्जी की सरकार इलाके में महिलाओं से हुए दुष्कर्म और अन्य वारदात की घटनाओं पर पर्दा डालने के लिए तिकड़म रच रही है। उन्होंने कहा कि ममता सरकार डरी हुई है और नहीं चाहती है कि विपक्ष असल हालात से रूबरू हो। उन्होंने पुलिसकर्मियों की ओर से रोके जाने के बाद वही धरना शुरू कर दिया और प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की। शुभेंदु अधिकारी ने कहा कि यह चौथी बार है जब प्रशासन ने उन्हें संदेशखाली जाने से रोका है।
अधिकारी ने कहा कि अब वह इस जबरदस्ती के खिलाफ हाई कोर्ट का रुख करेंगे। दरअसल कलकत्ता हाई कोर्ट ने एक दिन पहले ही पूरे संदेशखाली इलाके में धारा 144 को निरस्त करने का आदेश दिया है। बावजूद इसके प्रशासन अलग-अलग एंट्री प्वाइंट्स पर धारा 144 लगा रखा है।
कोलकाता। एक से अधिक चरणों में पंचायत चुनाव कराने संबंधी प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और लोकसभा में पार्टी के नेता अधीर रंजन चौधरी की याचिका कलकत्ता हाईकोर्ट में खारिज हो गई है। मुख्य न्यायाधीश टी एस शिवगणनम की पीठ ने अधीर की याचिका खारिज की है। पिछले हफ्ते चौधरी ने याचिका लगाकर मांग की थी कि एक से अधिक चरणों में पंचायत चुनाव कराया जाए।
बुधवार को इस पर सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने कहा कि कोर्ट के आदेश अनुसार बड़ी संख्या में केंद्रीय बलों के जवान बंगाल आ रहे हैं। कानून व्यवस्था बनाए रखने और सुरक्षा के लिए कई ठोस निर्देश दिए गए हैं इसीलिए अब पंचायत चुनाव के चरण बढ़ाने की कोई जरूरत नहीं है।
अधीर चौधरी ने दावा किया था कि जिस तरह से पूरे राज्य में हिंसा का दौर जारी है उसे देखते हुए अगर एक ही चरण में चुनाव होगा तो वह केवल प्रहसन बनकर रह जाएगा। इसलिए उन्होंने एक से अधिक चरणों में चुनाव कराने की मांग वाली याचिका दाखिल की थी।
कोलकाता । पश्चिम बंगाल में जारी पंचायत चुनाव के दौरान मालदा जिले के 17 कांग्रेस उम्मीदवारों ने कलकत्ता हाई कोर्ट का रुख किया है। सोमवार को याचिका लगाकर इन्होंने कहा है कि उन्हें लगातार धमकियां मिल रही हैं इसलिए चुनाव प्रचार नहीं कर पा रहे हैं। उन्हें सुरक्षा दी जानी चाहिए।
मालदा के कांग्रेस उम्मीदवारों ने सुरक्षा की गुहार लगाते हुए जस्टिस राजशेखर मंथा की बेंच में केस दायर करने की इजाजत मांगी, जिसकी अनुमति मिल गई। मालदा के मानिकचक ब्लॉक से 15 ग्राम पंचायत उम्मीदवार हाई कोर्ट आए। इसके अलावा दो पंचायत समिति उम्मीदवारों ने भी हाई कोर्ट में सुरक्षा की मांग की। ये सभी इस बार पंचायत चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। अधिवक्ता कौस्तव बागची उनका केस लड़ रहे हैं।
कांग्रेस उम्मीदवारों ने आरोप लगाया है कि पंचायत चुनाव के लिए नामांकन जमा करने के बाद से उन्हें बार-बार धमकी दी जा रही है। डर का ऐसा माहौल बना दिया गया है कि कोई भी प्रचार करने नहीं जा पा रहा है। इसलिए चुनाव नतीजे आने तक उन्हें सुरक्षा की जरूरत है। मामले की सुनवाई मंगलवार को होगी।
पंचायत चुनाव की घोषणा के बाद से राज्य के विभिन्न हिस्सों से हिंसा की खबरें आ रही हैं। नामांकन जमा करने के लिए भांगड़, कैनिंग जैसे इलाकों में गहमागहमी बनी हुई है। अलग-अलग जिलों से बम बरामद किये गये। पुलिस रिपोर्ट के आधार पर राज्य चुनाव आयोग ने कहा कि पंचायत चुनाव हिंसा के कारण राज्य में अब तक नौ लोगों की मौत हो चुकी है।
ममता को झटका : बंगाल के पंचायत चुनाव में होगी केंद्रीय बलों की तैनाती , हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने रखा बरकरार
नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल में पंचायत चुनाव के दौरान केंद्रीय सुरक्षा बलों की तैनाती के कलकत्ता हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली राज्य सरकार और राज्य चुनाव आयोग की याचिका खारिज कर दी है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाई कोर्ट के आदेश में दखल देने की कोई वजह नहीं है।
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि चुनाव कराना हिंसा का लाइसेंस नहीं हो सकता। राज्य में हिंसा का इतिहास और मौजूदा हालात के मद्देनजर ही हाईकोर्ट ने केंद्रीय बलों की नियुक्ति का आदेश दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार से कहा कि चाहे 2013 हो या 2018 पश्चिम बंगाल में चुनाव के दौरान हिंसा का इतिहास रहा है। चुनाव कराने की आड़ में हिंसा की इजाजत नहीं दी जा सकती। लोग नामांकन पत्र ही दाखिल न कर पा रहे हैं, उनकी हत्या हो रही है। कलकत्ता हाई कोर्ट ने हिंसा की ऐसी घटनाओं के मद्देनजर ही ऐसा आदेश पास किया होगा।
सुप्रीम कोर्ट ने राज्य निर्वाचन आयोग की ओर से पेश वकील मीनाक्षी अरोड़ा से पूछा कि आपका काम है स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित कराना। दूसरे राज्यों से भी पुलिस फोर्स मंगवाई गई है। ऐसे में आपको इस आदेश से क्या दिक्कत है। अतिरिक्त बल दूसरे राज्यों की हो या केंद्र सरकार की, इसकी आपको चिंता क्यों है। तब राज्य निर्वाचन आयोग की ओर से पेश वकील ने कहा कि हाई कोर्ट का आदेश कहता है कि केंद्रीय बलों की मांग आयोग भेजे, ये काम आयोग का नहीं है। तब सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि चुनाव कराना हिंसा का लाइसेंस नहीं हो सकता है। राज्य में हिंसा का जो इतिहास रहा है, जो मौजूदा हालात हैं, उसके मद्देनजर ही हाईकोर्ट ने केंद्रीय बलों की नियुक्ति का आदेश दिया है।
पश्चिम बंगाल राज्य निर्वाचन आयोग की ओर से वकील मीनाक्षी अरोड़ा ने सुप्रीम कोर्ट से कलकत्ता हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगाने की मांग की। उन्होंने कहा कि हाई कोर्ट ने 15 जून को आदेश दिया था कि केंद्रीय बलों की तैनाती 48 घंटे के अंदर की जाए।
बता दें कि पश्चिम बंगाल सरकार ने भी कलकत्ता हाई कोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।
कोलकाता । कलकत्ता हाई कोर्ट के जस्टिस अभिजीत गांगुली ने अपने बारे में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर महत्वपूर्ण टिप्पणी की है। उन्होंने कहा-‘लॉन्ग लिव सुप्रीम कोर्ट’। मीडिया से बातचीत में उन्होंने अफसोस जताया। बोले-‘अब शायद नौकरी चाहने वाले उम्मीदवारों को जीवन भर इंतजार करना पड़े।’
जस्टिस गांगुली ने शुक्रवार को कहा था कि वह आधी रात तक कोर्ट में रुक सकते हैं जब तक कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला हाथ में न आए। रात करीब 9:45 बजे फैसले की प्रति जस्टिस गांगुली के हाथ में आई। इसके बाद वह घर निकले। यहां इंतजार कर रहे मीडियाकर्मियों से उन्होंने बात की।
जस्टिस गांगुली ने कहा-‘हम न्यायिक अनुशासन से बंधे हैं। हमें सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों का पालन करना होगा, जिन लोगों को नियुक्तियां नहीं मिलीं, वे थोड़ा दुखी हो सकते हैं, लेकिन कुछ नहीं किया जा सकता है।’ उन्होंने स्पष्ट किया कि इन मामलों में उनका ‘कोई व्यक्तिगत हित नहीं था’ और ‘न ही कोई राजनीतिक दबाव’ था। इन मामलों को अगर उन्हें बाद में फिर से सौंपा जाता है, तो वे उसी तरह सुनेंगे जैसे उन्होंने पहले सुना था।’
जस्टिस गांगुली ने कहा- ‘पिछले छह महीनों में मैंने जो किया है, उसे पूरा होने में 60 साल लगते हैं, तो कहने के लिए कुछ भी नहीं है। ‘नौकरी चाहने वालों के लिए नायक’ कहे जाने पर न्यायमूर्ति गांगुली ने टिप्पणी की कि आज (नायक की) मृत्यु हो गई है। हालांकि, उन्होंने यह स्पष्ट किया कि वह ‘जिम्मेदारियों से भागने’ वालों में से नहीं हैं और अगले सप्ताह से काम जारी रखेंगे।
सुप्रीम कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को उन्होंने मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा की पीठ के समक्ष रखी गई मूल रिपोर्ट आधीरात तक देने का निर्देश दिया था। जस्टिस गांगुली ने शुक्रवार दोपहर कहा था- ‘मैं आधी रात तक अपने कक्ष में रहूंगा। मैं सुप्रीम कोर्ट के सामने पेश किए गए दस्तावेजों पर एक नजर डालना चाहता हूं।’
नई दिल्ली । तृणमूल कांग्रेस नेता अभिषेक बनर्जी को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी राहत दी है। सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल के शिक्षक भर्ती घोटाले में अभिषेक बनर्जी के खिलाफ जांच के कलकत्ता हाईकोर्ट के आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी है। सुप्रीम कोर्ट 24 अप्रैल को अभिषेक बनर्जी की याचिका पर सुनवाई करेगा।
अभिषेक का कहना है कि उनका इस कथित घोटाले से उसका कोई संबंध नहीं है। याचिका में कहा गया है कि हाईकोर्ट ने उनके एक भाषण के आधार पर सीबीआई और ईडी को जांच का आदेश दे दिया। कलकत्ता हाईकोर्ट ने 13 अप्रैल को सीबीआई और ईडी को अभिषेक बनर्जी से पूछताछ की इजाजत दी थी। हाईकोर्ट ने कहा था कि अगर ईडी और सीबीआई को जरुरत पड़ी तो इस मामले में गिरफ्तारी आरोपी कुंतल घोष से भी पूछताछ कर सकती है।
कुंतल ने पश्चिम बंगाल पुलिस को पत्र भेजकर आरोप लगाया था कि केंद्रीय जांच एजेंसियां उस पर अभिषेक बनर्जी और तृणमूल कांग्रेस के दूसरे बड़े नेताओं के नाम घोटाले से जोड़ने का दबाव बना रही हैं। कुंतल ने कोलकाता के एक स्पेशल कोर्ट के जज को भी इसी तरह का पत्र भेजा था।
कोलकाता । कलकत्ता हाईकोर्ट ने न्यायालय के निर्देश के बाद भी शिक्षक उम्मीदवार परीक्षार्थियों को नंबर नहीं देने पर तीखी नाराजगी जताई है। न्यायमूर्ति राजशेखर मंथा ने शुक्रवार को मामले की सुनवाई के दौरान एसएससी के चेयरमैन को कोर्ट में तलब किया। उन्होंने कहा कि अब आगामी हफ्ते शुक्रवार को मामले की सुनवाई होगी। उस दिन एसएससी चेयरमैन को व्यक्तिगत तौर पर कोर्ट में हाजिर होना होगा। उन्होंने कहा कि कोर्ट के आदेश को क्यों नहीं माना जा रहा है, इसका पुख्ता जवाब चाहिए। संतोषजनक जवाब न मिलने पर पूरी नियुक्ति प्रक्रिया खारिज कर दी जाएगी।
दरअसल 2011 में 11वीं और 12वीं की शिक्षक नियुक्ति में सिलेबस के बाहर से प्रश्न पूछा गया था। 83 परीक्षार्थियों ने इसके खिलाफ याचिका लगाई थी। अधिवक्ता समीम अहमद ने याचिकाकर्ताओं का केस लड़ा है। पिछले साल जून महीने में ही हाईकोर्ट ने परीक्षार्थियों का नंबर बढ़ाने का आदेश दिया था। बावजूद इसके अभी तक इसका क्रियान्वयन नहीं किया गया है। शुक्रवार को इस मामले की सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति मंथा ने कहा कि एसएससी कोर्ट के साथ खेल रहा है। खुद ही नियुक्ति कर रहा है और खुद ही गलतियां भी कर रहा है। न्यायालय के आदेश का भी क्रियान्वयन नहीं हो रहा है। यह अचंभित करने वाला है। एक पूरी पीढ़ी के भविष्य से ये लोग खेल रहे हैं।
उन्होंने कहा कि एसएससी का हर कदम संदिग्ध है। इसके बाद ही जज ने कहा कि आवश्यकता पड़ने पर पूरी नियुक्ति रद्द कर देंगे। सारी नियुक्तियां संदिग्ध हैं। न्यायालय के निर्देश के बावजूद चालाकी करने पर कड़ा कदम उठाया जाएगा।