रांची । झारखंड हाई कोर्ट के जस्टिस एसके द्विवेदी की कोर्ट में मंगलवार को मोदी सरनेम को लेकर मानहानि से जुड़े मामले में सुनवाई हुई। कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने एमएलए-एमपी कोर्ट की ओर से उनकी याचिका खारिज किए जाने को चुनौती दी गई है। कोर्ट ने राहुल गांधी को हाजिर होने से छूट दे दी है। कोर्ट ने मामले की सुनवाई 16 अगस्त निर्धारित की है।
दरअसल, मोदी सरनेम वालों पर की गई टिप्पणी के मामले में प्रदीप मोदी की ओर से रांची सिविल कोर्ट में एक शिकायतवाद दर्ज कराया गया था। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इसी मानहानि से जुड़े मामले में रांची के एमपी-एमएलए कोर्ट में सीआरपीसी की धारा 205 के तहत एक याचिका दायर करके व्यक्तिगत हाजिर होने से छूट मांगी थी। इस याचिका में राहुल गांधी ने कहा था कि इस मामले में कार्यवाही के दौरान उन्हें उपस्थिति से छूट देते हुए अधिवक्ता के माध्यम से उपस्थित होने की अनुमति दी जाए। इसे एमपी-एमएलए कोर्ट ने 3 मई को खारिज करते हुए राहुल गांधी को इस मामले में व्यक्तिगत रूप से पेश होने का आदेश दिया था।
कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी को मंगलवार को रांची के एमएलए-एमपी कोर्ट की जज अनामिका किस्कू की कोर्ट में उपस्थित होना था। इस संबंध में राहुल गांधी के अधिवक्ता ने कोर्ट को मौखिक रूप से जानकारी दी है कि यह मामला हाई कोर्ट में सुनवाई के लिए लगा हुआ था, जिसमें हाई कोर्ट ने राहुल गांधी को व्यक्तिगत रूप से हाजिर होने से छूट दी है। साथ ही मामले के शिकायतकर्ता प्रदीप मोदी से भी जवाब मांगा है।
राहुल गांधी ने लोकसभा चुनाव-2019 के प्रचार के दौरान रांची के मोरहाबादी मैदान में कांग्रेस की सभा में नरेंद्र मोदी, नीरव मोदी, ललित मोदी का नाम लेने के साथ कहा था कि जिनके सरनाम मोदी हैं, वह सभी चोर है।
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भीड़ की पिटाई से तबरेज अंसारी की मौत के मामले में राज्य सरकार ने हाई कोर्ट से मांगा दो हफ्ते का समय
रांची । झारखंड हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस संजय कुमार मिश्र की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने सोमवार को रांची में राजेंद्र चौक के पास हंगामा और इकरा मस्जिद के पास चाकूबाजी की घटना मामले में पंकज यादव की जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। मामले में राज्य सरकार ने स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने के लिए दो सप्ताह का समय मांगा है। मामले की अगली सुनवाई 1 मई निर्धारित की है।
दरअसल, सरायकेला में तबरेज अंसारी की भीड़ की पिटाई से मौत होने के बाद रांची में 5 जुलाई 2019 को राजेंद्र चौक के पास हंगामा और इकरा मस्जिद के पास चाकूबाजी की घटना हुई थी। इस घटना की पिछली सुनवाई में कोर्ट ने डीजीपी से पूछा था कि उस दिन रांची के डोरंडा में अशांति फैलाने की घटना को लेकर कितने आरोपितों के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई थी, कितने लोगों की गिरफ्तारी की गई थी। कोर्ट ने इन सभी बिंदुओं पर डीजीपी से जवाब मांगा है। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता राजीव कुमार ने पैरवी की।
जून 2019 को सरायकेला खरसावां में तबरेज अंसारी के मॉब लिंचिंग की घटना हुई थी। इसे लेकर रांची में 5 जुलाई 2019 को मुस्लिम धर्मावलंबियों ने नमाज अदा करने के बाद हज़ारों की संख्या में रांची के उर्स मैदान में सरायकेला में तबरेज अंसारी के हत्याकांड को लेकर आक्रोश सभा किया था। सभा में तबरेज की हत्या के आरोपितों को फांसी देने की मांग की गई थी।
सुप्रीम कोर्ट से लालू को मिली राहत, चारा घोटाले में सीबीआई की याचिका पर नोटिस जारी करने से इनकार किया
नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट से चारा घोटाले में लालू यादव को बड़ी राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड के डोरंडा कोषागार से जुड़े चारा घोटाला मामले में राजद सुप्रीमो लालू यादव को झारखंड हाई कोर्ट से मिली जमानत को चुनौती देने वाली सीबीआई की याचिका पर नोटिस जारी करने से इनकार किया है। जस्टिस अजय रस्तोगी की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि पहले से लंबित मामले में इसकी सुनवाई करेंगे।
डोरंडा कोषागार से जुड़े चारा घोटाला मामले में लालू यादव को पांच साल की सजा और 60 लाख रुपये का जुर्माना भी लगा था। इस मामले में झारखंड हाई कोर्ट ने 22 अप्रैल 2022 को लालू यादव को जमानत दे दी थी। हाई कोर्ट ने लालू यादव के खराब स्वास्थ्य को देखते हुए जमानत दी थी। हाई कोर्ट के आदेश को सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।
रांची । झारखंड हाई कोर्ट के जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने मंगलवार को राज्य सरकार की ओर से एनआईए जांच की अनुशंसा संबंधी निर्णय लेने में 55 दिन का समय लेने को आधार बनाते हुए केंद्र सरकार द्वारा एनआईए जांच का आदेश दिए जाने को चुनौती दिए जाने वाली फूलेश्वर गोप क्रिमिनल रिट को खारिज कर दिया है।
याचिकाकर्ता का कहना है कि बेड़ो थाना कांड संख्या 67/ 2016 को एनआईए से जांच कराने की अनुशंसा करने में राज्य सरकार ने 55 दिनों का समय लिया है, जबकि एनआईए एक्ट के तहत सात दिनों में राज्य सरकार को निर्णय लेना होता है। याचिकाकर्ता का यह भी कहना था कि इस मामले में एनआईए ने प्रथम पूरक चार्जशीट में उसे गवाह बताया है, जबकि दूसरी पूरक चार्जशीट में उसे आरोपित बना दिया है।
याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया है कि राज्य सरकार ने महीनों बाद एनआईए जांच से कराने का आंतरिक निर्णय लिया है। इसलिए केंद्र सरकार की ओर से इस मामले की जांच एनआईए को देने का आदेश दिया जाना गलत है। इसलिए बेड़ो थाना कांड संख्या 67/ 2016 की जांच एनआईए को हैंडओवर करने के आदेश निरस्त किया जाना चाहिए।
रांची। झारखंड हाईकोर्ट के न्यायाधीश एस चंद्रशेखर की अदालत ने शनिवार को कैश कांड मामले में कांग्रेस के तीनों विधायकों को बड़ी राहत दी है। अदालत ने अरगोड़ा थाने में दर्ज जीरो एफआईआर को विधि सम्मत नहीं बताते हुए निरस्त कर दिया। साथ ही विधायकों की याचिका स्वीकृत कर दी। इस मामले की सुनवाई 24 फरवरी को हुई थी और अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
उल्लेखनीय है कि कांग्रेस के विधायक कुमार जय मंगल ने सरकार गिराने का आरोप लगाते हुए विधायक इरफान अंसारी, राजेश कच्छप और विकसल नमन कोंगाड़ी पर मामला दर्ज करवाया था। इसके बाद कांग्रेस के खिजरी विधायक राजेश कच्छप ने विधायक अनूप सिंह द्वारा कैश कांड में करायी गयी जीरो एफआईआर के खिलाफ हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। राजेश कच्छप ने हाईकोर्ट में क्रिमिनल रीट दाखिल कर इस पूरे मामले में जांच की मांग की थी।
रांची। झारखंड हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस संजय कुमार मिश्र की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने शुक्रवार को डबलिन यूनिवर्सिटी मिशन प्रॉपर्टी प्रोटेक्शन कमेटी के सचिव राजेश ए नंदी द्वारा दायर जनहित याचिका की सुनवाई की। खंडपीठ ने तथ्य छिपाकर जनहित याचिका दाखिल करने पर याचिकाकर्ता राजेश ए नंदी को मामले में प्रतिवादी से हटा दिया। साथ ही उस पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। जुर्माने की राशि याचिकाकर्ता को एक माह के भीतर एडवोकेट एसोसिएशन, झारखंड हाईकोर्ट में जमा करने का निर्देश दिया गया है।
याचिकाकर्ता की ओर से याचिका दाखिल कर कहा गया था कि डबलिन यूनिवर्सिटी मिशन ट्रस्ट की प्रॉपर्टी चैरिटेबल कार्यों हॉस्पिटल स्कूल के लिए यूज हो सकती है लेकिन छोटानागपुर डायोसी ट्रस्ट एसोसिएशन के द्वारा इसकी संपत्ति को हजारीबाग में अवैध रूप से बेचा जा रहा है, इसकी जांच कराई जाए। सुनवाई में कोर्ट को बताया गया था कि वर्ष 1930 में डबलिन यूनिवर्सिटी मिशन एक कंपनी बन गई थी, जिसका नाम डबलिन यूनिवर्सिटी मिशन ट्रस्ट एसोसिएशन था। वर्ष 1960 में इसकी एसेट एंड लायबिलिट छोटेनागपुर डायोसी ट्रस्ट एसोसिएशन मर्ज कर गया था।
रांची । देवघर में शिव बारात पहले से निर्धारित मार्ग पर ही निकली जाएगी, इसमें कोई बदलाव नहीं होगा। यह आदेश झारखंड हाई कोर्ट ने दिया है। कोर्ट ने देवघर उपायुक्त को निर्देश दिया है कि वह स्थिति स्पष्ट करें। हाई कोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश अपरेश कुमार सिंह की अध्यक्षता वाली खंडपीठ में शुक्रवार को सुनवाई के दौरान देवघर डीसी से मोबाइल से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से बात भी की गई।
कोर्ट ने कहा कि जिला प्रशासन द्वारा देवघर में शिव बारात निकाले जाने का रास्ता नहीं बदला जा सकता है। क्योंकि, जिला प्रशासन ने सुरक्षा के दृष्टिकोण से वर्षों से यह रास्ता तय कर रखा है। केवल कोविड के तीन वर्षों के दौरान यह रास्ता नहीं लिया गया था। इसलिए याचिकाकर्ता की ओर से शिव बारात का रास्ता बदलने के आग्रह पर कोर्ट हस्तक्षेप नहीं कर सकता है।
डीसी ने कोर्ट को मोबाइल पर बताया गया कि धारा 144 शिव बारात के रास्ते पर सुरक्षा के दृष्टिकोण से लगाया गया है। शिव बारात के सुरक्षा को लेकर देवघर जिला प्रशासन को कुछ आउटपुट मिला था, इसे लेकर धारा 144 लगाया गया। ऐसा नहीं है कि पूरे देवघर में धारा 144 होने से पांच या छह आदमी एक साथ एकत्रित नहीं हो सकते हैं।
कोर्ट ने समाचार पत्रों एवं अन्य संचार माध्यमों के माध्यम से देवघर डीसी को आज से ही यह जानकारी प्रसारित करने को कहा है कि देवघर में कहीं भी सीमित संख्या में लोगों के रहने को लेकर धारा 144 जैसा आदेश लागू नहीं है। साथ ही कोर्ट ने कहा है कि महाशिवरात्रि पर निकलने वाले शिव बारात के दौरान प्रशासन की ओर से लगाई गयी धारा 144 आम लोगों पर लागू नहीं होगी। हालांकि, प्रशासन ने जो रूट तय किया है, उसी रूट से शिव बारात निकलेगी।
यह जानकारी डॉ. निशिकांत दुबे के वकील प्रशांत पल्लव ने दी। उन्होंने बताया कि प्रशासन के पास इंटेलिजेंस इनपुट है कि जिस रूट से शिव बारात निकलती रही है, उस रूट पर कुछ गड़बड़ी हो सकती है। इसलिए रूट में बदलाव किया गया है।
दरअसल, इस जनहित याचिका में सांसद निशिकांत ने देवघर जिला प्रशासन द्वारा महाशिवरात्रि पर शिव बारात को लेकर धारा 144 लगाने एवं शिव बारात का मार्ग बदलने का विरोध किया है। जिला प्रशासन के इस आदेश को निरस्त करने का आग्रह किया है। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता प्रशांत पल्लव एवं पार्थ जालान पैरवी की।
उल्लेखनीय है कि देवघर में एसडीओ दीपांकर चौधरी ने आदेश जारी कर महाशिवरात्रि के दिन पूरे देवघर अनुमंडल क्षेत्र में निषेधाज्ञा लागू कर दी है। साथ ही शिव बारात निकालने को निर्धारित रूट के संबंध में आदेश जारी किया है।
महाशिवरात्रि महोत्सव समिति के अध्यक्ष अभिषेक आनंद झा ने कहा कि झारखंड हाई कोर्ट का फैसला आने के बाद शिव बरात संचालन समिति की बैठक होगी और आगे की रणनीति पर विचार किया जायेगा। अध्यक्ष ने कहा कि समिति चाहती है कि बारात का संचालन बेहतर तरीके से हो और अधिक से अधिक लोग बरात देख पायें, कहीं भी भगदड़ की स्थिति नहीं हो।
उन्होंने कहा कि समिति जिला प्रशासन से आग्रह करती है कि भगवान शिव के लिए अपना आदेश वापस लें। क्योंकि, यह किसी पार्टी विशेष का आयोजन नहीं है। यह लाखों शिवभक्तों की आस्था का सवाल है। प्रशासन के अधिकारी यदि भगवान शिव पर आस्था रखते हैं, तो अपने फैसले पर पुनर्विचार करें और समिति को बारात संचालन में सकारात्मक सहयोग करें।
रांची । चाईबासा जिले में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के खिलाफ दिये गये बयान के मामले में राहुल गांधी को झारखंड हाई कोर्ट से मिली राहत बरकरार है।
झारखंड हाई कोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस गौतम चौधरी की अदालत में राहुल गांधी की याचिका पर सुनवाई की तिथि निर्धारित की थी लेकिन किसी कारणवश सुनवाई टल गई। अगली सुनवाई के दौरान राहुल गांधी के अधिवक्ता अदालत के समक्ष दस्तावेज प्रस्तुत करेंगे। अब मामले की सुनवाई अगले सप्ताह हो सकती है। मामले में वादी राहुल गांधी की ओर से हस्तक्षेप याचिका दाखिल नहीं हो सकी थी।
उल्लेखनीय है कि यह मामला वर्ष 2019 में कांग्रेस के अधिवेशन में भाजपा के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के खिलाफ राहुल गांधी की टिप्पणी से जुड़ा है। राहुल गांधी ने कहा था कि कांग्रेस में कोई हत्यारा राष्ट्रीय अध्यक्ष नहीं बन सकता है। यह भाजपा में ही संभव है। इसे लेकर भाजपा नेता प्रताप कुमार ने चाईबासा कोर्ट में राहुल गांधी के खिलाफ शिकायतवाद दर्ज कराई थी, जिस पर चाईबासा कोर्ट ने संज्ञान ले लिया था। इसी संज्ञान आदेश को राहुल गांधी ने हाई कोर्ट में चुनौती दी है।
शिकायतकर्ता भाजपा नेता प्रताप कुमार ने राहुल गांधी के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर करते हुए कहा है कि अमित शाह के खिलाफ जितने भी केस थे, उनमें से बरी हो चुके हैं। ऐसे में राहुल गांधी की ओर से कैसे ऐसा स्टेटमेंट दिया गया है।
रांची । झारखंड हाई कोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस राजेश शंकर की अदालत में आज भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी के दल-बदल से जुड़े मामले में फैसला सुनाया जाएगा। पांच जनवरी को दोनों पक्षों की ओर से बहस पूरी होने के बाद अदालत ने इस मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। अब अदालत क्या फैसला सुनाता है, इसपर बाबूलाल और दीपिका पांडेय का राजनीतिक भविष्य टिका हुआ है। बाबूलाल मरांडी की ओर से वरीय अधिवक्ता बीपी सिंह, अभय मिश्रा और विनोद साहू ने पक्ष रखा। विधानसभा की तरफ से अधिवक्ता अनिल कुमार और दीपिका पांडे की तरफ से अधिवक्ता सुमित गड़ोडिया ने बहस की ही।
झारखंड हाई कोर्ट का अहम् फैसला : ट्रांसपोर्ट व अन्य विभागों में संविदा पर 10 साल से कार्यरत कर्मचारी नियमित किये जाएँ
रांची । झारखंड हाई कोर्ट के ने गुरुवार को ट्रांसपोर्ट विभाग एवं अन्य विभागों में 10 साल से अधिक काम करने वाले कर्मियों को परमानेंट करने का आदेश दिया है। हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति डॉ. एसएन पाठक की बेंच ने नरेंद्र कुमार तिवारी सहित 11 अलग-अलग याचिकाओं पर यह आदेश दिया है । याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता इंद्रजीत सिन्हा एवं अधिवक्ता विपुल पोद्दार ने पैरवी की।
मालियम हो कि ट्रांसपोर्ट सहित अन्य विभाग में संविदा पर 10 साल से ज्यादा काम करने वाले कर्मियों ने सेवा नियमित करने की राज्य सरकार से गुहार लगाई थी। राज्य सरकार ने उनके आग्रह को नामंजूर कर दिया था, जिसके बाद उन्होंने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। वर्ष 2017 में हाई कोर्ट ने उनकी याचिका को खारिज कर दिया था। इसके बाद सभी याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की। सुप्रीम कोर्ट ने विभाग को केस रिमांड बैक कर दिया और गाइडलाइन फ्रेम कर ट्रांसपोर्ट विभाग में 10 साल से ज्यादा काम कर रहे हैं कर्मियों को नियमित करने पर निर्णय लेने का निर्देश दिया था।
राज्य सरकार की ओर से फिर से उनके आग्रह को खारिज कर दिया गया। इन्हें वर्ष 2018 में नौकरी से हटा दिया गया। इसे लेकर सभी याचिकाकर्ता ने हाई कोर्ट में रिट याचिका दाखिल की थी, जिस पर गुरुवार को हाई कोर्ट ने आदेश सुनाया है। कोर्ट ने सभी याचिकाकर्ता की याचिका को स्वीकार करते हुए उनकी सेवा को नियमित करने का आदेश राज्य सरकार को दिया है।