डिब्रूगढ़ (असम)। डिब्रूगढ़ सेंट्रल जेल के अधीक्षक नृपेन दास को पुलिस ने गिरफ्तार किया है। जेल अधीक्षक पर खालिस्तान समर्थक अमृतपाल सिंह और उसके साथियों की मदद करने का आरोप लगा है। कुछ दिन पहले इन कैदियों के पास से मोबाइल फोन, सिम कार्ड, स्पाईकैम समेत कई आपत्तिजनक सामग्री बरामद की गई थी।
आपत्तिजनक सामग्री जब्त की
पुलिस सूत्रों ने शुक्रवार को बताया कि डिब्रूगढ़ सेंट्रल जेल में कई आपत्तिजनक सामग्री जब्त की गई थी। गत 17 फरवरी को पुलिस ने सिम कार्ड, टीवी रिमोट, जासूसी कैमरे सहित आपत्तिजनक सामग्री जब्त की थी। पुलिस महानिदेशक जीपी सिंह ने घटना के बारे में ट्वीट किया था। नृपेन दास को इस घटना के सिलसिले में दर्ज एक मामले के आधार पर बीती रात को गिरफ्तार किया गया।
जेल से अंजाम दे रहा था देश विरोधी गतिविधियों को
डिब्रूगढ़ जेल के एनएसए सेल में बंद खालिस्तान समर्थक अमृतपाल सिंह और उसके साथियों के पास से बड़ी मात्रा में सिम कार्ड, टीवी रिमोट, जासूसी कैमरे और आपत्तिजनक सामग्री जब्त की गई थी। जेल से ही वह देश विरोधी गतिविधियों को अंजाम दे रहा था। अमृतपाल सिंह रासुका के तहत डिब्रूगढ़ सेंट्रल जेल में बंद है। पिछले साल 23 अप्रैल को पंजाब में गिरफ्तार किए जाने के बाद से अमृतपाल और उसके 10 सहयोगियों को डिब्रूगढ़ जेल में रखा गया है। पुलिस जेल अधीक्षक से आगे की पूछताछ कर रही है।
Jail Superintendent
नई दिल्ली। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने रंगदारी मामले में सत्येंद्र कुमार जैन के खिलाफ एक और केस दर्ज करने के लिए दिल्ली के उपराज्यपाल से मंजूरी मांगी है। सीबीआई ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के प्रावधानों के तहत यह अनुमति मांगी है।
तिहाड़ जेल में बंद सुकेश चंद्रशेखर सहित अन्य कैदियों को जेल में आराम से रहने के लिए कथित ताैर पर दिल्ली के पूर्व मंत्री सत्येंद्र कुमार जैन के खिलाफ जबरन वसूली के आरोप की जांच को आगे बढ़ाने और एक मामला और दर्ज करने के लिए उपराज्यपाल वीके सक्सेना से मंजूरी मांगी गई है।
सीबीआई का आरोप है कि सत्येंद्र कुमार जैन द्वारा जेल अधिकारियों, निजी व्यक्तियों और सहयोगियों की मिलीभगत से जेल में वसूली का रैकेट चलाया जा रहा था। इस तरह से एक गिरोह के रूप में इन लोगों ने काम किया। दिल्ली एलजी कार्यालय को पूर्व मंत्री जैन के खिलाफ जबरन वसूली के आरोपों की जांच के लिए सीबीआई से अनुरोध प्राप्त हुआ है। सीबीआई ने तत्कालीन तिहाड़ जेल अधीक्षक दानिक्स अधिकारी राज कुमार के खिलाफ भी इसी तरह की जांच के लिए एलजी से मंजूरी मांगी है।
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश में दोषी कैदियों की समय पूर्व रिहाई के मामले पर सुनवाई करते हुए उत्तर प्रदेश राज्य विधिक सेवाएं प्राधिकार को निर्देश दिया कि वो हर जिले की जेलों के जेल अधीक्षक से हर महीने जानकारी एकत्र करेंगे कि जेल में बंद ऐसे कौन दोषी कैदी हैं, जिनकी समय पूर्व रिहाई की जा सकती है। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने ये आदेश दिया।
कोर्ट ने राज्य विधिक सेवाएं प्राधिकार को ये भी पता लगाने को कहा कि कौन से मामले में यह छूट राज्य की ओर से दी जा रही है तथा नीति के तहत पारदर्शी और प्रभावी तरीके से समय पूर्व रिहाई का लाभ दिया जा रहा है। कोर्ट ने राज्य विधिक सेवाएं प्राधिकार को निर्देश दिया कि वो पहली अप्रैल, पहली अगस्त और पहली दिसंबर को इस पर निगरानी के लिए बैठक करेगा। ये बैठक कोर्ट के आदेश का सही से पालन करने के लिए राज्य के गृह विभाग के इंचार्ज के साथ जेल महानिदेशक करेंगे।
कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वो कानूनी नियमों के तहत समय से पूर्व रिहाई पर अदालत के निर्देशों के तहत कार्य करेगा और मामलों का तीन महीने में निपटारा किया जाएगा। कोर्ट ने कहा कि ऐसे दोषियों की आनलाइन सूची तैयार की जाएगी, जिससे इसकी जानकारी आसानी से मिल सके कि कौन से दोषी कैदी हैं, जो समय से पूर्व रिहाई के योग्य है।
इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने बिहार, मध्य प्रदेश, राजस्थान और महाराष्ट्र में उम्रकैद की सजा में बंद दोषियों की समय से पूर्व रिहाई के मामले में नोटिस जारी किया। कोर्ट ने इन राज्य सरकारों से कहा कि वे इस बात का जवाब दें कि वे दोषी कैदियों के समय से पूर्व रिहाई के लिए किस तरह से प्रक्रिया अपना रहे हैं।
कोर्ट ने 5 जनवरी को उत्तर प्रदेश के जेल महानिदेशक को व्यक्तिगत हलफनामा दायर कर बताने को कहा था कि लंबे अरसे से जेल में बंद सजायफ्ता कैदियों की समय से पहले रिहाई के लिए उन्होंने क्या कदम उठाए हैं। कोर्ट ने उत्तर प्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकार को नोटिस जारी करते हुए कहा था कि वो राज्य के सभी जेलों में जाकर ऐसे कैदियों का पता लगाए, जिनकी समय से पहले रिहाई हो सकती है। सितंबर 2022 में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि बिना कैदी की तरफ से आवेदन मिले भी रिहाई पर विचार किया जा सकता है।
कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के जेल महानिदेशक को निर्देश दिया था कि वो व्यक्तिगत हलफनामा में ये बताएं कि रशीदुल जफर बनाम उत्तर प्रदेश सरकार के फैसले के मुताबिक क्या कदम उठा रहे हैं। कोर्ट ने ये भी बताने का निर्देश दिया था कि वो हर जिले में समय पूर्व रिहा हो सकने वाले कैदियों की संख्या बताएं। कोर्ट ने राज्य सरकार के अगस्त 2018 के उस नीति का जिक्र किया था, जिसमें उम्रकैद की सजा पाए कैदियों को हर गणतंत्र दिवस के दिन समय पूर्व रिहा करने का प्रावधान किया गया है। इस नीति में समय पूर्व रिहा होने वाले कैदियों का वर्गीकरण किया गया है।