ओडिशा,13 जुलाई- राज्य सरकार ओडिशा के पुरी स्थित जगन्नाथ मंदिर के रत्न भंडार को 1978 के बाद से फिर से खोलने के बारे में लेगी फैसला। 1978 में आखिरी बार मंदिर का रत्न भंडार 46 साल पहले खोला गया था। ओडिशा के लोकसभा और विधानसभा चुनाव प्रचार के समय मंदिर को फिर से खोलने का मुद्दा एक प्रमुख राजनीतिक मुद्दा बना था।
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विधानसभा चुनाव प्रचार के समय भाजपा ने वादा किया था कि अगर ओडिशा में भाजपा की सरकार बनती है तो 12वीं शताब्दी के जगन्नाथ मंदिर के रत्न भंडार को फिर से खोला जायेगा ताकि उसका लेखा-जोखा कर सके।
राज्य सरकार के क़ानूनी विभाग के अंतर्गत पुरी में स्थित जगन्नाथ मंदिर का प्रबंधन शामिल है।ओडिशा हाई कोर्ट के पूर्व जज विश्वनाथ रथ की अध्यक्षता वाले उच्च स्तरीय पैनल के प्रस्तावों को मंदिर की प्रबंधन समिति ने स्वीकृति दे दी है साथ ही कुछ बदलाव स्टैण्डर्ड ऑपरेटिंग प्रोसिजर्स (SOPs) किये गए है और सरकार की मंजूरी के लिए इसे भेजा गया है। वही ओडिशा के कानून मंत्री पृथ्वीराज हरिचंदन ने कहा कि राज्य सरकार मंदिर प्रबंधन समिति द्वारा सिफारिश किए गए SOP के कानूनी और अन्य पहलुओं की जांच कर रही है। शनिवार को राज्य सरकार अपने निर्णय के बारे में बताएगी।
मंदिर के रत्न भंडार और कीमती आभूषणों की जांच और लेखा-जोखा करने के लिए राज्य सरकार द्वारा गठित 16 सदस्यीय उच्च स्तरीय समिति ने 14 जुलाई को मंदिर को खोलने की सिफारिश की थी
बता दे की चार धामों में से एक ओडिशा के पुरी में स्थित जगन्नाथ मंदिर 12वीं शताब्दी में बना है जोकि दो हिस्सों में बंटा है, मंदिर का बाहरी हिस्सा खुला हुआ है लेकिन आंतरिक भाग बहुत समय से बंद है।
रिपोर्ट्स के अनुसार मंदिर के रत्न भंडार में भगवान जगन्नाथ, बलराम और सुभद्रा के कीमती आभूषण रखे हुए हैं, जो किसी जमाने में राजाओं ने दान किए थे।