नई दिल्ली । मनी लांड्रिंग मामले में जेल में बंद दिल्ली सरकार के मंत्री सत्येंद्र जैन की जमानत याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट ने सुनवाई टाल दी है। मामले की सुनवाई कर रहे जस्टिस दिनेश कुमार शर्मा के उपलब्ध नहीं होने के कारण सुनवाई टाली गई। अब केस की अगली सुनवाई 5 जनवरी को होगी।
कोर्ट ने 1 दिसंबर को ईडी को नोटिस जारी किया था। सत्येंद्र जैन ने ट्रायल कोर्ट की ओर से जमानत न दिए जाने के आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती दी है। 17 नवंबर को राऊज एवेन्यू कोर्ट ने सत्येंद्र जैन समेत तीन आरोपितों की जमानत याचिका खारिज कर दी थी। कोर्ट ने सत्येंद्र जैन के अलावा इस मामले के आरोपितों वैभव जैन और अंकुश जैन की जमानत याचिका भी खारिज करने का आदेश दिया था।
HEARING POSTPONED
मुंबई । शिवसेना के नेतृत्व वाली महा विकास आघाडी सरकार के समय हुए बहुचर्चित वसूली मामले में मंगलवार को बाॅम्बे हाई कोर्ट ने पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख की जमानत याचिका पर सुनवाई 2 दिसंबर तक टाल दी है।
हाई कोर्ट के जज एमएस कार्णिक की एकल पीठ ने सेंट्रल इंवेस्टिगेशन ब्यूरो (सीबीआई) के अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) अनिल सिंह के अस्वस्थ होने के वजह से इस मामले की सुनवाई मंगलवार को सुनवाई नहीं की। कोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई के लिए 2 दिसंबर तय की है।
जानकारी के अनुसार अनिल देशमुख (73) ने विशेष कोर्ट में जमानत याचिका खारिज होने के बाद पिछले महीने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। उन्होंने अपनी याचिका में चिकित्सा कारणों से जमानत देने की मांग की है। अनिल देशमुख के वरिष्ठ वकील विक्रम चौधरी ने मंगलवार को इस याचिका पर सुनवाई की मांग करते हुए कहा कि देशमुख पिछले साल नवंबर से जेल में हैं। इसलिए याचिका पर सुनवाई की जानी चाहिए, लेकिन जज एमएस कार्णिक ने कहा कि वह इस मामले में दोनों पक्षों की विस्तृत जिरह सुनेंगे, इसके बाद ही मामले पर फैसला सुनाएंगे। इसके बाद कोर्ट ने इस मामले की विस्तृत सुनवाई के लिए 2 दिसंबर करने के निर्देश दिए।
दरअसल, मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह ने पूर्व गृहमंत्री अनिल परब पर सौ करोड़ रुपये प्रतिमाह रंगदारी वसूलने का टारगेट देने का आरोप लगाया था। इस मामले में सीबीआई ने मामला दर्ज किया था और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को मामले की मनी लॉड्रिंग के तहत जांच करने का निर्देश दिया था। ईडी ने अनिल देशमुख के खिलाफ मनी लॉड्रिंग एंगल से भी मामला दर्ज किया था और देशमुख को गिरफ्तार किया था। हालांकि ईडी के मामले में अनिल देशमुख को जमानत मिल गई है, लेकिन अभी तक उन्हें सीबीआई के मामले में जमानत नहीं मिली है। अनिल देशमुख फिलहाल न्यायिक कस्टडी में हैं और उन्हें मुंबई के आर्थररोड जेल में रखा गया है।
कोलकाता । ममता कैबिनेट में कारागार राज्य मंत्री अखिल गिरी द्वारा राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के खिलाफ की गई आपत्तिजनक टिप्पणी मामले में सुनवाई कलकत्ता हाई कोर्ट में मंगलवार को टल गई है। मामले में आज सुनवाई होनी थी लेकिन संबंधित कागजात अधूरे होने की वजह से कोर्ट ने बुधवार को सुनवाई की तारीख मुकर्रर की गई है। पता चला कि अखिल गिरी को इस मामले से संबंधित कागजात नहीं भेजे गए थे जिसकी वजह से सुनवाई टल गई है। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव की खंडपीठ में याचिका लगी है जो सुनवाई के लिए आज लिस्टेड थी।
दरअसव नंदीग्राम के गोकुल नगर में शहीद स्मरण जनसभा के दौरान अखिल ने राष्ट्रपति की सूरत पर आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। इसे लेकर देशभर में विरोध प्रदर्शन हुए हैं जिसके बाद गिरी ने माफी मांग ली थी। अपने मंत्री के बयान के लिए एक दिन पहले ही मुख्यमंत्री और सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल कांग्रेस की सुप्रीमो ममता बनर्जी ने भी माफी मांगी है। उन्होंने चेतावनी दी है कि अगर इस तरह की बयानबाजी भविष्य में होगी तो पार्टी कड़ी कार्रवाई करेगी।
नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट ने यूपी के लखीमपुर खीरी में आंदोलनकारी किसानों को गाड़ी से कुचल कर मारने के मामले में आरोपित आशीष मिश्रा उर्फ मोनू की जमानत याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई टाल दिया। जस्टिस बीआर गवई की अध्यक्षता वाली बेंच ने जमानत याचिका को उस बेंच के समक्ष लिस्ट करने का आदेश दिया, जिसने इससे पहले इस पर सुनवाई की थी।
दरअसल, 6 सितंबर को कोर्ट ने यूपी सरकार को नोटिस जारी किया था। आशीष मिश्रा ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 26 जुलाई को आशीष मिश्रा को जमानत देने से इनकार कर दिया था। इसके पहले सुप्रीम कोर्ट ने 18 अप्रैल को आशीष मिश्रा को हाई कोर्ट से मिली जमानत को निरस्त कर दिया था, जिसके बाद आशीष मिश्रा ने सरेंडर किया था।
उल्लेखनीय है कि लखीमपुर खीरी में 3 अक्टूबर 2021 को हुई हिंसा में आठ लोगों की जान चली गई थी। इस मामले में एसआईटी ने 3 जनवरी को लखीमपुर की कोर्ट में चार्जशीट दाखिल कर चुकी है। चार्जशीट में आशीष मिश्रा को मुख्य आरोपित बनाया गया है।
नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट की संविधान बेंच ने महाराष्ट्र के शिंदे-उद्धव विवाद पर सुनवाई 29 नवंबर तक के लिए टाल दिया है। कोर्ट ने दोनों पक्ष के दो वकीलों को चार हफ्ते में मुद्दों का संकलन तैयार करने को कहा है। कोर्ट ने कहा कि हर पक्ष तय करे कि किस मुद्दे पर कौन जिरह करेगा, ताकि सुनवाई जल्द निपट सके।
27 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय संविधान बेंच ने उद्धव गुट की याचिका खारिज करते हुए पार्टी के चुनाव चिह्न को लेकर निर्वाचन आयोग की कार्रवाई रोकने से इनकार कर दिया था। संविधान बेंच में जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ के अलावा जस्टिस एम आर शाह, जस्टिस कृष्ण मुरारी, जस्टिस हीमा कोहली और जस्टिस पीएस नरसिम्हा शामिल हैं।
23 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने शिवसेना का मामला 5 जजों की संविधान बेंच को सौंपा था। तत्कालीन चीफ जस्टिस एनवी रमना की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय बेंच ने कहा था कि संविधान बेंच तय करेगी कि क्या स्पीकर के खिलाफ प्रस्ताव लंबित हो तो वह अयोग्यता पर सुनवाई कर सकते हैं। पार्टियों के आंतरिक लोकतंत्र और उसमें चुनाव आयोग की भूमिका पर भी संविधान बेंच विचार करे।