प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मुस्लिम पक्ष को बड़ा झटका देते हुए ज्ञानवापी मामले में दायर याचिकाओं को खारिज कर दिया है। ये याचिकाएं सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड और अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी द्वारा दायर की गईं थी। हाईकोर्ट की एकल पीठ ने हिंदू उपासकों द्वारा दायर और वाराणसी जिला कोर्ट के समक्ष लंबित 1991 के सिविल मुकदमे की स्थिरता के खिलाफ दो याचिकाओं को खारिज कर दिया। इसके साथ ही कोर्ट ने 2021 के एएसआई सर्वेक्षण आदेश के खिलाफ तीन याचिकाओं को खारिज कर दिया।
हाईकोर्ट ने ज्ञानवापी परिसर के स्वामित्व विवाद को लेकर महत्वपूर्ण फैसला दिया है। हाईकोर्ट ने सिविल वाद को पोषणीय माना है और कहा है कि प्लेसेस आफ वर्शिप एक्ट 1991 से सिविल वाद बाधित नहीं है। आदेश 7 नियम 11सिविल प्रक्रिया संहिता के तहत सिविल वाद निरस्त नहीं किया जा सकता।
यह आदेश न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल ने अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी व सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की तरफ से दाखिल याचिकाओं को खारिज करते हुए दिया है। कोर्ट ने कहा यह सिविल वाद राष्ट्रीय महत्व का है। दो व्यक्तिगत पक्षों के बीच विवाद नहीं है। यह दो बड़े समुदायों को प्रभावित करता है।
कोर्ट ने कहा 32 साल से सिविल वाद लंबित है। पिछले 25 साल तक अंतरिम आदेश के कारण सुनवाई रुकी रही। कोर्ट ने कहा राष्ट्र हित में सिविल वाद यथाशीघ्र तय होना चाहिए। दोनों पक्ष सुनवाई में देरी के बगैर सुनवाई में सहयोग करें। कोर्ट ने अधीनस्थ अदालत को यथासंभव छः माह में वाद तय करने का निर्देश दिया है और कहा है कि सुनवाई अनावश्यक रूप से स्थगित न की जाय। ऐसी दशा में पक्ष पर भारी हर्जाना लगाया जाय।
कोर्ट ने ए एस आई को साइंटिफिक सर्वे रिपोर्ट अदालत में पेश करने का निर्देश दिया और कहा कि जरूरी होने पर सर्वे जारी रखा जाय। अधीनस्थ अदालत आदेश जारी करें।
कोर्ट ने अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी व सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की सभी याचिकाएं खारिज कर दी है । हाईकोर्ट का यह फैसला ज्ञानवापी स्थित स्वयंभू भगवान विश्वेश्वर नाथ मंदिर के जीर्णोद्धार का मार्ग प्रशस्त करने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा। ए एस आई सर्वे रिपोर्ट के आधार पर ज्ञानवापी परिसर के स्वामित्व विवाद का हल निकल सकेगा। करोड़ों हिंदुओं की आस्था जीवंत हो उठेगी। कोर्ट ने सभी अंतरिम आदेश भी समाप्त कर दिए हैं।
कोर्ट ने कहा कि प्लेसेस आफ वर्शिप एक्ट 1991मे धार्मिक चरित्र परिभाषित नहीं किया गया है केवल पूजा स्थल व बदलाव को परिभाषित किया गया है। किसी स्थान का धार्मिक चरित्र क्या है यह दोनों पक्षों के दावे प्रतिदावे व पेश सबूतों के आधार पर सक्षम अदालत तय कर सकती है। विवादित मुद्दा तथ्य व कानून का है। कोर्ट ने कहा ज्ञानवापी परिसर का हिंदू धार्मिक चरित्र है या मुस्लिम धार्मिक चरित्र, साक्ष्यों के आधार पर प्रारंभिक कानूनी मुद्दे नियत कर अदालत तय कर सकती हैं। कोर्ट ने कहा 1991का कानून पूजा स्थल में 15 अगस्त 1947की स्थिति में बदलाव को प्रतिबंधित करता है। किंतु कानून में पूजा स्थल का धार्मिक चरित्र तय करने की प्रक्रिया नहीं दी गई है। कोर्ट ने कहा 1991 में दाखिल सिविल वाद 32 साल से लंबित है। जिसका राष्ट्रीय हित में निस्तारण होना जरूरी है।
GYANVAPI MASJID ISSUE
प्रयागराज । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मंगलवार को वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद और विश्वेश्वर मंदिर विवाद मामले में सुनवाई करते हुए दाखिल सभी याचिकाएं खारिज कर दी।
कोर्ट ने सर्वे जारी रखने की छूट दी है और कहा है कि सर्वे रिपोर्ट कोर्ट में दाखिल हो। यह आदेश सुनवाई करते हुए जस्टिस रोहित रंजन अग्रवाल ने दिया है। कोर्ट ने कहा है कि वाराणसी जिला अदालत में चल रहा वाद सिविल वाद प्लेसेस आफ वर्शिप एक्ट से बाधित नहीं।
इसके पूर्व हाईकोर्ट ने हिन्दू पक्ष के 1991 के मुकदमे को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करने के बाद फैसला सुरक्षित कर लिया था। वाराणसी कोर्ट में सिविल वाद दायर है। कुल 5 याचिकाओं पर सुनवाई चल रही है। दो याचिकाएं सिविल वाद की पोषणीयता और तीन याचिकाएं एएसआई सर्वे आदेश के खिलाफ है।
नई दिल्ली । सर्वोच्च न्यायालय ने वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद परिसर का सर्वे करने के ट्रायल कोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी है। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने ज्ञानवापी मस्जिद कमेटी को 26 जुलाई तक ट्रायल कोर्ट के फैसले को इलाहाबाद हाई कोर्ट में चुनौती देने का आदेश दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 26 जुलाई तक ट्रायल कोर्ट के आदेश पर रोक लगी रहेगी।
सुप्रीम कोर्ट ने एएसआई की उस दलील को नोट किया कि वो ज्ञानवापी मस्जिद की खुदाई नहीं करने जा रही है। एएसआई की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने ये सूचित किया। आज मस्जिद कमेटी की ओर से वकील हुफैजा अहमदी ने चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली बेंच के समक्ष मेंशन करते हुए आज ही सुनवाई की मांग की।
सुनवाई के दौरान हिंदू पक्ष की ओर से पेश वकील श्याम दीवान ने कहा कि इसके पहले सुप्रीम कोर्ट ने शिवलिंग जैसी संरचना की उम्र का पता लगाने के लिए साइंटिफिक सर्वे कराने के आदेश पर रोक लगाई थी। अब ट्रायल कोर्ट के सर्वे आदेश में शिवलिंग जैसी संरचना को शामिल नहीं किया गया है। तब अहमदी ने कहा कि एएसआई ने मस्जिद की खुदाई शुरू कर दी है। तब कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल से कहा कि आप एएसआई से पूछ कर बताइए कि क्या खुदाई हो रही है।
कुछ देर बाद मेहता ने कोर्ट को बताया कि मस्जिद की एक ईंट भी नहीं हटाई गई है। केवल पैमाइश और फोटोग्राफी हो रही है। उन्होंने कहा कि एएसआई की अभी मस्जिद की खुदाई की कोई योजना नहीं है। उसके बाद कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के आदेश पर रोक लगाते हुए मस्जिद कमेटी को इलाहाबाद हाई कोर्ट जाने को कहा।
वाराणसी। जिला कोर्ट ने ज्ञानवापी परिसर का एएसआई सर्वे करने की मंजूरी दे दी है। काशी विश्वनाथ मंदिर के पास स्थित मां श्रृंगार गौरी-ज्ञानवापी मस्जिद मामले में पूरे ज्ञानवापी परिसर की पुरातात्विक एवं वैज्ञानिक जांच कराई जाएगी। इससे पहले 14 जुलाई को हुई सुनवाई में कोर्ट ने 21 जुलाई तक के लिए फैसला सुरक्षित रख लिया था।
काशी विश्वनाथ मंदिर के पास स्थित मां श्रृंगार गौरी-ज्ञानवापी मस्जिद मामले वाराणसी कोर्ट का अहम फैसला आया है। हिंदू पक्ष के वकील का कहना था कि काशी विश्वनाथ मंदिर – ज्ञानवापी मस्जिद विवाद को पूरे मस्जिद परिसर की पुरातात्विक जांच द्वारा ही हल किया जा सकता है। जबकि मुस्लिम पक्ष एएसआई सर्वे का विरोध कर रहा है।
ज्ञानवापी क्या विवाद है
ज्ञानवापी का ताजा विवाद मस्जिद परिसर में श्रृंगार गौरी और अन्य देवी-देवताओं की रोज पूजा के अधिकार की मांग के बाद खड़ा हुआ। ये मूर्तियां ज्ञानवापी मस्जिद की बाहरी दीवार पर स्थित हैं। इस विवाद की शुरुआत 18 अगस्त 2021 को हुई थी, जब 5 महिलाओं ने श्रृंगार गौरी मंदिर में रोजाना पूजन और दर्शन की मांग को लेकर अदालत का दरवाजा खटखटाया था। दरअसल पहले इस परिसर में साल में केवल 2 बार परंपरा के मुताबिक पूजा की जाती थी, लेकिन फिर इन महिलाओं ने मांग की, कि अन्य देवी देवताओं की पूजा में बाधा नहीं आनी चाहिए।
जब ये अपील कोर्ट के सामने आई तो उसने मस्जिद परिसर में सर्वे और वीडियोग्राफी करने के आदेश दिए इस पर रिपोर्ट देने के लिए कहा। सर्वे के दूसरे दिन सर्वे टीम के मस्जिद में घुसने को लेकर भी काफी हंगामा हुआ और टीम मस्जिद के अंदर दाखिल नहीं हो पाई थी।