हरिद्वार । तीर्थनगरी में कार्तिक पूर्णिमा स्नान पर्व पर देश के विभिन्न राज्यों से आए लाखों लोगों ने हरकी पैड़ी ब्रह्मकुंड समेत गंगा के विभिन्न घाटों पर पुण्य की डुबकी लगाई। गंगा स्नान पर्व पर श्रद्धालुओं की भीड़ को देखते हुए पुलिस प्रशासन ने सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए थे।
पूरे मेला क्षेत्र को 9 जोन और 33 सेक्टरों में बांटा गया। भीड़ के कारण शहर में कई स्थानों पर जाम की स्थिति बनी रही। अल सुबह से शुरू हुआ गंगा स्नान का सिलसिला अनवरत पूरे दिन जारी रहा। कड़ाके की ठंड़ के बाद भी आस्था लोगों को गंगा में तटों तक खींच लाई।
कार्तिक पूर्णिमा के स्नान के लिए कल देर शाम से ही श्रद्धालुओं के तीर्थनगरी में आने का सिलसिला जारी हो गया था। श्रद्धालुओं ने अल सुबह से ही हरकी पैड़ी पहुंचकर आस्था की डुबकी लगाई। हर की पैड़ी के अलावा आसपास के गंगा घाटों पर भी श्रद्धालुओं की भारी भीड़ रही। कड़ाके की ठंड के बाद भी लाखों श्रद्धालुओं ने गंगा में डुबकी लगाई। इस दौरान चप्पे-चप्पे पर पुलिस बल तैनात रहा। प्रत्येक गंगा घाट पर जल पुलिस के गोताखोर तैनात रहे। पूरे मेला क्षेत्र को 9 जोन और 33 सेक्टरों में बांटा गया। सम्पूर्ण मेला क्षेत्र पर सीसीटीवी कैमरों के माध्यम से कड़ी निगरानी रखी गई। किसी भी संदिग्ध परिस्थितियों से निपटने के लिए पुलिस बल को अलर्ट रखा गया।
महिलाओं से छेड़छाड़ अथवा किसी तरह की अमर्यादित घटना के मद्देनजर महिला घाटों पर महिला पुलिसकर्मियों की तैनाती की गई। इसके अलावा मनसा देवी, चंडी देवी, बिल्केश्वर महादेव मंदिर सहित तमाम मन्दिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ को नियंत्रित रखने के लिए ट्रैफिक पुलिसकर्मियों की तैनाती की गई।
हाइवे पर रखी कड़ी नजर-
कार्तिक पूर्णिमा स्नान पर्व के मद्देनजर पुलिस ने शहर से हाइवे तक की सड़कों पर लगने वाले जाम को नियंत्रित करने के लिए विशेष प्लान बनाया। इसके लिए हाईवे पर भारी वाहनों का प्रवेश पूर्णतः वर्जित किया गया। इसके अलावा अंदर आने वाले छोटे वाहनों के लिए भी डायवर्जन बनाए गए। सभी वाहनों को निर्धारित पार्किंग में भेजने के लिए पुलिसकर्मियों को सख्त निर्देश दिए गए थे। बावजूद इसके कुछ स्थानों पर जाम की स्थिति देखने को मिली।
पूरे स्नान पर्व के दौरान नियुक्त पुलिस बल में 9 पुलिस उपाधीक्षक, 16 थाना प्रभारी, 59 सब इंस्पेक्टर, 11 टीम अभिसूचना इकाई बीडीएस, 2 टीम डॉग, 2 टीम घुड़सवार पुलिस, 4 टीम जल पुलिस, 2 कंपनी पीएसी,1 प्लाटून डेढ़ सेक्शन व 3 यूनिट फायर के साथ भारी संख्या में पुलिस बल की की गई थी। समाचार लिखे जाने तक स्नान का सिलसिला जारी था।
Guru Purnima
वाराणसी। गुरु पूर्णिमा पर सोमवार को नरहरपुर ईश्वरगंगी स्थित पातालपुरी मठ में सुखद नजारा रहा। हनुमान चालीसा फेम नाजनीन अंसारी की अगुवाई में मुस्लिम महिलाओं और युवकों ने मठ के पीठाधीश्वर महंत बालक दास की आरती उतारी और सलाम पेश कर रामनामी दुपट्टा ओढ़ाकर कर गुरु पद के प्रति सम्मान का भाव दिखाया।
इस दौरान मुस्लिम महिला फाउंडेशन की नेशनल सदर नाजनीन अंसारी ने कहा कि काशी ज्ञान की नगरी है। यहां के गुरुओं ने विश्व को शांति का मार्ग दिखाया है। गुरु किसी जाति और धर्म के नही होते। गुरु जीवन को बदलने और बेहतर दिशा देने वाला होता है। गुरु वही हैए जो सब भेद खत्म कर दे।
मुस्लिम धर्म गुरु अफसर बाबा ने कहा कि काशी गुरुओं की नगरी है। गुरु पूर्णिमा पर मुसलमान गुरुओं के सम्मान में पीछे क्यों रहें। विद्या और ज्ञान देने वाला गुरु सदैव महान होता है और उसकी इज्जत सभी को करनी चाहिए। धर्म के नाम पर हिंसा करने वालों के लिए यह बेहतर सबक है। धर्म जाति के नाम पर भेद मिटाकर भारत की सांस्कृतिक पहचान कायम रखने वाली काशी का यह अद्भुत नजारा भले ही विदेशियों की नजरों में खटके, लेकिन साम्प्रदायिक एकता की मिसाल बना पातालपुरी मठ आज दुनिया के लिए जरूरत है और महंत बालक दास जैसे गुरु ही जलते हुए विश्व को भक्ति की शीतलता प्रदान कर सकते हैं।
राम भक्ति की धारा बहाने वाला रामानंदी परंपरा का पातालपुरी मठ ने गुरु पूर्णिमा पर्व पर सबके लिए दरवाजे खोल दिये हैं। पातालपुरी मठ के पीठाधीश्वर महंत बालक दास ने राम भक्ति के लिए सभी भेद को खत्म कर रामानन्द की वही परम्परा स्थापित की है। जिसमें उन्होंने धर्म जाति से ऊपर उठकर कबीर और रैदास को अपना शिष्य बनाया। महंत बालक दास के शिष्यों में मुसलमान भी शामिल हैं। सभी मुस्लिम शिष्य गुरु पूर्णिमा पर मठ में गुरु का वंदन करने के लिए पहुंचे थे।
प्रयागराज। गुरु पूर्णिमा पर श्रीमज्ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगदगुरु शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती ने बताया कि दीक्षा शब्द की उत्पत्ति संस्कृत के ‘दक्ष’ शब्द से हुई है, जिसका अर्थ है कुशल होना। इसका दूसरा स्रोत दीक्ष शब्द है, जिसका अर्थ है समर्पण। दीक्षा का सम्पूर्ण अर्थ हुआ स्वयं का विस्तार।
उन्होंने बताया कि दीक्षा द्वारा शिष्य में यह सामर्थ्य उत्पन्न होता है कि गुरु से प्राप्त ऊर्जा द्वारा शिष्य के अंदर आतंरिक ज्योति प्रज्ज्वलित होती है। जिसके प्रकाश में वह अपने अस्तित्व के उद्देश्य को देख पाने में सक्षम होता है। दीक्षा से अपूर्णता का नाश और आत्मा की शुद्धि होती है।
उन्होंने कहा कि गुरु का ईश्वर से साक्षात सम्बन्ध होता है। ऐसा गुरु जब अपनी आध्यात्मिक-प्राणिक ऊर्जा का कुछ अंश एक समर्पित शिष्य को हस्तांतरित करता है तो यह प्रक्रिया गुरु दीक्षा कहलाती है। यह आध्यात्मिक यात्रा की सबसे प्रारम्भिक सीढ़ी है।
उन्होंने बताया कि गुरु दीक्षा के उपरान्त गुरु और शिष्य दोनों का उत्तरदायित्व बढ़ जाता है। गुरु का उत्तरदायित्व समस्त बाधाओं को दूर करते हुए शिष्य को आध्यात्मिकता की चरम सीमा पर पहुंचाना होता है। वहीं शिष्य का उत्तरदायित्व हर परिस्थिति में गुरु द्वारा बताये गए नियमों का पालन करना होता है।
उन्होंने बताया कि गुरु की चेतना ईश्वर से निरंतर संयुक्त रहने के कारण ईश्वर तुल्य होती है। जबकि साधारण मनुष्य की चेतना संसार से जुड़ी रहने के कारण वाह्यमुखी और अधोगामी होती है। चेतना के वाह्य मुखी और अधोगामी होने के कारण ईश्वर से हमारा सम्पर्क टूट जाता है। जिसके कारण अविद्या का प्रभाव बढ़ जाता है। गुरु को प्रकृति और ईश्वर के नियमों का ज्ञान होने के कारण उनमें अज्ञानता के भंवर से निकलने की क्षमता होती है। वह शिष्य को धीरे-धीरे ज्ञान देकर, कर्मों की गति सही करवाकर और सामर्थ्य की वृद्धि करवाकर अज्ञान के इस भंवर से निकाल कर ईश्वर से सम्बन्ध स्थापित करवा देते हैं।
इसके पूर्व अलोपीबाग स्थित श्री शंकराचार्य आश्रम ब्रह्म निवास में स्थापित भगवान आदि शंकराचार्य के मूर्ति की सोमवार प्रातः 8 बजे पूजा आरती करके गुरु पूर्णिमा पर पूजा एवं चातुर्मास अनुष्ठान का शुभारम्भ हुआ। इसके साथ ही संगमनगरी के तमाम साधु-सन्यासियों के आश्रमों में आज गुरू पूर्णिमा पर दूर-दूर से भक्त अपने गुरूजनों का आशीर्वाद लेने पहुंचे हैं।
श्रीमज्ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगदगुरु शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती देश में सनातन वैदिक धर्म का प्रचार-प्रसार करके शनिवार को प्रयागराज पहुंचे हैं। भगवान आदि शंकराचार्य की पूजा के पश्चात पूज्य ज्योतिष्पीठाधीश्वर पूर्व शंकराचार्य ब्रह्मलीन स्वामी शांतानंद सरस्वती जी महाराज के भव्य सभा कक्ष में 8ः30 बजे गुरु चरण पादुका का पूजन कार्यक्रम हुआ। विभिन्न प्रांतों से आए शिष्य भक्तों ने चरण पादुका पूजन किया। इसके बाद श्रद्धालुओं को गुरु दीक्षा का कार्यक्रम शुरू हुआ।
इस मौके पर दूर-दराज से आए भक्तों के लिए भंडारे का भी आयोजन था। प्रवक्ता ओंकार नाथ त्रिपाठी ने बताया कि 4 से 7 जुलाई तक आश्रम के मैदानेश्वर बाबा मंदिर में प्रातः 9 बजे से मध्याह्न 12 बजे तक रुद्राभिषेक का कार्यक्रम होगा और चातुर्मास अनुष्ठान 29 सितम्बर तक चलेगा।