जयपुर । राजस्थान के पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट का अपनी ही कांग्रेस पार्टी की अशोक गहलोत सरकार के खिलाफ एक दिन का अनशन अनेक सवाल खड़े करके खत्म हो गया। अनशन के बाद सचिन पायलट ने कहा, “मैंने सिर्फ करप्शन पर कार्रवाई के उद्देश्य के लिए अनशन किया था। अगर कोई बात संगठन की होती, तो मैं संगठन से बात करता। साल भर से मैं मुख्यमंत्री से मांग कर रहा था। भ्रष्टाचार के खिलाफ हमारी लड़ाई जारी रहेगी। हमारा संघर्ष जारी रहेगा.”
सचिन पायलट ने कहा- ‘सुखजिंदर सिंह रंधावा कुछ दिन पहले ही प्रभारी बने हैं। मैंने पूर्व के प्रभारियों से भी बात की थी, लेकिन यह भ्रष्टाचार का मामला अभी तक बना हुआ है। हमें भ्रष्टाचार के खिलाफ बोलना चाहिए. भ्रष्टाचार के खिलाफ हमारी लड़ाई जारी रहेगी। ‘
करप्शन के खिलाफ जीरो टॉलरेंस पॉलिसी
पायलट ने कहा-“भ्रष्टाचार के खिलाफ हमारी जीरो टॉलरेंस की पॉलिसी रही है। ऐसे में कार्रवाई भी होनी चाहिए। मुझे उम्मीद है कि कार्रवाई जरूर होगी। भ्रष्टाचार के खिलाफ संघर्ष जारी रहेगा। हम चाहते हैं कि देश और प्रदेश में स्वच्छ राजनीति हो। ”
वसुंधरा राजे के शासन में हुए घोटालों की जांच की मांग
पायलट बीजेपी की सीएम वसुंधरा राजे के शासन में हुए घोटालों की जांच की मांग को लेकर सीएम गहलोत सरकार के खिलाफ अनशन पर बैठे थे। वे सुबह अपने समर्थकों के साथ शहीद स्मारक पहुंचे। हालांकि, इन अनशन से राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने दूरी बनाई। गांधी परिवार को कई सदस्य अनशन में नहीं दिखा।
राहुल-सोनिया पोस्टर से गायब
सचिन पायल ने अपने धरनास्थल पर लगे पोस्टरों में न राहुल-सोनिया का फोटो लगाया गया, ना ही कांग्रेस का चिह्न। पोस्टर पर सिर्फ महात्मा गांधी की फोटो लगाई गई। उधर, प्रदेश कांग्रेस प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा ने जयपुर दौरा रद्द कर दिया। रंधावा ने पायलट के अनशन को पार्टी विरोधी बताया था।
वसुंधरा राजे सरकार पर 45 हजार करोड़ के भ्रष्टाचार के आरोप
इससे पहले 9 अप्रैल को सचिन पायलट ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर वसुंधरा राजे सरकार पर करीब 45 हजार करोड़ के भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे। अशोक गहलोत ने वादा किया था कि सरकार में आने पर इनकी जांच कर कार्रवाई करेंगे, लेकिन सवा चार साल बीतने के बाद भी सरकार ने कोई कार्रवाई नहीं की। पायलट ने कहा- ‘मैंने दो बार मुख्यमंत्री गहलोत को इस संबंध में चिट्ठी लिखी, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला, इसलिए कार्रवाई की मांग को लेकर मैं अनशन पर बैठ रहा हूं। ‘
बहरहाल, सचिन पायलट का भ्रष्टाचार के खिलाफ अनशन ऐसे समय में हुआ, जब कांग्रेस राजस्थान में आगामी स्थानीय निकाय चुनावों और विधानसभा उपचुनावों के लिए कमर कस रही है। पायलट के कदम को गहलोत पर दबाव बनाने और राज्य की राजनीति में अपना प्रभाव बढ़ाने के तरीके के रूप में देखा जा रहा है।
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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया है कि वो सेना में वन रैंक वन पेंशन (ओआरओपी) के तहत सभी सक्षम पेंशनर्स को 15 मार्च तक एरियर का भुगतान करे। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने सोमवार को कहा कि वन रैंक वन पेंशन के उसके पहले आदेश के मुताबिक सभी पेंशनर्स को एरियर का भुगतान किया जाए।
सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से अटार्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने कहा कि केंद्र सरकार जल्द ही पेंशन का एरियर जारी करेगी। अटार्नी जनरल ने कहा कि वे इस मामले को व्यक्तिगत रूप से देख रहे हैं। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार करीब 25 लाख पेंशनर्स के एरियर की गणना कर रही है।
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील हुफेजा अहमदी ने कोर्ट को बताया था कि करीब चार लाख पेंशनर्स की इस इंतजार में मौत हो गई कि उनके पेंशन का एरियर मिलेगा।
सुप्रीम कोर्ट ने 16 मार्च, 2022 को सेना में वन रैंक वन पेंशन पर मुहर लगा दी थी। याचिका इंडियन एक्स सर्विसमैन मूवमेंट ने दायर की थी। याचिका में कहा गया था कि संसद में वादा करने के बावजूद वन रैंक वन पेंशन का वादा पूरा नहीं किया गया।
गांधीनगर। गुजरात भाजपा के नवनिर्वाचित विधायकों की शनिवार को हुई बैठक में कार्यवाहक मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल पार्टी विधायक दल के नेता चुने गए। बैठक के दौरान केंद्रीय पर्यवेक्षक राजनाथ सिंह, बीएस येदियुरप्पा और अर्जुन मुंडा मौजूद रहे। नई सरकार का शपथ ग्रहण समारोह 12 दिसंबर को होगा।
गुजरात विधानसभा चुनाव में भाजपा ने प्रचंड जीत दर्ज की है। 182 सदस्यीय राज्य विधानसभा में पार्टी को 156 सीटें मिली हैं। यह विधानसभा चुनाव भूपेंद्र पटेल के नेतृत्व में लड़ा गया था। अब विधायक दल का नेता चुने जाने के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि पटेल ही नई सरकार के मुख्यमंत्री होंगे। हालांकि चुनाव में सत्तारूढ़ भाजपा को स्पष्ट जनादेश मिलने के बाद से ही यह स्पष्ट था कि भूपेंद्र पटेल ही दोबारा मुख्यमंत्री बनेंगे। पटेल ने शुक्रवार को अपने पूरे मंत्रि परिषद के साथ राज्य में नई सरकार के गठन का मार्ग प्रशस्त करने के लिए इस्तीफा दे दिया था।
सरकार बनाने का दावा, पेश किया
विधायक दल का नेता चुने जाने के बाद भूपेंद्र पटेल ने राज्यपाल आचार्य देवव्रत से मिलकर सरकार बनाने का दावा पेश किया। प्रदेश अध्यक्ष सीआर पाटिल ने एक दिन पहले ही राज्यपाल से मिलकर उनसे समय मांगा था। राज्यपाल ने उन्हें शनिवार को 2 बजे का समय दिया था। जानकारी के अनुसार अब 12 दिसंबर को गांधीनगर स्थित विधानसभा के पीछे हेलीपैड ग्राउंड में नई सरकार का शपथ ग्रहण समारोह होगा। इस समारोह में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह समेत अन्य राज्यों के मुख्यमंत्री व नेतागण भी शामिल होंगे। मंत्रिमंडल के गठन के लिए पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के साथ चर्चा विमर्श करने भूपेंद्र पटेल और प्रदेश अध्यक्ष सीआर पाटिल आज शाम दिल्ली के लिए रवाना हो जाएंगे।
लखनऊ। उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री एवं बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने रायबरेली जिले में दलित समाज के लोगों को बेरहमी से पीटने के मामले में सरकार को घेरा है।
मायावती ने अपने अधिकारिक ट्वीटर से ट्वीट करते हुए कहा कि, यूपी के रायबरेली में दबंगों ने कई दलितों को मार-मार कर अधमरा कर दिया। इसी प्रकार प्रदेश में आए दिन दलितों पर अत्याचार व हत्या आदि की घटनाएं आम हो गई हैं, जो अति-दुःखद, शर्मनाक व निन्दनीय हैं। सरकार इनके मामले में पूरी तत्परता व गंभीरता दिखाए तथा सख्त कदम उठाए, इसकी बसपा सरकार मांग करती है।
नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय संविधान बेंच, नोटबंदी मामले पर अगली सुनवाई 9 नवंबर को करेगा। जस्टिस एस अब्दुल नजीर की अध्यक्षता वाली बेंच ने इस मामले में दायर सभी 59 याचिकाओं पर केंद्र सरकार और आरबीआई को नोटिस जारी किया है।
आज सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकील पी चिदंबरम ने कहा कि ये मामला अकादमिक नहीं है। उनकी इस दलील से अटार्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने आपत्ति जताते हुए कहा कि ये बिल्कुल अकादमिक प्रक्रिया है। तब जस्टिस नजीर ने कहा कि हम एक-एक याचिकाओं पर सुनवाई करेंगे और देखेंगे कि उसमें कौन सुनवाई योग्य नहीं है। चिदंबरम ने कहा कि 1978 में नोटबंदी एक अलग कानून के जरिये लाया गया था। उस समय एक अध्यादेश लाया गया और बाद में कानून। उसी तरह 1940 में भी हुआ था। इस तरह की नोटबंदी कानून के तहत होती है ये अकादमिक नहीं हो सकता है। ये एक जीवंत मसला है। कोर्ट को रिजर्व बैंक की धारा 24 और 26 की पड़ताल करनी होगी। सरकार इन शक्तियों का कल दोबारा इस्तेमाल कर सकती है।
चिदंबरम ने कहा कि नोटबंदी के समय 86.4 फीसदी नोट ले लिये गए। अगर कल वे 99.9 फीसदी नोट ले लें तब क्या होगा। क्या ये कोर्ट शक्तिविहीन है। ये सही या गलत आर्थिक नीति की तरह लगती है लेकिन इस पर हमारी दलील सुनी जाए तब फैसला किया जाए। केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा सुप्रीम कोर्ट ने कभी भी आर्थिक नीति की पड़ताल नहीं की है। ये कार्यपालिका का विशेषाधिकार है, वो भी तब जब टेरर फंडिंग से जुड़ा हुआ मामला है।
28 सितंबर को सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा था कि सबसे पहले यही तय किया जाएगा कि क्या वाकई अब इस मामले में सुनने के लिए कुछ बाकी है। गौरतलब है कि 500 और 1000 के पुराने नोट बंद होने को लेकर 2016 में कई याचिकाएं दाखिल हुई थीं। 16 दिसंबर, 2016 को सुप्रीम कोर्ट ने नोटबंदी को चुनौती देने वाली याचिकाओं को पांच जजों की बेंच को रेफर कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने उच्च न्यायालयों में दायर सभी याचिकाओं को सुप्रीम कोर्ट में ट्रांसफर कर दिया था और सभी याचिकाकर्ताओं को नोटिस जारी किया था। इसके साथ ही हाई कोर्ट में चल रहे मामलों की कार्यवाही पर रोक लगा दी गयी थी।
सुप्रीम कोर्ट ने पांच जजों की बेंच के लिए आठ सवाल तय किये थे, जिसके तहत संविधान बेंच फैसला करेगी। कोर्ट ने पांच जजों की संविधान बेंच के समक्ष जो सवाल रखे थे उनमें पहला ये कि क्या नोटबंदी का फैसला आरबीआई एक्ट की धारा 26 का उल्लंघन है। दूसरा क्या नोटबंदी के 8 नवंबर 2016 और उसके बाद के नोटिफिकेशन असंवैधानिक हैं। तीसरा क्या नोटबंदी संविधान के दिए समानता के अधिकार और व्यापार करने की स्वतंत्रता जैसे मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है। चौथा क्या नोटबंदी के फैसले को बिना तैयारी के साथ लागू किया गया जबकि ना तो नई करेंसी का सही इंतजाम था और ना ही देश भर में कैश पहुंचाने का। पांचवां सवाल क्या बैंकों और एटीएम से पैसा निकालने की सीमा तय करना अधिकारों का हनन है।
छठा सवाल जिस पर संविधान बेंच को विचार करना है कि क्या जिला सहकारी बैंकों में पुराने नोट जमा करने और नए रुपये निकालने पर रोक सही नहीं है। सातवां प्रश्न क्या कोई भी राजनीतिक पार्टी जनहित के लिए याचिका डाल सकती है या नहीं। आठवां और अंतिम सवाल ये कि क्या सरकार की आर्थिक नीतियों में सुप्रीम कोर्ट दखल दे सकता है। संविधान बेंच में जस्टिस एस अब्दुल नजीर के अलावा जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस एएस बोपन्ना, जस्टिस वी रामासुब्रमण्यम और जस्टिस बी वी नागरत्ना हैं
लखनऊ। भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की नीति पर कार्य कर रही योगी सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई एक उच्च स्तरीय बैठक में राज्य में एंटी करप्शन ऑर्गनाइजेशन की आठ रेंज में नई यूनिट खोलने का निर्णय लिया गया है।
प्रदेश में संपन्न हुए 2022 के विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा ने अपने लोक कल्याण संकल्प पत्र में एंटी करप्शन ऑर्गनाइजेशन का दायरा बढ़ाने की घोषणा की थी। इसके तहत प्रदेश में यह नई यूनिटें स्थापित की जा रही हैं। यह यूनिटें सरकारी विभागों से भ्रष्टाचार को जड़ से समाप्त करने में सहायक साबित होंगी।
अभी तक पूर्वी और पश्चिमी क्षेत्र को मिलाकर प्रदेश में कुल 11 यूनिट सक्रिय हैं। इसमें पूर्वी क्षेत्र में गोरखपुर, अयोध्या, वाराणसी, कानपुर, आगरा और झांसी हैं। वहीं पश्चिमी क्षेत्र में मेरठ, बरेली, मुरादाबाद, लखनऊ और एंटी करप्शन ऑर्गनाइजेशन मुख्यालय है।
सरकार जिन नये क्षेत्रों में नई यूनिट खोलने जा रही है, उनमें आजमगढ़, मीरजापुर, चित्रूकट, इलाहाबाद, देवीपाटन, बस्ती, अलीगढ़ और सहारनपुर शामिल हैं। इसके लिए डीजी भ्रष्टाचार निवारण संगठन नासिर कमाल की तरफ से शासन को प्रस्ताव भेजा जा चुका है। मंजूरी मिलते ही इन जिलों में एएसपी के नेतृत्व में यूनिटें खोली जाएंगी। इनमें से चार जगहों पर ऑफिस के लिए भवन भी चिन्हित कर लिए गए हैं।
- 34 पंचायतों और 19 जिलों में 466 वनटांगिया और 1438 मुसहर समूहों का किया गया गठन
- राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन से बदला बवेरिया और थारू महिलाओं का जीवन
लखनऊ। नारी सशक्तिकरण के मूलभाव को लेकर उत्तर प्रदेश की योगी सरकार वंचित समुदाय की महिलाओं को समाज के मुख्यधारा से जोड़ने पर विशेष ध्यान दे रही है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की पहल पर उप्र राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत इन समुदायों की महिलाओं को स्वयं सहायता समूहों से जोड़कर उनकी आय बढ़ाने का काम किया जा रहा है, जिसने उनके परिवार के जीवन को बदलकर रख दिया है।
गोंडा जिले के छपिया विकासखंड के महुली खोरी पंचायत की वनटांगिया समुदाय की सोनी चौहान ने बताया कि उन्होंने समुदाय के 10 अन्य लोगों के साथ मिलकर जय दुर्गा स्वयं सहायता समूह का गठन किया है। स्वयं सहायता समूह ने उन्हें 1,10,000 रुपये की सीआईएफ राशि और 1,00,000 रुपये की सीसीएल राशि प्राप्त करने में सक्षम बनाया, जिसके साथ उन्होंने मनरेगा के तहत सीआईबी बोर्ड का निर्माण शुरू किया। इससे उन्होंने नर्सरी की शुरुआत की।
सोनी बताती हैं कि उनके समुदाय को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा जमीन भी दी गई थी, जहां वह सभी बड़े पैमाने पर सब्जियां पैदा कर रही हैं। उन्हे प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत घर मिले। इतना ही नहीं सीएम योगी के प्रयास से समाज की मुख्यधारा से जुड़ने के बाद अब उन्हे सरकार की सभी योजनाओं का भरपूर लाभ मिल रहा है। योगी सरकार के प्रयासों से उनका जीवन पूरी तरह से बदल गया है।
सरकार के प्रयास से बढ़ाई अपनी आमदनी
राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के निदेशक भानु गोस्वामी ने बताया कि सुल्तानपुर के दुबेपुर ब्लॉक की दिखोली पंचायत के 14 में से 12 मुसहर परिवारों को समाज की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए शिव महिला स्वयं सहायता समूह से जोड़ा गया, जिसके बाद उनका परिवार न केवल आर्थिक रूप से मजबूत हुआ बल्कि अपने समुदाय की अन्य महिलाओं को भी योगी सरकार की योजनाओं के बारे में बताते हुए अपने साथ जोड़ा। मनरेगा के तहत उनकी आजीविका गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए बकरी शेड बनवाया गया, जिससे बकरी पालन कर अपनी आमदनी बढ़ाई है।
भानु गोस्वामी ने बताया कि योगी सरकार के निर्देशन में पूर्वी उत्तर प्रदेश के दो सामाजिक रूप से पिछड़े वनटांगिया और मुसहर समुदायों को मुख्यधारा में लाने और उनके जीवन स्तर में सुधार करने का लगातार प्रयास किया जा रहा है। प्रदेश में वनटांगिया अनुसूचित जनजाति के तहत आते हैं जबकि मुसहर अनुसूचित जाति के तहत आते हैं।
वनटांगिया समुदाय के 466 समूह बनाए गए
मिशन निदेशक गोस्वामी ने बताया कि प्रदेश के 19 जिलों के 2843 ग्राम पंचायतों में मुसहर समुदाय के 1438 विशेष मुसहर समूह का गठन किया गया। साथ ही लगभग 2401 स्वयं सहायता समूहों में कम से कम एक मुसहर परिवार की भागीदारी सुनिश्चित की गई। योगी सरकार ने 850 समूहों को रिवाल्विंग और 567 समूहों को कम्युनिटी इंवेस्टमेंट फंड सीआईएफ वितरित किया गया। वहीं 133 समूहों को बैंक क्रेडिट लिंकेज से लाभान्वित हुए हैं। इसके साथ ही प्रदेश के 5 जिलों की 34 ग्राम पंचायतों में वनटांगिया समुदाय के 466 समूहों का गठन कर 268 समूहों को रिवाल्विंग फंड और 202 को सीआईएफ प्रदान किया गया है। वहीं बैंक क्रेडिट लिंकेज के माध्यम से 91 समूहों को लाभ पहुंचाया गया।
उन्होंने बताया कि मुसहर, वनटांगिया के साथ बवेरिया समुदाय के 2346 परिवारों को 236 समूहों में संगठित किया गया है, जिसमें से 118 समूहों को रिवाल्विंग फंड और 35 समूहों को सीआईएफ की धनराशि प्रदान की गई है। वहीं प्रदेश के तीन जिलों में थारू जनजाति के कुल 371 समूह बनाए गए, जिनमें 227 समूहों को रिवाल्विंग फंड और 205 को सीआईएफ फंड दिया गया है।