नई दिल्ली । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को ‘मन की बात’ कार्यक्रम के 105वें संस्करण में कहा कि चंद्रयान-3 की सफलता के बाद जी-20 के शानदार आयोजन ने हर भारतीय की खुशी को दोगुना कर दिया। भारत मंडपम तो अपने आप में एक सेलिब्रिटी की तरह हो गया है। लोग उसके साथ सेल्फी लेकर उसे गर्व से पोस्ट भी कर रहे हैं। भारत ने इस समिट में अफ्रीकन यूनियन को जी-20 में पूर्ण सदस्य बनाकर अपने नेतृत्व का लोहा मनवाया है। इससे पहले प्रधानमंत्री ने इस कार्यक्रम के संबंध में एक्स पर कहा कि प्रेरक जीवन यात्राओं को उजागर करने में हमेशा खुशी होती है।
उन्होंने कहा कि जब भारत बहुत समृद्ध था तब हमारे देश में और दुनिया में सिल्क रूट की बहुत चर्चा होती थी। यह सिल्क रूट व्यापार-कारोबार का बहुत बड़ा माध्यम था। अब आधुनिक जमाने में भारत ने एक और इकोनॉमिक कॉरिडोर जी-20 में सुझाया है। यह है इंडिया-मिडिल ईस्ट-यूरोप इकोनॉमिक कॉरिडोर। यह आने वाले सैकड़ों वर्षों तक विश्व व्यापार का आधार बनने जा रहा है और इतिहास इस बात को हमेशा याद रखेगा कि इस कॉरिडोर का सूत्रपात भारत की धरती पर हुआ।
प्रधानमंत्री ने कहा कि दिल्ली में एक और रोमांचक कार्यक्रम ‘जी-20 यूनिवर्सिटी कनेक्ट प्रोग्राम’ होने जा रहा है। इस प्रोग्राम से देशभर के लाखों यूनिवर्सिटी के विद्यार्थी एक-दूसरे से जुड़ेंगे। इसमें आईआईटी, आईआईएम, एनआईटी और मेडिकल कॉलेजों जैसे कई प्रतिष्ठित संस्थान भी भाग लेंगे। मैं चाहूंगा कि अगर आप कॉलेज स्टूडेंट हैं तो 26 सितंबर को होने वाले इस कार्यक्रम को जरूर देखिएगा। इससे जरूर जुड़िएगा।
‘मन की बात’ में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देशवासियों को विश्व पर्यटन दिवस की भी याद दिलाई। उन्होंने कहा 27 सितंबर को विश्व पर्यटन दिवस है। पर्यटन को कुछ लोग सिर्फ सैर-सपाटे के तौर पर देखते हैं, लेकिन पर्यटन का बहुत बड़ा पहलू रोजगार से जुड़ा है। मेरा आप सबसे आग्रह है कि जब आप कहीं घूमने जाने की योजना बनाएं, तो ये प्रयास करें कि भारत की विविधता की दर्शन करें। बीते कुछ वर्षों में भारत के प्रति आकर्षण बढ़ा है और जी-20 के सफल आयोजन के बाद दुनिया के लोगों की रुचि भारत की ओर बढ़ गई है।
उन्होंने कहा किभारत में अब वैश्विक धरोहर की संख्या 42 हो गई है। भारत का प्रयास है कि हमारी ज्यादा से ज्यादा ऐतिहासिक और सांस्कृतिक जगहों को विश्व धरोहर के तौर पर मान्यता मिले। भारत में एक से बढ़कर एक विश्व हेरिटेज साइट्स हैं। कुछ ही दिन पहले शांति निकेतन और कर्नाटक के पवित्र होयसड़ा मंदिरों को विश्व धरोहर घोषित किया गया है।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि 21 साल की कैसमी इन दिनों इंस्टाग्राम पर खूब छाई हुई है। जर्मनी की रहने वाली कैसमी कभी भारत नहीं आई है, लेकिन वो भारतीय संगीत की दीवानी है, जिसने कभी भारत को देखा तक नहीं उसकी भारतीय संगीत में ये रुचि बहुत ही प्रेरणादायक है।
उन्होंने कहा कि उत्तराखंड के नैनीताल जिले में कुछ युवाओं ने बच्चों के लिए अनोखे घोड़ा पुस्तकालय की शुरुआत की है। इस पुस्तकालय की सबसे बड़ी विशेषता यही है कि दुर्गम से दुर्गम इलाकों में भी इसके जरिए बच्चों तक पुस्तकें पहुंच रही हैं और इतना ही नहीं, ये सेवा बिल्कुल निशुल्क है। अब तक इसके माध्यम से नैनीताल के 12 गांवों को कवर किया गया है।
उल्लेखनीय है कि ‘मन की बात’ का प्रसारण 22 भारतीय भाषाओं और 29 बोलियों के अलावा फ्रेंच, चीनी, इंडोनेशियाई, तिब्बती, बर्मी, बलूची, अरबी, पश्तू, फारसी सहित 11 विदेशी भाषाओं में किया जाता है। यह कार्यक्रम आकाशवाणी के 500 से अधिक केंद्रों से प्रसारित होता है। इसी साल 30 अप्रैल को प्रधानमंत्री मोदी के ‘मन की बात’ धाराविहक के 100 संस्करण पूरे हुए थे। इस ऐतिहासिक क्षण को यादगार बनाने के लिए पूरे देश में इसकी लाइव स्क्रीनिंग की गई। न्यूयॉर्क स्थित संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में भी ‘मन की बात’ के इस संस्करण का सीधा प्रसारण किया गया। दिल्ली में 6530 स्थानों पर इसे लाइव सुना गया।
G-20 Summit
नई दिल्ली । राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में भारत की मेजबानी में चल रहे जी-20 शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने आए ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक आज सुबह अक्षरधाम मंदिर पहुंचे। उनके साथ उनकी पत्नी अक्षता मूर्ति भी थीं ।
ऋषि सुनक ने अपने इस कार्यक्रम की जानकारी शनिवार को दी थी। अपनी हिंदू जड़ों पर गर्व व्यक्त करते हुए सुनक ने आश्वस्त होते हुए कहा था कि सम्मेलन के बीच उन्हें भारत में एक मंदिर का दौरा करने का समय मिल सकेगा। सुनक ने भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की भी काफी तारीफ की थी। उन्होंने कहा था कि उनके मन में प्रधानमंत्री मोदी के लिए अत्यधिक सम्मान है।
ऋषि सुनक ने मीडिया से कहा था, उन्हें हिंदू होने पर गर्व है। उनका पालन-पोषण इसी दायरे में हुआ है। हाल ही में हमने रक्षाबंधन मना चुके हैं। इस बीच ऋषि सुनक के अक्षरधाम मंदिर पहुंचने से पहले दिल्ली पुलिस ने वहां सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए हैं। अक्षरधाम मंदिर साहित्यिक-सांस्कृतिक संगम का प्रमुख स्थान है। इस मंदिर को स्वामीनारायण अक्षरधाम के नाम से भी जाना जाता है। यमुना नदी के तट पर स्थित इस मंदिर का निर्माण वास्तु शास्त्र और पंचरात्र शास्त्र के अनुसार हुआ है।
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को जी-20 शिखर सम्मेलन के अंतिम और तीसरे सत्र में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद सहित वैश्विक संस्थाओं में वर्तमान वास्तविकता के अनुरूप बदलाव का आह्वान किया। उन्होंने क्रिप्टो करेंसी और कृत्रिम बुद्धिमता (एआई) से जुड़ी चुनौतियों के प्रति भी आगाह किया।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ‘एक भविष्य’ विषय पर कहा कि हर वैश्विक संस्था को अपनी प्रासंगिकता बढ़ाने के लिए रिफॉर्म करना जरूरी है। इसी सोच के साथ हमने कल ही अफ्रीकन यूनियन को जी-20 का स्थायी सदस्य बनाने की ऐतिहासिक पहल की है। इसी तरह हमें बहुपक्षीय विकास बैंकों के मैंडेट का विस्तार भी करना होगा। इस दिशा में हमारे फैसले त्वरित और प्रभावी होने चाहिए।
प्रधानमंत्री ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में बदलाव की जरूरत पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि आज की दुनिया हर लिहाज से बदल चुकी है। ऐसे में वास्तविकता नई वैश्विक व्यवस्था में झलकनी चाहिए। प्रकृति का नियम है कि बदलाव न करने पर व्यक्ति और संस्था अपनी प्रासंगिकता खो देती हैं। हमें इस बात पर विचार करना होगा कि बीते वर्षों में कई क्षेत्रीय फोरम अस्तित्व में आए हैं और प्रभावी सिद्ध हो रहे हैं।
प्रधानमंत्री ने देशों के बीच हितों के जुड़ाव से आगे ह्रदयों के जुड़ाव पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि इससे हम ग्लोबल विलेज को ग्लोबल फैमिली बनते देखेंगे। प्रधानमंत्री मोदी ने इस दौरान जिम्मेदार मानव केन्द्रित एआई व्यवस्था के लिए फ्रेमवर्क तैयार करने का आह्वान किया।
उन्होंने कहा कि न्यू जेनेरेशन टेक्नोलॉजी में अकल्पनीय स्केल और स्पीड के गवाह बन रहे हैं। ऐसे में हमें 2019 मे बने जी-20 के एआई से जुड़े मानकों से एक कदम आगे बढ़ना होगा। भारत चाहता है कि सामाजिक आर्थिक विकास, ग्लोबल कार्यबल और शोध एवं विकास जैसे क्षेत्रों में सभी देशों को एआई का लाभ मिले।
प्रधानमंत्री ने कहा कि देशों की सुरक्षा और संवेदनशील मुद्दों का ध्यान रखने पर ही एक भविष्य का भाव सशक्त होगा। ऐसे में साइबर जगत से आतंकवाद को फंडिंग जैसे मुद्दों पर जल्द से जल्द ठोस कदम उठाए जाने की आवश्यकता है। इसी संदर्भ में उन्होंने कहा कि साइबर सिक्योरिटी और क्रिप्टो करेंसी की चुनौतियों से हम परिचित हैं।
उन्होंने कहा कि क्रिप्टो करेंसी का क्षेत्र, सामाजिक व्यवस्था, मौद्रिक और वित्तीय स्थिरता, सबके लिए एक नया विषय बनकर उभरा है। इसलिए हमें क्रिप्टो करेंसी को रेगुलेट करने के लिए ग्लोबल स्टैंडर्ड्स डेवलपमेंट करने होंगे। बैंक विनियमन पर हमारे सामने बेसल मानक एक मॉडल के रूप में है। इस दौरान प्रधानमंत्री ने जीडीपी सेंट्रिक अप्रोच के बजाय मानव केन्द्रित विजन पर ध्यान आकर्षित कराया।
जकार्ता । भारत की अगुवाई में शनिवार से शुरू हो रहे जी-20 शिखर सम्मेलन को लेकर दुनिया के शीर्ष नेतृत्व ने खासी उम्मीदें लगा रखी हैं। संयुक्त राष्ट्र संघ को उम्मीद है कि जी-20 शिखर सम्मेलन में भारत मौजूदा भू-राजनीतिक विवादों को दूर कराएगा।
इंडोनेशिया के जकार्ता में 13वें आसियान-संयुक्त राष्ट्र शिखर सम्मेलन में भाग लेने पहुंचे संयुक्त राष्ट्र संघ के महासचिव एंटोनियो गुटारेस ने कहा कि भारत जी-20 शिखर सम्मेलन की मेजबानी करने के लिए पूरी तरह तैयार है। उन्होंने उम्मीद जताई है कि भारत यह सुनिश्चित करने के लिए हरसंभव प्रयास करेगा कि मौजूदा भू-राजनीतिक विवादों को दूर किया जाए और विश्व नेताओं की महत्वपूर्ण बैठक संभावित परिणामों के साथ पूरी हो सके। उन्होंने कहा कि वे स्वयं भी जी-20 शिखर सम्मेलन में भाग लेने जा रहे हैं, इसलिए कुछ सवाल उनके लिए भी लिए जरूरी होंगे।
गुटारेस ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संरचनाओं को आज की दुनिया की जरूरतों के अनुकूल बनाने के लिए सम्मेलन में सुधार के बारे में स्पष्ट संदेश देना चाहिए। एक अन्य महत्वपूर्ण पहलू ऋण राहत है, जिससे विकासशील देशों को कोविड-19, यूक्रेन में युद्ध और कई अन्य स्थितियों के प्रभावों से उबरने में सक्षम बनाया जा सके। कई देशों को ऐसी परिस्थितियों का सामना करना पड़ रहा है, जिसमें उनके पास अपने लोगों की जरूरतों को पूरा करने के लिए राजकोषीय गुंजाइश नहीं है।
संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने कहा कि इन सबके साथ उनकी दिलचस्पी जी-20 में एकत्रित हो रही उभरती अर्थव्यवस्थाओं और विकसित देशों को देखने में होगी। उन्होंने कहा कि हम एक विनाशकारी जलवायु स्थिति का सामना कर रहे हैं और विकासशील देशों को अनुकूलन बनाने के लिए जलवायु कार्रवाई के आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराने की महत्वाकांक्षा का सामना कर रहे हैं। यह भी देखना दिलचस्प रहेगा कि सम्मेलन के दौरान सभी देश उत्सर्जन को कम करने को बढ़ती महत्वाकांक्षा के लिए एकजुट दृष्टिकोण के रूप में आने में सक्षम हो सकें।
मॉस्को। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन अगले माह भारत में होने वाले जी-20 शिखर सम्मेलन में भाग नहीं लेंगे। अगले महीने, नौ व दस सितंबर को भारत में जी-20 शिखर सम्मेलन का आयोजन हो रहा है। भारत के पास इस वर्ष जी-20 की अध्यक्षता का जिम्मा है। भारत इस समय जी-20 की मेजबानी कर रहा है।
रूस की ओर से शुक्रवार को औपचारिक घोषणा की गयी कि अगले महीने भारत में होने वाले जी-20 सम्मेलन में राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन शामिल नहीं होंगे। पुतिन के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने कहा कि राष्ट्रपति पुतिन भारत में सितंबर में होने वाले जी-20 शिखर सम्मेलन के लिए यात्रा की योजना नहीं बना रहे हैं। फिलहाल उनका मुख्य जोर एक विशेष सैन्य अभियान पर है।
दरअसल, भारत में इस समय जी-20 शिखर सम्मेलन की तैयारियां जोरों से चल रही हैं। सम्मेलन को लेकर भारत ने सभी जी-20 सदस्य देशों, आमंत्रित देशों और अंतरराष्ट्रीय संगठनों के नेताओं को निमंत्रण भेजा था। अमेरिका सहित कई राष्ट्राध्यक्षों की ओर से सम्मेलन में भारत जाने की पुष्टि हो चुकी है, किन्तु इस बात की पुष्टि नहीं हो पा रही थी कि पुतिन शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे या नहीं।
यह समूह दुनिया की प्रमुख बीस विकसित और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं का एक अंतर सरकारी मंच है। ये बीस देश वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 85 फीसदी, वैश्विक व्यापार का 75 फीसदी से अधिक और विश्व जनसंख्या का लगभग दो-तिहाई प्रतिनिधित्व करते हैं। इस समूह में अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, फ्रांस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, कोरिया गणराज्य, मैक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, तुर्की, यूके, अमेरिका और यूरोपीय संघ (ईयू) शामिल हैं।
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि पिछले नौ साल में देश महिलाओं के नेतृत्व वाले विकास की दृष्टि से आगे बढ़ रहा है और इसे वैश्विक मंच पर ले जा रहा है। जी-20 शिखर सम्मेलन में महिलाओं के नेतृत्व में विकास महत्वपूर्ण विषयों में से एक है। उन्होंने कहा कि इस वर्ष का बजट महिला नेतृत्व वाले विकास के इन प्रयासों को नई गति देगा।
प्रधानमंत्री शुक्रवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से ‘महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण’ विषय पर बजट के बाद के वेबिनार में अपनी बात रख रहे थे। सरकार द्वारा आयोजित 12 पोस्ट-बजट वेबिनार की शृंखला का आज यह 11वां वेबिनार है।
प्रधानमंत्री ने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि देश ने इस वर्ष के बजट को 2047 तक विकासित भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए एक शुभ शुरुआत के रूप में देखा है। प्रधानमंत्री ने ‘मातृ शक्ति’ के प्रतिबिंब के रूप में नारी शक्ति की दृढ़ संकल्प, इच्छा शक्ति, कल्पना, लक्ष्यों के लिए काम करने की क्षमता और अत्यधिक कड़ी मेहनत को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि ये गुण इस सदी में भारत की गति और पैमाने को बढ़ाने में प्रमुख भूमिका निभा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि आज महिला सशक्तिकरण के प्रयासों के परिणाम दिखाई दे रहे हैं और हम देश के सामाजिक जीवन में क्रांतिकारी परिवर्तन महसूस कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि पुरुषों की तुलना में महिलाओं की संख्या बढ़ रही है, और पिछले 9-10 वर्षों में हाई स्कूल और उसके बाद तक पढ़ने वाली लड़कियों की संख्या तीन गुना हो गई है। विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित में लड़कियों का नामांकन आज 43 प्रतिशत है, जो अमेरिका, ब्रिटेन और जर्मनी जैसे देशों से अधिक है। चिकित्सा, खेल, व्यापार या राजनीति जैसे क्षेत्रों में न केवल महिलाओं की भागीदारी बढ़ी है बल्कि वे आगे बढ़कर नेतृत्व कर रही हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि मुद्रा ऋण की 70 प्रतिशत लाभार्थी महिलाएं हैं। इसी प्रकार, स्वनिधि के तहत संपार्श्विक मुक्त ऋण को बढ़ावा देने की योजनाओं और पशुपालन, मत्स्य पालन, ग्रामोद्योग, एफपीओ और खेल में प्रोत्साहन योजनाओं से महिलाओं को लाभ मिलता है।
उन्होंने कहा कि हम देश की आधी आबादी के सहयोग से कैसे देश को आगे बढ़ा सकते हैं और नारी शक्ति की क्षमता को कैसे बढ़ा सकते हैं, इसका प्रतिबिंब इस बजट में दिखाई दे रहा है। उन्होंने महिला सम्मान बचत प्रमाणपत्र योजना का जिक्र किया जिसमें महिलाओं को 7.5 प्रतिशत ब्याज मिलना है। मोदी ने कहा- “प्रधानमंत्री आवास योजना के लिए 80 हजार करोड़ रुपये भी महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक कदम है क्योंकि 3 करोड़ घरों में से अधिकांश महिलाओं के नाम पर हैं।” प्रधानमंत्री ने पीएम आवास के सशक्त पहलू पर जोर दिया, जहां पारंपरिक रूप से महिलाओं के नाम पर कोई संपत्ति नहीं थी। उन्होंने कहा, “पीएम आवास ने महिलाओं को घर के आर्थिक फैसलों में एक नई आवाज दी है।”
प्रधानमंत्री मोदी ने एसएचजी के बीच नए यूनिकॉर्न बनाने के लिए स्वयं सहायता समूहों को समर्थन देने की घोषणा की जानकारी दी। प्रधानमंत्री ने बदलते परिदृश्य के साथ महिला सशक्तिकरण के लिए देश के विजन की ताकत का उदाहरण दिया। आज 5 में से 1 गैर-कृषि व्यवसाय एक महिला द्वारा चलाया जाता है। पिछले 9 वर्षों में 7 करोड़ से अधिक महिलाएं स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी हैं। उनके मूल्य निर्माण को उनकी पूंजी की आवश्यकता से समझा जा सकता है क्योंकि इन स्वयं सहायता समूहों ने 6.25 लाख करोड़ रुपये का ऋण लिया है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि ये महिलाएं न केवल छोटे उद्यमियों बल्कि सक्षम संसाधन व्यक्तियों के रूप में भी योगदान दे रही हैं। उन्होंने बैंक सखी, कृषि सखी और पशु सखी कार्यक्रमों का उल्लेख किया जो गांवों में विकास के नए आयाम बढ़ा रहे हैं। प्रधानमंत्री ने सहकारी क्षेत्र में परिवर्तन और इस क्षेत्र में महिलाओं की भूमिका पर ध्यान दिया। उन्होंने कहा कि आने वाले वर्षों में दो लाख से अधिक बहुउद्देश्यीय सहकारी समितियों, डेयरी सहकारी समितियों और मत्स्य सहकारी समितियों का गठन किया जाना है। एक करोड़ किसानों को प्राकृतिक खेती से जोड़ने का लक्ष्य रखा गया है। महिला किसान और उत्पादक समूह इसमें बड़ी भूमिका निभा सकते हैं।
मोदी ने श्री अन्ना के प्रचार में महिला स्वयं सहायता समूहों की भूमिका के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि श्री अन्ना में पारंपरिक अनुभव वाली 1 करोड़ से अधिक आदिवासी महिलाएं इन स्वयं सहायता समूहों का हिस्सा हैं। उन्होंने कहा कि हमें श्री अन्ना से बने प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों के विपणन से संबंधित अवसरों का दोहन करना है। कई जगहों पर सरकारी संस्थाएं लघु वनोपज को संसाधित कर बाजार में लाने में मदद कर रही हैं। आज दूरदराज के इलाकों में इतने स्वयं सहायता समूह बन गए हैं, हमें इसे व्यापक स्तर पर ले जाना चाहिए।
कौशल विकास की आवश्यकता पर बल देते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि इस बजट में लाई गई विश्वकर्मा योजना एक प्रमुख भूमिका निभाएगी और एक सेतु के रूप में कार्य करेगी और महिला सशक्तिकरण के लिए इसके अवसरों का लाभ उठाने की आवश्यकता है। इसी तरह जेम और ई-कॉमर्स महिलाओं के व्यवसाय के अवसरों के विस्तार का जरिया बनते जा रहे हैं, स्वयं सहायता समूहों को जो प्रशिक्षण दिया जा रहा है, उसमें नई तकनीकों को प्राथमिकता देने की जरूरत है।
प्रधानमंत्री ने दोहराया कि देश सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास की भावना के साथ आगे बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि जिस तरह देश की बेटियों को राष्ट्रीय सुरक्षा की भूमिकाओं में और राफेल विमान उड़ाते हुए देखा जा सकता है, और जब वे उद्यमी बन जाती हैं और निर्णय और जोखिम लेती हैं, तो उनके बारे में सोच बदल जाती है। उन्होंने नगालैंड में पहली बार दो महिला विधायकों के हाल के चुनाव का उल्लेख किया, उनमें से एक ने मंत्री के रूप में भी शपथ ली। उन्होंने कहा- “महिलाओं के सम्मान और समानता की भावना के स्तर को बढ़ाकर ही भारत आगे बढ़ सकता है। मैं आप सभी का आह्वान करता हूं कि सभी महिलाओं-बहनों-बेटियों के रास्ते में आने वाली हर बाधा को दूर करने के संकल्प के साथ आगे बढ़ें।”
प्रधानमंत्री मोदी ने अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा लिखे गए लेख को उद्धृत करते हुए अपनी बात समाप्त की। राष्ट्रपति ने लिखा है- “हम सबकी, बल्कि प्रत्येक व्यक्ति की ये जिम्मेदारी है कि इस प्रगति को तेज गति प्रदान की जाए। इसलिए आज, मैं आप सबसे, प्रत्येक व्यक्ति से अपने परिवार, आप सबसे आस-पड़ोस या कार्यस्थल में एक बदलाव लाने के लिए स्वयं को समर्पित करने का आग्रह करना चाहती हूं।”
वियना । भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा है भारत को जी20 की अध्यक्षता मिलना ‘ ऐतिहासिक उपलब्धि’ है। उन्होंने कहा कि भारत ने ऐसे समय में शक्तिशाली समूह की बैठकों की मेजबानी संभाली है, जब वैश्विक आपूर्ति शृंखला पर गहरा दबाव है और दुनिया में राजनीतिक ध्रुवीकरण बढ़ रहा है। अगला जी20 शिखर सम्मेलन 09 और 10 सितंबर को नई दिल्ली में आयोजित होने वाला है।
उन्होंने यह टिप्पणी ऑस्ट्रिया की राजधानी में प्रवासी भारतीयों को संबोधित करते हुए की। जयशंकर ने कहा कि भारत अपनी अध्यक्षता के दौरान अंतरराष्ट्रीय समुदाय के हित को महत्व देगा। उल्लेखनीय है कि भारत ने 01 दिसंबर को जी20 की अध्यक्षता औपचारिक रूप से संभाल ली है। उन्होंने कहा कि मुझसे कभी-कभी पूछा जाता है कि यह बड़ी बात कैसे है? यह बहुत बड़ी बात है, क्योंकि हमारे पास इतने शक्तिशाली राष्ट्र कभी नहीं थे।
पिछले 27 साल में भारत के विदेश मंत्री की ऑस्ट्रिया की यह पहली यात्रा है। दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंधों के 75 वर्ष पूरे होने के मौके पर यह यात्रा हो रही है। जयशंकर दो देशों की अपनी यात्रा के दूसरे चरण में साइप्रस से यहां पहुंचे हैं। उन्होंने कहा कि देश यह सुनिश्चित करेगा कि वह समाजों और देशों की आवाज बनकर उभरे।
विदेश मंत्री ने कहा कि हम इस मौके का इस्तेमाल भारत और उन परिवर्तनों को प्रतिबिंबित करने के लिए करेंगे, जो मैं लोगों बताना चाहता हूं। जी20 की अध्यक्षता इस बार वैसी नहीं है, जैसी आमतौर पर होती है। यह ऐसी नहीं है, जिसे राजधानी या दो-तीन महानगरों में संपन्न किया जाएगा। हम इसे 55 से अधिक शहरों तक ले जाएंगे।
वाराणसी। काशी तमिल संगमम् में भाग लेने के लिए विदेश मंत्री डॉ. सुब्रमण्यम जयशंकर शनिवार दोपहर को वाराणसी पहुंचे। दो दिवसीय दौरे पर आये डॉ. जयशंकर का बरेका परिसर में विदेश मंत्रालय के अफसरों के साथ वाराणसी परिक्षेत्र के कमिश्नर कौशल राज शर्मा और अन्य अफसरों ने अगवानी की। विदेश मंत्री कुछ देर बरेका गेस्टहाउस में विश्राम के बाद काशी-तमिल संगमम् में भाग लेंगे।
प्रोटोकाल के अनुसार विदेश मंत्री काशी हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के एम्फीथिएटर मैदान में आयोजित बॉस्केटबाल प्रतियोगिता का उद्घाटन करेंगे। इसके बाद मालवीय मूल्य अनुशीलन केंद्र में “बदलती वैश्विक व्यवस्था में उभरती शक्ति के रूप में भारत” विषयक संगोष्ठी को संबोधित करेंगे। विदेश मंत्री बीएचयू के राजनीति विज्ञान विभाग के छात्रों से संवाद भी करेंगे। यहां से शाम को दशाश्वमेध घाट जाएंगे। गंगा आरती में भाग लेने के बाद हनुमान घाट पहुंचेंगे। वहां राष्ट्रकवि सुब्रमण्यम भारती के आवास पर उन्हें माल्यार्पण कर नमन करेंगे। उनके भतीजे केवी कृष्णमूर्ति से मिलेंगे।
माना जा रहा है कि वे बाबा विश्वनाथ के दरबार में दर्शन पूजन के लिए भी जाएंगे। इसके बाद रात्रि विश्राम के बाद रविवार को यहां जी-20 सम्मेलन के तहत अप्रैल से अगस्त के बीच प्रस्तावित छह बैठकों की तैयारियों की समीक्षा करेंगे। बैठकों में कार्यक्रम स्थल तय करेंगे। रविवार अपरान्ह दो बजे विदेश मंत्री शहर से दिल्ली जाने के लिए बाबतपुर एयरपोर्ट रवाना होंगे। विदेश मंत्री के आगमन को देख एक दिन पहले ही विदेश मंत्रालय के अफसर शहर में पहुंच गये थे। विदेश मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने जी-20 की बैठकों की दृष्टि से होटल ताज गैंगेज, रुद्राक्ष और एयरपोर्ट का निरीक्षण किया
- ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक को ‘माता नी पछेड़ी’ का तोहफा दिया
- अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन को कांगड़ा की लघु पेंटिंग उपहार में दी
बाली। इंडोनेशिया के बाली में जी-20 शिखर सम्मेलन बुधवार को समाप्त हो गया। अंतिम दिन भारत को जी-20 समूह के नए अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी गयी। भारत लौटने से पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शिखर सम्मेलन में भाग लेने आए राष्ट्राध्यक्षों को नायाब तोहफे दिए। अगले वर्ष भारत में होने वाले जी-20 शिखर सम्मेलन में आने का न्योता देकर प्रधानमंत्री बाली से दिल्ली के लिए रवाना हुए।
जी-20 सम्मेलन के अंतिम दिन इंडोनेशिया के राष्ट्रपति जोको विडोडो ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जी-20 के नेतृत्व की कमान सौंपी। भारत एक दिसंबर से आधिकारिक रूप से जी-20 समूह का मुखिया हो जाएगा। प्रधानमंत्री मोदी ने जी-20 शिखर सम्मेलन में भाग लेने आए नेताओं को भारतीय पहचान के अलग-अलग तोहफे दिये। इन सभी नेताओं को उन्होंने अगले वर्ष भारत में होने वाले जी-20 शिखर सम्मेलन में आने का न्योता भी दिया। जी-20 समूह के निवर्तमान अध्यक्ष इंडोनेशिया के राष्ट्रपति जोको विडोडो को मोदी ने सूरत में बना चांदी का कटोरा और हिमाचल प्रदेश का किन्नौरी शॉल उपहार में दिया।
प्रधानमंत्री मोदी ने ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक को ‘माता नी पछेड़ी’ का तोहफा दिया। यह गुजरात का एक हस्तनिर्मित कपड़ा है और मंदिर के मंदिरों में चढ़ाया जाता है, जिसमें देवी मां रहती हैं। यह नाम गुजराती है, जिसमें ‘माता’ का अर्थ है ‘मां देवी’, ‘नी’ का अर्थ है ‘से संबंधित’ और ‘पछेड़ी’ का अर्थ है ‘पृष्ठभूमि’।
प्रधानमंत्री मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन को कांगड़ा की लघु पेंटिंग उपहार में दी। कांगड़ा लघु चित्रों में प्राकृतिक पृष्ठभूमि पर प्रेम का चित्रण किया जाता है। ये अति सुंदर पेंटिंग हिमाचल प्रदेश के चित्रकारों द्वारा प्राकृतिक रंगों का उपयोग करके बनाई गई हैं।
ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज को भारतीय प्रधानमंत्री ने ‘पिथौरा’ भेंट किया। ‘पिथौरा’ निर्माण गुजरात में छोटा उदयपुर के राठवा कारीगरों द्वारा एक अनुष्ठानिक जनजातीय लोक कला है। ये चित्र ऑस्ट्रेलिया के स्वदेशी समुदायों द्वारा बनाई जाने वाली एबोरिजिनल डॉट पेंटिंग की तरह लगते हैं।
इटली की प्रधानमंत्री जियोर्जिया मेलोनी को मोदी ने ‘पाटन पटोला दुपट्टा’ (स्कार्फ) उपहार में दिया। उत्तरी गुजरात के पाटन क्षेत्र में साल्वी परिवार द्वारा बुना गया (डबल इकत) पाटन पटोला कपड़ा इतनी अच्छी तरह से तैयार किया जाता है कि यह रंगों का त्योहार बन जाता है, जिसमें आगे और पीछे रंग अलग-अलग नहीं होते हैं।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने स्पेन के प्रधानमंत्री पेड्रो सांचेज को मंडी और कुल्लू का कनाल ब्रास सेट उपहार में दिया। इन पारंपरिक संगीत वाद्ययंत्रों का अब तेजी से सजावट की वस्तुओं के रूप में उपयोग किया जाता है। इनका निर्माण कुशल धातु शिल्पकारों द्वारा हिमाचल प्रदेश के मंडी और कुल्लू जिले में किया जाता है।
नुसा दुआ । इंडोनेशिया की राजधानी बाली में जी-20 सम्मेलन से पहले अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात हुई।
अमेरिकी राष्ट्रपति कार्यालय व्हाइट हाउस ने मुलाकात के संबंध में जानकारी देते हुए कहा कि अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने सोमवार को चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग के साथ बैठक में ताइवान के प्रति चीन की दमनात्मक और आक्रामक कार्वाइयों पर आपत्ति जताई। इसके साथ ही उन्होंने शिनजियांग, तिब्बत तथा हांगकांग में चीन द्वारा मानवाधिकारों के उल्लंघन को लेकर चिंताओं को उठाया।
व्हाइट हाउस ने लगभग तीन घंटे के सत्र पर एक बयान में कहा कि बाइडन ने शी से कहा कि अमेरिका चीन के साथ कड़ी प्रतिस्पर्धा करना जारी रखेगा लेकिन प्रतिस्पर्धा संघर्ष में नहीं बदलना चाहिए।
विभिन्न क्षेत्रों में दोनों देशों की प्रतिस्पर्धा के साथ बाइडन-शी के बीच बैठक का उद्देश्य मतभेदों को कम करना था। बाइडन ने सोमवार को बाद में एक संवाददाता सम्मेलन का आयोजन किया, जिसमें बैठक पर चर्चा की गई।
व्हाइट हाउस ने कहा कि बाइडन और शी इस बात पर भी सहमत हुए कि परमाणु युद्ध कभी नहीं लड़ा जाना चाहिए और न ही इसे जीता जा सकता है, तथा यूक्रेन में परमाणु हथियारों के इस्तेमाल या खतरे के प्रति अपने विरोध को रेखांकित किया।
बाइडन-शी की बातचीत में पिछले करीब नौ महीने से यूक्रेन में जारी युद्ध के बीच रूसी अधिकारियों के परमाणु हथियारों के इस्तेमाल को लेकर संदर्भ दिया गया।
इससे पहले अमेरिका के प्रतिनिधि सभा की अध्यक्ष नैंसी पेलोसी की ताइवान यात्रा के बाद चीन की टिप्पणी के बाद अमेरिका से तल्खियां बढ़ गई थी। चीनी राष्ट्रपति से मुलाकात के बाद जो बाइडन ने कहा कि शी और उन पर यह दिखाने की जिम्मेदारी है कि अमेरिका और चीन अपने मतभेदों पर काबू पा सकते हैं, सहयोग के क्षेत्रों का पता लगा सकते हैं।
वहीं चीनी राष्ट्रपति ने कहा कि वह बाइडन के साथ विचारों के आदान-प्रदान के लिए तैयार हैं, जिसका उद्देश्य अमेरिका-चीन संबंध को सुधारना है।
बाइडन और जिनपिंग की मुलाकात करीब 11 साल के बाद हो रही है। आखिरी बार इन दोनों नेताओं में जब मुलाकात हुई थी, तब जो बाइडन अमेरिका के उपराष्ट्रपति थे।