सुनवाई के दौरान एनआईए ने कहा कि रिमांड याचिका की प्रति को एफआईआर की प्रति की तरह नहीं समझा जाना चाहिए कि एनआईए उसे उपलब्ध कराए। इस याचिका पर ट्रायल कोर्ट को फैसला लेना है। एनआईए एक्ट के तहत इसके लिए याचिकाकर्ता को पहले ट्रायल कोर्ट जाना चाहिए। याचिकाकर्ता की ओर से वकील अदीत एस पुजारी ने कहा कि हिरासत की मांग करने वाली याचिका की प्रति अगर याचिकाकर्ता को मिलेगी तो वो उसका विरोध करने की स्थिति में होगा और तभी पता चलेगा कि उसके खिलाफ आरोप क्या हैं।
कोर्ट ने 7 अक्टूबर को एनआईए को नोटिस जारी किया था। याचिकाकर्ता मोहम्मद युसूफ को एनआईए की छापेमारी के दौरान गिरफ्तार किया गया था। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर वकील अदीत एस पुजारी ने बताया कि ट्रायल कोर्ट ने कहा था कि आरोपितों को उनकी हिरासत खत्म होने के बाद एफआईआर और दूसरे दस्तावेजों की प्रति उपलब्ध कराई जाएगी, लेकिन इस आदेश का पालन नहीं किया गया। सुनवाई के दौरान एनआईए की ओर से याचिका के सुनवाई योग्य होने पर सवाल उठाया गया था। एनआईए की ओर से कहा गया था कि ट्रायल कोर्ट का आदेश अंतरिम है, इसलिए इसे चुनौती नहीं दी जा सकती है।
केंद्र सरकार ने यूएपीए की धारा 3(1) के अधिकारों के तहत 28 सितंबर को पीएफआई और उसके सहयोगी संगठनों को पांच सालों के लिए प्रतिबंधित कर दिया था। पीएफआई के सहयोगी संगठनों, रिहैब इंडिया फाउंडेशन (आरआईएफ), कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया (सीएफआई), ऑल इंडिया इमाम्स काउंसिल (एआईसीसी), नेशनल कंफेडरेशन ऑफ ह्यूमन राईट्स आर्गनाइजेशन (एनसीएचआरओ) नेशनल वुमंस फ्रंट, जूनियर फ्रंट, एम्पावर इंडिया फाउंडेशन और रिहैब फाउंडेशन, केरल को भी प्रतिबंधित किया गया है।
एनआईए ने कई राज्यों में छापा मारकर पीएफआई के कई सदस्यों को गिरफ्तार किया था। दिल्ली पुलिस ने भी करीब पचास स्थानों पर छापा मारकर 30 से ज्यादा पीएफआई सदस्यों को गिरफ्तार किया था।