नई दिल्ली। दिल्ली दंगों में मनी लांड्रिंग के आरोपित ताहिर हुसैन के खिलाफ दर्ज मामले में सरकारी गवाह अमित गुप्ता ने मंगलवार को दिल्ली के कड़कड़डूमा कोर्ट में अपना बयान दर्ज कराया। एडिशनल सेशंस जज समीर बाजपेयी ने अमित गुप्ता के बयान का क्रास-एग्जामिनेशन 2 फरवरी को कराने का आदेश दिया।
इसके पहले 11 दिसंबर, 2023 को कोर्ट ने ताहिर हुसैन को फरीदाबाद में एक प्लाट खरीदने के लिए अपनी पत्नी के पक्ष में जनरल पावर ऑफ अटार्नी पर हस्ताक्षर करने की अनुमति दे दी थी। पहले की सुनवाई के दौरान ताहिर हुसैन की अर्जी का जवाब नहीं देने और किसी के उपस्थित नहीं होने पर कोर्ट ने ईडी को कड़ी फटकार लगाते हुए स्पेशल डायरेक्टर को तलब किया था। उसके बाद 8 दिसंबर, 2023 को ईडी के स्पेशल डायरेक्टर की ओर से कहा गया कि आगे मामले की पैरवी करने में ईडी की ओर से कोई कोताही नहीं बरती जाएगी। कोर्ट ने 11 जनवरी, 2023 को ताहिर हुसैन के खिलाफ आरोप तय कर दिया था। कोर्ट ने मनी लांड्रिंग एक्ट की धारा 3 और 4 के तहत आरोप तय करने का आदेश दिया था। कोर्ट ने ताहिर हुसैन को आरोपों के बारे में बताया, जिसके बाद ताहिर हुसैन ने आरोपों का सामना ट्रायल के जरिये करने की बात की।
कोर्ट ने 19 फरवरी, 2022 को इस मामले के सह आरोपित अमित गुप्ता को सरकारी गवाह बनने की अनुमति दे दी थी। 5 मार्च, 2022 को कोर्ट ने इस मामले में ताहिर हुसैन की जमानत याचिका खारिज कर दी थी। 29 सितंबर, 2021 को ईडी ने अमित गुप्ता की खुद को सरकारी गवाह बनाने की अर्जी का शर्तों के साथ समर्थन किया था। अमित गुप्ता की ओर से वकील ने कहा था कि अमित गुप्ता ने इस मामले के मुख्य आरोपित ताहिर हुसैन की मनी लांड्रिंग मामले में मदद की है, लेकिन इसका न तो उसे कोई लाभ नहीं हुआ है और न ही उसने कोई सहयोग किया है। उन्होंने कहा था कि अमित गुप्ता को अगर सरकारी गवाह बनाया जाता है तो उसके बयानों से इस मामले के दूसरे आरोपितों तक पहुंचने में मदद मिलेगी।
ईडी के असिस्टेंट डायरेक्टर पंकज कुमार खत्री ने 16 अक्टूबर, 2020 को चार्जशीट दाखिल की थी। ईडी ने ताहिर हुसैन और अमित गुप्ता को मनी लांड्रिंग एक्ट के तहत धारा 3 के तहत आरोपित किया था। चार्जशीट में ईडी ने कहा है कि करीब सवा करोड़ रुपये से दंगों के लिए हथियारों की खरीदारी की गई। ईडी के मुताबिक ताहिर हुसैन और उससे जुड़े लोगों ने एक करोड़ दस लाख रुपये की मनी लांड्रिंग की। दंगों के लिए एकत्रित किए गए इस धन को फर्जी कंपनी के जरिये नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में चल रहे धरना-प्रदर्शनों में लगाया गया।