धरती की उत्पत्ति कैसे हुई? इंसान कैसे आए? धरती पर ऑक्सीजन कैसे बनी? क्या आपके दिमाग में भी ऐसे सवाल आते हैं? क्या वाकई धरती एक धधकते हुए आग के गोले जैसी थी?
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दुनिया में ऐसे बहुत सारे सवाल हैं जिनके जवाब वैज्ञानिक खोज रहे हैं। आज हम जानेंगे कि धरती पर जीवन की शुरुआत कब और कैसे हुई।
रिसर्च के मुताबिक करीब 4.6 अरब साल पहले एक भीषण विस्फोट के नतीजे के रूप में धरती और अन्य ग्रहों का जन्म हुआ था. उस वक्त धरती आग के एक गोले के समान थी, जो धीरे-धीरे ठंडी होती गई और फिर यहां पर जीवन की उत्पति हुई थी. अब सवाल है कि जीवन के लिए सबसे जरूरी ऑक्सीजन और पानी कहां से आया था? अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने अपने रिसर्च में बताया कि अरबों साल पहले धरती से बड़ी संख्या में और लगातार अंतरिक्ष के चट्टान टकराते थे. ये चट्टान कुछ और नहीं बल्कि क्षुद्रग्रह और पुच्छल तारे थे. इन्हीं क्षुद्रग्रहों और पुच्छल तारों ने धरती पर वायुमंडल का निर्माण किया और उसमें ऑक्सीजन भरा था.
रिपोर्ट के मुताबिक जब करीब 4.6 अरब साल पहले धरती का निर्माण हुआ था, उस वक्त उसमें कोई वायुमंडल नहीं था. जैसे-जैसे धरती ठंड़ी होती गई थी, वैसे-वैसे वायुमंडल का निर्माण होते चला गया था. लेकिन शुरुआत में इस वायुमंडल में मुख्यरूप से कार्बनडाई ऑक्साइड और नाइट्रोजन गैस था.
आजकल हमें और जानवरों को जीवन के लिए ऑक्सीजन और पानी की ज़रूरत होती है। लेकिन पहले धरती पर ऑक्सीजन नहीं थी, बल्कि केवल कार्बन डाइऑक्साइड और नाइट्रोजन गैस मौजूद थी। फिर अचानक हजारों साल पहले धरती पर एक बड़ा परिवर्तन हुआ, जिससे पूरी केमिस्ट्री बदल गई और ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ गई। इसे विज्ञान में Great Oxidation Event (GOE) कहा जाता है।
रिपोर्ट के अनुसार, 2.5 से 4 अरब साल पहले धरती पर क्षुद्रग्रहों और पुच्छल तारों की भारी बारिश हो रही थी। इनमें से कुछ चट्टानें लगभग 10 किलोमीटर तक बड़ी थीं। इन्हीं चट्टानों ने धरती की सतह की केमिस्ट्री को बदल दिया और ऑक्सीजन की उत्पत्ति शुरू की।
उस समय धरती पर कोई वायुमंडल नहीं था। हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में अर्थ एंड प्लानेट्री साइंस के असिस्टेंट प्रोफेसर नदजा द्राबोन की अगुआई में हुई रिसर्च के अनुसार, क्षुद्रग्रहों और पुच्छल तारों की बारिश हमारी सोच से कहीं ज्यादा तेजी से हुई थी। यह बारिश इतनी महत्वपूर्ण थी क्योंकि किसी भी जीव के लिए ऑक्सीजन का होना बेहद ज़रूरी है। वायुमंडल में ऑक्सीजन के बिना पूरी सृष्टि खत्म हो सकती थी।