नई दिल्ली । राऊज एवेन्यू कोर्ट ने 1984 के सिख विरोधी दंगों से जुड़े पुलबंगश गुरुद्वारा हिंसा मामले में आरोपित जगदीश टाइटलर के खिलाफ आरोप तय करने के मामले पर सुनवाई टाल दी। स्पेशल जज राकेश स्याल ने इस मामले की अगली सुनवाई 9 जनवरी को करने का आदेश दिया।
आज सुनवाई के दौरान कोर्ट ने जगदीश टाइटलर के वकील से दिल्ली पुलिस और सीबीआई की ओर से दर्ज एफआईआर की सूची और जांच रिपोर्ट उपलब्ध कराने का आदेश दिया। इसके पहले 10 अगस्त को कोर्ट ने जगदीश टाइटलर को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कोर्ट में पेश होने की इजाजत दी थी। जगदीश टाइटलर ने सुरक्षा का हवाला देते हुए वर्चुअली कोर्ट में पेश होने की इजाजत मांगी थी।
जगदीश टाइटलर पांच अगस्त को कोर्ट में पेश हुए थे और अपना बेल बांड भरा था। इस पर कोर्ट के बाहर दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने टाइटलर को अग्रिम जमानत देने के कोर्ट के आदेश पर विरोध जताते हुए प्रदर्शन किया था। चार अगस्त को राऊज एवेन्यू कोर्ट के सेशंस कोर्ट ने जगदीश टाइटलर को अग्रिम जमानत प्रदान की थी। स्पेशल जज विकास ढल ने एक लाख रुपये के निजी मुचलके पर अग्रिम जमानत देने का आदेश दिया था।
उल्लेखनीय है कि 26 जुलाई को एडिशनल चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट विधि गुप्ता आनंद ने जगदीश टाइटलर के खिलाफ दाखिल चार्जशीट पर संज्ञान लिया था। सीबीआई ने इस मामले में टाइटलर के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 147, 109 और 302 के तहत अभियोग पंजीकृत किया है। सीबीआई के मुताबिक टाइटलर ने भीड़ को उकसाया। इसके बाद भीड़ ने पुलबंगश के गुरुद्वारे में आग लगा दी थी।
DELHI ANTI SIKH RIOTS
नई दिल्ली । दिल्ली के राउज एवेन्यू कोर्ट ने 1984 में दिल्ली के सुल्तानपुरी सिख विरोधी दंगा मामले में तीन सिखों की हत्या के केस में पूर्व कांग्रेस नेता सज्जन कुमार को बरी कर दिया है। स्पेशल जज गीतांजलि गोयल ने सज्जन कुमार को बरी करने का आदेश दिया।
इस मामले की सुनवाई पहले पटियाला हाउस कोर्ट में चल रही थी। बाद में इस केस को राऊज एवेन्यू कोर्ट में ट्रांसफर कर दिया गया। ये केस सुल्तानपुरी का है। इस केस को दर्ज करने का आदेश सिख विरोधी दंगों की जांच के लिए बनी नानावती आयोग ने दिया था। 16 नवंबर 2018 को इस केस की मुख्य गवाह चाम कौर ने पटियाला हाउस कोर्ट में अपनी गवाही के दौरान कोर्ट में उपस्थित सज्जन कुमार की पहचान की थी।
20 सितंबर 2018 को चाम कौर ने आरोप लगाया था कि उन्हें कोर्ट में गवाही देने से रोका जा रहा है। चाम कौर ने पटियाला हाउस कोर्ट में याचिका दायर कर अपनी सुरक्षा की मांग की थी। चाम कौर ने कहा था कि उन्हें फोन पर धमकी दी जा रही है कि अगर उसने कोर्ट में गवाही दी तो गंभीर परिणाम भुगतने के लिए तैयार हो जाएं। चाम कौर ने कहा था कि 19 सितंबर की रात दिल्ली के सुल्तानपुर माजरा के पूर्व कांग्रेस विधायक जय किशन के लोगों ने उसके घर आकर धमकी दी। उन्हें पैसे का भी लालच दिया गया।
28 मार्च 2019 को जोगिंदर सिंह ने अपने बयान में पटियाला हाउस कोर्ट को बताया था कि सज्जन कुमार ने भीड़ का नेतृत्व किया और उन्हें उकसाने का काम किया था। जोगिंदर सिंह ने कहा था कि जब वे पुलिस के पास एफआईआर लिखवाने पहुंचे तो पुलिस ने सज्जन कुमार का नाम लिखने से इनकार कर दिया। जोगिंदर सिंह ने कहा था कि उस दंगे में उसके भाई की हत्या कर दी गई।
उल्लेखनीय है कि सज्जन कुमार एक दूसरे सिख विरोधी दंगों के मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद दिल्ली की मंडोली जेल में बंद हैं। सज्जन कुमार ने 31 दिसंबर 2018 को दिल्ली की कड़कड़डूमा कोर्ट में सरेंडर किया था।
दिल्ली के 1984 के सिख विरोधी दंगों में जगदीश टाइटलर के खिलाफ चार्जशीट पर कोर्ट ने फैसला सुरक्षित किया
नई दिल्ली । राजधानी के 1984 के सिख विरोधी दंगों के मामले में दिल्ली के राऊज एवेन्यू कोर्ट ने कांग्रेस के पूर्व नेता जगदीश टाइटलर के खिलाफ दाखिल चार्जशीट पर संज्ञान लेने के मामले पर फैसला सुरक्षित रख लिया है। एडिशनल चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट विधि गुप्ता आनंद ने 19 जुलाई को फैसला सुनाने का आदेश दिया।
कोर्ट ने 2 जून को इस मामले की सुनवाई एमपी एमएलए कोर्ट में ट्रांसफर कर दी थी। इसके पहले कोर्ट ने आर्म्स डीलर अभिषेक वर्मा के बयान दर्ज करने में देरी पर सीबीआई को फटकार लगाई थी। कोर्ट ने कहा था कि इस मामले के 35 साल बीत गए और कई बार जांच में तेजी लाने के आदेश दिए गए। गवाह भी आगे आए लेकिन सीबीआई केवल धारा 161 के तहत बयान दर्ज कर संतुष्ट हो गई।
कोर्ट ने सीबीआई से पूछा था कि उन बयानों पर गवाहों के दस्तखत तक नहीं हुए हैं। कोर्ट ने कहा था कि अगर सीबीआई चाहती है तो वो अभिषेक वर्मा का बयान धारा 164 के तहत दर्ज कर सकती है। धारा 164 के तहत मजिस्ट्रेट बयान दर्ज करता है। अभिषेक वर्मा ने 2017 में दिल्ली पुलिस को शिकायत दी थी और अपनी सुरक्षा बढ़ाने की मांग की थी। अभिषेक वर्मा को ई-मेल के जरिये जान से मारने की धमकी दी गई थी।
अभिषेक वर्मा 1 नवंबर, 1984 में दिल्ली के पुलबंगश में तीन सिखों की हत्या के मामले में गवाह हैं। 1 नवंबर, 1984 को जिन सिखों की हत्या हुई थी उनमें बादल सिंह, ठाकुर सिंह और गुरचरण सिंह हैं। तीनों की हत्या पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद की गई थी। इस केस को नानावटी कमीशन ने दोबारा खोलने का आदेश दिया था।
सीबीआई ने इस मामले में टाइटलर के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 147, 109 और 302 के तहत लगाया है। सीबीआई के मुताबिक टाइटलर ने भीड़ को उकसाया था, जिसके बाद भीड़ ने पुलबंगश के गुरुद्वारे में आग लगा दी थी।