मथुरा। प्रस्तावित बांकेबिहारी मंदिर कॉरिडोर के विरोध में गुरुवार को व्यापारियों और इस दायरे में आने वाले दुकानदारों के आह्वान पर बाजार बंद रहे। बसंत पंचमी पर दूर-दराज से आने वाले श्रद्धालुओं को इससे परेशानी का भी सामना करना पड़ा। पिछले कई दिनों से कॉरिडोर के विरोध में स्थानीय लोग और व्यापारी खुलकर सामने आ रहे हैं।
बुधवार शाम विरोध प्रदर्शन के दौरान बाजार बंदी का ऐलान किया गया था। बसंती पंचमी जैसे त्यौहार के बावजूद मंदिर और उसके आसपास की दुकानें गुरुवार सुबह बंद देखी गयीं, जबकि देर शाम अधिकांश बाजार खुल गये। व्यापारियों का कहना है कि इस विरोध प्रदर्शन को और तेज किया जायेगा। शासन-प्रशासन के खिलाफ सभी व्यापारी और वृन्दावन के लोग एकजुट होकर प्रस्तावित बांकेबिहारी कॉरिडोर के विरोध में खुलकर सामने आ गये हैं।
आज बसंत पंचमी पर बांकेबिहारी मंदिर सहित वृन्दावन के विभिन्न मंदिरों पर श्रद्धालुओं की काफी भीड़ थी। दर्शनार्थी उमंग के साथ दर्शन को आये थे। बाजारों में सन्नाटे के चलते उन्हें भी सुबह परेशानी हुई। व्यापारियों ने कहा कि ब्रज के प्राचीन स्वरूप, कुंज गलियों के अस्तित्व को बचाने, यहां कई-कई पीढ़ियों से रहने वाले लोगों के आशियानों को न उजाड़ने तथा व्यापारियों के हितों के संरक्षण के लिए अंतिम सांस तक संघर्ष किया जायेगा। श्रद्धालु, पर्यटकों की सुविधा के लिए शासन-प्रशासन को कोई वैकल्पिक रास्ता चुनना चाहिए जिससे ब्रज तथा ब्रजवासियों के हित भी सुरक्षित रह सके।
स्थानीय लोगों और व्यापारियों का कहना है कि कॉरीडोर निर्माण के बजाए रास्तों का चौड़ीकरण हो, प्रांगण का विस्तार हो, व्यवस्थाएं नियत हों, ट्रैफिक नियंत्रित हो, जिससे लोगों की समस्याएं और हानि कमतर होगी तो मंदिर में दर्शन भी सुलभ होंगे।
Corridor
मेरठ/गाजियाबाद। भारत की प्रथम रीजनल रेल के दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ कॉरिडोर की पहली सुरंग का मेरठ में शनिवार को सफल ब्रेकथू हुआ। सुदर्शन 8.3 (टनल बोरिंग मशीन) ने सुरंग का सफलतापूर्वक निर्माण करने के बाद बेगमपुल आरआरटीएस स्टेशन पर ब्रेकथ्रू किया।
एनसीआरटीसी के प्रबंध निदेशक विनय कुमार सिंह ने एनसीआरटीसी के निदेशकों और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति में रिमोट का बटन दबाकर ब्रेकथ्रू की प्रक्रिया की शुरुआत की। सुदर्शन 8.3 (टनल बोरिंग मशीन) को गांधी पार्क में निर्मित लॉन्चिंग शाफ्ट से लॉन्च किया गया था और अब इसे बेगमपुल आरआरटीएस स्टेशन से रीट्रीव किया जाएगा। पहली टनल के ब्रेकथ्रू की यह उपलब्धि 4 महीने के भीतर 750 मीटर लंबी सुरंग की बोरिंग और निर्माण के बाद हासिल की गई है।
इस अवसर पर बोलते हुए, एनसीआरटीसी के प्रबंध निदेशक विनय कुमार सिंह ने कहा कि “सुदर्शन 8.3 का पहला ब्रेकथ्रू आरआरटीएस परियोजना में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। मेरठ जैसे ऐतिहासिक और भीड़भाड़ वाले इलाके में इस तरह की मेगा इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजना का निर्माण एक चुनौतीपूर्ण और जटिल प्रक्रिया है और इसमें जटिल लॉजिस्टिक्स प्रबंधन की आवश्यकता होती है। इसमें कई तरह के जोखिम शामिल होते हैं और इनसे निपटने के लिए रणनीतिक योजना की आवश्यकता होती है। पहले से मौजूद एक शहर के नीचे टनल का निर्माण एक जोखिम भरा काम है और इसके लिए बहुत सावधानीपूर्वक योजना बनाने की आवश्यकता होती है।
एनसीआरटीसी के प्रवक्ता पुनीत वत्स ने बताया कि यह टनलिंग का फर्स्ट ड्राइव है,जिसे सुदर्शन 8.3 द्वारा पूरा किया गया है। यही टीबीएम समानांतर टनल का निर्माण भी करेगी। इसलिए, टीबीएम को शॉफ्ट में ही डिस्मेंटल किया जाएगा और इसके कटर हेड और शील्ड को ट्रेलरों पर लाद कर गांधी पार्क में स्थित लॉन्चिंग शाॅफ्ट पर वापस लाया जाएगा। बैकअप गैन्ट्री या टीबीएम के बाकी हिस्सों को टनल के रास्ते ही वापस ले जाया जाएगा। एक बार जब यह लॉन्चिंग शाॅफ्ट पहुंच जाएगी, तो इसे फिर से लॉन्च किया जाएगा। उन्होंने बताया कि इस बीच, दो अन्य सुदर्शन, 8.1 और 8.2, भैसाली से फुटबॉल चौक तक 1.8 किमी लंबी समानांतर टनल बोर कर रहे हैं।
वत्स ने बताया कि बेगमपुल आरआरटीएस स्टेशन का निर्माण टॉप-डाउन तकनीक से किया जा रहा है, जिसमें गहरी खुदाई करते हुए ऊपर से नीचे की दिशा में स्टेशन का निर्माण किया जाता है। इस स्टेशन के तीन लेवल हैं: मेजेनाइन, कॉनकोर्स और प्लेटफॉर्म लेवल। इस स्टेशन के मेजेनाइन और कॉनकोर्स लेवल का काम पूरा हो चुका है और फिलहाल प्लेटफॉर्म लेवल का निर्माण कार्य किया जा रहा है।
इस 750 मीटर लंबी सुरंग के निर्माण के लिए 3500 से अधिक प्री-कास्ट सेग्मेंट का उपयोग किया गया है। टनलिंग प्रक्रिया में, इन सेग्मेंट को बोर की गई टनल में इंसर्ट किया जाता है और सात खंडों को जोड़कर एक रिंग का निर्माण किया जाता है। प्रत्येक सेग्मेंट 1.5 मीटर लंबा और 275 मिमी मोटा होता है। इन सेग्मेंट और रिंग को बोल्ट की मदद से जोड़ा जाता है। इन टनल सेग्मेंट की कास्टिंग एनसीआरटीसी के शताब्दी नगर स्थित कास्टिंग यार्ड में, सुनिश्चित गुणवत्ता नियंत्रण के साथ की जा रही है। प्री-कास्टिंग गुणवत्ता नियंत्रण सुनिश्चित करते हुए कार्यों के सुरक्षित और तेजी से निष्पादन में मदद करती है। ऑन-साइट निर्माण की आवश्यकता के कम होने से जिस सेक्शन में निर्माण कार्य किया जा रहा है वहाँ के सड़क उपयोगकर्ताओं, स्थानीय राहगीरों, व्यापारियों और निवासियों को कम असुविधा होती है और वायु तथा ध्वनि प्रदूषण में भी महत्वपूर्ण रूप से कमी आती है।