नई दिल्ली । कोर्ट की अवमानना के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने विजय माल्या की याचिका खारिज कर दी है। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि अनेक बार कोशिश करने के बावजूद याचिकाकर्ता ने वकील से संपर्क नहीं किया है, इसलिए उनकी याचिका खारिज की जा रही है।
मालूम हो कि , 3 नवंबर, 2022 को माल्या के वकील ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि माल्या से उनका कोई संपर्क नहीं हो पा रहा है। उन्होंने मामले से खुद को अलग करने की मांग की थी। उसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने माल्या के वकील को मामले से डिस्चार्ज होने की इजाजत दी थी।
सुप्रीम कोर्ट ने 11 जुलाई, 2022 को माल्या को चार महीने की कैद की सजा और दो हजार रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई थी। कोर्ट ने जुर्माने की रकम जमा नहीं करने पर दो महीने की अतिरिक्त कैद की सजा का आदेश दिया था। कोर्ट ने अपने आदेश में विदेश में ट्रांसफर किए गए 40 मिलियन डॉलर 4 हफ्ते में चुकाने का निर्देश दिया था। कोर्ट ने 10 फरवरी, 2022 को कोर्ट ने विजय माल्या को अपना पक्ष रखने के लिए अंतिम मौका दिया था। इससे पहले 24 जनवरी, 2022 को कोर्ट ने कहा था कि दोषी का प्रत्यर्पण हो या नहीं, सज़ा पर फैसले के लिए और इंतज़ार नहीं होगा। दोषी अपने वकील के माध्यम से पक्ष रख सकता है।
कोर्ट ने कोर्ट की मदद करने के लिए वरिष्ठ वकील जयदीप गुप्ता को एमिकस नियुक्त किया था। सुनवाई के दौरान विदेश मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि माल्या के प्रत्यर्पण की कार्यवाही अंतिम चरण में है।अवमानना मामले में दोषी करार देने के फैसले के खिलाफ 31 अगस्त, 2020 को विजय माल्या की पुनर्विचार याचिका खारिज की गई थी। कोर्ट ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को विजय माल्या की उपस्थिति सुनिश्चित करने का निर्देश दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने 9 मई, 2017 को डिएगो डील के 40 मिलियन डॉलर बच्चों के एकाउंट में ट्रांसफर करने और सम्पत्ति का ब्यौरा न देने के लिए दोषी माना था। विजय माल्या ने सुप्रीम कोर्ट में इसी फैसले की समीक्षा की मांग करते हुए रिव्यू पिटीशन दायर की थी।
CONTEMPT OF COURT
कोर्ट की अवमानना के मामले में केंद्रीय राज्यमंत्री जॉन बार्ला के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी
कोलकाता, । कूचबिहार जिले के तूफानगंज की स्थानीय कोर्ट ने भाजपा सांसद और केन्द्रीय अल्पसंख्यक मामलों के राज्य मंत्री जॉन बार्ला के खिलाफ आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन के एक मामले में गिरफ्तारी वारंट जारी किया है।
दरअसल, 4 अप्रैल 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान तूफानगंज में प्रखंड विकास कार्यालय परिसर में बार्ला के नेतृत्व में एक मोटरसाइकिल रैली निकाली गई थी। इसे आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन मानते हुए जॉन बार्ला सहित चार लोगों के खिलाफ बॉक्सिरहाट पुलिस स्टेशन में रिपोर्ट दर्ज हुई थी। तूफानगंज उपमंडल कोर्ट ने इस मामले में बार्ला को समन जारी कर 15 नवंबर को कोर्ट में पेश होने के आदेश दिए थे, लेकिन बार्ला न तो कोर्ट में हाजिर हुए और न ही उनका कोई वकील पेश हुआ। इस पर कोर्ट ने अवमानना के आरोप में बार्ला के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया है।
कोर्ट के आदेश पर प्रतिक्रिया देते हुए केन्द्रीय राज्यमंत्री बार्ला ने कहा कि वह बदले की राजनीति के शिकार हुए हैं।देश की कानूनी व्यवस्था के प्रति मेरे मन में बहुत सम्मान है। पहले भी, मैंने 45 दिन सलाखों के पीछे बिताए थे। मेरे खिलाफ यह गिरफ्तारी वारंट राजनीतिक प्रतिशोध से जारी किया गया है।
इस संबंध में तृणमूल कांग्रेस के प्रवक्ता कुणाल घोष ने कहा कि चूंकि कोर्ट ने गिरफ्तारी वारंट जारी किया है, इसलिए मामले में राजनीतिक प्रतिशोध का कोई सवाल ही नहीं है। उन्होंने कहा, ”कानून अपना काम करेगा।
उल्लेखनीय है कि बार्ला पश्चिम बंगाल से भाजपा के दूसरे लोकसभा सदस्य हैं, जिनके खिलाफ निचली कोर्ट ने महज 72 घंटे के अंतराल में गिरफ्तारी वारंट जारी किया है। इससे पहले 14 नवंबर को अलीपुरद्वार की न्यायिक कोर्ट ने केंद्रीय गृह राज्य मंत्री निसिथ प्रमाणिक के खिलाफ वर्ष 2009 में अलीपुरद्वार में दो आभूषण की दुकानों में चोरी के एक मामले में उनकी कथित संलिप्तता के संबंध में गिरफ्तारी वारंट जारी किया था।