नई दिल्ली । हिमाचल प्रदेश विधानसभा से अयोग्य करार हुए कांग्रेस के छह विधायकों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। इन विधायकों ने विधानसभा अध्यक्ष द्वारा अयोग्य ठहराने के फैसले को चुनौती दी है।
कांग्रेस के बागी सुधीर शर्मा, राजिंदर राणा, इंद्र दत्त लखनपाल, रवि ठाकुर, देवेंद्र भुट्टो और चैतन्य शर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। कांग्रेस के छह बागी विधायकों ने स्पीकर के फैसले को गलत ठहराते हुए इसे रद्द करने की मांग की है।
राज्यसभा चुनाव के दौरान हिमाचल प्रदेश के इन छह विधायकों ने क्रास वोटिंग की थी। इसकी वजह से कांग्रेस के अधिकृत उम्मीदवार अभिषेक मनु सिंघवी की हार हुई थी। बाद में विधानसभा स्पीकर ने इन विधायकों को अयोग्य करार दिया था।
CONGRESS MLA
नयी दिल्ली। लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस पार्टी को और बड़ा झटका लग सकता है। मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ और उनके बेटे नकुल भाजपा में शामिल हो सकते हैं। हालांकि अभी तक इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हुआ है। पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ अपने बेटे के साथ दिल्ली पहुंच गए हैं।
दिल्ली पहुंचने पर पत्रकारों से बातचीत में भाजपा में शामिल होने के सवाल कमलनाथ ने कहा कि आप लोग इतने एक्साइटेड क्यों हो रहे है। अगर ऐसा कुछ होगा तो सबसे पहले मैं आप लोगों को ही बताऊंगा। सूत्रों के अनुसार कमलनाथ की आज शाम भाजपा के वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात हो सकती है।
भाजपा प्रवक्ता और कमल नाथ के पूर्व मीडिया सलाहकार नरेंद्र सलूजा ने भोपाल में पूर्व मुख्यमंत्री और उनके बेटे की एक तस्वीर शेयर करते हुए कैप्शन दिया, “जय श्री राम”। जिसके बाद से अटकलें और तेज हो गई हैं। इस बीच, छिंदवाड़ा से कांग्रेस सांसद नकुल नाथ ने तो अपने प्रोफाइल बायो से ‘कांग्रेस’ शब्द ही हटा दिया है।
माना जा रहा है कि, कमलनाथ के साथ कांग्रेस के 10-12 विधायक भी बीजेपी में शामिल हो सकते हैं। कांग्रेस नेता कमलनाथ के भाजपा में शामिल होने के सवाल पर दिग्विजय सिंह ने कहा कि, कल रात मेरी कमल नाथ जी से बातचीत हुई। वो वह व्यक्ति हैं, जिन्होंने अपना राजनीतिक करियर नेहरू-गांधी परिवार के साथ शुरू किया था। आप उस व्यक्ति से सोनिया गांधी और इंदिरा गांधी के परिवारों को छोड़ने की उम्मीद नहीं कर सकते हैं। और आपको उनसे ऐसी उम्मीद भी नहीं करनी चाहिए। उधर कमलनाथ ने भाजपा में शामिल होने के सवाल पर कहा जब ऐसा होगा तब बता दिया जायेगा।
भोपाल। मध्य प्रदेश विधानसभा के बजट सत्र में गुरुवार को सदन में प्रश्नकाल के दौरान कांग्रेस विधायक लखन यादव ने राशन वितरण में गड़बड़ी का मामला उठाया। जवाब में खाद्य मंत्री बिसाहूलाल सिंह ने जांच समिति बनाने का आश्वासन दिया। कांग्रेस विधायक ने खुद को जांच समिति में शामिल कराने की मांग की।
सदन में गुरुवार को प्रश्नकाल शुरू हाेते ही पहला सवाल कांग्रेस विधायक लखन यादव ने पूछा। उन्होंने राशन वितरण में हुई गड़बड़ी को लेकर मामलों से संबंधित दुकानों पर हुई कार्यवाही के बारे में पूछते हुए कहा कि राशन वितरण में गड़बड़ी हुई इसके लिए क्या कार्रवाई हुई? जवाब देते हुए खाद्य मंत्री बिसाहूलाल सिंह ने कहा कि इस मामले में 6 दुकान संचालकों के खिलाफ एफआईआर हुई है। जिसके बाद लखन यादव ने कहा कि 123 दुकानों की जांच करवाएं पता चल जाएगा राशन वितरण में क्या हो रहा है। इसके साथ ही लखन यादव ने जांच दल में खुद को शामिल करने की मांग की। इसके बाद विधायक लखन यादव ने कहा कि जांच में लीपापोती हो जाती है। जिस पर मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि जांच के दौरान आपको सूचना दे दी जाएगी।
इसके आगे प्रश्नकाल में राशन वितरण मामले को लेकर गोपाल भार्गव ने कहा कि ये विधायकों की नई प्रवृत्ति है। कहते हैं जांच दल में हम भी शामिल होंगे। आधे मामलों में जांच की बात करते हैं। आपको जांच पर आपत्ति है तो विधानसभा में सूचना दें। गोपाल भार्गव के इस बयान पर विधायक लखन यादव ने कहा कि, अधिकारी प्रदेश को खा रहे हैं। इस दौरान राशन वितरण मामले को लेकर दोनों पक्षों में जमकर गहमागहमी हुई। कमलनाथ ने कहा कि आखिरकार विधायक को शामिल नहीं करने का कारण क्या है। कौन सा परहेज है, कौन सा डर है, कौन सी बात दबाना चाहते हैं। मैं आपसे कहता हूं हम भी आपको शामिल करेंगे। इस दौरान मंत्री विश्वास सारंग बोले- आपका सपना पूरा नहीं होगा। कमलनाथ ने कहा कि कुछ महीने बाद ऐसा ही होगा।
एमपी-एमएलए कोर्ट ने भागलपुर के कांग्रेस विधायक अजीत शर्मा समेत सात को एक साल की सजा दी, जुर्माना भी लगाया
पटना /भागलपुर । कांग्रेस के भागलपुर विधायक सह बिहार विधानमंडल दल के नेता अजीत शर्मा समेत सात दोषियों को भागलपुर के एमपी-एमएलए कोर्ट ने एक साल की सजा सुनायी है। इसके साथ ही कोर्ट ने आर्थिक जुर्माना भी लगाया है।
कांग्रेस विधायक अजीत शर्मा समेत सात लोगों पर साल 2020 के विधानसभा चुनाव में वोटिंग के दौरान चुनाव कार्य में बाधा डालने का आरोप है। एमपी-एमएलए कोर्ट के विशेष न्यायाधीश विवेक कुमार सिंह ने बुधवार को सभी को दोषी मानते हुए सजा सुनाया। सजा पाने वालों में कांग्रेस विधायक अजीत शर्मा के अलावा मो. रियाजउल्ला अंसारी, मो. शफकतउल्ला, मो. नियाजउल्ला उर्फ आजाद, मो. मंजरउद्दीन उर्फ चुन्ना, मो. नियाजउद्दीन और मो. इरफान खान उर्फ सिंटू हैं।
विशेष जज ने धारा 341 में 15 दिन और धारा 353 के तहत एक-एक साल की सजा और एक हजार रुपये का जुर्माना लगाया है। सजा में डिफाल्ट होने पर तीन हजार रुपये का जुर्माना देना होगा। कोर्ट ने सजा के बाद सभी को प्रोविजनल बेल दे दी। इस दौरान कांग्रेस विधायक अजीत शर्मा समेत सभी सात अभियुक्त कोर्ट में मौजूद रहे।
उल्लेखनीय है कि विधानसभा चुनाव के दौरान 3 नवंबर, 2020 को भीखनपुर के समीप चलंत मतदान केंद्र को विधायक अजीत शर्मा ने जमात के साथ घेर लिया था। अजीत शर्मा ने चलंत मतदान केंद्र के साथ चल रहे दंडाधिकारी बाल्मीकि कुमार से अभद्रता भी की थी। उस समय अधिकारी के रूप में मौजूद आईटीआई के निदेशक मुंगेर निवासी बाल्मीकि कुमार ने चुनाव कार्य में बाधा डालने का आरोप लगाते हुए इशाकचक थाने में यह केस दर्ज कराया था।
राजस्थान हाईकोर्ट ने कहा, महाधिवक्ता पूछकर बताए विधायकों के इस्तीफों पर कब तक निर्णय लेंगे स्पीकर
जयपुर । कांग्रेस के 91 विधायकों की ओर से दिए इस्तीफों के मामले में राजस्थान हाईकोर्ट ने महाधिवक्ता को कहा है कि वे विधानसभा स्पीकर से पूछ कर बताएं कि वह इन इस्तीफों पर कब तक निर्णय कर देंगे। अदालत ने इसकी जानकारी और मामले में जवाब पेश करने के लिए महाधिवक्ता को 16 जनवरी तक का समय दिया है। सीजे पंकज मित्थल और जस्टिस शुभा मेहता अखंड की खंडपीठ ने यह आदेश उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ की जनहित याचिका पर दिए। वहीं अदालत ने कहा कि मामले में पक्षकार बनने के लिए अधिवक्ता पीसी भंडारी की ओर से पेश प्रार्थना पत्र को जरूरत महसूस होने पर सुन लिया जाएगा।
सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता एमएस सिंघवी ने पेश होकर मामले में जवाब पेश करने के लिए समय मांगा। जिसका याचिकाकर्ता राजेंद्र राठौड़ ने यह कहते हुए विरोध किया कि मामले में देरी करने के लिए समय ले रहे हैं। अदालत के पूछने पर राठौड़ ने बताया कि 23 जनवरी से विधानसभा सत्र शुरू हो रहा है। इस पर अदालत ने कहा कि सत्र से पहले इन विधायकों के इस्तीफा को लेकर निर्णय किया जाना चाहिए। विधानसभा के बिजनेस रूल्स भी होंगे, तो क्या स्पीकर 1 साल तक भी इन इस्तीफों पर निर्णय नहीं करेंगे? राठौड़ की ओर से यह भी कहा गया कि महाधिवक्ता राज्य सरकार का प्रतिनिधित्व करते हैं। ऐसे में वे विधानसभा की ओर से पैरवी नहीं कर सकते। जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने स्पीकर से जानकारी कर अदालत को बताने के लिए महाधिवक्ता को 16 जनवरी तक का समय दिया है।
आप कौन, क्या सभी वकीलों को बना ले पक्षकार
सुनवाई के दौरान अधिवक्ता पूनम चंद भंडारी की ओर से प्रार्थना पत्र पेश कर मामले में पक्षकार बनने की गुहार की गई। इस पर अदालत ने कहा कि वह कौन है और इस याचिका से उनके अधिकार किस तरह प्रभावित हो रहे हैं। याचिका में उन्हें लेकर कोई रिलीफ भी नहीं मांगा गया है। वे चाहे तो अलग से याचिका दायर करें, उन्हें किसने रोका है। अदालत ने यह भी कहा कि यहां इतने वकील खड़े हैं तो क्या सभी को मामले में पक्षकार बना लें। इसके साथ ही अदालत ने कहा कि यदि उन्हें जरूरत महसूस होगी तो वह बाद में उनका पक्ष सुन लेंगे।
याचिका में कहा गया कि कांग्रेस के 91 विधायकों ने गत 25 सितंबर को विधानसभा स्पीकर को अपने इस्तीफे पर थे। इसके बाद 18 अक्टूबर, 19 अक्टूबर, 12 नवंबर और 21 नवंबर को याचिकाकर्ता ने स्पीकर को प्रतिवेदन देकर दिए गए इस्तीफे को लेकर निर्णय करने का आग्रह किया था। इसके बावजूद भी स्पीकर ने अब तक इन इस्तीफों को लेकर कोई निर्णय नहीं किया है। याचिका में कहा गया कि यदि कोई विधायक इस्तीफा स्वयं पेश करता है तो विधानसभा प्रक्रिया नियम 173 के तहत स्पीकर के पास इस्तीफा स्वीकार करने के अतिरिक्त और कोई विकल्प नहीं होता। सिर्फ इस्तीफा स्वैच्छिक और फर्जी है या नहीं, को लेकर ही जांच की जा सकती है। याचिका में यह भी कहा गया कि यह असंभव है कि इतनी बडी संख्या में विधायकों से जबरन इस्तीफों पर हस्ताक्षर करवाए गए हो या उनके फर्जी हस्ताक्षर किए गए हो। विधायकों के इस्तीफे देने के चलते सरकार सदन में अपना विश्वास खो चुकी है। इसके बावजूद भी इस्तीफा देने वाले मंत्रिमंडल और मंत्रिपरिषद सहित अन्य सरकारी बैठकों में शामिल हो रहे हैं। याचिका में भी गुहार की गई है कि इस्तीफा देने वाले विधायकों के नाम सार्वजनिक किए जाएं और बतौर विधायक इनका विधानसभा में प्रवेश से रोका जाए। स्पीकर के समक्ष बसपा से दल बदल कर कांग्रेस में आए विधायकों का मामला लंबित है। ऐसे में उन्हें अंदेशा है कि इन विधायकों के इस्तीफों पर भी स्पीकर निर्णय नहीं करेंगे।
नई दिल्ली । राजनीति में गिरती शुचिता और टूटतीं मर्यादाओं पर सुप्रीम कोर्ट नाखुशी जाहिर की है। विधायकों में गिरती नैतिकता या नैतिक मूल्यों की गिरावट पर सुप्रीम कोर्ट ने चिंता जताई है। जस्टिस एमआर शाह की अध्यक्षता वाली बेंच ने गोवा विधानसभा के 12 विधायकों को अयोग्य करार देने की मांग सम्बन्धी याचिका पर सुनवाई के दौरान कहा कि हमारी नैतिकता कितनी गिरेगी।
यह याचिका गोवा कांग्रेस के अध्यक्ष गिरीश चडोनकर ने दाखिल की है। सुनवाई के दौरान चडोनकर की ओर से कहा गया कि हाल ही में कांग्रेस के 9 विधायकों ने बीजेपी में शामिल होने का फैसला किया है। उन्होंने इस मसले से जुड़े बड़े कानूनी पहलू पर विचार करने की मांग की। इस पर जस्टिस एमआर शाह ने कहा कि आखिर हमारी नैतिकता कितनी गिरेगी। कोर्ट ने कहा कि इस मामले की सुनवाई के लिए कोई जल्दबाजी नहीं है।
चडोनकर की याचिका में गोवा विधानसभा के 12 विधायकों को अयोग्य घोषित करने की मांग की गई है। ये विधायक कांग्रेस और महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी छोड़कर भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए थे। याचिका में कहा गया है कि गोवा विधानसभा के स्पीकर ने दलबदलू विधायकों को गैरकानूनी रूप से सुरक्षा प्रदान की। इसके पहले बांबे हाई कोर्ट ने 24 फरवरी को इन विधायकों को अयोग्य घोषित करने की मांग को खारिज कर दिया था। हाई कोर्ट ने गोवा विधानसभा के स्पीकर के फैसले को सही ठहराया था।
अहमदाबाद,। गुजरात विधानसभा चुनाव की तारीख नजदीक आने के साथ ही दल बदलने का सिलसिला भी तेज हो गया है। सौराष्ट्र में अहिर समाज के अग्रणी और पूर्व सांसद स्वर्गीय जशु बारड के भाई भगाभाई बारड ने कांग्रेस को एक और बड़ा झटका दिया है। वह इस्तीफा देने के बाद भाजपा में शामिल हो गए हैं। गिर सोमनाथ जिले की तलाला विधानसभा सीट से विधायक भगाभाई का परिवार वर्षों से कांग्रेस से जुड़ा है। स्वर्गीय जशु बारड और भगा बारड के पिता धानाभाई बारड भी कांग्रेस नेता रहे हैं।
खनिज चोरी मामले में हुई थी सजा
गत 1 मार्च, 2018 को सूत्रापाडा कोर्ट ने बारड को 1995 के खनिज चोरी के मामले में दो साल 9 महीने की सजा सुनाई थी। करीब 29 साल पहले सूत्रापाडा की गौचर जमीन के मामले में बारड के खिलाफ 2.83 करोड़ की खनिज चोरी का अपराध दर्ज किया था। इसके बाद उनकी विधानसभा की सदस्यता निलंबित कर दी गई थी। बाद में वे हाईकोर्ट गए तो सजा पर स्टे मिला था।
कांग्रेस प्रवक्ता ने किए सवाल
भगाभाई बारड के कांग्रेस छोड़ने पर कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता डॉ. मनीष दोशी ने कई सवाल पूछे हैं। उन्होंने कहा कि भगा बारड के साथ कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व खड़ा था। उन्होंने कहा कि भगाभाई को खुलासा करना चाहिए कि उन्हें क्या तकलीफ थी। कार्यकर्ताओं की मेहनत और जनता के विश्वास के बाद वे क्यों कांग्रेस छोड़ रहे हैं, यह उन्हें बताना चाहिए।
सुखराम के इस्तीफे की अटकलों पर विराम
गुजरात कांग्रेस के दिग्गज नेता और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष सुखराम राठवा के इस्तीफे की अटकलों पर फिलहाल विराम लग गया है। 10 बार के कांग्रेस विधायक मोहन राठवा के कांग्रेस छोड़ भाजपा में जाने की खबर के बाद सुखराम राठवा को लेकर चर्चा का दौर शुरू हो गया था। बुधवार को सुखराम राठवा ने पत्रकारों को बताया कि वे कांग्रेस नहीं छोड़ेंगे। उन्होंने कहा कि मोहनसिंह राठवा हमारे वरिष्ठ नेता हैं, हमारे संबंधी भी हैं। वे निजी कारणों से कांग्रेस छोड़कर गए हैं। मोहन राठवा उन्हें मार्गदर्शन देते थे।
कैश कांड में कांग्रेस के तीनों विधायकों के खिलाफ जारी रहेगी जांच, चार्जशीट दायर करने पर रोक
रांची । झारखंड हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति संजय कुमार द्विवेदी की कोर्ट में शुक्रवार को 46 लाख नकदी के साथ कोलकाता में पकड़े गए कांग्रेस से निलंबित तीन विधायकों इरफान अंसारी, राजेश कच्छप और नमन विक्सल कोंगाड़ी की ओर से रांची में किए गए जीरो एफआईआर को कोलकाता ट्रांसफर के खिलाफ दाखिल याचिका पर सुनवाई हुई।
सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने झारखंड और बंगाल सरकार से इस मामले में शपथ पत्र दायर करने को कहा है। साथ ही कोलकाता पुलिस को मामले की जांच को जारी रखने का निर्देश दिया है लेकिन कोर्ट ने चार्जशीट दायर करने पर रोक लगाई है। हाई कोर्ट ने इन तीनों विधायकों के खिलाफ जांच में किसी प्रकार के रोक लगाने से इंकार किया है। अब इस मामले की अगली सुनवाई के लिए एक दिसंबर की तिथि मुकर्रर की गई है।
उल्लेखनीय है कि इन तीन विधायकों के खिलाफ रांची के अरगोड़ा थाने में अनूप सिंह की ओर से जीरो एफआईआर हुआ था, जिसे कोलकाता ट्रांसफर कर दिया गया था। विधायकों ने इसे कोलकाता भेजे जाने को निरस्त करने मांग की है। इन तीन विधायकों के बेल पर सुनवाई करते हुए कोलकाता हाई कोर्ट ने पुलिस को 10 नवंबर को जांच रिपोर्ट सौंपने को कहा है।