नई दिल्ली। केंद्र सरकार द्वारा चीफ जस्टिस यूयू ललित से अगले चीफ जस्टिस का नाम मांगे जाने के बाद सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने 30 सितंबर को बुलाई गई बैठक के बाद की कार्रवाई ख़ारिज कर दी है। इस बैठक में दो जजों के आपत्ति जताए जाने के बाद अब इस सम्बन्ध में सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम आगे कोई कार्यवाही नहीं बढ़ाएगा।
चीफ जस्टिस यूयू ललित का कार्यकाल 8 नवंबर तक है। परंपरा के मुताबिक एक माह का कार्यकाल बाकी रहने पर वह दूसरे वरिष्ठतम जज के नाम की सिफारिश सरकार को भेजते हैं। इसलिए केंद्र सरकार ने 7 अक्टूबर को एक पत्र भेजकर चीफ जस्टिस यू यू ललित से अगले चीफ जस्टिस के नाम की सिफारिश मांगी है। इस समय जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ दूसरे वरिष्ठतम जज हैं। अगर वह चीफ जस्टिस बनते हैं, तो उनका कार्यकाल 2 साल से अधिक का होगा।
दरअसल, कॉलेजियम के दो सदस्यों जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एस अब्दुल नजीर ने सुप्रीम कोर्ट में जज नियुक्ति करने संबंधी प्रस्तावों को लेकर चीफ जस्टिस की ओर से प्रसारित किए गए पत्र पर आपत्ति जताई थी। इस सम्बन्ध में 26 सितंबर को कॉलेजियम की एक औपचारिक बैठक हुई थी, जिसमें 11 जजों के नामों पर विचार किया गया था। इस बैठक में सभी नामों और उनकी योग्यता पर चर्चा की गई थी।
बैठक में बांबे हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस दीपांकर दत्ता के नाम पर सर्वसम्मति बनने के बाद उन्हें सुप्रीम कोर्ट का चीफ जस्टिस बनाये जाने के लिए केंद्र से सिफारिश करने के प्रस्ताव पर सहमति बनी। बाकी नामों पर विचार के लिए 30 सितंबर को कॉलेजियम की बैठक बुलाने का फैसला किया गया था। कॉलेजियम के सदस्यों ने जज के रूप में नियुक्त करने के लिए बाकी उम्मीदवारों की ओर से किए गए न्यायिक फैसलों की सूची मांगी गई।
इसके बाद 30 सितंबर को कॉलेजियम की बैठक में जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ शामिल नहीं हो सके क्योंकि वे रात नौ बजे के बाद तक कोर्ट में सुनवाई करते रहे। इसकी वजह से इस बैठक में कोई प्रस्ताव पारित नहीं हो सका। उसके बाद बाकी उम्मीदवारों की ओर से किए गए न्यायिक फैसलों और प्रस्ताव को कॉलेजियम के सभी सदस्यों को प्रसारित कर दिया गया। कॉलेजियम के सदस्य जस्टिस संजय किशन कौल ने 1 अक्टूबर को और जस्टिस केएम जोसेफ ने 7 अक्टूबर को पत्र के जरिये प्रस्ताव पर अपनी सहमति दे दी।
इस पर जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एस अब्दुल नजीर ने अलग-अलग पत्र के जरिये प्रस्ताव पारित करने से तरीके पर आपत्ति जताई। हालांकि जस्टिस चंद्रचूड़ और जस्टिस नजीर ने प्रस्ताव पर अपनी कोई राय नहीं बताई। उसके बाद चीफ जस्टिस ने 2 अक्टूबर को पत्र लिखकर इसके लिए वैकल्पिक सुझाव मांगे लेकिन उसका कोई जवाब नहीं मिला।
इस बीच 7 अक्टूबर को केंद्रीय विधि मंत्री ने चीफ जस्टिस को पत्र लिखकर आगामी चीफ जस्टिस का नाम मांगा जो 9 नवंबर से पदभार ग्रहण करेंगे। विधि मंत्री के पत्र के मद्देनजर कॉलेजियम ने 9 अक्टूबर को बैठक करके 30 सितंबर को हुई अधूरी बैठक पर सभी कार्यवाही रोक दी। कॉलेजियम की बैठक को लेकर संयुक्त बयान जारी कर कहा गया है कि चूंकि केंद्रीय कानून मंत्री ने चीफ जस्टिस यूयू ललित को 7 अक्टूबर को पत्र लिखकर अगले चीफ जस्टिस के नाम की सिफारिश की है, इसलिए अब इस सम्बन्ध में सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम आगे कोई कार्यवाही नहीं बढ़ाएगा।
CHIEF JUSTICE
सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस यूयू ललित अगले माह रिटायर होंगे, केंद्र ने उत्तराधिकारी के नाम की सिफारिश मांगी
नई दिल्ली । केंद्र सरकार ने चीफ जस्टिस यू यू ललित से अगले चीफ जस्टिस के नाम की सिफारिश मांगी है। चीफ जस्टिस यूयू ललित का कार्यकाल 8 नवंबर तक है। परंपरा के मुताबिक दूसरे वरिष्ठतम जज के नाम की सिफारिश सरकार को भेजते हैं। इस समय जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ दूसरे वरिष्ठतम जज हैं। अगर वह चीफ जस्टिस बनते हैं, तो उनका कार्यकाल 2 साल से अधिक का होगा।
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने दिल्ली के सेंट स्टीफेंस कॉलेज से इकोनॉमिक्स से बीए ऑनर्स किया है। उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी से एलएलबी की पढ़ाई की है। इसके बाद हार्वर्ड लॉ स्कूल से एलएलएम किया। वे विदेशों के कई यूनिवर्सिटी और लॉ कॉलेजों में व्याख्यान दे चुके हैं। वे अमेरिका के ओकलाहामा यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ लॉ और मुंबई यूनिवर्सिटी में कंपरेटिव कांस्टीट्यूशनल लॉ में विजिटिंग प्रोफेसर रह चुके हैं।
उन्होंने बॉम्बे हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में वकालत की है। उन्हें जून 1998 में बॉम्बे हाई कोर्ट में सीनियर एडवोकेट का दर्जा दिया गया। वे 1998 से लेकर मार्च 2000 तक एएसजी रहे। उन्हें 29 मार्च 2000 को बॉम्बे हाई कोर्ट का जज नियुक्त किया गया। 31 अक्टूबर, 2013 को उन्हें इलाहाबाद हाईकोर्ट का चीफ जस्टिस नियुक्त किया गया। 13 मई 2016 को उन्हें सुप्रीम कोर्ट का जज नियुक्त किया गया।