नई दिल्ली । द्वारका जिले के छावला दुष्कर्म व हत्या के मामले में उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने तीन आरोपितों को बरी करने के खिलाफ दिल्ली सरकार द्वारा एक पुनर्विचार याचिका दायर करने की मंजूरी दे दी है। अब सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता इस सनसनीखेज मामले में सरकार का पक्ष रखेंगे।
फरवरी 2012 में दिल्ली के छावला में हुए दुष्कर्म व हत्या के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बीते 7 नवंबर को इस गैंगरेप के 3 दोषियों को बरी कर दिया था, जबकि पहले हाईकोर्ट और निचली अदालत ने इन्हें फांसी की सजा सुनाई थी। कोर्ट ने कहा था कि अभियोजन पक्ष पर्याप्त साक्ष्य पेश नहीं कर पाया।
उल्लेखनीय है कि पुलिस रिपोर्ट के अनुसार, युवती अपने ऑफिस से लौट रही थी जब दिल्ली के कुतुब विहार इलाके से तीन लोगों ने उसे किडनैप कर लिया। मामले की शिकायत होने पर पश्चिम दिल्ली के छावला पुलिस थाने में अपहरण का मामला दर्ज किया गया था।
इसके बाद पुलिस ने 13 फरवरी को तीन आरोपितों को गिरफ्तार किया था और उनकी कार जब्त कर ली थी। बाद में युवती का क्षत-विक्षत शव हरियाणा में रेवाड़ी जिले के रोढाई गांव के एक खेत में मिला था।
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छावला गैंगरेप मामला : सुप्रीम कोर्ट ने तीनों दोषियों को बरी किया, हाई कोर्ट ने सुनाई थी फांसी की सजा
नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट ने 2012 में दिल्ली के छावला गैंगरेप मामले के तीनों दोषियों को बरी कर दिया है। चीफ जस्टिस यूयू ललित की अध्यक्षता वाली बेंच ने सोमवार को यह फैसला सुनाया। कोर्ट ने 7 अप्रैल को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
वर्ष 2012 में दिल्ली के छावला गैंगरेप मामले के तीनों दोषियों ने कोर्ट से मिली मौत की सजा को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। घटना 9 फरवरी 2012 की है जब रात में नौकरी से लौटते समय राहुल, रवि और विनोद ने उत्तराखंड की अनामिका को जबरन अपनी लाल इंडिका गाड़ी में बैठा लिया। तीन दिन बाद उसकी क्षत-विक्षत लाश हरियाणा के रेवाड़ी के एक खेत में मिली थी। अनामिका के साथ गैंगरेप के अलावा कार में इस्तेमाल होने वाले औजारों से पीटा गया था। उसके ऊपर मिट्टी के बर्तन फोड़े गए थे और सिगरेट से दागा गया था। निजी अंग में औजार व शराब की बोतल डाली गई और गर्म लोहे से दागा गया। उसके चेहरे को तेजाब से जलाया गया था।
इस मामले में ट्रायल कोर्ट ने 2014 में तीनों को रेयरेस्ट ऑफ द रेयर केस मानते हुए फांसी की सजा सुनाई थी। दिल्ली हाई कोर्ट ने भी ट्रायल कोर्ट के फांसी के आदेश को बरकरार रखा था। कोर्ट ने ही पीड़िता का नाम अनामिका रखा था। सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार की ओर से एएसजी ऐश्वर्या भाटी ने तीनों को फांसी की सजा की पुष्टि की मांग की। उन्होंने कहा कि पीड़िता के साथ अकल्पनीय दरिंदगी हुई।