लखनऊ । भाजपा विधायक योगेश शुक्ला के फ्लैट पर हुई कर्मी की मौत के मामले में सोमवार को परिवार की तहरीर पर युवती के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली गई है। रविवार की देर रात को विधायक निवास स्थान पर विधायक के मीडिया सेल का काम देख रहे कर्मचारी ने खुदकुशी की थी। मामला प्रेम प्रसंग का सामने आया है। पुलिस सभी बिन्दुओं पर जांच कर रही है।
हजरतगंज थाना प्रभारी प्रमोद कुमार पाण्डेय ने बताया कि विधायक निवास पर बीकेटी विधानसभा से भाजपा विधायक योगेश शुक्ला के कमरा नंबर 804 में उनका मीडिया सेल का कार्यभार संभाल रहे बाराबंकी निवासी श्रेष्ठ तिवारी ने रविवार रात को खुदकुशी कर ली थी।
सूचना पर पहुंची पुलिस ने दरवाजा तोड़कर शव को फंदे से नीचे उतारा था। तलाशी के दौरान घटनास्थल से कोई भी सुसाइड नोट बरामद नहीं हुआ है। पूछताछ में मृतक के भाई ने बताया कि श्रेष्ठ का किसी युवती के करीब चार वर्षों से प्रेम प्रसंग चल रहा था। दोनों रिलेशनशिप में रह रहे थे। भाई ने युवती के खिलाफ तहरीर दी है। पुलिस ने मृतक का मोबाइल कब्जे में लेकर सभी बिन्दुओं पर जांच शुरू कर दी है।
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शिमला। हिमाचल विधानसभा के बजट सत्र के तीसरे दिन गुरुवार को भी विपक्षी दल भाजपा के कडे तेवर देखने को मिले। भाजपा शासन में खुले सैंकड़ों संस्थानों व दफ्तरों को बंद करने के मुददे पर विपक्ष ने सदन के अंदर और बाहर जमकर हंगामा किया। विपक्ष के विधायकों ने विरोध का अनोखा रास्ता निकाला। नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर की अगुवाई में भाजपा विधायकों ने गले में लोहे की चेन और ताले डालकर मुख्यमंत्री के चैंबर के बाहर हल्ला बोला। भाजपा विधायकों के इस विरोध प्रदर्शन से सतापक्ष उखड़ गया और विपक्षी विधायकों के खिलाफ सदन में निंदा प्रस्ताव लाया गया।
बुधवार को बजट सत्र की तीसरी बैठक चल रही है। विपक्षी विधायक लोहे की चेन व ताले गले में डालकर विधानसभा परिसर में दाखिल हुए। विपक्ष के विधायक सदन की कार्यवाही शुरू होने से पहले मुख्यमंत्री के चैंबर के बाहर धरने पर बैठे और सरकार के खिलाफ नारेबाजी करने लगे। इस दौरान सतापक्ष के भी कुछ विधायकों ने पलटवार करते हुए विपक्षी विधायकों के खिलाफ नारे लगाए। जिससे सीएम चैंबर के बाहर माहौल तनावपूर्ण हो गया।
पूर्वान्ह 11 बजे सदन की कार्यवाही शुरू होते ही विपक्षी विधायकों ने संस्थान बंद करने के मुद्दे पर हंगामा शुरू कर दिया। विपक्ष के हंगामे के बीच विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने प्रश्नकाल शुरू करने की घोषणा कर दी। 10 मिनट तक सतापक्ष के सदस्यों ने अपने-अपने सवाल पूछे, जबकि विपक्षी सदस्य सदन में नारे लगाते रहे।
विधानसभा अध्यक्ष से अपनी बात रखने का मौका मिलने पर नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा है कि संस्थानों पर तालाबंदी का प्रदेश सरकार का निर्णय सही नहीं है। इस कदम से पूरे प्रदेश में हाहाकार मची है और जनता में भारी आक्रोश है। विपक्ष का दायित्व बनता है कि वो जनहित के मुददों को हम बेहतर ढ़ग से रखें। जयराम ठाकुर ने कहा कि इन संस्थानों को बंद करने से पहले कोई प्रक्रिया नहीं अपनाई गई। सरकार ने बिना सोचे-समझे संस्थानों पर तालाबंदी की।
जयराम ठाकुर ने कहा कि इस मुददे पर विपक्ष आज मुख्यमंत्री से मिलने उनके चैंबर में गया, लेकिन सतापक्ष के विधायकों द्वारा उनके साथ दुव्र्यवहार किया गया। भाजपा विधायकों का व्यवहार गुंडागर्दी वाला रहा। सरकार हमारी आवाज को दबा रही है। ये सामान्य परिस्थति नहीं है और इसके खिलाफ विपक्ष वाकआउट कर रहा है। इसके बाद विपक्षी सदस्य नारेबाजी करते हुए सदन से बाहर चले गए।
दूसरी तरफ सतापक्ष ने विपक्ष के इस रवैये की भत्सर्णा की और सदन में निंदा प्रस्ताव पेश किया। विपक्ष के वाकआउट के बाद संसदीय कार्य मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने निंदा प्रस्ताव लाते हुए कहा कि सदन के अंदर और बाहर भाजपा विधायकों का प्रदर्शन दुर्भाग्यपूर्ण व निंदनीय है। भाजपा विस चुनाव में मिली हार से बौखलाहट में है और उनके पास कोई मुद्दा नहीं है। सतापक्ष की ओर से उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री, धनीराम शांडिल, जगत सिंह नेगी और संजय रत्न ने निंदा प्रस्ताव का समर्थन करते हुए विपक्ष के व्यवहार की कड़ी आलोचना की।
मप्र हाईकोर्ट का कड़ा फैसला, भाजपा विधायक का जाति प्रमाण पत्र निरस्त, सदस्यता भी जा सकती है
ग्वालियर । मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने सोमवार को भाजपा विधायक जजपाल सिंह जज्जी का जाति प्रमाण पत्र निरस्त कर दिया है। साथ ही अशोकनगर पुलिस अधीक्षक को जज्जी के खिलाफ फर्जी जाति प्रमाण पत्र बनाने के मामले में केस दर्ज करने और विधानसभा को उनकी सदस्यता समाप्त करने का आदेश दिया है। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ की एकल पीठ ने विधायक जज्जी पर 50 हजार रुपये का हर्जाना भी लगाया है। जजपाल सिंह जज्जी अशोकनगर विधानसभा क्षेत्र से भाजपा से विधायक ह।
दरअसल, विधायक जज्जी ने कीर जाति का जाति प्रमाण पत्र बनवाकर अनुसूचित जाति के आरक्षण का लाभ लिया था। इस जाति को पंजाब में आरक्षण हैं। मध्य प्रदेश में नहीं है। इस मामले को लेकर दायर याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई हुई थी और कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
गौरतलब है कि वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में जजपाल सिंह जज्जी कांग्रेस के टिकट से अशोकनगर विधानसभा सीट से चुनाव जीते थे। उन्होंने भाजपा के टिकट से चुनाव लड़ रहे लड्डू राम कोरी को हराया था। चुनाव हारने के बाद लड्डू राम कोरी ने उच्च न्यायालय में जाति प्रमाण पत्र के खिलाफ याचिका दायर की। साथ ही चुनाव याचिका भी दायर की। ग्वालियर हाई कोर्ट की एकलपीठ में शुक्रवार को मामले की सुनवाई हुई।
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता संगम जैन ने याचिका के साथ जजपाल सिंह के उन सभी जाति प्रमाण पत्रों को पेश किया, जो उन्होंने बनवाए थे और कहा कि जज्जी को मध्य प्रदेश में आरक्षण नहीं दिया जा सकता है। वे मूलत: पंजाब के रहने वाले हैं। वहीं इनका प्रमाण पत्र बनेगा। उसी राज्य में लागू होगा। जज्जी की ओर से तर्क दिया गया कि 50 साल पहले उनके दादा-परदादा मप्र आ गए थे। उन्हें यहां भी आरक्षण मिलेगा। कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित कर लिया था। सोमवार को अदालत ने अपना फैसला सुनाते हुए विधायक जज्जी का जाति प्रमाण पत्र निरस्त कर दिया।
उल्लेखनीय यह भी है कि जजपाल सिंह जज्जी ने 2018 में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा था, लेकिन निर्वाचित होने के बाद वे कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए। इसके बाद उन्होंने इस्तीफा देकर 2020 में भाजपा के टिकट पर उपचुनाव लड़ा और विधायक चुने गए। फिलहाल वे भाजपा विधायक हैं, लेकिन कोर्ट के आदेश के बाद उनकी विधायकी खतरे में पड़ गई है। अदालत ने विधानसभा को उनकी सदस्यता समाप्त करने का आदेश दिया है, साथ पुलिस अधीक्षक को उनके खिलाफ केस दर्ज करने को कहा है।