नयी दिल्ली। ‘द केरल स्टोरी’ के निर्माताओं को बड़ी कामयाबी मिली है। सर्वोच्च न्यायलय ने पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार को तगड़ा झटका देते हुए ‘द केरल स्टोरी’ पर लगे प्रतिबन्ध को अभिवयक्ति की आज़ादी के खिलाफ बताते हुए हटा दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि फिल्म देश में हर जगह रिलीज हो चुकी है। सत्ता का आनुपातिक तरीके से प्रयोग किया जाना चाहिए। आप बोलने की आजादी के मौलिक अधिकार को भावनाओं के सार्वजनिक प्रदर्शन पर निर्भर नहीं कर सकते।
सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल में फिल्म ‘द केरल स्टोरी’ से बैन हटाने के साथ ही तमिलनाडु को भी निर्देश दिया है कि सिनेमाघरों में फिल्म देखने वालों को सरकार पर्याप्त सुरक्षा दे। फिल्म निर्माता ने ये भी माना की 32 हजार महिलाओं का डेटा प्रमाणित नहीं है। निर्माता की ओर से कहा गया है कि वो 20 मई तक डिस्क्लेमर देंगे कि 32,000 महिलाओं के डेटा के लिए कोई प्रमाणिक सत्यापित डेटा नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 20 मई शाम 5 बजे तक डिस्क्लेमर लगाना होगा कि 32,000 का आंकडे का कोई पुख्ता आधार नहीं है।
इससे पहले बैन को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार पर सवाल उठाए। मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने कहा, कानून और व्यवस्था बनाए रखना सरकार का कर्तव्य है। कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए राज्य का ये सकारात्मक दायित्व है। इस तरह तो आप समाज में किसी भी 13 लोगों को चुन सकते हैं। वे कुछ भी प्रतिबंध लगाने को कहेंगे। खेल या कार्टून दिखाने को छोड़कर नियमों का उपयोग जनता की सहनशीलता पर लगाने के लिए नहीं किया जा सकता। अन्यथा सभी फिल्में इसी स्थान पर खुद को पाएंगी। दरअसल, बंगाल सरकार की ओर से अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा था कि राज्य में शांति व्यवस्था बिगड़ने के कारण बैन किया गया।
जब पूरे देश में फिल्म चल सकती है तो पश्चिम बंगाल में क्या समस्या है
मुख्य न्यायाधीश ने पश्चिम बंगाल सरकार से कहा कि फिल्म देश में हर जगह रिलीज हो चुकी है। सत्ता का आनुपातिक तरीके से प्रयोग किया जाना चाहिए. आप बोलने की आजादी के मौलिक अधिकार को भावनाओं के सार्वजनिक प्रदर्शन पर निर्भर नहीं कर सकते। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जब पूरे देश में फिल्म चल सकती है तो पश्चिम बंगाल में क्या समस्या है। अगर किसी एक जिले में कानून व्यवस्था की समस्या है तो वहां फिल्म बैन करिए, जो लोग ना देखना चाहें वो ना देखें। सिंघवी ने कहा कि फिल्म 5 मई से 8 मई तक चली, हमने इसे बंद नहीं किया. हमने सुरक्षा मुहैया कराई थी। खुफिया रिपोर्ट से गंभीर खतरे की जानकारी मिली।
आपको यह पसंद नहीं तो इसे मत देखिए : सुप्रीम कोर्ट
मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि किसी भी प्रकार की असहिष्णुता को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता, लेकिन अभिव्यक्ति की आजादी का मौलिक अधिकार किसी भावना के सार्वजनिक प्रदर्शन के आधार पर निर्धारित नहीं किया जा सकता। भावनाओं के सार्वजनिक प्रदर्शन को नियंत्रित करना होगा। आपको यह पसंद नहीं है तो इसे मत देखिए।
ban lifted
कोलकाता। राज्य के बहुचर्चित कोयला तस्करी मामले में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी की साली मेनका गंभीर की मुश्किलें बढ़ गई हैं। शुक्रवार को कलकत्ता हाई कोर्ट ने उनकी गिरफ्तारी पर लगी रोक हटा दी है।
न्यायमूर्ति राजशेखर मंथा की एकल पीठ ने इस संबंध में मेनका की गिरफ्तारी पर लगी रोक को हटाते हुए गंभीर की ओर से दाखिल वह याचिका भी खारिज कर दी जिसमें उन्होंने अपने खिलाफ चल रही केंद्रीय एजेंसी की जांच पर रोक लगाने की मांग की थी। इसके साथ ही ईडी एक बार फिर उनसे पूछताछ करने की तैयारी में जुट गई है।
मवेशी तस्करी और कोयला तस्करी मामले में मेनका से पूछताछ के लिए ईडी ने दिल्ली बुलाया था लेकिन उन्होंने इसके खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी। इसी पर न्यायमूर्ति मौसमी भट्टाचार्य की एकल पीठ ने कहा था कि ईडी मेनका से कोलकाता में पूछताछ करेगी और उन्हें गिरफ्तार नहीं किया जा सकेगा। उन्होंने इसकी समय सीमा निर्धारित की थी जो खत्म हो गई, जिसके बाद गुरुवार को ईडी ने मेनका की गिरफ्तारी पर लगी रोक खत्म करने का आवेदन किया था जिस पर शुक्रवार को सुनवाई हुई और अब उन्हें हिरासत में लेने पर कोई रोक नहीं है। हालांकि मेनका के पास यह अधिकार है कि वह ईडी के खिलाफ नए सिरे से याचिका लगा सकती हैं। ईडी भी अब मेनका के खिलाफ किसी भी तरह की कार्रवाई के लिए स्वतंत्र है। अब देखने वाली बात होगी कि उनके खिलाफ क्या कुछ कदम उठाया जाता है।
कोयला तस्करी मामले में करोड़ों रुपये का लेन-देन बैंकॉक के खाते में हुआ है, जो मेनका से जुड़े हैं। उनके मां-बाप वहीं रहते हैं और उनकी बहन रूजीरा अभिषेक की पत्नी हैं। दोनों बैंकॉक में पली-बढ़ी हैं। इसीलिए ईडी अभिषेक बनर्जी के साथ उनकी पत्नी रुजीरा और साली मेनका के खिलाफ जांच कर रही है।