नई दिल्ली । आबकारी घोटाला मामले में पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया को ईडी मामले में दिल्ली हाई कोर्ट ने अंतरिम जमानत देने से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि सिसोदिया पर आरोप गम्भीर हैं, ऐसे में उनको 6 हफ्ते की अंतरिम जमानत नहीं दी जा सकती। कोर्ट ने सिसोदिया को अपनी पत्नी से घर या अस्पताल में पुलिस की मौजूदगी में मिलने की इजाजत दी। कोर्ट ने शर्त लगाई है कि पत्नी से मिलने जाने के दौरान सिसोदिया मीडिया से बात नहीं करेंगे। सिसोदिया फोन भी इस्तेमाल नहीं करेंगे।
सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट को बताया गया कि मनीष सिसोदिया को 3 जून की सुबह उनके घर पर ले जाया गया था लेकिन वह अपनी पत्नी से मुलाकात नहीं कर पाए, क्योंकि उससे पहले ही उनकी पत्नी को अस्पताल में भर्ती करवाया गया था। ईडी ने मनीष सिसोदिया की अंतरिम जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा कि जब उन्होंने पहली बार अंतरिम जमानत की अर्जी दाखिल की थी, उस समय और अभी की अंतरिम जमानत की अर्जी के समय उनकी पत्नी की हालत में कोई खास बदलाव नहीं हुआ है।
ईडी ने कहा कि पत्नी दो दशक से इस बीमारी से पीड़ित है। अगर 6 हफ्ते के लिए सिसोदिया को अंतरिम जमानत दी भी जाती है, तो उससे बहुत ज़्यादा असर नहीं होगा। इतना ही नहीं, उनके पास पीडब्ल्यूडी, शिक्षा, आबाकरी, फाइनेंस, विजिलेंस, बिनली, स्वास्थ्य, गृह समेत 18 पोर्टफोलियो थे। ऐसे में वह पत्नी के एक मात्र देख भाल करने वाले नहीं हो सकते हैं। ईडी की इस दलील का मनीष सिसोदिया के वकील ने विरोध करते हुए कहा कि सिसोदिया अपनी पत्नी के अकेले देखभाल करने वाले हैं, क्योंकि उनका इकलौता बेटा विदेश में पढ़ रहा है।
सिसोदिया के वकील ने ईडी की इस दलील का भी विरोध किया कि उनके पास 18 पोर्टफोलियो थे, तो क्या इसका मतलब यह हुआ कि वह पत्नी के केयरटेकर नहीं हैं। हम भी दिन भर में कई मामलों से निपटारा करते हैं, दिन के अंत में घर वापस जाकर क्या हम अपने परिवार की देखभाल नहीं करते।
मनीष सिसोदिया ने पत्नी की सेहत का हवाला देते हुए 6 हफ्ते की अंतरिम जमानत की मांग की थी। 2 जून को हाई कोर्ट ने फौरी राहत देते हुए मनीष सिसोदिया को पुलिस हिरासत में पत्नी से 3 जून की सुबह 10 से शाम 5 बजे तक के लिए मिलने की इजाजत दी थी। हालांकि, सिसोदिया के घर जाने से पहले उनकी पत्नी को अस्पताल में भर्ती करवाया गया।
BAIL REJECTED
नई दिल्ली । दिल्ली आबकारी घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में पूर्व उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका खारिज कर दी है। जस्टिस दिनेश कुमार शर्मा की बेंच ने कहा कि आरोप गंभीर प्रकृति के हैं और आबकारी नीति साउथ ग्रुप को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से तैयार की गयी थी।
कोर्ट ने 11 मई को फैसला सुरक्षित रख लिया था। चार मई को कोर्ट ने ईडी को नोटिस जारी किया था। 28 अप्रैल को राऊज एवेन्यू कोर्ट ने मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े मामले में सिसोदिया की जमानत याचिका खारिज कर दी थी। राऊज एवेन्यू कोर्ट के फैसले को सिसोदिया ने हाई कोर्ट में चुनौती दी।
सुनवाई के दौरान ईडी ने कहा था कि सिसोदिया मंत्री समूह के मुखिया थे और कैबिनेट के बारे में उनको सारी जानकारी थी। वे आबकारी नीति के बदलाव में मुख्य भूमिका में थे। सुनवाई के दौरान सिसोदिया की ओर से कहा गया था कि सिसोदिया के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का कोई मामला बनता ही नहीं। ईडी का पूरा केस सीबीआई के केस पर ही आधारित है। ईडी ने सिसोदिया को 9 मार्च को पूछताछ के बाद तिहाड़ जेल से गिरफ्तार किया था। सिसोदिया को पहले सीबीआई ने 26 फरवरी को गिरफ्तार किया था।
फ़िलहाल जेल में रहेंगे मनीष सिसोदिया, मनी लांड्रिंग मामले में कोर्ट ने जमानत याचिका खारिज की
नई दिल्ली। दिल्ली आबकारी घोटाला मामले के मनी लांड्रिंग से जुड़े मामले में राऊज एवेन्यू कोर्ट ने पूर्व उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका खारिज कर दी है। स्पेशल जज एमके नागपाल ने ये फैसला सुनाया। कोर्ट ने 18 अप्रैल को फैसला सुरक्षित रख लिया था।
सुनवाई के दौरान ईडी ने कहा था कि सिसोदिया मंत्री समूह के मुखिया थे और कैबिनेट के बारे में उनको सारी जानकारी थी। वे आबकारी नीति के बदलाव में मुख्य भूमिका में थे। ईडी ने कहा था कि नीति में फायदा पहुंचाने के बदले रिश्वत ली गई। ईडी ने कहा था कि कोई भी नीति हवा में नहीं बनाई जाती है। ईडी ने कहा था कि मंत्री समूह की बैठक में लाइसेंस फीस और प्रॉफिट मार्जिन को लेकर कोई चर्चा नहीं हुई। ईडी ने कहा था कि मनीष सिसोदिया के पास 18 विभाग थे। उस समय वह लोगों से मुलाकात करते थे। कुछ लोग उनकी पत्नी की देखभाल करते थे, ऐसे में जमानत के लिए मनीष सिसोदिया पत्नी की सेहत का हवाला नहीं दे सकते हैं।
इससे पहले जमानत याचिका पर 5 अप्रैल को सुनवाई के दौरान सिसोदिया की ओर से कहा गया था कि सिसोदिया के खिलाफ मनी लांड्रिंग का कोई मामला ही नहीं बनता है। सिसोदिया के वकील ने कहा था कि ईडी का पूरा केस सीबीआई के केस पर ही आधारित है। उन्होंने कहा था कि मनी लांड्रिंग एक्ट की धारा 3 के तहत किसी भी तरह का अपराध सिसोदिया ने नहीं किया। कोर्ट को यह देखना होगा कि क्या धारा 3 के तहत कोई उल्लंघन किया गया है।
मनीष सिसोदिया की ओर से कहा गया था कि दूसरी एजेंसियां पहले ही इस मामले की जांच कर रही हैं। सिसोदिया के वकील ने कहा कि ऐसा कोई सबूत नहीं है जिससे यह पता चल सके कि सिसोदिया ने मनी लांड्रिंग का अपराध किया हो या उसमें शामिल हों। कथित अपराध की आय का एक भी पैसा सिसोदिया या उनके परिवार के किसी सदस्य के बैंक खाते में नहीं आया। उसका मनी लांड्रिंग के अपराध से कोई लेना देना नहीं है। सिसोदिया के वकील ने कहा था कि जांच एजेंसी के अधिकारी अपनी सुविधा के अनुसार सिसोदिया के खिलाफ आरोप लगा रहे हैं।
सिसोदिया के वकील ने कहा था कि कैबिनेट ने मंत्री समूह बनाया। मंत्री समूह सभी राज्यों और केंद्र सरकार में भी होता है। मंत्री समूह आंकड़ों के आधार पर पॉलिसी में बदलाव का सुझाव देता है। इसके आधार पर आबकारी विभाग पॉलिसी को ड्राफ्ट करता है। मंत्री समूह पॉलिसी को ड्राफ्ट नहीं करता है।
कोर्ट ने 21 मार्च को जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए ईडी को नोटिस जारी किया था। इस मामले में सिसोदिया की न्यायिक हिरासत 5 अप्रैल को खत्म हो रही है। 22 मार्च को कोर्ट ने सिसोदिया को 5 अप्रैल तक की न्यायिक हिरासत में भेजा था। ईडी ने इस मामले में मनीष सिसोदिया को 9 मार्च को पूछताछ के बाद तिहाड़ जेल से गिरफ्तार किया था। सिसोदिया को पहले सीबीआई ने 26 फरवरी को गिरफ्तार किया था।
मनी लांड्रिंग केस : हाईकोर्ट ने दिल्ली के पूर्व मंत्री सत्येंद्र जैन की बेल याचिका खारिज की
नई दिल्ली । मनी लांड्रिंग मामले में जेल में बंद दिल्ली सरकार के पूर्व मंत्री सत्येंद्र जैन की जमानत याचिका हाईकोर्ट ने खारिज कर दी। जस्टिस दिनेश कुमार शर्मा ने इस मामले के सह-आरोपितों अंकुश जैन और वैभव जैन की जमानत याचिका भी खारिज कर दी । कोर्ट ने 22 मार्च को फैसला सुरक्षित रख लिया था।
सुनवाई के दौरान ईडी ने मनी लांड्रिंग मामले में जेल में बंद दिल्ली सरकार के पूर्व मंत्री सत्येंद्र जैन की जमानत याचिका का दिल्ली हाईकोर्ट में विरोध करते हुए कहा कि अगर जैन को जमानत दी जाती है तो मामले के गवाहों की जान को खतरा हो सकता है। ईडी ने कहा था कि सत्येंद्र जैन प्रभावशाली व्यक्ति हैं और बड़े राजनीतिक पद पर रह चुके हैं। वह गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं। ईडी ने कहा कि जैन को जमानत के लिए तय ट्रिपल टेस्ट को भी पास करना होगा। ईडी ने जेल में सत्येंद्र जैन के बर्ताव के बारे में कोर्ट को बताया कि जेल में वह मसाज करा रहा था। बैठकें कर रहा था। यहां तक कि उसे बाहर का खाना भी मिलता था। ईडी ने कहा था कि वैभव जैन और अंकुश जैन दोनों ने सत्येंद्र जैन की सहायता की और वह भी इस अपराध में जिम्मेदार हैं।
6 फरवरी को सह-आरोपितों अंकुश जैन और वैभव जैन की ओर से पेश वकील सुशील गुप्ता ने कहा था कि सत्येंद्र जैन का कंपनियों से कोई लेना-देना नहीं है। सुशील गुप्ता ने कहा था कि दोनों सह-आरोपितों ने ही कलकत्ता स्थित कंपनी को पैसे भेजे थे। 1 दिसंबर 2022 को कोर्ट ने ईडी को नोटिस जारी किया था। सत्येंद्र जैन ने ट्रायल कोर्ट की ओर से जमानत न दिए जाने के आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी है।
17 नवंबर 2022 को राऊज एवेन्यू कोर्ट ने सत्येंद्र जैन समेत तीनों आरोपितों की जमानत याचिका खारिज कर दी थी। कोर्ट ने सत्येंद्र जैन के अलावा इस मामले के आरोपितों वैभव जैन और अंकुश जैन की जमानत याचिका भी खारिज करने का आदेश दिया था।
बता दें कि ईडी ने सत्येंद्र जैन को 30 मई 2022 में गिरफ्तार किया था।
नई दिल्ली, । दिल्ली के राऊज एवेन्यू कोर्ट के स्पेशल जज विकास धूल ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जेल में बंद दिल्ली सरकार में मंत्री सत्येंद्र जैन समेत तीन आरोपितों की जमानत याचिका गुरुवार को खारिज कर दी। कोर्ट ने 11 नवंबर को फैसला सुरक्षित रख लिया था।
कोर्ट ने सत्येंद्र जैन के अलावा इस मामले के आरोपितों वैभव जैन और अंकुश जैन की जमानत याचिका भी खारिज करने का आदेश दिया है। सुनवाई के दौरान जैन की ओर से पेश वरिष्ठ वकील एन हरिहरन ने कहा कि ईडी मनी लॉन्ड्रिंग कानून की मनमानी व्याख्या कर रहा है। पैसा अंकुश जैन, वैभव जैन और दूसरे आरोपितों का है जो एंट्री से साफ है। यह कर उल्लंघन का मामला हो सकता है लेकिन मनी लॉन्ड्रिंग का नहीं। यह सत्येंद्र जैन का पैसा कैसे हो सकता है।
ईडी ने सत्येंद्र जैन की जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा था कि जैन ने हवाला ऑपरेटर को 40-50 बार नकदी उपलब्ध कराई। ईडी की ओर से पेश एएसजी एसवी राजू ने कहा था कि जैन लगातार गलत जानकारी दे रहे थे, जो भारतीय दंड संहिता के मुताबिक अपराध है। राजू ने कहा था कि ये मामला एक करोड़ रुपये से अधिक की मनी लॉन्ड्रिंग का है, ऐसे में जैन को जमानत न दी जाए। 28 अक्टूबर को जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान जैन की ओर से पेश वरिष्ठ वकील एन हरिहरन ने कहा था कि ईडी ने उन्हें केवल इसलिए गिरफ्तार किया है कि वे दिल्ली सरकार में मंत्री हैं, जैन के खिलाफ कोई आरोप नहीं है।
एक अक्टूबर को दिल्ली हाई कोर्ट ने सत्येंद्र जैन की जमानत याचिका दूसरी कोर्ट में ट्रांसफर करने के आदेश के खिलाफ दायर याचिका खारिज कर दी थी। 24 सितंबर को प्रिंसिपल डिस्ट्रिक्ट एंड सेशंस जज विनय कुमार ने सत्येंद्र जैन की जमानत याचिका दूसरी कोर्ट में ट्रांसफर करने का आदेश दिया था। राऊज एवेन्यू कोर्ट के प्रिंसिपल डिस्ट्रिक्ट एंड सेशंस जज ने जैन की जमानत याचिका पर विकास धूल की कोर्ट में सुनवाई के लिए भेज दिया था।
नई दिल्ली। दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने रैनबैक्सी के पूर्व प्रमोटर शिवेंद्र सिंह की पत्नी अदिति सिंह से कथित तौर पर 200 करोड़ रुपये की ठगी के मामले की मुख्य आरोपित सुकेश चंद्रशेखर की पत्नी लीना मारिया पॉल की जमानत याचिका खारिज कर दिया है। स्पेशल मकोका जज शैलेंद्र मलिक ने लीना के अलावा इस मामले के एक और आरोपित प्रदीप रामदानी की भी जमानत याचिका खारिज करने का आदेश दिया।
दिसंबर 2021 को पटियाला हाउस कोर्ट ने सुकेश चंद्रशेखर और अभिनेत्री लीना मारिया समेत आठ आरोपियों के खिलाफ दाखिल ईडी की चार्जशीट पर संज्ञान ले लिया है। ईडी ने करीब सात हजार पन्नों का चार्जशीट दाखिल किया है। दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने लीना मारिया को 05 सितंबर को गिरफ्तार किया था। इस मामले में कोर्ट ने सुकेश चंद्रशेखर को 4 सितंबर को गिरफ्तार किया था।
ईडी के मुताबिक इस मामले की जांच के लिए सुकेश चंद्रशेखर से जुड़े कई ठिकानों पर छापे मारे गए थे। छापे के दौरान सुकेश और उसके सहयोगियों के पास से मनी लाउंड्रिंग एक्ट की धारा 17 के तहत 16 महंगे कार जब्त किए गए थे। ये महंगी कारें लीना या उससे जुड़ी फर्मों के नाम पर थीं। ईडी के मुताबिक इस पूरे अपराध के लिए सुकेश ने ढांचा तैयार किया और अपराध को अंजाम दिया। दिल्ली पुलिस ने सुकेश चंद्रशेखर पर मकोका लगाया है। सुकेश एआईएडीएमके सिंबल मामले में निर्वाचन आयोग को रिश्वत देने की कोशिश के मामले में जेल में बंद था।