नई दिल्ली। राऊज एवेन्यू कोर्ट ने दिल्ली आबकारी घोटाले के मनी लांड्रिंग से जुड़े मामले में मनीष सिसोदिया की न्यायिक हिरासत 8 मई तक बढ़ा दी है। आज इस मामले में सिसोदिया की न्यायिक हिरासत खत्म हो रही थी, जिसके बाद कोर्ट में पेश किया गया।
आज जब पत्रकारों ने सिसोदिया से जमानत याचिका खारिज किए जाने पर प्रतिक्रिया पूछी तो उन्होंने कहा, “मोदी जी चाहे जितनी साजिशें कर लें लेकिन दिल्ली में केजरीवाल जी का काम रोक नहीं पाएंगे।” कोर्ट ने 17 अप्रैल को इस मामले में सिसोदिया को आज तक की न्यायिक हिरासत में भेजा था। सीबीआई ने 25 अप्रैल को दाखिल पूरक चार्जशीट में सिसोदिया को आरोपित बनाया है। सिसोदिया को सीबीआई ने 26 फरवरी को गिरफ्तार किया था। मनी लांड्रिंग मामले में ईडी ने सिसोदिया को 9 मार्च को पूछताछ के बाद तिहाड़ जेल से गिरफ्तार किया था।
bail plea rejected
नई दिल्ली । आबकारी नीति घोटाले में सीबीआई द्वारा दर्ज मामले में दिल्ली के राऊज एवेन्यू कोर्ट ने मनीष सिसोदिया की जमानत पर रिहा करने इंकार कर दिया। जमानत याचिका खारिज करने का आदेश स्पेशल जज एमके नागपाल ने दिया।
कोर्ट ने कहा कि पूर्व उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया पर लगे आरोप गंभीर हैं। मामले की सीबीआई जांच जारी है, जमानत नहीं दी जा सकती है। 34 पृष्ठ
के आदेश में कोर्ट ने कहा कि सिसोदिया सबूतों और गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं। आपराधिक षड्यंत्र में सिसोदिया की सक्रिय भूमिका रही। प्रथम दृष्टया भ्रष्टाचार निरोधक कानून के तहत भी अपराध किया गया दिख रहा है। सिसोदिया आबकारी घोटाले के आपराधिक साजिश के कर्ताधर्ता थे। कोर्ट ने कहा कि 90-100 करोड़ रुपये से अधिक की रिश्वत सिसोदिया और उनके सहयोगियों को देने के लिए थे। इनमें से 20-30 करोड़ रुपये विजय नायर, अभिषेक बोईनपल्ली और दिनेश अरोड़ा के जरिये पहुंचता था।
कोर्ट ने 24 मार्च को फैसला सुरक्षित रख लिया था। सुनवाई के दौरान सिसोदिया ने कहा था कि उनके भागने की कोई संभावना नहीं है। सिसोदिया की ओर से पेश वकील दायन कृष्णन ने कहा था कि पत्नी की तबीयत बीते 20 साल से खराब है और देखभाल के लिए कोई नहीं है। उन्होंने सीबीआई की जांच पर सवाल उठाते हुए कहा था कि वह कानून के दायरे में काम नहीं कर रही है।
सीबीआई की ओर से दलील देते हुए वकील डीपी सिंह ने कहा कि सिसोदिया 18 मंत्रालय देख रहे थे। इसमें शिक्षा विभाग के साथ वित्त और आबकारी विभाग भी था। उनको सारी जानकारी थी। सीबीआई ने जमानत का विरोध करते हुए कहा था कि भले ही सिसोदिया का देश छोड़कर भागने का खतरा न हो, लेकिन जमानत के बाद गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं।उल्लेखनीय है कि सिसोदिया फिलहाल ईडी हिरासत में हैं। सिसोदिया को सीबीआई ने 26 फरवरी को गिरफ्तार किया था।
कोलकाता । शिक्षक नियुक्ति भ्रष्टाचार मामले में गिरफ्तार राज्य के पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी को एक बार फिर जमानत नहीं मिली। सोमवार को उन्हें और इस मामले में गिरफ्तार अन्य छह लोगों को अलीपुर कोर्ट ने और 14 दिनों तक जेल में रखने का आदेश दिया है। चटर्जी ने अपने लिए जमानत की अर्जी लगाई थी लेकिन केंद्रीय एजेंसी के अधिवक्ताओं के तर्क के सामने उनकी एक न चली। कोर्ट ने उन्हें आगामी 28 नवंबर तक प्रेसिडेंसी सेंट्रल जेल में ही रखने का आदेश दिया है।
पार्थ की ओर से न्यायालय में उनके अधिवक्ता सलीम रहमान ने कहा कि पिछले 14 दिनों तक वह जेल में थे लेकिन सीबीआई ने उनसे एक बार भी पूछताछ नहीं की। कोई नई जानकारी सामने नहीं आ रही है। कुछ भी नया नहीं हो रहा। उन्हें बिना वजह जेल में रखा गया है। पार्थ चटर्जी ने पूछा है कि क्या अनंत काल तक वह जेल में ही रहेंगे? हालांकि कोर्ट ने उन्हें जमानत देने से इनकार करते हुए फिलहाल जेल में रखने का आदेश दिया है।
उनके साथ शांति प्रसाद सिन्हा, सुबिरेश भट्टाचार्य, अशोक साहा, प्रसन्न रॉय और प्रदीप सिंह सभी को हिरासत में रखने का आदेश दिया गया है।
सीबीआई की भूमिका से कोर्ट संतुष्ट नहीं
दूसरी ओर कोर्ट ने सीबीआई की भूमिका को लेकर भी नाराजगी जाहिर की। न्यायालय ने कहा कि सीबीआई को बताना होगा कि और कितने दिनों में जांच को किसी मोड़ पर ले जा सकेंगे? लगातार हिरासत मांग रहे हैं लेकिन जांच की स्थिति जहां की तहां खड़ी है। यह ठीक नहीं है।
उल्लेखनीय है कि 31 अक्टूबर को पार्थ चटर्जी को कोर्ट में पेश किया गया था जहां से उन्हें जेल हिरासत में रखने का आदेश दिया गया था।
नई दिल्ली। दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली हिंसा के आरोपित उमर खालिद की जमानत याचिका खारिज कर दी है। जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल की अध्यक्षता वाली बेंच ने ये फैसला सुनाया। 9 सितंबर को कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था।
सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस की ओर से स्पेशल पब्लिक प्रोसिक्यूटर अमित प्रसाद ने जामिया कोआर्डिनेशन कमेटी के व्हाट्स ऐप ग्रुप की चैट के बारे में बताया था, जिसमें कहा गया है कि कह दो हम जामिया से हैं, दिल्ली का चक्का जाम करेंगे। दिल्ली पुलिस ने दलील दी थी कि शाहीन बाग का धरना महिलाओं की ओर से किया गया स्वतंत्र आंदोलन नहीं था। धरना और प्रदर्शन स्थल योजनाबद्ध तरीके से मस्जिदों के नजदीक बनाए गए थे। दिल्ली पुलिस की ओर से स्पेशल पब्लिक प्रोसिक्यूटर अमित प्रसाद ने कहा था कि आरोपितों के व्हाट्स ऐप चैट में कहा गया कि धरना स्थलों पर ज्यादा हिन्दुओं को लाया जाए ताकि वो धर्मनिरपेक्ष दिखे। उन्होंने कहा कि शाहीन बाग का आंदोलन महिलाओं की ओर से किया गया स्वतंत्र आंदोलन नहीं था।।
सुनवाई के दौरान उमर खालिद की ओर से कहा गया था कि किसी भी घटना के समय उमर खालिद मौजूद नहीं था और न ही उसके पास से कुछ बरामद किया गया है। उमर खालिद की ओर से कहा गया था कि उसके खिलाफ दाखिल चार्जशीट में साजिश को दिखाने के लिए जिन घटनाओं का जिक्र किया गया है, उनका आपस में कोई संबंध नहीं है। उमर खालिद की ओर से पेश वकील त्रिदिप पेस ने कहा था कि चार्जशीट में पांच व्हाट्स ऐप ग्रुप की चर्चा की गई है, जिसमें उमर खालिद केवल दो ग्रुप का सदस्य था और वो भी एक ही ग्रुप में मैसेज भेजता था। उन्होंने कहा था कि किसी भी चश्मदीद गवाह ने ये नहीं कहा कि उमर खालिद नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ आयोजित विरोध प्रदर्शनों के दौरान हिंसा में भागीदार था। पुलिस ने उमर खालिद की गिरफ्तारी से पहले मामला बनाया।
उल्लेखनीय है कि हाई कोर्ट उमर खालिद की ओर से दाखिल जमानत याचिका पर 22 अप्रैल से सुनवाई कर रहा था। 24 मार्च को कड़कड़डूमा कोर्ट ने उमर खालिद की जमानत याचिका खारिज कर दी थी।